Khatu shyam thought in hindi

  1. Khatu Shyam Mandir
  2. श्री खाटू श्याम बाबा की स्तुति ( Khatu Shyam Stuti ) Archives
  3. खाटू श्याम बाबा जी की कहानी
  4. Khatu Shyam: कौन हैं कलयुग के भगवान श्री खाटू श्याम? पढ़ें उनकी कथा
  5. Khatu Shaym Mandir: खाटू श्याम मंदिर का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण से है जुड़ा, जानें शीश दानी की महिमा


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Khatu Shyam Mandir

Khatu Shyam Mandir is known as the Kalyugi avatar of Bhagwan Shri Krishna. Khatu Shyam Mandir is located in Sikar district of Rajasthan, which is visited by a large number of devotees every year. In this pilgrimage site Krishna and Barbarika are the worshiped deities, who are often worshiped as Kuldevta. The idol is made of rare stone. Devotees believe that the temple houses the head of Barbarika or Khatushyam, a great warrior who sacrificed his head at the request of Krishna during the Kurukshetra war. Why is Nishana offered to Shyam Baba? In Sanatan culture, the flag is considered a symbol of victory. A mark is offered to him for the sacrifice made by Shyam Baba. It is considered a symbol of his victory as he had donated his head to Bhagwan Krishna in charity for the victory of religion. The symbol is saffron, blue, white, red colored flag. Photos of Shyam Baba and Bhagwan Krishna are attached on these marks. Coconut and peacock feathers are also adorned on some marks. Nowadays gold and silver marks are also offered to Shyam Baba by many devotees. Prime Festival of Khatu Shyam ji: The Falgun fair of Khatu Shyam Dham is quite famous. A large number of devotees come here on this occasion. The Ekadashi date of Shukla Paksha in Falgun month is the most important day of this fair. It is believed that the mere sight of Khatu Baba removes all the troubles of the life of the devotees. People believe that Baba Shyam fulfills everyone's wishes. Pouranik Katha A very interesting in...

श्री खाटू श्याम बाबा की स्तुति ( Khatu Shyam Stuti ) Archives

श्री खाटू श्याम बाबा की स्तुति | Shri Khatu Shyam Stuti | Khatu Shyam Ji Ki Aarti Stuti श्री खाटू श्याम बाबा की स्तुति हाथ जोड़ विनती करू तो सुनियों चित लगाय दास आ गयो शरण मे रखियो इसकी लाज धन्य ढूंढारो देश हे खाटू नगर सुजान अनुपम छवि श्री श्याम की दर्शन से कल्याण श्याम श्याम तो मे रटूँ श्याम हैं जीवन प्राण श्याम भक्तजन मे बड़े उनको करू प्रणाम खाटू नगर के बीच मे बाण्यो आपको धाम फाल्गुन शुक्ल मेला भरे जय जय बाबा श्याम फाल्गुन शुक्ला द्वादशी उत्सव भारी होए बाबा के दरबार से खाली जाये ना कोए उमा पति लक्ष्मी पति सीता पति श्रीराम लज्जा सबकी रखियो खाटू के बाबा श्याम पान सुपारी इलायची इत्तर सुगंध भरपूर सब भक्तो की विनती दर्शन देवो हजूर आलू सिंह तो प्रेम से धरे श्याम को ध्यान श्याम भक्तपावे सदा श्याम कृपा से मान मेरे श्याम मेरे श्याम मेरे श्याम बाबा श्याम || जय श्री श्याम जय जय श्री श्याम || #khatu shyam ki aarti, khatu shyam aarti, khatu shyam ji ki aarti, shyam aarti, shyam baba ki aarti, khatu shyam aarti video, om jay shree shyam hare, khatu shyam baba ki aarti in hindi, shree shyam baba ki stuti in hindi

खाटू श्याम बाबा जी की कहानी

वो कहते है ना अगर मन मे ईश्वर के प्रति सच्चा विश्वास हो तो ईश्वर आपके हर इच्छा को जरूर पूरी करते है, और आपको हर सुख सुविधा मिलता है, जो मिलना चाहिए, तो आइये इस पोस्ट मे राजस्थान के सीकर जिले में श्री खाटू श्याम बाबा जी के बारे मे जानते है, और उनसे जुड़ी कथा – Khatu Shyam Ki Kahani In Hindi को जानते है, बर्बरीक ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी, जिसके आशीर्वाद स्वरुप भगवान ने शिव ने बर्बरीक को 3 चमत्कारी बाण प्रदान किए। इसी कारणवश बर्बरीक का नाम तीन बाणधारी के रूप में भी प्रसिद्ध है। भगवान अग्निदेव ने बर्बरीक को एक दिव्य धनुष दिया था, जिससे वो तीनों लोकों पर विजय प्राप्त करने में समर्थ थे। जब कौरवों-पांडवों का युद्ध होने का सूचना बर्बरीक को मिली तो उन्होंने भी युद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया। बर्बरीक ने अपनी माँ का आशीर्वाद लिया और युद्ध में हारते हुए पक्ष का साथ देने का वचन देकर निकल पड़े। इसी वचन के कारण “ हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा” यह बात जग प्रसिद्ध हुई। जब बर्बरीक जा रहे थे तो उन्हें मार्ग में एक ब्राह्मण मिला। यह ब्राह्मण कोई और नहीं, स्वंय भगवान श्री कृष्ण थे जोकि भेष बदल कर बर्बरीक की परीक्षा लेना चाहते थे। ब्राह्मण बने श्री कृष्ण ने बर्बरीक से प्रश्न किया कि वो मात्र 3 बाण लेकर लड़ने को जा रहा है ? मात्र 3 बाण से कोई युद्ध कैसे लड़ सकते है। इसके बाद बर्बरीक ने कहा कि उनका एक ही बाण शत्रु सेना को समाप्त करने में सक्षम है और इसके बाद भी वह तीर नष्ट न होकर वापस उनके तरकश में आ जायेगा। अतः अगर तीनों तीर के उपयोग से तो सम्पूर्ण ब्रह्मांड का विनाश किया जा सकता है। ब्राह्मण ने बर्बरीक से एक पीपल के वृक्ष की ओर इशारा करके कहा कि वो एक बाण से पेड़ के सारे पत्तों को भेदकर द...

