कबीर दास के दोहे अर्थ सहित

  1. कबीर दास जी के 120 सर्वश्रेष्ठ अनमोल दोहे अर्थ सहित
  2. कबीर दास के प्रसिद्ध दोहे हिंदी अर्थ सहित – कविता हिन्दी कविता
  3. 70+ कबीर दास जी के प्रसिद्ध दोहे अर्थ सहित
  4. 30+ कबीर के दोहे हिन्दी अर्थ सहित Kabir Ke Dohe with Hindi Meaning
  5. Kabir Ke Dohe Bura Jo Dekhan Main Chala Meaning in Hindi


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कबीर दास जी के 120 सर्वश्रेष्ठ अनमोल दोहे अर्थ सहित

• Home • Latest IPOs • K.G. Classes • Hindi Vyakaran • हिंदी निबंध • Yoga • Yoga In Hindi • Yoga In English • Mantra • Chalisa • Vocabulary • Daily Use Vocabulary • Daily Use English Words • Vocabulary Words • More • Blogging • Technical Knowledge In Hindi • Tongue Twisters • Tenses in Hindi and English • Hindu Baby Names • Hindu Baby Boy Names • Hindu Baby Girl Names • ADVERTISE HERE • Contact Us • Learn Spanish 1. हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना, आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मरे, मरम न जाना कोई। अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि हिन्दुओं को राम प्यारा है और मुसलमानों को रहमान। इसी बात पर वे आपस में झगड़ते रहते है लेकिन सच्चाई को नहीं जान पाते। 2. काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगो कब। अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि जो कल करना है उसे आज करो और जो आज करना है उसे अभी करो। जीवन बहुत छोटा होता है अगर पल भर में समाप्त हो गया तो क्या करोगे। 3. धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घडा, ऋतू आए फल होए। अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि हमेशा धैर्य से काम लेना चाहिए। अगर माली एक दिन में सौ घड़े भी सींच लेगा तो भी फल ऋतू आने पर ही लगेगा। 4. निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय, बिना पानी, साबुन बिना, निर्माण करे सुभाय। अर्थ – कबीरदास जी खाते हैं कि निंदा करने वाले व्यक्तियों को अपने पास रखना चाहिए क्योंकि ऐसे व्यक्ति बिना पानी और साबुन के हमारे स्वभाव को स्वच्छ कर देते है। 5. मांगन मरण समान है, मति मांगो कोई भीख, मांगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख। अर्थ – कबीरदास जी कहते हैं कि मांगना मरने के समान है इसलिए कभी भी किसी से कुछ मत मांगो। 6. साईं इतन...

