खंड काव्य की परिभाषा उदाहरण सहित

  1. काव्य खंड से संबंधित परीक्षोपयोगी वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  2. काव्य बोध ncert class 10th hindi imp questions
  3. हिन्दी व्याकरण
  4. Kavya
  5. काव्य की परिभाषा और भेद तथा काव्य गुण के प्रकार
  6. काव्यांग परिचय
  7. अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी


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काव्य खंड से संबंधित परीक्षोपयोगी वस्तुनिष्ठ प्रश्न

हिंदी काव्य खंड से जुड़े बहुविकल्पीय प्रश्न कक्षा 12 हिंदी – Hindi kavya khand objective questions in hindi class 12, MP board class 12 hindi objective type questions, class 12 hindi important questions 2022 mp board, objective question of hindi class 12 काव्य खंड से संबंधित परीक्षोपयोगी वस्तुनिष्ठ प्रश्न – Hindi kavya khand objective questions in hindi class 12 Hindi kavya khand objective questions in hindi class 12 यहां पर कक्षा 12वीं हिंदी विषय (Hindi) के महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन दिया गया है। Class 12 Hindi Important Objective Question for Inter Board Exam 2022, 12th Hindi Questions and answers in Hindi. Hindi Sahitya Important MCQ 1. कवि इसका भार लिए फिरता है– (अ) जग-जीवन का, (ब) साँसों का, (स) सपनों का, (द) अवसाद का । 👁‍🗨 Show Answer (अ) जग-जीवन का, 2. कवि ‘बच्चन’ किसका पान किया करते हैं ? (अ) साँसों का, (ब) स्नेह-सुरा का, (स) जल का, (द) सत्य का । 👁‍🗨 Show Answer (ब) स्नेह-सुरा का 3. दिन कैसे ढलता है ? (अ) बहुत धीरे, (ब) धीरे-धीरे, (स) जल्दी-जल्दी, (द) रुका रहता है। 👁‍🗨 Show Answer (स) जल्दी-जल्दी, 4. सबसे तेज बौछारों का माह होता है (अ) सावन, (ब) आषाढ़, (स) ज्येष्ठ, (द) भादों। 👁‍🗨 Show Answer (द) भादों। 5. सवेरे की तुलना की गई है (अ) खरगोश की आँख से, (स) शेर की आँख से, (ब) लोमड़ी की आँख से, (द) बिल्ली की आँख से। 👁‍🗨 Show Answer (अ) खरगोश की आँख से, 6. शरद क्या चलाता हुआ आया ? (अ) हाथ-पैर, (ब) जीभ, (स) साइकिल, (द) ठेल, 👁‍🗨 Show Answer (स) साइकिल, 7. कविता इसके बहाने एक उड़ान है (अ) फूलों के, (ब) पतंग के, (स) चिड़या के, (द) तितली के। 👁‍🗨 Show Answer (स) चिड़या के,...

