कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह कहां स्थित है

  1. क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी
  2. Gandhi Jayanti: जब अपनी मौत से 3 दिन पहले दिल्ली की दरगाह गए थे महात्मा गांधी
  3. [Solved] निम्नलिखित में से कौन सा स्मारक दिल्ली में स्�
  4. सूफी आन्दोलन
  5. 5 famous Dargah Of Delhi
  6. [Solved] शेख मुइनुद्दीन सिज्जी (मोइनुद्दीन चिश्ती) दर�
  7. मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह
  8. महरौली: ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार की दरगाह में सुविधाओं का अभाव, facilities needed in the dargah of khwaja qutbuddin bakhtiar kaki


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क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी

कुतब उल अक्ताब हजरत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद बख्तियार अल्हुस्सैनी क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी चिश्ती (जन्म ११७३-मृत्यु १२३५) चिश्ती आदेश के एक मुस्लिम सूफी संत और विद्वान थे| वह ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के अध्यात्मिक उत्तराधिकारी और शिष्य थे, जिन्होंने भारत उपमहाद्वीप में चिश्ती तरीके की नीव रखी थी| उनसे पूर्व भारत में चिश्ती तरीका अजमेर और नागौर तक ही सीमित था, उन्होंने दिल्ली में आदेश को स्थापित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। मेहरौली में जफर महल के नजदीक स्थित उनकी दरगाह दिल्ली की सबसे प्राचीन दरगाहों में से एक हैं। इनका उर्स (परिवाण दिवस) दरगाह पर मनाया जाता है। यह रबी-उल-अव्वल की चोहदवी तारीख को (हिजरी अनुसार) वार्षिक मनाया जाता है। उर्स को दिल्ली के कई शासकों ने उच्च स्तर पर आयोजित किया था, जिनमे कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश जिन्होंने उनके लिए गंधक की बाओली का निर्माण किया, शेर शाह सूरी, जिन्होंने एक भव्य प्रवेश द्वार बनवाया, बहादुर शाह प्रथम, जिन्होंने मोती मस्जिद का निर्माण कराया और फररुखसियार,जिन्होंने एक संगमरमर स्क्रीन और एक मस्जिद जोड़ा, शामिल है. 24 संबंधों: दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ ह...

Gandhi Jayanti: जब अपनी मौत से 3 दिन पहले दिल्ली की दरगाह गए थे महात्मा गांधी

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[Solved] निम्नलिखित में से कौन सा स्मारक दिल्ली में स्�

सही उत्‍तर जामा मस्जिद है। • जामा मस्जिद दिल्ली में स्थित है और इसका निर्माण 1656 में हुआ था। Key Points • जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। • इसे मुगल बादशाह शाहजहाँ ने 1644 से 1656 के बीच 10 लाख रुपये की लागत से बनवाया था। • जामा मस्जिद को ' मस्जिद-ए-जहाँनुमा ' या ' दुनिया केशानदार मस्जिद' के रूप में भी जाना जाता है। • इसे बादशाह शाहजहाँ की प्रमुख मस्जिद के रूप में डिजाइन किया गया था। • यह पुरानी दिल्ली के प्राचीन शहर में स्थित है। Additional Information • इंडिया गेट: • इंडिया गेट का निर्माण इंपीरियल वॉर ग्रेव्स कमीशन द्वारा किया गया था। • इसे अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के रूप में भी जाना जाता है। • इसके वास्तुकार एडवर्ड लुटियंसथे। • इसे 1921 से 1931 ई. की अवधि मेंबनाया गया था। • आगरा के किले का निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने करवाया था। • यह 1573 में बनकर तैयार हुआ था। • कुतुब-उद-दीन ऐबक ने प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में कुतुब मीनार का निर्माण शुरू किया था। DSSSB JE vacancies withdrawn (Civil) in Delhi Jal Board (post code - 801/22; sl no. 5) for advt no. 01/22 has been withdrawn! DSSSB JE Final Answer Key was out on 17th Feb 2023. The answer keys were available till 21st Feb 2023. Earlier, the Delhi Subordinate Services Selection Board (DSSSB) has released the Tier II Exam datefor the

