करवा चौथ की कहानी

  1. करवा चौथ की कहानी।karva Chauth Ki Kahani(katha). – HIND IP
  2. Karwa Chauth Vrat Katha In Hindi : करवा चौथ की सरल संपूर्ण व्रत कथा यहां पढ़ें


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करवा चौथ की कहानी।karva Chauth Ki Kahani(katha). – HIND IP

करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है करवा चौथ को सबसे बड़ी चौथ माना गया है। इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत करती है और करवा चौथ की कहानी सुनती है। यह व्रत स्त्रियों का सर्वाधिक प्रिय व्रत है इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां पति के स्वास्थ्य, दीर्घायु एवं मंगल कामना करती हैं। कुंवारी कन्याये सुंदर, सुशील और अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं यह व्रत सौभाग्य और शुभ संतान देने वाला है। करवा चौथ के व्रत को करने वाली स्त्रियां सुबह स्नान आदि के बाद आचमन करके पति, पुत्र आदि के सुख सौभाग्य का संकल्प लेकर यह व्रत करती है करवा चौथ के व्रत में चौथ माता, गणेश जी महाराज, शिव-पार्वती और श्री कार्तिकेय जी के साथ चंद्रमा का भी पूजन किया जाता है और करवा चौथ की कहानी सुनी जाती है। इस दिन करवा चौथ की कहानी या करवा चौथ की कथा सुनने से चौथ माता प्रसन्न होकर व्रत का पूर्ण फल प्रदान करती है। करवा चौथ की कहानी।karva chauth ki kahani. करवा चौथ की कहानी करवा चौथ की कहानी –एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। सातों भाई अपनी बहन के साथ रहकर खाना खाते थे कार्तिक माह में करवा चौथ आई। भाई अपनी बहन से बोले आ बहन खाना खा लेते हैं। बहन बोली आज तो मेरा करवा चौथ का व्रत है इसलिए चांद देखकर ही खाना खाऊंगी। भाइयों ने सोचा आज तो हमारी बहन भूखी रह जाएगी इसलिए एक भाई दीया(टोर्च) लाया, एक भाई चलनी लेकर टीले पर चढ़ गया और दीया जलाकर चलनी से ढककर चलनी में चांद दिखा दिया। भाई बोले बहन चांद उग गया , अरख दे ले । बहन बोली , आओ भाभियों चांद देखकर अरख दे लो । भाभियाँ बोली कि ननद जी अभी तो आपका ही चाँद उगा है । हमारा तो रात को उगेगा । बहन अरख देकर भाइयों के साथ जीमने बैठी । पह...

Karwa Chauth Vrat Katha In Hindi : करवा चौथ की सरल संपूर्ण व्रत कथा यहां पढ़ें

Karva Chauth Vrat Katha In Hindi करवा चौथ की कथा : आइए पढ़ते हैं करवा चौथ की कहानी... बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी। शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है। इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूंकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह कर वह चली जाती है।