काव्य बोध ncert class 10th hindi imp questions

अध्याय 11 काव्य बोध काव्य की परिभाषा एवं भेद प्रश्न 1. काव्य की परिभाषा लिखिए तथा उसके भेद बताइए। उत्तर- “काव्य हमारे भावों, विचारों की शाब्दिक अभिव्यक्ति है जो आनंद की अनुभूति कराने वाली होने के कारण संरक्षणीय है।” आचार्य विश्वनाथ ने परिभाषा दी है। रसात्मक वाक्य काव्यम्’। काव्य के दो प्रकार होते हैं- (1) श्रव्य काव्य (2) दृश्य काव्य प्रश्न 2. श्रव्य काव्य तथा दृश्य काव्य के भेद बताइए। उत्तर- श्रव्य काव्य के दो भेद होते हैं- (1) प्रबंध काव्य (2) मुक्तक काव्य। प्रबंध काव्य के भी दो भेद होते हैं-(1) महाकाव्य (2) खण्ड काव्य। मुक्तक काव्य के दो भेद होते हैं- (1) पाठ्य मुक्तक (2) गेय मुक्तक दृश्य काव्य के नाटक, एकांकी आदि भेद होते हैं। प्रश्न 3. प्रबन्ध काव्य किसे कहते हैं ? इसके भेद बताइए। अथवा प्रबन्ध काव्य का अर्थ लिखते हुए उसके भेदों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए। उत्तर- प्रबन्ध काव्य विषय प्रधान एवं वर्णनीय होता है। इसमें कथावस्तु के अनुकूल घटना विशेष का क्रमबद्ध रूप से काव्यात्मक वर्णन होता है। प्रबन्ध काव्य के दो भेद होते हैं- (1) महाकाव्य (‘ रामचरितमानस ) (2) खण्डकाव्य (‘सुदामाचरित ) प्रश्न 4. महाकाव्य किसे कहते हैं? दो प्रमुख महाकाव्यों एवं उनके रचनाकारों के नाम लिखिए। अथवा महाकाव्य किसे कहते हैं? हिन्दी के दो महाकाव्यों के नाम लिखिए। उत्तर- महाकाव्य विस्तृत होता है। इसमें प्रकृति का विशद् चित्रण होता है। जीवन उल्लेख होता है तथा पात्रों की संख्या अधिक होती है। हिन्दी के दो महाकाव्य निम्नलिखित हैं (1)’ रामचरितमानस’ (तुलसीदास), (2) ‘कामायनी’ (जयशंकर प्रसाद)। के समग्र रूप का प्रश्न 5. खण्डकाव्य किसे कहते हैं ? हिन्दी के चार खण्डकाव्यों के नाम लिखिए। अथवा खण्डकाव्य की परिभाषा...

हिन्दी व्याकरण

अनुक्रम • 1 वर्ण विचार • 1.1 वर्ण • 1.2 स्वर • 1.3 व्यंजन • 1.4 विदेशी ध्वनियाँ • 2 शब्द विचार • 3 विशेषण • 3.1 संज्ञा • 3.2 सर्वनाम • 3.3 विशेषण • 3.4 क्रिया • 3.5 क्रिया विशेषण • 3.6 समुच्चय बोधक • 3.7 विस्मयादि बोधक • 3.8 पुरुष • 3.9 वचन • 3.10 लिंग • 3.11 कारक • 3.12 उपसर्ग • 3.13 प्रत्यय • 3.14 संधि • 3.15 समास • 4 वाक्य विचार • 4.1 वाक्य • 4.2 काल • 4.3 पदबंध • 5 छन्द विचार • 6 इन्हें भी देखें • 7 सन्दर्भ • 8 बाहरी कड़ियाँ वर्ण विचार [ ] मुख्य लेख: वर्ण विचार हिंदी व्याकरण का पहला खंड है, जिसमें भाषा की मूल इकाई ध्वनि तथा वर्ण पर विचार किया जाता है। वर्ण विचार तीन प्रकार के होते हैं। इसके अंतर्गत हिंदी के मूल अक्षरों की परिभाषा, भेद-उपभेद, उच्चारण, संयोग, वर्णमाला इत्यादि संबंधी नियमों का वर्णन किया जाता है। वर्ण [ ] स्वर [ ] हिन्दी भाषा में कुल 12 स्वर हैं जो मूल रूप से उपस्थित हैं और वे बगल की सारणी में निम्नलिखित हैं। आगे बीच पीछे दीर्घ ह्रस्व दीर्घ ह्रस्व बंद ई इ उ ऊ बंद-मध्य ए ओ खुला-मध्य ऐ ऍ अ औ खुला आ स्वरों को कुछ इस प्रकार बाँटा जा सकता है — • मूल स्वर — ये ऐसे स्वर हैं जो एक ही स्वर से बने हैं। • अ, इ, उ, ओ • संयुक्त स्वर — ये ऐसे स्वर हैं जिन्हें संस्कृत भाषा में दो मूल स्वर के मेल की तरह उच्चारित किया जाता था। मगर आधुनिक हिंदी में इन्हें तकनिकी रूप से मूल स्वर ही कहा जाएगा क्योंकि हिंदी में इनका उच्चारण मूल स्वरों में बदल गया है। • आ = अ + अ • ऐ = अ + इ • औ = अ + उ • ऐलोफ़ोनिक स्वर — ये ऐसे स्वर होते हैं जो किन्हीं शब्दों के व्यंजनों के कारण दूसरे स्वर का स्थान ले लेते हैं। हिंदी में ऐसे दो स्वर हैं — • ऍ — ये स्वर हिंदी की वर्णमाला में नहीं पाया जाता है।...

