मंगोलिया का इतिहास

  1. मंगोल साम्राज्य
  2. मंगोलिया
  3. कंबोडिया से मंगोलिया तक फैला था भारतीय दवाइयों का इतिहास
  4. श्रेणी:मंगोलिया का इतिहास
  5. मंगोल साम्राज्य का इतिहास, जानकारी


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मंगोल साम्राज्य

हलाकू (बायें), खलीफा अल-मुस्तसिम को भूख से मारने के लिये उसके खजाने में कैद करते हुए मांगके खान की मृत्यु के समय (१२५९ ई में) मंगोल साम्राज्य मंगोल साम्राज्य 13 वीं और 14 वीं शताब्दियों के दौरान एक विशाल साम्राज्य था। इस साम्राज्य का आरम्भ चंगेज खान द्वारा मंगोलिया के घूमन्तू जनजातियों के एकीकरण से हुआ। मध्य एशिया में शुरू यह राज्य अंततः पूर्व में यूरोप से लेकर पश्चिम में जापान के सागर तक और उत्तर में साइबेरिया से लेकर दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप तक फैल गया। आमतौर पर इसे दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा सन्निहित साम्राज्य माना जाना जाता है। अपने शीर्ष पर यह 6000 मील (9700 किमी) तक फैला था और 33,000,000 वर्ग कि॰मी॰ (12,741,000 वर्ग मील) के क्षेत्र को कवर करता था। इस समय पृथ्वी के कुल भू क्षेत्रफल का 22% हिस्सा इसके कब्ज़े में था और इसकी आबादी 100 करोड़ थी। मंगोल शासक पहले बौद्ध थे, लेकिन बाद में धीरे-धीरे तुर्कों के सम्पर्क में आकर उन्होंने इस्लाम को अपना लिया। . 69 संबंधों: , , किउ छुजी का १५०३ ई में निर्मित चित्र किउ छुजी या चांग छुन् किउ (1148 – 1227) ताओ धर्म के अनुयायी संत थे जिनका जन्म सन् ११४८ में शांतुंग में हुआ था। मंगोल साम्राज्य के प्रतिष्ठाता चिंगेज खाँ ने सन् १२१९ में उन्हें बड़े आदरपूर्वक आमंत्रित किया। १५ मई सन् १२१९ का लिखा हुआ चिंगेज़ खाँ का वह पत्र अभी तक सुरक्षित है। पत्र पाकर सन् १२१९ में चांग शांतुंग से पीकिंग के लिये रवाना हुए। अनेक पर्वतशृंखलाएँ और नदी नाले लाँघकर वे हिंदुकुश पहुँचे, जहाँ चिंगेज खाँ ने अपनी सेना के साथ पड़ाव डाल रखा था। सन् १२२४ में वे अपनी यात्रा से लौटे। चांग के शिष्यों और साथियों ने इस साहसिक यात्रा का मनोरंजक वर्णन किया है। चिंगेज ...

मंगोलिया

प्राचीन साइबेरिया और उससे जुड़ा मंगोलिया कभी भारतीय संस्कृति का प्रभाव-क्षेत्र था, जहाँ दोनों हाथ जोड़कर अभिवादन करने की पद्घति थी, यहाँ धार्मिक कृत्य एवं पूजा गंगाजल के बिना संपन्न नहीं होती थी। इनके विहारों में चीन की सभ्यता चीन की सभ्यता अन्य प्राचीन सभ्यताओं से अपेक्षाकृत नई है। पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ बाहरी कड़ियाँ संबंधित लेख

