Maharshi valmiki in hindi

  1. Maharishi Valmiki Biography in Hindi : लुटेरे से महर्षि का सफर » OurCity
  2. महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय और जयंती (2023)
  3. Maharishi Valmiki in Hindi, कैसे डाकू रत्नाकर बना महर्षि वाल्मीकि
  4. रामायण के रचयिता "महर्षि वाल्मीकि" का जीवन परिचय


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Maharishi Valmiki Biography in Hindi : लुटेरे से महर्षि का सफर » OurCity

maharishi valmiki biography in hindi आपका आज फिरसे स्वागत हे हमारी website Ourcity.in में , आशा हे की आप सब स्वस्थ और सुरक्षित होंगे ,मित्रो आज बात करते हे महर्षि वाल्मीकि के बारे में। महर्षि वाल्मीकि जिन्होंने रामायण की रचना करी , जिन्होंने कई श्लोक और काव्यो की रचना करी। वाल्मीकि की जिनका बचपन में ही अपहरण कर लिया गया था। तो चलिए मित्रो आज पढ़ते हे महर्षि वाल्मीकि के जीवन के बारे में , ये एक ऐसा हमारा इतिहास हे एक ऐसी कहानी जिसे पढ़कर आप भी अचंभित रह जाओगे तो Post पूरी पढ़िएगा मित्रो। Maharishi Valmiki Biography in Hindi Table of Contents • • • • • • • • • Maharishi Valmiki Biography in Hindi मित्रो माना जाता हे की Maharishi Valmiki Maharishi Kashyap और Aditi के नौवे पुत्र प्रचेता के संतान हे . उनके पिता का नाम वरुण और माता का नाम चर्षणी था। बचपन में भील समुदाय के लोग उन्हें चुराकर ले गए थे और उनकी परवरिश भील समाज में ही हुई। वाल्मीकि से पहले उनका नाम डाकू रत्नाकर हुआ करता था. रत्नाकर जंगल से जो भी गुज़रते उन्हें लूटने का काम करते थे। इन्ही चीज़ो के चलते हुए Maharishi Valmiki पहले एक बहोत बड़े डाकू बने और अपना बहोत लम्बा जीवन जंगल में बिताया। एक समय ऐसा भी आया जब उनके नामसे सब कांपते थे और जंगल में जाने से भी डरते थे। रत्नाकर से Maharishi Valmiki तक का सफर भील प्रजाति में पीला बढे लोग डाकू बनकर लोगो को लूटकर अपना गुज़ारा करते थे , कई बार तो वे लोगो की हत्या भी कर देते थे। एक बार हुआ कुछ यूंकि जंगल में शिकार की खोज में एक रत्नाकर जा रहा था. तब उन्हें नारद मुनि मिल गए। लूटने के इरादे से उस रत्नाकर ने नारद मुनि को बंदी बना लिया। नारदजी ने उनसे बस एक ही प्रश्न पूछा की तुम ये...

महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय और जयंती (2023)

Biography of Maharishi Valmiki in Hindi: हमारा भारतवर्ष ऋषि-मुनियों संत महात्माओं एवं महान पुरुषों का देश है। हमारे इस भारत की भूमि पर अनेकों महावीर पराक्रमी एवं महान संतों ने जन्म लिया। इन सभी संतो ने भारत में जन्म लेकर भारत का नाम गौरवान्वित किया है और इन्हीं संत महात्माओं ने भारत को संपूर्ण विश्व भर में चिन्हित किया। एक समय ऐसा था कि भारत को सोने की चिड़िया और विश्व गुरु इत्यादि नामों से जाना जाता था। अब आप सभी लोगों को भारत की विद्वता तो समझ में आ ही गई होगी तो आइए अब अपना कदम बढ़ाते हैं इस लेख की तरफ। भारत की विविधता के कारण है भारतीय शिक्षा, ज्ञान इत्यादि देश विदेशों में वर्णित है। भारत में अनेक ऋषि-मुनियों ने जन्म लिया और उन्होंने अनेकों रचनाएं लिखिए परंतु उन सभी रचनाओं में से एक ऐसी रचना है, जो कि भारत के धार्मिक ग्रंथ के रूप में विकसित है। आप आप सभी लोग समझ गए होंगे कि हम किस ग्रंथ की बात कर रहे हैं। जी हां! आप सभी लोगों ने बिल्कुल सही अनुमान लगाया, वह ग्रंथ कोई अन्य ग्रंथ नहीं बल्कि रामायण है। क्या आप सभी लोग जानते हैं रामायण की रचना किसने की? आप में से बहुत से लोग होंगे, जो इस सवाल का जवाब जानते होंगे, जो लोग नहीं जानते हम उन्हें बता देना चाहते हैं कि रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की है। Image: Biography of Maharishi Valmiki in Hindi आज हम इस महत्वपूर्ण लेख के माध्यम से महर्षि वाल्मीकि के संपूर्ण जीवन परिचय के बारे में विस्तार से जानेंगे। इस लेख में आपको जानने को मिलेगा कि महर्षि वाल्मीकि कौन थे?, वाल्मीकि का जन्म कब और कहां हुआ, वाल्मीकि का जन्म स्थान, महर्षि वाल्मीकि के जीवन से जुड़ी प्रेरणादायक घटनाएं, महर्षि वाल्मीकि रामायण की संक्षिप्त जानकारी, महर्षि व...

