Lucknow samjhauta kis varsh hua

  1. लखनऊ समझौता
  2. लखनऊ समझौता (1916)
  3. gandhi irwin samjhauta hua tha
  4. Lucknow Pact 1916 in Hindi
  5. LUCKNOW SESSION OF THE INDIAN NATIONAL CONGRESS (1916)
  6. भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता कब हुआ
  7. तालीकोटा का युद्ध कब हुआ था?


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लखनऊ समझौता

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लखनऊ समझौता (1916)

लखनऊ समझौता (1916) lucknow samjhauta;लखनऊ समझौता साम्प्रदायिक मुस्लिम लीग के साथ सहयोग की अपेक्षा से किया गया कांग्रेस का एक प्रयास था। मुस्लिम लीग ने कांग्रेस के साथ मिलकर भारत के प्रशासन के लिये एक योजना तैयार की जिसे दोनों दलों (मुस्लिम लीग और कांग्रेस) ने 1916 मे लखनऊ समझौता (लखनऊ पैक्ट के नाम से स्वीकार कर लिया। इस समझौते को ही लखनऊ समझौते के नाम से जाना जाता है। प्रिंसीपल बेक, आर्चीबोल्ड और लाॅर्ड डफरिन ने साम्प्रदायिकता का पोषण करते हुए तथा इंग्लैंड से आगा खाँ को बुलाकर मुस्लिम लीग की स्थापना करवाई और कांग्रेस की प्रतिशोधी मांगे रखी। सन् 1912 तक वह पूर्ण रूप से अंग्रेजी मार्गदर्शन मे चलती रही। मुस्लिम लीग मे परिवर्तन अंग्रेजपरस्त आगा खाँ तथा अंग्रेजों का नियंत्रण 1912 तक मुस्लिम लीग पर रहा परन्तु मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, मोहम्मद अली जिन्ना, अजमल खाँ, डाॅ. अन्सारी, डाॅ. किचलू, आसफ अली, फजल हुसैन, डाॅ. सर सैयद मेहमूद के लीग मे शामिल होने से लीग की विचारधार मे भी परिवर्तन हुआ। वास्तव मे ये मुसलमान कांग्रेस के उद्देश्य और कार्यों तथा विचारधार से कुछ-कुछ प्रभावित थे। अतः हिन्दू और मुस्लिम लीग मे परस्पर सहयोग का युग आरंभ हुआ। कांग्रेस और मुस्लिम लीग मे सहयोग के कारण प्रथम विश्व युद्ध इसके लिये विशेष रूप से उत्तरदायी था। भारत मे रहने वाले मुसलमानों की भक्ति भारतीय स्वतंत्रता या भारतीय नेताओं मे नही थी तथा प्रथम विश्व युद्ध मे टर्की पर आक्रमण करने वालो मे इंग्लैंड भी था। अतः भारतीय मुसलमान इंग्लैंड से नाराज हो गये थे, क्योंकि इनकी भक्ति टर्की के मुस्लिम खलीफा मे थी। इंग्लैंड ने टर्की की सुरक्षा के लिये कुछ भी नही किया। कट्टर सुन्नी मुसलमान जो अंग्रेजों मे विश्वास करते थे वह...

gandhi irwin samjhauta hua tha

People Also Read: What is गांधी-इरविन समझौता क्या था?, gandhi-irwin pact , लंदन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन से पहले महात्मा गांधी और भारत के वाइसराय लॉर्ड इरविन के बीच 5 मार्च 1 9 31 को गांधी-इरविन संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।. The Gandhi–Irwin Pact was a political agreement signed by Mahatma Gandhi and Lord Irwin, Viceroy of India, on 5 March 1931 before the Second Round Table Coference in London. Before this, Irwin , the Viceroy, had announced in October 1929 a vague offer of ' dominion status ' for India in an unspecified future and a Round Table Coference to discuss a future constitution. How to use गांधी इरविन समझौता कब हुआ था? This post is also available in: English (English) गांधी इरविन समझौता (Gandhi Irwin Pact in Hindi) 5 मार्च 1931 को महात्मा गांधी और लॉर्ड इरविन द्वारा संपन्न एक राजनीतिक समझौता है। इस समझौते का उद्देश्य गोलमेज सम्मेलनों में भारतीय. गाँधी-इरविन समझौता | Gandhi–Irwin Pact in Hindi | दिल्ली समझौता,. गांधी इरविन (दिल्ली पैक्ट) समझौता किस वर्ष हुआ था. Gandhi Irwin Samjhauta Kis Varsh Hua Tha. Click here to get an answer to your question ️ gandhi irwin samjhauta kab hua tha. 2022 Hindi Secondary School answered Gandhi irwin samjhauta kab hua tha 2 See answers Advertisement.

