लक्ष्मी चालीसा

  1. श्री लक्ष्मी चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित
  2. श्री लक्ष्मी चालीसा (Shree Lakshmi Chalisa) » हिंदू व्रत कथाएँ
  3. Lakshmi Chalisa in Hindi
  4. [Lyrics & PDF] माँ लक्ष्मी चालीसा
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  6. Laxmi Chalisa: श्री लक्ष्मी चालिसा का अर्थ एव महत्त्व
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श्री लक्ष्मी चालीसा लिरिक्स अर्थ सहित

सोरठा– यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं ! सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका !! अर्थ– हे मां मेरी यही अरदास है, मैं हाथ जोड़ कर बस यही प्रार्थना कर रहा हूं हर प्रकार से आप मेरे यहां निवास करें ! हे जननी, हे मां जगदम्बिका आपकी जय हो ! चौपाई– सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही, ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ! तुम समान नहिं कोई उपकारी, सब विधि पुरवहु आस हमारी ! जय जय जगत जननि जगदम्बा, सबकी तुम ही हो अवलम्बा !! तुम ही हो सब घट घट वासी, विनती यही हमारी खासी ! जगजननी जय सिन्धु कुमारी, दीनन की तुम हो हितकारी !! अर्थ– हे सागर पुत्री मैं आपका ही स्मरण करता हूं, मुझे ज्ञान, बुद्धि और विद्या का दान दो ! आपके समान उपकारी दूसरा कोई नहीं है हर विधि से हमारी आस पूरी हों, हे जगत जननी जगदम्बा आपकी जय हो आप ही सबको सहारा देने वाली हो, सबकी सहायक हो ! आप ही घट-घट में वास करती हैं, ये हमारी आपसे खास विनती है ! हे संसार को जन्म देने वाली सागर पुत्री आप गरीबों का कल्याण करती हैं ! विनवौं नित्य तुमहिं महारानी, कृपा करौ जग जननि भवानी ! केहि विधि स्तुति करौं तिहारी, सुधि लीजै अपराध बिसारी !! कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी, जगजननी विनती सुन मोरी ! ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता, संकट हरो हमारी माता !! अर्थ– हे मां महारानी हम हर रोज आपकी विनती करते हैं, हे जगत जननी भवानी, सब पर अपनी कृपा करो ! आपकी स्तुति हम किस प्रकार करें। हे मां हमारे अपराधों को भुलाकर हमारी सुध लें ! मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हुए हे जग जननी, मेरी विनती सुन लीजिये ! आप ज्ञान, बुद्धि व सुख प्रदान करने वाली हैं, आपकी जय हो, हे मां हमारे संकटों का हरण करो ! क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो, चौदह रत्न सिन्धु में पायो ! चौदह रत्न में तुम सुखरासी, सेवा क...

श्री लक्ष्मी चालीसा (Shree Lakshmi Chalisa) » हिंदू व्रत कथाएँ

॥ दोहा ॥ मातु लक्ष्मी करि कृपा,करो हृदय में वास। मनोकामना सिद्ध करि,परुवहु मेरी आस॥ ॥ सोरठा ॥ यही मोर अरदास,हाथ जोड़ विनती करुं। सब विधि करौ सुवास,जय जननि जगदम्बिका। ॥ चौपाई ॥ सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।ज्ञान, बुद्धि, विद्या दो मोही॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी।सब विधि पुरवहु आस हमारी॥ जय जय जगत जननि जगदम्बा।सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥ तुम ही हो सब घट घट वासी।विनती यही हमारी खासी॥ जगजननी जय सिन्धु कुमारी।दीनन की तुम हो हितकारी॥ विनवौं नित्य तुमहिं महारानी।कृपा करौ जग जननि भवानी॥ केहि विधि स्तुति करौं तिहारी।सुधि लीजै अपराध बिसारी॥ कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी।जगजननी विनती सुन मोरी॥ ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता।संकट हरो हमारी माता॥ क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो।चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥ चौदह रत्न में तुम सुखरासी।सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥ जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा।रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥ स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा।लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥ तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं।सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥ अपनाया तोहि अन्तर्यामी।विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥ तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी।कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥ मन क्रम वचन करै सेवकाई।मन इच्छित वाञ्छित फल पाई॥ तजि छल कपट और चतुराई।पूजहिं विविध भाँति मनलाई॥ और हाल मैं कहौं बुझाई।जो यह पाठ करै मन लाई॥ ताको कोई कष्ट नोई।मन इच्छित पावै फल सोई॥ त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि।त्रिविध ताप भव बन्धन हारिणी॥ जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै।ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥ ताकौ कोई न रोग सतावै।पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥ पुत्रहीन अरु सम्पति हीना।अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥ विप्र बोलाय कै पाठ करावै।शंका दिल में कभी न लावै॥ पाठ करावै दिन चालीसा।ता पर कृपा करैं गौरीसा॥ सुख सम्पत्ति ...