कबीर दास के प्रसिद्ध दोहे हिंदी अर्थ सहित – कविता हिन्दी कविता

कबीर दोहे,कबीर के दोहे , कबीर के दोहे हिंदी अर्थ सहित कबीर दास के प्रसिद्ध दोहे गुरु सो ज्ञान जु लीजिये, सीस दीजये दान। बहुतक भोंदू बहि गये, सखि जीव अभिमान॥१॥ व्याख्या: अपने सिर की भेंट देकर गुरु से ज्ञान प्राप्त करो | परन्तु यह सीख न मानकर और तन, धनादि का अभिमान धारण कर कितने ही मूर्ख संसार से बह गये, गुरुपद – पोत में न लगे। गुरु की आज्ञा आवै, गुरु की आज्ञा जाय। कहैं कबीर सो संत हैं, आवागमन नशाय॥२॥ व्याख्या: व्यवहार में भी साधु को गुरु की आज्ञानुसार ही आना – जाना चाहिए | सद् गुरु कहते हैं कि संत वही है जो जन्म – मरण से पार होने के लिए साधना करता है | गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब सन्त। वह लोहा कंचन करे, ये करि लये महन्त॥३॥ व्याख्या: गुरु में और पारस – पत्थर में अन्तर है, यह सब सन्त जानते हैं। पारस तो लोहे को सोना ही बनाता है, परन्तु गुरु शिष्य को अपने समान महान बना लेता है। कुमति कीच चेला भरा, गुरु ज्ञान जल होय। जनम – जनम का मोरचा, पल में डारे धोया॥४॥ व्याख्या: कुबुद्धि रूपी कीचड़ से शिष्य भरा है, उसे धोने के लिए गुरु का ज्ञान जल है। जन्म – जन्मान्तरो की बुराई गुरुदेव क्षण ही में नष्ट कर देते हैं। गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि – गढ़ि काढ़ै खोट। अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट॥५॥ व्याख्या: गुरु कुम्हार है और शिष्य घड़ा है, भीतर से हाथ का सहार देकर, बाहर से चोट मार – मारकर और गढ़ – गढ़ कर शिष्य की बुराई को निकलते हैं। कबीर दास के दोहे गुरु समान दाता नहीं, याचक शीष समान। तीन लोक की सम्पदा, सो गुरु दीन्ही दान॥६॥ व्याख्या: गुरु के समान कोई दाता नहीं, और शिष्य के सदृश याचक नहीं। त्रिलोक की सम्पत्ति से भी बढकर ज्ञान – दान गुरु ने दे दिया। जो गुरु बसै बनारसी, शीष समुन्दर तीर...

70+ कबीर दास जी के प्रसिद्ध दोहे अर्थ सहित

संत कबीर के दोहे (kabir das ke dohe) पथ प्रदर्शक के रूप में आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितने की उनके समय में थे। कबीर ने दोहों के माध्यम से समाज को आइना दिखाने का काम किया है। समाज में फैली तमाम कुरीतियों पर कबीर के दोहे कड़ा प्रहार करते है। इनके दोहों को लौकिक और पारमार्थिक दोनों दृष्टि से समझा जाना चाहिए। रुढ़िवादी परम्परा और आडम्बरों पर कड़ी चोट करने वाले संत कबीर की वाणी आज भी हर घर में गूंजती हैं। कबीर एक संत के साथ-साथ महान समाज सुधारक भी थे। उनकी वाणी ने समाज को एक नई दिशा देने का काम किया। कबीर दास जी के दोहे (kabir ke dohe) पढ़कर हर व्यक्ति के मन में एक प्रेरणा और सकारात्मक भाव आते है। इस लेख में हम कबीर के दोहों का अमूल्य संग्रह लेकर आये है, हम उम्मीद करते है आपको यह जरूर पसंद आएगा। कबीर के दोहे (kabir ke dohe) हिन्दी अर्थ सहित बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।। कबीर दास जी कहते है कि खजूर के पेड़ जैसा बड़ा होने से कोई फायदा नहीं है। क्योंकि खजूर के पेड़ से न तो पंथी को छाया मिलती और उसके फल भी बहुत दूर लगते है जो तोड़े नहीं जा सकते। कबीर दास जी कहते है कि बड़प्पन के प्रदर्शन मात्र से किसी का भला नहीं होता। तिनका कबहूँ ना निंदिये, जो पाँव तले होय। कबहूँ उड़ आँखों मे पड़े, पीर घनेरी होय।। एक तिनके को भी कभी छोटा नहीं समझना चाहिए, भले ही वो पांव तले ही क्यूं न हो, यदि वह आपकी आँख में चला जाये तो बहुत तकलीफ देता है। वैसे ही गरीब और कमजोर व्यक्ति की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए। बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मीलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।। कबीर दास जी कहते है कि मैं बुराई की खोज में निकला तो मुझे कोई बुराई नहीं मिली। लेकिन जब...

