किस कवि को राष्ट्रकवि की उपाधि से विभूषित किया गया

  1. हिंदी कविता (आधुनिक काल छायावाद तक) सहायिका/मैथिलीशरण गुप्त
  2. Hindi sahitya objective question quiz 10
  3. विद्यापति की पदावली (संपादक
  4. MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 23 महान विभूति: दानवीर डॉ. सर हरिसिंह गौर – MP Board Solutions
  5. चन्द्रगुप्त द्वितीय को किस उपाधि से विभूषित किया गया?
  6. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  7. सोहन लाल द्विवेदी का जीवन परिचय Sohan Lal Dwivedi Biography in Hindi Kavita
  8. Class 10 Ambar Bhag 2 Chapter 2 वन
  9. राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त


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हिंदी कविता (आधुनिक काल छायावाद तक) सहायिका/मैथिलीशरण गुप्त

मैथिलीशरण गुप्त मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त १८८६–१२ दिसम्बर १९६४) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उन्हें साहित्य जगत में 'दद्दा' नाम से जाना जाता है। बोधित किया जाता था। उनकी कृति भारत-भारती (1912) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली सिद्ध हुई थी और और इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें राष्ट्रकवि की पदवी भी दी थी। उनकी जयन्ती ३ अगस्त को हर वर्ष कवि दिवस के रूप में मनाया जाता है। सन १९५४ में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से गुप्त जी ने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया। इस तरह ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में यह गुप्त जी का सबसे बड़ा योगदान है। घासीराम व्यास जी उनके मित्र थे। पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो 'पंचवटी' से लेकर 'जयद्रथ वध', 'यशोधरा' और 'साकेत' तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। 'साकेत' उनकी रचना का सर्वोच्च शिखर है। जीवन परिचय मैथिलीशरण गुप्त का जन्म पिता सेठ रामचरण कनकने और माता काशी बाई की तीसरी संतान के रूप में उत्तर प्रदेश में झांसी के पास चिरगांव में हुआ। माता और पिता दोनों ही वैष्णव थे। विद्यालय में खेलकूद में अधिक ध्यान देने के कारण पढ़ाई अधूरी ही रह गयी। रामस्वरूप शास्त्री, दुर्गादत्त पंत, आ...

Hindi sahitya objective question quiz 10

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विद्यापति की पदावली (संपादक

• विद्यापति का जन्म मधुबनी (बिहार) के बिपसी गाँव में हुआ था। • इनका जन्म 14वीं -15वीं शदी के मध्य माना जाता है। • कुछ विद्वानों के अनुसार- जन्मकाल (1350-1450) माना जाता है। • इनके पितामह जयदत्त संत थे। वे योगेश्वर नाम से विख्यात थे। • गुरु का नाम – पंडित हरि मिश्र था। • पत्नी का नाम- चंदादेवी (चंपती) देवी था। • ये तिरहुत के राजा शिवसिंह और कीर्ति सिंह के दरबारी कवि थे। • राजा शिवसिंह ने विद्यापति को ‘विपसी’ गाँव दान में दिया था। राजा शिवसिंह ने विद्यापति को ‘अभिनव जयदेव’ की उपाधि से विभूषित किया था। • वे ‘शैव’ सम्प्रदाय के कवि थे। कीर्तिलता के महत्वपूर्ण तथ्य: • हरप्रसाद शास्त्री ने नेपाल के राजकीय पुस्तकालय से ‘कीर्तिलता’ की खोज की थी। • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने ‘कीर्तिलता’ की भाषा को ‘पूर्वी अपभ्रंश’ या ‘टकसाली अपभ्रंश’ की संज्ञा दी है। • कीर्तिलता विद्यापति की ऐतिहासिक रचना है। इनके प्रिय कवि जयदेव और प्रिय ग्रंथ जयदेव का ‘गीत गोविंद’ था। “माधव सुन-सुन वचन हमार।” • आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने कीर्तिलता को ‘भृंग-भृंगी संवाद’ माना है। • विद्यापति को आदिकाल और भक्तिकाल का ‘संधि कवि’ कहा जा सकता है। • कीर्तिलता में विद्यापति के आश्रयदाता राजाकीर्ति सिंह की वीरता और उदारता आदि गुणों का वर्णन मिलता है। • विद्यापति ने कीर्तिलता में स्वयं को राजा कीर्तिसिंह का ‘लेखन कवि’ बतलाया है। • डॉ हरप्रसाद शास्त्री ने विद्यापति को ‘पंचदेवोपासक’ माना है। • डॉ बच्चन सिंह के अनुसार विद्यापति को भक्तकवि कहना उतना ही मुश्किल है जितना खजुराहो के मंदिरों को आध्यात्मिक कहना। • विद्यापति को भक्त मानने वाले विद्वान हजारी प्रसाद द्विवेदी, चैतन्य महाप्रभु तथा श्यामसुंदर दास हैं। • आचार्य रामचंद्र...