Kavya

काव्य किसे कहते हैं? काव्य (Kavya) पद्यात्मक एवं छन्द-बद्ध भावनाओं की प्रधानता होती है। इसका साहित्य आनन्द सृजन करता है। और जिसका उद्देश्य सौन्दर्य की अनुभूति द्वारा आनन्द की प्राप्ति होती है। आनुषंगिक रूप से काव्य द्वारा युक्ति एवं चमत्कार आदि का आश्रय न लेकर कवि रसानुभूति का समवेत प्रभाव उत्पन्न करता है। अतः काव्य में यथार्थ का यथारूप चित्रण नहीं मिलता वरन् यथार्थ को कवि जिस रूप में देखता है तथा जिस रूप में उससे प्रभावित होता है, उसी का चित्रण करता है। कवि का सत्य, सामान्य सत्य से भिन्न प्रतीत होता है। वह इसी प्रभाव को दिखाने के लिए अतिशयोक्ति का सहारा भी लेता है; अत: काव्य में अतिशयोक्ति भी, दोष न होकर काव्य की परिभाषा विद्वानों का विचार है कि मानव हृदय अनन्त रूपतामक जगत के नाना रूपों, व्यापारों में भटकता रहता है, लेकिन जब मानव अहं की भावना का परित्याग करके विशुद्ध अनुभूति मात्र रह जाता है, तब वह मुक्त हृदय हो जाता है। हृदय की इस मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आई है उसे कविता या काव्य कहते हैं। • भमाह के अनुसार काव्य की परिभाषा- “ शब्दर्शों सहितों काव्यम” अर्थात शब्द और उसके अर्थ के मिश्रण को काव्य कहा गया है। • रुद्रट के अनुसार काव्य की परिभाषा- “ ननु शब्दर्शों काव्यम” अर्थात अर्थ के लघुसमन्वयन को काव्य कहा गया है। • मम्मट के अनुसार काव्य की परिभाषा- “ तद्रदोष शब्दर्शों गुणवाल कृति पुन क्वापि” अर्थात दोष रहित गुण सहित और कहीं अलंकार विहीन शब्दों को काव्य कहते हैं। • विश्वनाथ के अनुसार काव्य की परिभाषा- “ रसात्मक वाक्यम काव्यम” अर्थात रसयुक्त वाक्य को ही काव्य कहा गया है। • पंडित जगन्नाथ के अनुसार काव्य की परिभाषा- “ रामरणीयार्थ प्रतिपादक शब्दक...

काव्य की परिभाषा और भेद तथा काव्य गुण के प्रकार

काव्य काव्य की परिभाषा - समस्त भाव प्रधान साहित्य को काव्य कहते हैं। आचार्य विश्वनाथ प्रसाद के अनुसार - रसात्मकं वाक्यं काव्यम्। अर्थात् रस युक्त वाक्य ही काव्य है। पंडितराज जगन्नाथ के अनुसार - रमणीयार्थ प्रतिपादक: शब्दः काव्यं। अर्थात् रमणीय अर्थ के प्रतिपादक धर्म को काव्य कहते हैं। भामह के अनुसार - शब्दार्थो सहिर्तो काव्यं। अर्थात् शब्द और अर्थ से युक्त रचना ही काव्य है। श्री जयशंकर प्रदास के अनुसार - आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति को काव्य कहते हैं। काव्य के भेद - रचना के आधार पर काव्य के दो भेद होते हैं - 1 .श्रव्य काव्य 2 . दृश्य काव्य 1 . श्रव्य काव्य - जिस काव्य को पढ़ने या सुनने से आनन्द प्राप्त होता है। उसे श्रव्य काव्य कहते हैं। श्रव्य काव्य के दो भेद है - 1 . प्रबंध काव्य 2 . मुक्तक काव्य 1 . प्रबंध काव्य - वह काव्य रचना जो कथा सूत्रों तथा छन्दों की तारतम्यता में अच्छी तरह बंधी हो वह प्रबन्ध काव्य कहलाती है। प्रबन्ध काव्य के भेद - ( 1 ) महाकाव्य , ( 2 ) खण्ड काव्य , ( 3 ) आख्यानक गीत ( 1 ) . महाकाव्य महाकाव्य में जीवन का अथवा घटना विशेष का सम्पूर्ण वर्णन होता है। महाकाव्य की विशेषताये - 1. महाकाव्य का आकार बड़ा होता है। 2. महाकाव्य में सम्पूर्ण जीवन का चित्रण किया जाता है। 3. महाकाव्य में पात्रों की संख्या अधिक होती है। 4. महाकाव्य में अनेक छंदो का प्रयोग होता है। 5. महाकाव्य में आठ से अधिक सर्ग होते हैं। रचियता - महाकाव्य तुलसीदास - रामचरित मानस मैथिलीशरण गुप्त - साकेत मलिक मुहम्मद जायसी - पदमावत जयशंकर प्रसाद - कामायनी सुमित्रानंदन पंत - लोकायतन ( 2 ) . खण्डकाव्य खण्डकाव्य में नायक के जीवन की किसी एक घटना या पक्ष का वर्णन होता है। खण्डकाव्य की विशेषताएँ - 1. खण...