कंबोडिया से मंगोलिया तक फैला था भारतीय दवाइयों का इतिहास

कंबोडिया से मंगोलिया तक फैला था भारतीय दवाइयों का इतिहास कंबोडिया से मंगोलिया तक फैला था भारतीय दवाइयों का इतिहास By August 4, 2022 07:00 PM 2022-08-04T19:00:50+5:30 2022-08-05T17:49:04+5:30 पूणे भंडारकर शोध संस्थान ने भारतीय दवाओं के इतिहास से जुड़ी कई बातों को साझा किया है। सबसे पुरानी चिकित्सकीय पाण्डुलिपियों में से एक की तस्वीर भी साझा की। Highlights भारतीय दवाइयां प्राचीन भारत में निर्यात की जाती थी। भंडारकर प्राच्य शोध संस्थान ने जीन फिलोजत के एक लेख का जिक्र किया है। कई हस्तलिपि में बौद्ध धर्म के बारे में जानकारी है तो कई दवाईयों के विषय में संस्कृत में लिखी गई हस्तलिपि हैं। आप सभी बीमारियों को दूर करने के लिए दवा लेते होंगे। कोई एलोपैथिक दवाऐं लेता है तो कोई होम्योपैथिक लेकिन भारतीय दवाईयों का इतिहास क्या है इस पर शायद ही आपने कभी गौर किया हो। भारतीय दवाइयां प्राचीन भारत में निर्यात की जाती थी भंडारकर प्राच्य शोध संस्थान ने सबसे पहले इस बात का जिक्र किया है कि भारतीय सभ्यता ने प्राचीन समाज के लोगों से कुछ 1000 साल पहले ही संर्पक बनाया था। जैसे जैसे वक्त बीतता गया और प्राचीन समाज के लोगों में समझ बढ़ी तो उन्होंने भारतीय सभ्यता के साथ नए सोच विचारों का अदान प्रदान करना शुरू कर दिया। विज्ञान,गणित, खगोल और चिकित्सकीय विषयों में नए विचारों को साझा किया गया। उस वक्त हर समाज और सभ्यता का दवाइयां बनाने का तरीका अलग अलग था। हर विषय पर सबका नजरिया भी कुछ अलग था। हालांकि भारतीय दवाइयां तब भी प्राचीन भारत में निर्यात की जाती थी। फिलोजत के लेख में भारतीय दवाइयों के बारे में क्या लिखा है ? भंडारकर प्राच्य शोध संस्थान ने जीन फिलोजत के एक लेख का जिक्र किया है। ये लेख भारतीय दवाईयो...

श्रेणी:मंगोलिया का इतिहास

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मंगोल साम्राज्य का इतिहास, जानकारी

Mongol Empire /मंगोल साम्राज्य 13 वीं और 14 वीं शताब्दियों के दौरान एक विशाल साम्राज्य था। इस साम्राज्य की नीव मंगोल साम्राज्य – Mongol Empire History in Hindi मंगोल साम्राज्य का आरम्भ चंगेज खान द्वारा मंगोलिया के घूमन्तू जनजातियों के एकीकरण से हुआ। मध्य एशिया में शुरू यह राज्य अंततः पूर्व में यूरोप से लेकर पश्चिम में जापान के सागर तक और उत्तर में साइबेरिया से लेकर दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप तक फैल गया। मंगोल छोटी आँख, पीली चमड़ी वाली एक जाति, जिसके दाढ़ी-मूँछ बहुत कम होती है। मंगोल लोग प्राय: खानाबदोश थे। ये खानाबदोश मर्द और औरतें बड़े मज़बूत कद-काठी के लोग थे। शहरी जन-जीवन इन्हें रास नहीं आता था। चंगेज़ ख़ाँ जैसा वीर, प्रतापी और महान् नेता मंगोल इतिहास में शायद ही हुआ है। मंगोलों को कष्ट झेलने की आदत थी और ये लोग उत्तरी एशिया के लम्बे चौड़े मैदानों में तम्बुओं में रहते थे। लेकिन इनका शारीरिक बल और कष्ट झेलने का मुहावरा इनके ज़्यादा काम न आते, अगर इन्होंने एक सरदार न पैदा किया होता, जो बड़ा अनोखा व्यक्ति था। शहरों और शहरों के रंग-ढंग से भी उन्हें नफ़रत थी। बहुत से लोग समझते हैं कि चूंकि वे खानाबदोश थे, इसलिए जंगली रहे होंगे। लेकिन यह ख्याल ग़लत है। शहर की बहुत सी कलाओं का उन्हें अलबत्ता ज्ञान नहीं था, लेकिन उन्होंने ज़िन्दगी का अपना एक अलग तरीक़ा ढाल लिया था और उनका संगठन बहुत ही गुंथा हुआ था। मंगोलों के कई समूह विविध समयों में भारत में आये और उनमें से कुछ यहीं पर बस गए। चंगेज़ ख़ाँ, जिसके भारत पर आक्रमण करने का ख़तरा 1211 ई. में उत्पन्न हो गया था, वह एक मंगोल था। इसी प्रकार से तैमूर भी, जिसने भारत पर 1398 ई. में हमला किया, वह भी एक मंगोल था। चंगेज ख़ाँ और उसके अनुयायी ...