Khatu Shyam: कौन हैं कलयुग के भगवान श्री खाटू श्याम? पढ़ें उनकी कथा

बर्बरीक महाबली भीम और हिडम्बा के पौत्र थे एवं घटोत्कच के पुत्र थे. वह अपने दादाजी की ही तरह अति बलशाली थे और उनका शरीर भी विशालकाय था. बर्बरीक ने भगवान श्रीकृष्ण को दान किया था अपना शीश. Khatu Shyam: जैसा कि हम सभी जानते हैं आजकल लोग खाटू श्याम या खाटू नरेश को बहुत अधिक मानने लगे हैं परंतु क्या आप जानते हैं कि कौन हैं खाटू श्याम? कैसे हुआ उनका प्राकट्य अथवा क्यों कलयुग में हो रहा है उनका अत्यधिक बोल बाला? अगर नहीं! तो आइये हम बताते है आपको खाटू श्याम से जुड़ी रोचक कहानी. खाटू, सीकर (राजस्थान) में स्थित एक कस्बे का नाम है और खाटू में विराजमान होने के कारण उनका नाम खाटू श्याम पड़ा. कथा आती है महाभारत काल से, खाटू श्याम का असली नाम बर्बरीक था. बर्बरीक महाबली भीम और हिडम्बा के पौत्र थे एवं घटोत्कच के पुत्र थे, वह अपने दादाजी की ही तरह अति बलशाली थे और उनका शरीर भी विशालकाय था. ये भी पढ़ें: मां भगवती को इसलिए लेना पड़ा भ्रामरी और शाकंभरी माता का अवतार, पढ़ें कथा बर्बरीक का संकल्प पंडित इंद्रमणि घनस्यालबताते हैं कि जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तब बर्बरीक की भी युद्ध देखने की इच्छा हुई, जिसके कारण वह कुरुक्षेत्र की ओर चल दिए तथा उन्होंने यह संकल्प किया कि अंत में जो भी युद्ध हार रहा होगा, वह उसकी तरफ से युद्ध में हिस्सा लेंगे. जब यह बात श्रीकृष्ण को पता लगी तो वह परेशान हो उठे क्योंकि वह युद्ध के परिणाम से अवगत थे, वह जानते थे कि जीत पांडवों की ही होगी परंतु वह यह भी जानते थे कि अगर बर्बरीक ने युद्ध में हिस्सा लिया तो वह ही जीतेंगे. श्रीकृष्ण ने बनाया ब्राह्मण का रूप श्रीकृष्ण ने एक युक्ति अपनाई और वह एक ब्राह्मण का भेष बनाकर बर्बरीक के पास जा पहुंचे, बर्बरीक ने उन्हें प्रणाम किया,...

Khatu Shaym Mandir: खाटू श्याम मंदिर का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण से है जुड़ा, जानें शीश दानी की महिमा

डीएनए हिंदी: राजस्थानके सीकर स्थित (Rajasthan Sikar) खाटू श्याम (Khatu Shaym Temple) के मंदिर में हर साल लोगों की काफी भीड़ होती है. कई बार तो श्रद्धालु खाटू श्याम के दर्शन करने के लिए सुबह से शाम तक लाइन में लगते हैं और फिर बहुत धक्का मुक्की होती है. खाटू श्याम का मंदिर ( Khatu Shyam Mandir)आज का नहीं है बल्कि हजारों साल पुराना है. राजस्थान में यह सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, यहां दूर दूर से लोग निशान चढ़ाने के लिए आते हैं. श्री खाटू श्याम जी का मंदिर भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए प्रमुख पूजा स्थल माना जाता है. खाटू श्याम के कई नाम हैं और उनकी महिमा भी बहुत है. आइए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास और क्या है खाटू श्याम की महिमा. भगवान खाटू श्याम को वर्तमान समय (कलियुग) का देवता माना जाता है. खाटू श्याम मंदिर उत्तर भारत के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है. मंदिर के मूल संस्थापकों के वंशज ऐतिहासिक रूप से मंदिर की सेवा करते रहे हैं.ऐसा माना जाता है कि श्री खाटू श्याम मंदिर में हर साल लगभग एक लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. खाटू श्याम जी मंदिर का इतिहास क्या है (History of Khatu Shyam Temple) खाटू श्याम राजस्थान के खाटू शहर में भगवान कृष्ण (Lord Krishna) का एक सदियों पुराना मंदिर है.खाटू श्याम मंदिर भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए जाना जाता है जो उनके सिर के रूप में है, श्याम की मूर्ति का रंग भी सांवरा है और उसका आधा सिर कटा हुआ है.राजस्थान के यह राज्य के सबसे प्रमुख पूजा स्थलों में से एक है. इस बेहद खूबसूरत मंदिर की उपस्थिति के कारण ही शहर की लोकप्रियता बढ़ी है. खाटू श्याम मंदिर की कहानी महाभारत के सदियों पुराने हिंदू महाकाव्य से आती है. पांडवों में से एक,भीम के परपोते वीर बर्बरीक को...