Kanakdhara shlok

  1. Kanakadhara Stotram Meaning and Benefits, Kanakadhara Stotram Lyrics English
  2. कनकधारा स्तोत्र पढ़ें
  3. Kanakadhara Stotram
  4. Sri Kanakdhara Stotram
  5. कनकधारा स्तोत्र
  6. श्री कनकधारा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
  7. Kanakadhara Stotram Lyrics in English
  8. Sri Kanakdhara Stotram
  9. Kanakadhara Stotram Lyrics in English
  10. कनकधारा स्तोत्र पढ़ें


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Kanakadhara Stotram Meaning and Benefits, Kanakadhara Stotram Lyrics English

What is a Stotram? A Stotram is a Sanskrit word for a hymn of praise, a eulogy, or a paean, that can be set to melody. It can be a prayer or even a description, but it will be more on the lines of a poem with structure, like a poem on a divine or spiritual note. Stotrams are an integral part of devotional literature. In Indian religion and Hinduism largely, Stotrams or hymns are sung in praise of Devi, Vishnu, or Shiva. They are poems of praise. A Stotram can be chanted daily. By doing so, the Mantras or words appeal to one’s sub-conscious state. Constant chanting makes one awaken the conscious mind and makes one realize one’s potential and abilities. Origin of Kanakadhara Stotram One such Stotram is the Kanakadhara Stotram, which was composed by one of India’s foremost spiritual saints, Sri Adi Shankaracharya. He dedicated the Stotram to Goddess Lakshmi, set in 21 hymns. Anyone suffering from poverty or past deeds can recite this Stotram. Kanakadhara Stotram – Meaning 1)Angam hare pulaka bhooshanamasrayanthi, Bhringanga neva mukulabharanam thamalam, Angikrithakhila vibhuthirapanga leela, Mangalyadasthu mama mangala devathaya. Salutations to Mother Lakshmi, who dwells like a delightful ornament within Hari, like bees that are attracted to the half-open buds of the black Tamala tree and decorate them with their humming sound. The one who carries within her the opulence of the entire world and showers wealth through her divine glance. May that glance bring auspiciousness and...

कनकधारा स्तोत्र पढ़ें

यह भी पढ़ें – कनकधारा स्त्रोत हिंदी पाठ – Kanakdhara Stotra in Hindi अङ्ग हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्। अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥१॥ जिस तरह भ्रमरी अध-खिले पुष्पों से सजे तमाल के वृक्ष का आश्रय लेती है, उसी प्रकार जो मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि। माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥२॥ जिस तरह भ्रमरी महान कमल के फूलों पर आती-जाती या मँडराती रहती है, वैसे ही जो मुरारी विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्धमिन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः ॥३॥ जो सभी देवों के आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्। आकेकरस्थितकनीनिकपक्ष्मनेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥४॥ शेषनाग पर शयन करते बाह्वन्तरे मधुजितः श्रितकौस्तुभे या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति। कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥५॥ जो कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव। मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्तिर्भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः ॥६॥ जैसे बादलों की घटा में बिजली प्रकाशित होती है, उसी तरह जो कैटभ के शत्रु श्री विष्णु श्यामसुन्दर के काली मेघमाला के समान वक्ष पर चमकती हैं, जिन्होंने अपने आविर्भाव से भृगु प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत्प्रभावान्माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन। मय्यापतेत्तदिह मन्थरमीक्षणार्धं मन्दालसं च मकरालयकन्यकायाः ॥७॥ समुद्रसुता कमला की वह धीमी, अलस, मंथर तथा आधी बंद दृष्टि, जिसके प्रभाव से कामदेव ने मंगल करने वाले भगवान मधुसूदन के हृदय में पहली बार स्थान पाया था, यहाँ मुझपर प...

Kanakadhara Stotram

He who has won over Madhu (Lord Vishnu), wears the Kousthuba as ornament. He also wears the garland of goddess Lakshmi’s glances which are like the blue Indraneela, filled with love to protect and are capable of fulfilling all the wishes of the lord himself. May these also fall on me and grant me all that is good. She is the preceptor of all three worlds. She is variously known the goddess of Knowledge, the consort of Vishnu who has Garuda as flag, the power that causes death at time of deluge and she is the wife of Him who has the crescent. She does the creation, upkeep and destruction. My salutations to her. Salutations to you, the very manifestation of the Vedas which gives rise to good actions. Beautiful like Rathi you are the ocean of the most beautiful qualities. Salutation to you as Shakthi ,who lives in the hundred petalled lotus. Salutations to you who is goddess of plenty and is the consort of Purushottama. The one who offers these prayers daily to her who is the personification of the Vedas, who is the mother of all the three worlds, who is goddess Rema (Lakshmi), will undoubtedly be blessed with good qualities, with great fortunes and he would live in this world with great recognition even from the wise. Kanakadhara Stotram is a hymn (Stotra) composed in Sanskrit by Sri Adi Sankaracharya. Kanakadhārā means “stream” (dhārā) of “gold” (kanaka), and the hymn is called by this name since legend has it that when Adi Sankara recited it, Goddess Lakshmi appeared in fr...