Lucknow Pact 1916 in Hindi

कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन 1916 | लखनऊ समझौता 1916 Table of Contents 1. लखनऊ अधिवेशन/लखनऊ समझौते, 1916 की पृष्ठभूमि • गरमपंथी और नरमपंथी विवाद का अंत • कांग्रेस और मुस्लिम लीग का समीप आना 2. लखनऊ अधिवेशन/ लखनऊ समझौता, 1916 • लखनऊ समझौते, 1916 के प्रावधान 3. कांग्रेस और मुस्लिम लीग की अंग्रेजों के सामने साझा मांगें 4. लखनऊ अधिवेशन/लखनऊ समझौते, 1916 का महत्त्व 5. लखनऊ अधिवेशन/लखनऊ समझौते, 1916 के नकारात्मक पहलू 6. प्रश्न और उत्तर (QnA) 1. लखनऊ अधिवेशन/लखनऊ समझौते, 1916 की पृष्ठभूमि कांग्रेस के नरमपंथियों और गरमपंथियों में फूट 1907 के सूरत अधिवेशन में पड़ी थी। कांग्रेस के गरमपंथी और नरमपंथी दोनों पक्षों को यह आभास हो गया था कि पुराने विवादों की अब कोई प्रासिंगता नहीं रह गई है। गरमपंथी और नरमपंथी के आपसी मतभेदों से राष्ट्रीय आन्दोलन की प्रगति में बाधा उत्पन्न हो रही है। दो प्रमुख उदारवादी नेता, गोपाल कृष्ण गोखले तथा फिरोजशाह मेहतागरमपंथियों के कट्टर विरोधी थे तथा किसी भी परिस्थिति में गरमपंथियों से समझौता नहीं करना चाहते थे। अब तक गोपाल कृष्ण गोखले तथा फिरोजशाह मेहता की मृत्यु हो चुकी थी। अतः इन दोनों की मृत्यु के बाद कांग्रेस में गरमपंथियों केप्रवेश के रास्ते खुल गए। इसके अतिरिक्त एनी बेसेंट भी गरमपंथी नेताओं तिलक और उनके सथियों को कांग्रेस में पुनः प्रवेश दिलवाने के लिए प्रयास कर रही थी। कांग्रेस और मुस्लिम लीग का समीप आना • 1912-13 के बाल्कन युद्ध में ब्रिटेन ने तुर्की की मदद करने से इनकार कर दिया था। बाल्कन युद्ध के कारण यूरोप में तुर्की की शक्ति बहुत कम हो गई तथा तुर्की का सीमा क्षेत्र संकुचित हो गया। तुर्की के शासक का दावा था कि वह सभी मुसलमानों का‘खलीफा ’ है। अतः भारतीय मु...

LUCKNOW SESSION OF THE INDIAN NATIONAL CONGRESS (1916)

By Nov 9, 2021 The Lucknow Session was an agreement reached between the Indian National Congress and the Muslim League at a joint session of both parties held in Lucknow in December 1916. Through the pact, the two parties agreed to allow the representation of religious minorities in the provincial legislatures. (लखनऊ समझौता दिसंबर 1916 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा किया गया समझौता है, जो 29 दिसम्बर 1916 को लखनऊ अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस द्वारा और 31 दिसम्बर 1916 को अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा पारित किया गया।) Table of Contents • • • • • The 1916 Lucknow Session was a combined conference of the Indian National Congress and the Muslim League (AIML) conducted in Lucknow in December 1916 that resulted in an agreement between the two organisations. The two parties agreed to provide religious minorities participation in provincial legislatures as part of the agreement. Extremists are being re-admitted to Congress: The Extremists led by Tilak were finally readmitted to the Congress fold at the Lucknow Session of the Indian National Congress, which was presided over by a Moderate, Ambika Charan Majumdar. Several factors aided the reconciliation of moderates and extremists: Old disagreements were now unimportant. Both the Moderates and the Extremists saw that the rift had resulted in inaction on the political front. Tilak and Annie Besant had worked hard to bring the two together. To assuage Moderate fears, Tilak declared that he fav...

भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता कब हुआ

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ पाकिस्तानी राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो - फोटो : Bhutto.Org विस्तार जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून को सर्वदलीय बैठक करेंगे। यह बैठक घाटी के राजनीतिक हालात और भविष्य को लेकर काफी अहम मानी जा रही है। खासतौर पर प्रदेश से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद। वहीं दूसरी ओर इस बैठक पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों मीडिया की नजर होगी। कारण किभारत सरकार द्वारा अनुच्छेद-370 के प्रावधान (विशेष दर्जा और कुछ विशेषअधिकार) खत्म किए जाने के बाद से ही पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है। वहीं पूरी दुनिया बरसों से आतंकवाद का दंश झेल रहीकश्मीर घाटी में शांति और सद्भाव की उम्मीद कर रहे हैं। बहरहाल, इस बैठक से पहले पाकिस्तान के साथ हुए शिमला समझौते के बारे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है। क्योंकि, पाकिस्तान ने अनुच्छेद-370 के प्रावधान हटाए जाने के बाददोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन को रोक दिया था।पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था किउनका देश शिमला समझौते की कानूनी वैधता को परखेगा। वहीं, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने भी शिमला समझौते का जिक्र करते हुए दोनों देशों के बीच मध्यस्थता से इनकार कर दिया था। अब सवाल यह है कि ये शिमला समझौता है क्या, जिसकी पाकिस्तान बार-बार दुहाई देता रहा है? इसका नाम लेकर पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार द्वारा लिए गए फैसले को वापस लेने की बात करता रहा है। आगे हम आपको बता रहे हैं कि ये शिमला समझौता(Shimla Agreement) कब हुआ और इसकी खास बातें क्या हैं। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News...

तालीकोटा का युद्ध कब हुआ था?

तालीकोटा का युद्ध 23 जनवरी 1565 को हुआ था। यह युद्ध विजयनगर व बहमनी राज्यों के मध्य लड़ा गया। इस युद्ध में विजयनगर का शासक सदाशिव राय था, परंतु संपूर्ण शक्ति उसके सेनापति रामराय के हाथों में केंद्रित थी। उसके व्यवहार के चलते ही बहमनी साम्राज्य के ध्वंसावशेष पर बने 5 राज्यों ने संयुक्त रूप से उसके विरुद्ध यह युद्ध लड़ा था। 23 जनवरी, 1565 को इस युद्ध में विजयनगर की सेना परास्त हो गई। इसे राक्षस-तंगड़ी का युद्ध भी कहा जाता है। Tags :