30+ कबीर के दोहे हिन्दी अर्थ सहित Kabir Ke Dohe with Hindi Meaning

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • कबीर दास का परिचय Introduction कबीरदास जी एक बहुत बड़े आध्यात्मिक व्यक्ति थे उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व के कारण उन्हें पूरे दुनिया में प्रसिद्धि प्राप्त हुई। कबीर जी हमेशा जीवन की कर्म में विश्वास रखते थे। • जन्म- विक्रमी संवत 20 मई 1499 ई. वाराणसी • कार्य- भक्ति कवि, सुत कातकर कपड़ा बुनाई • राष्ट्रीयता- भारतीय • साहित्यिक कार्य- सामाजिक और आध्यात्मिक विषय के साथ-साथ भक्ति आंदोलन • मृत्यु – विक्रमी संवत 1518 ई. मघर पढ़ें: आईये आपको बताते हैं – कबीर के दोहे हिन्दी अर्थ सहित Kabir Ke Dohe with Hindi Meaning 30+ कबीर दास जी के दोहे (भजन) हिन्दी अर्थ सहित Kabir Ke Dohe in Hindi 1. गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय । बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय ।। – Kabir Ke Dohe अर्थ- कबीर दास जी इस दोहे में यह कह रहे हैं की गुरु और गोविंद (भगवान )दोनों एक साथ खड़े हैं इस स्थिति में हमें किस को प्रणाम करना चाहिए। गुरु को अथवा गोविंद को? ऐसी स्थिति में हमें गुरु का चरण स्पर्श करना चाहिए क्योंकि गुरु की कृपा रूपी प्रसाद से हम गोविंद का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है इस दोहे में कबीर दास जी ने गुरु की महत्ता को बताया है तथा गुरु को एक महान दर्जा दिया है। 2. सतगुरु की महिमा अनंत ,अनंत किया उपकार। लोचन अनंत उघाडिया, अनंत दिखावणहार॥ – कबीर के दोहे अर्थ- इस दोहे में कबीर दास जी ने गुरु की अनंत महिमा का वर्णन किया है। कबीर दास जी गुरु की महिमा बताते हुए कहते हैं कि सतगुरु की महिमा का कोई अंत नहीं है, यह अनंत है। गुरु के द्वारा किए गए उपकार भी असीम है क्योंकि इन्होंने अपने ज्ञान रूपी सद उपदेंशो...

Kabir Ke Dohe Bura Jo Dekhan Main Chala Meaning in Hindi

कबीर के दोहे का अर्थ: महान कवि कबीर दास जी ने अपने इस दोहे में कहा है कि मैं इस दुनिया में दूसरों की बुराई ढूंढने निकला था। मगर, पता नहीं क्यों, मुझे सारे संसार में कोई बुरा व्यक्ति नहीं मिला। फिर मैंने अपने दिल में झांककर देखा, तो मुझे पता चला कि इस दुनिया में मुझसे बुरा कोई है ही नहीं, मैं ही सबसे बुरा प्राणी हूँ। अपना उदाहरण देते हुए यहाँ कबीरदास जी ने समाज को शिक्षा दी है कि हे मानवों! इस दुनिया की बुराइयों को ढूंढने से पहले अपनी बुराइयाँ ढूंढो और उन्हें जड़ से ख़त्म कर दो। जब तुम ऐसा कर दोगे, तो तुम्हें इस पूरे संसार का कोई भी प्राणी बुरा नहीं लगेगा। इस तरह अपने दोहे में कबीर जी ने यह कामना की है कि हम सभी अपने मन में छिपी बुराइयों को पहचानें और उन्हें ख़त्म करने की दिशा में काम करें। जब हम सत्कर्म करेंगे, तभी तो हमारा मानव जन्म सफल होगा। Bura Jo Dekhan Main Chala Doha in English bura jo dekhan main chala bura na milya koi bura jo dekhan me chala bura na dekhan main chala bura jo dekhan main chala meaning bura jo dekhan main chala mujhse bura na koi bura jo dekhan main chala in hindi kabir ke dohe bura jo dekhan main chala meaning bura na dekhan main chala bura na milya koi bura jo dekhan main chala kabir bura jo dekhan main chala bura na milya koi song bura jo dekhan main chala meaning in hindi