Sri Kanakdhara Stotram

अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्। अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः ॥१॥ मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपा-प्रणहितानि गताऽऽगतानि। मालादृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥२॥ विश्वामरेन्द्रपद-वीभ्रमदानदक्ष आनन्द-हेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणर्द्ध मिन्दीवरोदर-सहोदरमिन्दिरायाः ॥३॥ आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्द आनन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्। आकेकरस्थित-कनीनिकपक्ष्मनेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥४॥ बाह्वन्तरे मधुजितः श्रित कौस्तुभे या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति। कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला, कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥५॥ कालाम्बुदाळि-ललितोरसि कैटभारे-धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव। मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्ति-भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः ॥६॥ प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत् प्रभावान् माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन। मय्यापतेत्तदिह मन्थर-मीक्षणार्धं मन्दाऽलसञ्च मकरालय-कन्यकायाः ॥७॥ दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधारा मस्मिन्नकिञ्चन विहङ्गशिशौ विषण्णे। दुष्कर्म-घर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण-प्रणयिनी नयनाम्बुवाहः ॥८॥ इष्टाविशिष्टमतयोऽपि यया दयार्द्र दृष्ट्या त्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते। दृष्टिः प्रहृष्ट-कमलोदर-दीप्तिरिष्टां पुष्टिं कृषीष्ट मम पुष्करविष्टरायाः ॥९॥ गीर्देवतेति गरुडध्वजभामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर-वल्लभेति। सृष्टि-स्थिति-प्रलय-केलिषु संस्थितायै तस्यै नमस्त्रिभुवनैकगुरोस्तरुण्यै ॥१०॥ श्रुत्यै नमोऽस्तु नमस्त्रिभुवनैक-फलप्रसूत्यै रत्यै नमोऽस्तु रमणीय गुणाश्रयायै। शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्र निकेतनायै पुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तम-वल्लभायै ॥११॥ नमोऽस्तु नालीक-नि...

कनकधारा स्तोत्र

Kanakadhara Stotram in Marathi अन्न वस्त्र आणि निवारा या मानवाच्या तीन प्रमुख गरजा आहे. या गरजा पूर्ण करण्यासाठी तो दिवस रात्र मेहनत करीत असतो. दिवस रात्र मेहनत करून सुद्धा त्यांच्या या गरजा पूर्ण होत नाहीत. परिणामी तो हताश होतो, काय करावे हे त्याला सुचत नाही. मनुष्याच्या या प्राथमिक गरजा धनाशी संबंधित असल्याने दिवस रात्र त्यांना यांचीच चिंता सतावत असते. परंतु, मनुष्यांच्या या समस्यांचे निराकरण करण्याचा मार्ग शास्त्रांमध्ये दिला आहे. आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शास्त्रांमधील कनकधारा स्तोत्राला विशेष महत्व असून, या मंत्राच्या पठणाने मानवाच्या या समस्यांचे निराकरण होवू शकते. या मंत्राच्या उच्चाराने माता लक्ष्मी यांची असीन कृपा आपल्यावर होते. माता लक्ष्मी या धनाची देवता असल्याने आपल्या सर्व समस्या नष्ट होतील. त्यामुळे या मंत्राचे नियमित पठन करावे, जेणेकरून आपणास कधी या समस्यांचा सामना करावा लागणार नाही. आदी शंकराचार्य द्वारा रचित कनकधारा स्तोत्राबाबत कथा प्रचलित असून आज आपण या लेखाच्या माध्यमातून कनकधारा स्तोत्राबरोबर कथेचे सुद्धा लिखाण करणार आहोत. कनकधारा स्तोत्र – Kanakadhara Stotram in Marathi Kanakadhara Stotram in Marathi अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम। अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।। मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि। माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।। विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।। आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्। आकेकर स्थित कनी...