Lakshmi Chalisa in Hindi

अर्थ: हे मां लक्ष्मी दया करके मेरे हृदय में वास करो हे मां मेरी मनोकामनाओं को सिद्ध कर मेरी आशाओं को पूर्ण करो। ॥ सोरठा॥ यही मोर अरदास , हाथ जोड़ विनती करुं। सब विधि करौ सुवास , जय जननि जगदंबिका॥ अर्थ: हे मां मेरी यही अरदास है, मैं हाथ जोड़ कर बस यही ॥ चौपाई ॥ सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥ अर्थ: हे सागर पुत्री मैं आपका ही स्मरण करता हूं, मुझे ज्ञान, बुद्धि और विद्या का दान दो। तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥ जय जय जगत जननि जगदम्बा। सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥ अर्थ: आपके समान उपकारी दूसरा कोई नहीं है। हर विधि से हमारी आस पूरी हों, हे जगत जननी जगदम्बा आपकी जय हो, आप ही सबको सहारा देने वाली हो, सबकी सहायक हो। तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥ जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥ अर्थ: आप ही घट-घट में वास करती हैं, ये हमारी आपसे खास विनती है। हे संसार को जन्म देने वाली सागर पुत्री आप गरीबों का कल्याण करती हैं। विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥ केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥ अर्थ: हे मां महारानी हम हर रोज आपकी विनती करते हैं, हे जगत जननी भवानी, सब पर अपनी कृपा करो। आपकी स्तुति हम किस प्रकार करें। हे मां हमारे अपराधों को भुलाकर हमारी सुध लें। लक्ष्मी चालीसा हिंदी में कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥ ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥ अर्थ: मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हुए हे जग जननी, मेरी विनती सुन लीजिये। आप ज्ञान, बुद्धि व सुख प्रदान करने वाली हैं, आपकी जय हो, हे मां हमारे संकटों का हरण करो। क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु मे...

[Lyrics & PDF] माँ लक्ष्मी चालीसा

आप चालीसा के लिरिक्स को पढने के साथ ही इसे PDF में भी डाउनलोड कर सकते है | PDF में डाउनलोड करने का लिंक नीचे दिया गया है | Goddess Laxmi Chalisa Lyrics in Hindi ॥ दोहा ॥ मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास। मनोकामना सिद्ध करि, परुवहु मेरी आस॥ ॥ सोरठा ॥ यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं। सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदम्बिका। ॥ चौपाई ॥ सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान, बुद्धि, विद्या दो मोही॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥ जय जय जगत जननि जगदम्बा। सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥ तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥ जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥ विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥ केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥ कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥ ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥ क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥ चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥ जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥ स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥ तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥ अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥ तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥ मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वाञ्छित फल पाई॥ तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥ और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥ ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥ त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बन्धन हारिणी॥ जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥ ताकौ कोई न रोग सतावै।...

श्री लक्ष्मी चालिसा

॥ सोरठा॥ यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं। सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥ [हे मां मेरी यही अरदास है, मैं हाथ जोड़ कर बस यही प्रार्थना कर रहा हूं हर प्रकार से आप मेरे यहां निवास करें। हे जननी, हे मां जगदम्बिका आपकी जय हो।] ॥ चौपाई ॥ सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥ [हे सागर पुत्री मैं आपका ही स्मरण करता/करती हूं, मुझे ज्ञान, बुद्धि और विद्या का दान दो।] तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥ जय जय जगत जननि जगदम्बा। सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥1॥ [आपके समान उपकारी दूसरा कोई नहीं है। हर विधि से हमारी आस पूरी हों, हे जगत जननी जगदम्बा आपकी जय हो, आप ही सबको सहारा देने वाली हो, सबकी सहायक हो।] तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥ जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥2॥ [आप ही घट-घट में वास करती हैं, ये हमारी आपसे खास विनती है। हे संसार को जन्म देने वाली सागर पुत्री आप गरीबों का कल्याण करती हैं।] विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥ केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥3॥ [हे मां महारानी हम हर रोज आपकी विनती करते हैं, हे जगत जननी भवानी, सब पर अपनी कृपा करो। आपकी स्तुति हम किस प्रकार करें। हे मां हमारे अपराधों को भुलाकर हमारी सुध लें।] कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥ ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥4॥ [मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हुए हे जग जननी, मेरी विनती सुन लीजिये। आप ज्ञान, बुद्धि व सुख प्रदान करने वाली हैं, आपकी जय हो, हे मां हमारे संकटों का हरण करो।] क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥ चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बन...