काव्यांग परिचय

काव्य गुण किसे कहते हैं ? काव्य में ओज , प्रवाह , चमत्कार और प्रभाव उत्पन्न करने वाले तत्त्व काव्य - गुण कहलाते हैं। काव्य - गुण कितने होते हैं ? नाम लिखिए । काव्य - गुण तीन होते हैं। प्रसाद गुण , माधुर्य गुण और ओज गुण । माधुर्य गुण की परिभाषा लिखिए । जिस काव्य रचना को पढने / सुनने से पाठक / श्रोता का चित प्रसन्नता से प्रफुल्लित हो जाता है वहाँ माधुर्य गुण माना जाता है। अथवा जिस काव्य रचना से चित आह्वाद से द्रवित हो जाए , उस काव्य - गुण को माधुर्य गुण कहते हैं। प्रसाद गुण की परिभाषा लिखिए । जिस काव्य रचना को सुनते ही अर्थ समझ में आ जाए , वहाँ प्रसाद गुण माना जाता है। प्रसाद गुण किन - किन रसों में प्रयुक्त होता है ? वैसे तो सभी रसों में प्रयुक्त होता है किंतु करुण , हास्य , शांत और . वात्सल्य रस में मुख्यतः प्रयुक्त होता है। माधुर्य गुण किन रसों में प्रयुक्त होता है ? शृंगार , à¤...

अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी

अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है किआभूषण, यह दो शब्दों से मिलकर बनता है-अलम + कार। जिस प्रकार स्त्री की शोभाआभूषणों से होती है उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जो शब्द आपके वाक्यांश को अलंकृत करें वह अलंकार कहलाता है। Alankar के बारे में विस्तार से जानने के लिए पूरा ब्लॉग पढ़ें। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • अलंकार किसे कहते हैं? Alankar किसी काव्यांश-वाक्यांश की सुंदरता को बढ़ाने वाले शब्द होते हैं जैसे अपने शब्दों के माध्यम से किसी की सुंदरता को चांद की उपाधि देना यह बिना अलंकार के संभव नहीं है। भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित और सुंदर बनाने का काम Alankar का ही है। अलंकरोति इति अलंकार भारतीय साहित्य के अंदर जिन शब्दों के द्वारा किसी वाक्य को सजाया जाता है उन्हें Alankar कहते हैं। • अनुप्रास • उपमा • रूपक • यमक • श्लेष • उत्प्रेक्षा • संदेह • अतिशयोक्ति आदि ये भी पढ़ें : क्लॉज़िज़ अलंकार के भेद Alankar को व्याकरण के अंदर उनके गुणों के आधार पर तीन हिस्सों में बांटा गया है। • शब्दालंकार • अर्थालंकार • उभयालंकार शब्दालंकार अलंकार शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – शब्द + अलंकार , जिसके दो रूप होते हैं – ध्वनी और अर्थ। जब Alankar किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द का इस्तेमाल कर देने से उस शब्द का अस्तित्व ही न बचे तो ऐसी स्थिति को शब्दालंकार कहते हैं। अर्थात जिस Alankar में शब्दों का प्रयोग करने से कोई चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार कहीं गायब हो जाता है तो, ऐसी प्रक्रिया को शब्दालंकार कहा जाता है। शब्दालंकार के भेद शब्द ...