Maharishi Valmiki in Hindi, कैसे डाकू रत्नाकर बना महर्षि वाल्मीकि

एक बार की बात है, दिन छिप चुका था और थोड़ा अँधेरा हो रहा था, उस समय नारद मुनि उस जंगल में विचरण कर रहे थे कि तभी डाकू रत्नाकर ने अपने साथियों के साथ नारद जी को घेर लिया। नारद मुनि अपने आप में मग्न थे उनके मन में किसी प्रकार का कोई डर नहीं था। रत्नाकर ने नारद जी से पूछा – सुनो ब्राह्मण, मैं रत्नाकर डाकू हूँ। क्या तुमको मुझसे भय नहीं लग रहा ? नारद मुनि ने कहा – रत्नाकर मुझे किसी भी बात का भय नहीं है। मैं ना तो किसी असफलता से डरता हूँ और नाही मुझे अपने प्राणों का भय है, ना कल का और ना कलंक का…..लेकिन शायद तुम डरे हुए हो…. रत्नाकर ने गुस्से में कहा – मैं डरा हुआ नहीं हूँ, मुझे भला किसका डर है ? नारद मुनि – अगर डरे नहीं हो तो इन जंगलों में छिप कर क्यों बैठे हो ? शायद तुम राजा से डरते हो या फिर प्रजा से रत्नाकर – नहीं मैं किसी से भी नहीं डरता नारद मुनि ने मुस्कुरा के कहा – तुम पाप करते हो और तुम पाप से ही डरते हो इसलिए तुम यहाँ छिप कर बैठे हो लेकिन शायद तुमको नहीं पता कि इस पाप के केवल तुम ही भागीदार हो। इसका दण्ड तुमको अकेले भुगतना होगा कोई भी तुम्हारा साथ नहीं देगा। रत्नाकर ने गुस्से में कहा – तुम मुझे उकसा रहे हो ब्राह्मण….मैं ये सब काम अपने परिवार का पेट पलने के लिए करता हूँ और मेरी पत्नी, मेरे बच्चे, मेरे पिता सभी इस काम में मेरे साथ हैं। नारद मुनि ने कहा – सुनो रत्नाकर, मुझे अपने प्राणों का भय नहीं है, तुम मुझे यहाँ पेड़ से बांध कर अपने घर जाओ और अपने सभी सगे सम्बन्धियों से पूछो कि क्या वह इस पाप में तुम्हारे साथ हैं? रत्नाकर को नारद मुनि की बात सही लगी और वह उनको पेड़ से बाँधकर अपने घर की ओर चल दिया। घर जाकर उसने सबसे पहले अपनी पत्नी से पूछा कि मैं जो ये पाप करता हूँ क्या तु...

रामायण के रचयिता "महर्षि वाल्मीकि" का जीवन परिचय

Maharishi Valmiki Biography In Hindi : हमारा भारत देश ऋषि मुनियों, सन्तों तथा अनेक प्रकार के धर्मों वाला देश है। भारतवर्ष हमेशा से ही महापुरुषों का देश कहलाया है, भारत की पवित्र भूमि पर अनेक महापुरुषों, पराक्रमियों ने जन्म लेकर भारत भूमि को गौरवान्वित किया है। आदि काल से भारत भूमि पर ऐसे प्रसिद्ध महाकाव्यों व ग्रन्थों की रचना हुई है, जिसके समानांतर कोई साहित्य ही नहीं हुआ, यही कारण है कि भारत देश की शिक्षा व ज्ञान की चर्चा देश विदेश में की जाती रही है। ये भी पढ़े ⇓• भारत देश में होने वाले प्राचीन वैदिक काल के महान ऋषियों की श्रेणी में महर्षि वाल्मीकि जी को प्रथम स्थान प्राप्त है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत भाषा के आदि कवि व हिन्दुओं के प्रसिद्ध काव्य ग्रन्थ ‘रामायण’ के रचयिता के रूप में विख्यात हैं। इनकी महान रचना रामायण एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमें हमें मर्यादा, सत्य, प्रेम, मितृत्व आदि गुणधर्मों के बारे में सीख मिलती है। रामायण श्री राम जी के जीवन पर आधारित काव्य है। कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि जी पहले एक डाकू थे, परन्तु उन्होंने अपने जीवन की एक घटना से प्रेरित होकर अपना जीवन पथ बदल दिया। आइए जानते हैं कि कैसे महर्षि वाल्मीकि जी एक डाकू से प्रसिद्ध कवि बने , तो आज हम आपको महर्षि वाल्मीकि के जीवन के बारे में विस्तार से बताते हैं। महर्षि वाल्मीकि का संक्षिप्त जीवन परिचय : नाम – : महर्षि वाल्मीकि वास्तविक नाम – : अग्नि शर्मा (रत्नाकर) जन्म दिवस – : अश्विनी माह की पूर्णिमा को (त्रेतायुग) पिता का नाम – : वरुण (प्रचेता) माता का नाम – : चर्षणी भाई का नाम – : भ्रगु पेशा – : डाकू , बाद में महाकवि रचना –: श्री राम चरित मानस जाति – : कश्यप धर्म – : हिन्दू महर्षि वाल्मीकि का वास्तविक नाम...