श्री कनकधारा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

कनकधारा स्तोत्र की रचना आदिगुरु सिद्ध मंत्र होने के कारण कनकधारा स्तोत्र का पाठ शीघ्र फल देनेवाला और दरिद्रता का नाश करनेवाला है। इसके नित्य पाठ से धन सम्बंधित सभी प्रकार के अवरोध दूर होते हैं और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। ॥ श्री कनकधारा स्तोत्र ॥ अङ्ग हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् । अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥1॥ अर्थ – जैसे भ्रमरी अधखिले कुसुमों से अलंकृत तमाल के पेड़ का आश्रय लेती है, उसी प्रकार जो श्रीहरि के रोमांच से सुशोभित श्रीअंगों पर निरंतर पड़ती रहती है तथा जिसमें सम्पूर्ण ऐश्वर्य का निवास है, वह सम्पूर्ण मंगलों की अधिष्ठात्री देवी भगवती महालक्ष्मी की कटाक्षलीला मेरे लिए मंगलदायिनी हो। मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि । माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥2॥ अर्थ – जैसे भ्रमरी महान कमलदल पर आती-जाती या मँडराती रहती है, उसी प्रकार जो मुरशत्रु श्रीहरि के मुखारविंद की ओर बारंबार प्रेमपूर्वक जाती और लज्जा के कारण लौट आती है, वह समुद्रकन्या लक्ष्मी की मनोहर मुग्ध दृष्टिमाला मुझे धन-सम्पत्ति प्रदान करे। विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्ष – मानन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि । ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्ध – मिन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः ॥3॥ अर्थ – जो सम्पूर्ण देवताओं के अधिपति इन्द्र के पद का वैभव-विलास देने में समर्थ है, मुरारि श्रीहरि को भी अधिकाधिक आनन्द प्रदान करनेवाली है तथा जो नीलकमल के भीतरी भाग के समान मनोहर जान पड़ती है, वह लक्ष्मीजी के अधखुले नयनों की दृष्टि क्षणभर के लिए मुझपर भी थोड़ी सी अवश्य पड़े। आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्द – मानन्दकन्दमनिम...

Kanakadhara Stotram Lyrics in English

Adi Sankaracharya’s Kanakadhara Stotram is the 21 mellifluous hymns on Goddess Lakshmi to alleviate Suffering and Grant Boons. Kanakadhara Stotram is a powerful Sanskrit hymn dedicated to Goddess Lakshmi, the Hindu Goddess of prosperity (both material and spiritual), wealth, fertility, good fortune, and courage. Goddess Mahalakshmi is the divine consort of Sri Kanakadhara Stotra is composed by Guru Adi Shankaracharya, a great Indian philosopher who introduced the Advaita Vedanta philosophy. It is believed that Adi Sankaracharya composed Sri Kanakadhara Stotram in praise of Goddess Lakshmi and pray to the Goddess to shower wealth to a poor women. ‘Kanaka’ literally means “Gold” and ‘Dhara’ means “Stream”. Kanakadhara Stotram Lyrics - Kanaka Dharaa Stavam Lyrics 1 Angam hare pulaka bhooshanamasrayanthi, Bhringanga neva mukulabharanam thamalam, Angikrithakhila vibhuthirapanga leela, Mangalyadasthu mama mangala devathaya. 2 Mugdha muhurvidhadhadathi vadhane Murare, Premathrapapranihithani gathagathani, Mala dhrishotmadhukareeva maheth pale ya, Sa ne sriyam dhisathu sagarasambhavaya. 3 Ameelithaksha madhigamya mudha Mukundam Anandakandamanimeshamananga thanthram, Akekara stiththa kaninika pashma nethram, Bhoothyai bhavenmama bhjangasayananganaya. 4 Bahwanthare madhujitha srithakausthube ya, Haravaleeva nari neela mayi vibhathi, Kamapradha bhagavatho api kadaksha mala, Kalyanamavahathu me kamalalayaya 5 Kalambudhaalithorasi kaida bhare, Dharaadhare sphurathi yaa thadinganeva, Ma...