सूफी आन्दोलन

• पहले मत के अनुसार, सूफी शब्द 'सूफ' से बना है जिसका तात्पर्य है— ऊन या ऊनी कपड़ा। • दूसरे मत के अनुसार, सूफी शब्द की उत्पत्ति 'सफा' से हुई जिसका अर्थ है— पवित्रता या शुद्धि की अवस्था। • सूफी रहस्यवादी थे। • उन्होंने सार्वजनिक जीवन में धन के अभद्र प्रदश्रन व धर्म भ्रष्ट शासकों की उलेमा द्वारा सेवा करने की तत्परता का विरोध किया। सूफी जगत का प्रसिद्ध सिद्धांत 'वहदत—उल—वुजूद' जिसका सार है— ईश्वर सर्वव्यापी हैं और सबमें उसी की झलक है।' प्रतिपादित किया? 1. मंसूर ने 2. गिजाली ने 3. इब्नुलअरबी ने 4. मोईनुद्दीन चि​श्ती ने उत्तर- 3 • सूफियों ने स्वतंत्र विचारों एवं उदार सोच पर बल दिया। • वे धम्र में औपचारिक पूजन, कठोरता एवं कट्टरता के विरुद्ध थे। • सूफियों ने धार्मिक संतुष्टि के लिए ध्यान पर जोर दिया। • भक्ति संतों की तरह, सूफी भी धर्म को ईश्वर के प्रेम एवं मानवता की सेवा के रूप में परिभाषित करते थे। • सूफी विभिन्न सिलसिलों श्रेणियों में विभाजित हो गए। • प्रत्येक सिलसिले में स्वयं का एक पीर यानी मार्गदर्शक था जिसे ख्वाजा या शेख भी कहा जाता था। • पीर एवं उसके शिष्य खानका(सेवागढ़) में रहते थे। • पीर अपने कार्य को आगे जारी रखने के लिए वली अहद (उत्तराधिकारी) नामित कर देता था। • समां— पवित्र गीतों का गायन • ईराक में बसरा सूफी गतिविधियों का केन्द्र बन गया। सिलसिले दो प्रकार के थे— • बेशरा और बाशरा। • बाशरा के अंतर्गत वे सिलसिले आते थे जो शरा (इस्लामी कानून) को मानते थे और नमाज, रोजा आदि नियमों का पालन करते थे। इनमें प्रमुख थे चिश्ती, सुहरावर्दी, फिरदौसी, कादिरी व नख्शबंदी सिलसिले थे। • बे-शरा सिलसिलों में शरीयत के नियमों को नहीं मानते थे। जैसे कलन्दर, फिरदौसी सिलसिले। भारत में सूफीमत • भ...

5 famous Dargah Of Delhi

1) कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी दिल्ली में सूफी चिश्ती संप्रदाय के एक संत थे। वह मोइनुद्दीन चिश्ती के पहले आध्यात्मिक उत्तराधिकारियों में से एक थे और इल्तुतमिश, दिल्ली सुल्तान के साथ-साथ लोदी राजवंश द्वारा भी सम्मानित थे। हर गुरुवार और शुक्रवार को यहां कव्वालियों का कार्यक्रम होता है। 2) ख्वाजा नसीरुद्दीन चिराग-ए-दिल्ली ख्वाजा नसीरुद्दीन चिराग-ए-दिल्ली 14वीं शताब्दी के फेमस सूफी संत थे। वह हजरत निजामुद्दीन औलिया के पांचवें आध्यात्मिक उत्तराधिकारी थे। चिराग दिल्ली में उसका मकबरा फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। 3) हजरत शाह तुर्कमान बयाबानी की दरगाह तुर्कमान गेट के पूर्व की ओर स्थित, हजरत शाह तुर्कमान बायबानी की दरगाह दिल्ली के सबसे पुराने धार्मिक स्थलों में से एक है। हजरत शाह तुर्कमान बयाबानी बयाबानी संप्रदाय के थे। आध्यात्मिक शांति के लिए आप इस जगह पर जा सकते हैं। 4) हजरत मटका शाह बाबा दरगाह हजरत मटका शाह बाबा दरगाह पुराने किले के पास स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि वह लगभग 750 साल पहले ईरान से आया था और उसने अपनी चमत्कारी उपचार शक्तियों से बड़ी संख्या में अनुयायियों को आकर्षित किया। उनकी दरगाह पर सभी धर्मों के लोग अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। 5) हजरत निजामुद्दीन दरगाह हजरत निजामुद्दीन दरगाह दिल्ली में सबसे फेमस तीर्थस्थलों में से एक है, जिसे हजरत निजामुद्दीन औलिया की याद में बनाया गया है, जो 1238 से 1325 तक रहे थे और जो एक बहुत लोकप्रिय सूफी चिश्ती संत थे और अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उत्तराधिकारी थे। गुरुवार को यहां कव्वालियों का कार्यक्रम किया जाता है।