Laxmi Chalisa: श्री लक्ष्मी चालिसा का अर्थ एव महत्त्व

श्री लक्ष्मी चालीसा ॥दोहा॥ मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास। मनोकामना सिद्ध करि, परुवहु मेरी आस॥ हे मां लक्ष्मी दया करके मेरे हृद्य में वास करो हे मां मेरी मनोकामनाओं को सिद्ध कर मेरी आशाओं को पूर्ण करो। ॥सोरठा॥ यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं। सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदम्बिका॥ हे मां मेरी यही अरदास है, मैं हाथ जोड़ कर बस यही प्रार्थना कर रहा हूं हर प्रकार से आप मेरे यहां निवास करें। हे जननी, हे मां जगदम्बिका आपकी जय हो। ॥चौपाई॥ सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान, बुद्धि, विद्या दो मोही॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥ जय जय जगत जननि जगदम्बा। सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥ तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥ जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥ हे सागर पुत्री मैं आपका ही स्मरण करता/करती हूं, मुझे ज्ञान, बुद्धि और विद्या का दान दो। आपके समान उपकारी दूसरा कोई नहीं है। हर विधि से हमारी आस पूरी हों, हे जगत जननी जगदम्बा आपकी जय हो, आप ही सबको सहारा देने वाली हो, सबकी सहायक हो। आप ही घट-घट में वास करती हैं, ये हमारी आपसे खास विनती है। हे संसार को जन्म देने वाली सागर पुत्री आप गरीबों का कल्याण करती हैं। विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥ केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥ कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥ ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥ हे मां महारानी हम हर रोज आपकी विनती करते हैं, हे जगत जननी भवानी, सब पर अपनी कृपा करो। आपकी स्तुति हम किस प्रकार करें। हे मां हमारे अपराधों को भुलाकर हमारी सुध लें। मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हुए हे जग जननी, मेरी विनती सुन लीजिय...

Laxmi Chalisa in Hindi लक्ष्मी चालीसा हिंदी

Laxmi Chalisa in Hindi लक्ष्मी चालीसा की शक्ति: समृद्धि के लिए प्रार्थना लक्ष्मी चालीसा एक प्राचीन हिंदू भक्ति भजन है जो धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी को समर्पित है। देवी से दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने और अपने जीवन में प्रचुरता प्रकट करने के लिए प्राचीन काल से भक्तों द्वारा इस स्तोत्र का जाप किया जाता रहा है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम लक्ष्मी चालीसा की उत्पत्ति, इसके महत्व और लाभों के साथ-साथ अधिकतम लाभ के लिए इसका जाप कैसे करें, इसका पता लगाएंगे। लक्ष्मी चालीसा की उत्पत्ति माना जाता है कि लक्ष्मी चालीसा की रचना 16वीं शताब्दी के रहस्यवादी कवि-दार्शनिक संत तुलसीदास ने की थी, जिनके काम का हिंदू धर्म पर गहरा प्रभाव पड़ा है। अपने लेखन में, वह देवी लक्ष्मी को “माँ” या माँ के रूप में संदर्भित करता है जो अपने बच्चों (भक्तों) को प्रचुरता और समृद्धि प्रदान करने में सक्षम है। इस प्रकार, लक्ष्मी चालीसा को प्रार्थना या पूजा के रूप में देखा जा सकता है जो मां लक्ष्मी से दिव्य आशीर्वाद मांगता है। लक्ष्मी चालीसा का महत्व लक्ष्मी चालीसा चालीस छंदों से बना है जो देवी लक्ष्मी की शक्तियों और गुणों की महिमा करते हैं। यह उनके विभिन्न रूपों जैसे महालक्ष्मी (सर्वोच्च देवी), पद्मावती (भगवान विष्णु की पत्नी), नारायणी (सबसे उदार रूप) आदि का वर्णन करता है, इस प्रकार उनके सर्वव्यापी स्वभाव पर जोर देता है। इसके अतिरिक्त, भक्त जीवन में भौतिक सफलता के लिए देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद का आह्वान करने के साथ-साथ स्वास्थ्य, खुशी और शांति के लिए प्रार्थना भी करते हैं। लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने के लाभ लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से उन लोगों को कई लाभ मिल सकते हैं जो इसे ईमानदारी और भक्ति के साथ जपते हैं। उदाहरण के लि...