Sri Kanakdhara Stotram

अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्। अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः ॥१॥ मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपा-प्रणहितानि गताऽऽगतानि। मालादृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥२॥ विश्वामरेन्द्रपद-वीभ्रमदानदक्ष आनन्द-हेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणर्द्ध मिन्दीवरोदर-सहोदरमिन्दिरायाः ॥३॥ आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्द आनन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्। आकेकरस्थित-कनीनिकपक्ष्मनेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥४॥ बाह्वन्तरे मधुजितः श्रित कौस्तुभे या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति। कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला, कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥५॥ कालाम्बुदाळि-ललितोरसि कैटभारे-धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव। मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्ति-भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः ॥६॥ प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत् प्रभावान् माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन। मय्यापतेत्तदिह मन्थर-मीक्षणार्धं मन्दाऽलसञ्च मकरालय-कन्यकायाः ॥७॥ दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधारा मस्मिन्नकिञ्चन विहङ्गशिशौ विषण्णे। दुष्कर्म-घर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण-प्रणयिनी नयनाम्बुवाहः ॥८॥ इष्टाविशिष्टमतयोऽपि यया दयार्द्र दृष्ट्या त्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते। दृष्टिः प्रहृष्ट-कमलोदर-दीप्तिरिष्टां पुष्टिं कृषीष्ट मम पुष्करविष्टरायाः ॥९॥ गीर्देवतेति गरुडध्वजभामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर-वल्लभेति। सृष्टि-स्थिति-प्रलय-केलिषु संस्थितायै तस्यै नमस्त्रिभुवनैकगुरोस्तरुण्यै ॥१०॥ श्रुत्यै नमोऽस्तु नमस्त्रिभुवनैक-फलप्रसूत्यै रत्यै नमोऽस्तु रमणीय गुणाश्रयायै। शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्र निकेतनायै पुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तम-वल्लभायै ॥११॥ नमोऽस्तु नालीक-नि...

Kanakadhara Stotram Lyrics in English

Adi Sankaracharya’s Kanakadhara Stotram is the 21 mellifluous hymns on Goddess Lakshmi to alleviate Suffering and Grant Boons. Kanakadhara Stotram is a powerful Sanskrit hymn dedicated to Goddess Lakshmi, the Hindu Goddess of prosperity (both material and spiritual), wealth, fertility, good fortune, and courage. Goddess Mahalakshmi is the divine consort of Sri Kanakadhara Stotra is composed by Guru Adi Shankaracharya, a great Indian philosopher who introduced the Advaita Vedanta philosophy. It is believed that Adi Sankaracharya composed Sri Kanakadhara Stotram in praise of Goddess Lakshmi and pray to the Goddess to shower wealth to a poor women. ‘Kanaka’ literally means “Gold” and ‘Dhara’ means “Stream”. Kanakadhara Stotram Lyrics - Kanaka Dharaa Stavam Lyrics 1 Angam hare pulaka bhooshanamasrayanthi, Bhringanga neva mukulabharanam thamalam, Angikrithakhila vibhuthirapanga leela, Mangalyadasthu mama mangala devathaya. 2 Mugdha muhurvidhadhadathi vadhane Murare, Premathrapapranihithani gathagathani, Mala dhrishotmadhukareeva maheth pale ya, Sa ne sriyam dhisathu sagarasambhavaya. 3 Ameelithaksha madhigamya mudha Mukundam Anandakandamanimeshamananga thanthram, Akekara stiththa kaninika pashma nethram, Bhoothyai bhavenmama bhjangasayananganaya. 4 Bahwanthare madhujitha srithakausthube ya, Haravaleeva nari neela mayi vibhathi, Kamapradha bhagavatho api kadaksha mala, Kalyanamavahathu me kamalalayaya 5 Kalambudhaalithorasi kaida bhare, Dharaadhare sphurathi yaa thadinganeva, Ma...

कनकधारा स्तोत्र पढ़ें

यह भी पढ़ें – कनकधारा स्त्रोत हिंदी पाठ – Kanakdhara Stotra in Hindi अङ्ग हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्। अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥१॥ जिस तरह भ्रमरी अध-खिले पुष्पों से सजे तमाल के वृक्ष का आश्रय लेती है, उसी प्रकार जो मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि। माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥२॥ जिस तरह भ्रमरी महान कमल के फूलों पर आती-जाती या मँडराती रहती है, वैसे ही जो मुरारी विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्धमिन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः ॥३॥ जो सभी देवों के आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्। आकेकरस्थितकनीनिकपक्ष्मनेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥४॥ शेषनाग पर शयन करते बाह्वन्तरे मधुजितः श्रितकौस्तुभे या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति। कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥५॥ जो कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव। मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्तिर्भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः ॥६॥ जैसे बादलों की घटा में बिजली प्रकाशित होती है, उसी तरह जो कैटभ के शत्रु श्री विष्णु श्यामसुन्दर के काली मेघमाला के समान वक्ष पर चमकती हैं, जिन्होंने अपने आविर्भाव से भृगु प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत्प्रभावान्माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन। मय्यापतेत्तदिह मन्थरमीक्षणार्धं मन्दालसं च मकरालयकन्यकायाः ॥७॥ समुद्रसुता कमला की वह धीमी, अलस, मंथर तथा आधी बंद दृष्टि, जिसके प्रभाव से कामदेव ने मंगल करने वाले भगवान मधुसूदन के हृदय में पहली बार स्थान पाया था, यहाँ मुझपर प...