[Solved] शेख मुइनुद्दीन सिज्जी (मोइनुद्दीन चिश्ती) दर�

सही उत्तर अजमेर है। Key Points • अजमेर शरीफ दरगाह/अजमेर दरगाह/अजमेर शरीफ/दरगाह शरीफ श्रद्धेय सूफी संत; मोइनुद्दीन चिश्ती की सूफी कब्र है। • यह अजमेर में स्थित है जिसमें चिश्ती की कब्र है। • चिश्ती एक करिश्माई और दयालु आध्यात्मिक उपदेशक और शिक्षक थे। • उनकी मृत्यु के बाद लिखे गए उनके जीवन के जीवनी खातों से पता चलता है कि उन्हें अपने जीवन के इन वर्षों में कई "आध्यात्मिक चमत्कार (करमत), जैसे चमत्कारी यात्रा, दिव्यदृष्टि और स्वर्गदूतों के दर्शन" के उपहार प्राप्त हुए। Additional Information अन्य महत्वपूर्ण सूफी संत: • ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती • ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, जिन्हें ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है, चिश्ती संप्रदाय के एक प्रिय सूफी संत थे। • उन्हें पैगंबर मुहम्मद के प्रत्यक्ष वंशज के रूप में जाना जाता है। • सिस्तान (वर्तमान पूर्वी ईरान और दक्षिणी अफगानिस्तान) में जन्मे, उन्होंने सिस्तान से लाहौर तक दिल्ली की यात्रा की, और अंत में अजमेर, राजस्थान में बस गए। • अजमेर में उनका मकबरा, अजमेर शरीफ दरगाह, दुनिया के सबसे पवित्र इस्लामी स्थलों में से एक है। • दुनिया भर से मुसलमान हर साल दरगाह शरीफ में नमाज अदा करने आते हैं। • न केवल मुसलमान बल्कि विभिन्न धर्मों के लोग साल भर इस तीर्थ में आते हैं। • बाबा फरीदी • बाबा शेख फरीद के रूप में उन्हें पूरे पंजाब, भारत और पाकिस्तान में कहा जाता है, उस समय पैदा हुए थे जब पंजाब महान चौराहे से गुजर रहा था। • तैमूर लंगड़ा, हलाकू (चंगेज़ खान का पुत्र) आदि ने पैदा होने से लगभग 100 से 200 साल पहले पंजाब को तबाह कर दिया था। • भारत की राजभाषा तुर्की और फारसी थी। • कुतुब-उद-दीन ऐबक का गुलाम वंश उस समय सुल्तान बलबन द्वारा शासित था। 200-...

मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह

ख्वाजा मोइनुद्दीन को उसी हुज्रा (कोठरी) में दफनाया गया जिसमें उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय प्रार्थनायें करने में व्यतीत किया था। आरंभ में यह कच्ची मजार के रूप में एक पहाड़ी पर स्थित थी जो झाड़ियों एवं पौधों से घिरी हुई थी। ख्वाजा हुसैन नागौरी ने उनकी समाधि पर एक मकबरा बनवाया। दरगाह पर यात्राओं का सिलसिला नागौर के सूफी हमीदुद्दीन, ख्वाजा मोइनुद्दीन के मुख्य खलीफाओं में से एक थे। वे ई.1274 ईस्वी तक जीवित रहे। वे तथा उनके अनुयायी ख्वाजा मोइनुद्दीन की मजार पर बरसों बरस यात्रा करते रहे। ख्वाजा की दरगाह के शुरुआती यात्रियों में शेख फरीदुद्दीन गंज ए शकर थे जिन्होंने ध्यान (मेडीटेशन) के लिये ख्वाजा की मजार के निकट स्थित एक चिल्ला (कोठरी नुमा गुफा) में काफी समय व्यतीत किया। आज भी इसे बाबा फरीद का चिल्ला कहा जाता है। यह भी दावा किया जाता है कि ख्वाजा अजमेरी का मुख्य खलीफा शेख कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी, ख्वाजा मोइनुद्दीन की मजार की यात्रा करने वाला पहला मुख्य सूफी था। यह भी कहा जाता है कि जिस वर्ष ख्वाजा मोइनुद्दीन का निधन हुआ, उसी वर्ष इल्तुतमिश ई.1227 में अजमेर आया। इल्तुतमिश के उत्तराधिकारी नसीरुद्दीन महमूद ने नागौर तथा अजमेर के इक्तेदार इजुद्दीन बलबन के विद्रोह को कुचलने के लिये नागौर जाते समय अजमेर की यात्रा की। अलाउद्दीन खलजी ने ई.1301 में रणथंभौर तथा ई.1303 में चित्तौड़ अभियान किया तथा राजस्थान में काफी समय व्यतीत किया। जैन स्रोतों के अनुसार अलाउद्दीन खलजी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन की मजार की यात्रा की। दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों में से मुहम्मद बिन तुगलक ऐसा पहला सुल्तान था जिसकी इस मजार पर की गई यात्रा का सुस्पष्ट उल्लेख मिलता है। उसने ई.1332 में इस मजार की यात्रा की किंतु उस...

महरौली: ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार की दरगाह में सुविधाओं का अभाव, facilities needed in the dargah of khwaja qutbuddin bakhtiar kaki

नई दिल्ली: हिंदुस्तान की सर जमीन पर हजरत ख्वाजा गरीब नवाज (अजमेर शरीफ ) के बाद महरौली के ऐतिहासिक क्षेत्र में स्थित मशहूर सूफी बुजुर्ग ख्वाजा सैयदना कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी (र. अ ) का आस्ताना शरीफ है. दरगाह शरीफ में सैकड़ों की संख्या में सभी धर्मों के लोग यहां आकर चादर शरीफ और फूल चढ़ाते हैं. और जाने वाले ज़ायरीन मन्नतें और मुरादे मांगते हैं. मगर क़ुतुब साहिब के चाहने वालों अकीदतमंदों को दरगाह शरीफ में आने में काफी परेशानी होती है. ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह 'आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया नहीं दे रहा ध्यान' दरगाह शरीफ के मैनेजर फौजान अहमद सिद्दीकी ने बताया कि दरगाह के आसपास पार्किंग की कोई सुविधा नहीं है. पहले कुतुब मीनार के पास एक ही स्कूल के ग्राउंड में पार्किंग की जाती थी, मगर अब वह बंद हो चुकी है. यहां आने वाले जायरीन कुतुब मीनार के पास अपनी गाड़ियां पार्क करते हैं, लेकिन ट्रैफिक पुलिस उन्हें काफी परेशान करती है. उन्होंने बताया कि हमने दिल्ली वक्फ बोर्ड और उर्स कमेटी दिल्ली से भी कई बार शिकायत की है, मगर हमारी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया. दरगाह के मैनेजर ने बताया कि महरौली क्षेत्र के आसपास की सड़कों पर अतिक्रमण बढ़ गया है. इस वजह से मोटर सवारियां नहीं आ पाती हैं और विकलांगों, विशेष तौर से व्हीलचेयर पर चलने वाले लोगों को दरगाह आने में काफी परेशानियां होती हैं. उन्होंने अफसोस के साथ बताया कि यह पूरा क्षेत्र ऐतिहासिक है मगर आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इस तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता है, जिस वजह से यहां समस्या ही समस्या है. जायरीन झेल रहे दिक्कतें दरगाह शरीफ के गद्दी नशीन सय्यद सलमान कुतुबी बताते हैं कि यह दरगाह शरीफ ख्वाजा गरीब नवाज के बाद हिंदुस्तान की दू...