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 23 महान विभूति: दानवीर डॉ. सर हरिसिंह गौर – MP Board Solutions

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 23 महान विभूति: दानवीर डॉ. सर हरिसिंह गौर महान विभूति: दानवीर डॉ. सर हरिसिंह गौर बोध प्रश्न प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए उत्तर अभाव = कमी, अलंकार में स्थायी भावों से रहित; अक्षय = अनश्वर, अपरिवर्तनशील; अद्वितीय = अतुल्य, अकेला; अर्जित = कमाया हुआ; विभूति = शक्ति, धन, सम्पन्नता; विदुषी = शिक्षित स्त्री, विद्वान स्त्री, विधिवेत्ता = विधि विशेषज्ञ, कानून के जानकार; रूढ़िग्रस्त = परम्परावादी। प्रश्न 2. पाठ के आधार पर सही जोड़ी बनाइए-. उत्तर (क) → (2), (ख) → (3), (ग) → (4), (घ)→ (1) प्रश्न 3. (क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए(क) डॉ. हरिसिंह गौर का जन्म कब और कहाँ हुआ ? उत्तर डॉ. हरिसिंह गौर का जन्म 26 जनवरी, सन् 1870 ई. में शनीचरी टौरी, सागर (म. प्र.) में हुआ था। (ख) डॉ. गौर कौन-कौन से विश्वविद्यालयों में उपकुलपति रहे? उत्तर सन् 1921 ई. से सन् 1936 ई. तक वे दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्थापक उपकुलपति रहे। इसके बाद दो वर्ष तक वे नागपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। (ग) डॉ. गौर को ‘सर’ की उपाधि से किसने विभूषित किया है ? उत्तर जनवरी, सन् 1925 में अंग्रेज सरकार ने डॉ. गौर को शिक्षा के क्षेत्र में ‘सर’ की उपाधि प्रदान की। (घ) उन्होंने किस प्रशासकीय पद से त्याग-पत्र दिया था ? उत्तर उन्होंने सेण्ट्रल प्रॉविंस कमीशन में अतिरिक्त सहायक आयुक्त के पद से त्यागपत्र दिया। (ङ) सागर विश्वविद्यालय की स्थापना कब, क्यों और और किसने की थी ? उत्तर 18 जुलाई, सन् 1946 को सागर नगर के निकट मकरोनिया की पथरिया पहाड़ी पर डॉ. हरिसिंह गौर ने हजारों व्यक्तियों की उपस्थिति में सागर विश्वविद्यालय की विधिवत् ...

चन्द्रगुप्त द्वितीय को किस उपाधि से विभूषित किया गया?

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न

Advertisement ⚫️ कविवर ‘अज्ञेय’ किस काव्यधारा के कवि हैं? उत्तर – प्रयोगवादी काव्यधारा 🔹‘अज्ञेय’ का पूरा नाम क्या है? उत्तर – सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ 🔹 अज्ञेय का जन्म कब और कहां हुआ? उत्तर – अज्ञेय का जन्म 7 मार्च,1911 में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुआ | 🔹 अज्ञेय की मृत्यु कब हुई? उत्तर – 4 अप्रैल, 1987 को ▪️ कविवर अज्ञेय को ‘वात्स्यायन’ उपनाम किस साहित्यकार ने दिया था? उत्तर – जैनेंद्र कुमार ने 🔹 अज्ञेय ने किन दो पत्रिकाओं का संपादन किया? उत्तर – प्रतीक , दिनमान 🔹अज्ञेय ने किस दैनिक समाचार पत्र का संपादन किया? उत्तर – नवभारत टाइम्स 🔹 अमेरिका के किस विश्वविद्यालय में अज्ञेय भारतीय इतिहास और संस्कृति के अध्यापक रहे? उत्तर – कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय 🔹 किस रचना के लिए अज्ञेय को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ? उत्तर – अज्ञेय को ‘आंगन के पार द्वार’ के लिये 1964 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ | 🔹 किस रचना के लिए अज्ञेय को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ? उत्तर –‘कितनी नावों में कितनी बार’ को 1978 में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ | 🔹 तार-सप्तक का प्रकाशन किस वर्ष हुआ? उत्तर – 1943 में 🔹अज्ञेय के दो काव्य-संग्रहों के नाम बताइए | उत्तर – आंगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार 🔹 अज्ञेय के तीन उपन्यासों के नाम बताइए | उत्तर – शेखर एक जीवनी ( दो भाग ), नदी के द्वीप,अपने अपने अजनबी 🔹 अज्ञेय के दो कहानी-संग्रहों के नाम लिखिए | उत्तर – विपथगा, कोठरी की बात | 🔹 अज्ञेय के दो यात्रा वृतांतों के नाम लिखिए | उत्तर – अरे यायावर रहेगा याद, एक बूँद सहसा उछली | 🔹 अज्ञेय हिंदी साहित्य में किस वाद के जनक माने जाते हैं? उत्तर – प्रयोगवाद | 🔹‘हमारा देश’ कविता के ...

सोहन लाल द्विवेदी का जीवन परिचय Sohan Lal Dwivedi Biography in Hindi Kavita

सोहनलाल द्विवेदी हिंदी काव्य-जगत की अमूल्य निधि थे। महात्मा गांधी के दर्शन से प्रभावित, द्विवेदी जी ने बालोपयोगी रचनाएँ भी लिखीं।राष्ट्रीयता से संबन्धित कविताएँ लिखने वालो में इनका स्थान मूर्धन्य है।वह हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। ऊर्जा और चेतना से भरपूर रचनाओं के इस रचयिता को राष्ट्रकवि की उपाधि से अलंकृत किया गया। 1969 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया था। उनका काव्यपाठ भी बहुत ओजस्वी होता था। उनका 'खादीगीत' पार्षदजी के झंडागीत के साथ गाया जाता था।उनका लम्बा गीत 'ऐ लाल किले पर झंडा फहरनेवालों /सच कहना कितने साथी साथ तुम्हारे हैं।' प्रधानमंत्री नेहरू की रीति- नीति पर सीधा प्रहार है। "मैथिलीशरण गुप्त, माखनलाल तुर्वेदी, बालकृष्ण शर्मा नवीन, रामधारी सिंह दिनकर, रामवृक्ष बेनीपुरी या सोहनलाल द्विवेदी राष्ट्रीय नवजागरण के उत्प्रेरक ऐसे कवियों के नाम हैं", जिन्होंने अपने संकल्प और चिन्तन, त्याग और बलिदान के सहारे राष्ट्रीयता की अलख जगाकर, अपने पूरे युग को आन्दोलित किया था, गाँधी जी के पीछे देश की तरूणाई को खडा कर दिया था। सोहनलालजी उस श्रृंखला की महत्वपूर्ण कड़ी थे। डॉ॰ हरिवंशराय ‘बच्चन’ ने एक बार लिखा था- जहाँ तक मेरी स्मृति है, जिस कवि को राष्ट्रकवि के नाम से सर्वप्रथम अभिहित किया गया, वे सोहनलाल द्विवेदी थे। गाँधीजी पर केन्द्रित उनका गीत 'युगावतार' या उनकी चर्चित कृति 'भैरवी' की पंक्ति 'वन्दना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो, हो जहाँ बलि शीश अगणित एक सिर मेरा मिला लो' स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सबसे अधिक प्रेरणा गीत था। अच्युतानंद जी ने डांडी यात्रा का उल्लेख करते हुए लिखा है- “गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने 76 सत्याग्रही कार्य कर्त्त...

Class 10 Ambar Bhag 2 Chapter 2 वन

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राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त

मैथिलीशरण गुप्त अट्ठारह सौ सत्तावन (१८५७) से पहले की बात है। गोरी हुकूमत और छोटे रजवाड़ों के जुल्म चरम पर थे। मध्य भारत का चंबल इलाका भी इसका शिकार था। कारोबार करना जोखिम भरा था डाकुओं और ठगो की तरह पिंडारी भी लुटेरे थे। गांव गांव में इन पंडारियों का आतंक था। अमीर और संपन्न घराने पिंडारीयों के निशाने पर रहते थे। ग्वालियर के पास भाड़े रियासत का धनवान कनकने परिवार इन पिंडलियों से दुखी होकर झांसी के पास चिरगांव जा बसा। झांसी रियासत हमेशा प्रजाति की हिफाजत को सर्वोच्च प्राथमिकता देती थी। कनकने परिवार के मुखिया सेठ राम चरण दास ने सुरक्षित होकर कारोबार किया और बेशुमार दौलत कमाई उनके पास अनेक रथ, घोड़ा, गाड़ियां और वगिया थी सैकड़ों नौकर चाकर थे कोठीया थी। लाड प्यार में पलकर बड़े हुए मैथिलीशरण का मन खेलने कूदने में बहुत लगता था पढ़ाई लिखाई में ज्यादा होशियार नहीं थे लेकिन पिताजी ने घर पर एक पंडित जी को भी लगा दिया। वो चाहते थे बेटा डिप्टी कलेक्टर बनें लेकिन नियति ने रास्ता कुछ और ही तय कर दिया था। तीसरे दर्जे तक मदरसे में तालीम के बाद पिताजी ने झांसी के मैकडॉनल्ड हाई स्कूल में दाखिला करा दिया। झांसी में जब यह स्कूल बनाया गया था तब उसमें सेठ राम चरण कनकने ने सबसे ज्यादा तीन हजार रुपए दान दिए थे उस जमाने के तीन हजार माने आज के करीब एक करोड़ रुपए। झांसी में भी मैथिलीशरण का मन पढ़ाई में नहीं लगा। दिन दिन भर चकरी चलाते और पतंग उड़ाने का तो जैसा जुनून था। जब भी कोई बारात या दूसरे गांव किसी जलसे में जाते तो पतंग उड़ाने वाले दोस्त भी ले जाते। दरअसल अंग्रेजी दर्जे की पढ़ाई से मैथिलीशरण चिढ़ने लगें थे। मैथिलीशरण की नियति इम्तिहान ले रही थी पत्नी और बच्चों की यादों से निकले ही ना थे कि पिताज...