महा लक्ष्मी बीज मंत्र

  1. Very Effective Ten Mantra Of Goddess Mahalakshmi
  2. महालक्ष्मी मंत्र
  3. बीज मंत्र की महिमा और मन्त्र सार
  4. ऐं बीज मंत्र


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Very Effective Ten Mantra Of Goddess Mahalakshmi

लक्ष्मी जी के ये 10 मंत्र हैं अत्यंत प्रभावशाली, जाप से मिलती मां की अखंड कृपा धन की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हिन्दू धर्मशास्त्रों में मंत्रों का जाप करने का विधान बताया गया है. माता के अलग-अलग मंत्रों के जाप से आर्थिक प्राप्तियां होती हैं और माता की अखंड कृपा से सभी कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न होते हैं. धन की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हिन्दू धर्मशास्त्रों में मंत्रों का जाप करने का विधान बताया गया है. माता के अलग-अलग मंत्रों के जाप से आर्थिक प्राप्तियां होती हैं और माता की अखंड कृपा से सभी कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न होते हैं. आइए जानते हैं मंत्रों के बारे में 1. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम: यह वैभव लक्ष्मी का मंत्र है,इस मंत्र का जाप 108 बार करने से व्यक्ति को लाभ मिलता है। 2. धनाय नमो नम: देवी मां के इस मंत्र का रोजाना 11 बार जाप करना चाहिए। इससे व्यक्ति की धन संबंधित परेशानियां दूर होती हैं। 3. ॐ लक्ष्मी नम: इस मंत्र का अगर जाप किया जाए तो व्यक्ति के घर में लक्ष्मी का वास होता है. साथ ही घर में कभी अन्न और धन की कमी भी नहीं होती है. इस मंत्र का जाप कुश आसन पर ही करना चाहिए. 4. ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम: इस मंत्र का जाप किसी भी शुभ कार्य करने से पहले करें. ऐसा करने से सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं. 5. लक्ष्मी नारायण नम: इस मंत्र का जाप करने से दाम्पत्य जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. पति-पत्नी के बीच का संबंध भी अच्छा बना रहता है. 6. पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम् मां लक्ष्मी के इस मंत्र का जाप 108 बार करें. इसका जाप स्फटिक की माला के साथ करें. इससे घर में ...

महालक्ष्मी मंत्र

महालक्ष्मी मंत्र | Mahalaxmi Mantra PDF Sanskrit महालक्ष्मी मंत्र | Mahalaxmi Mantra Sanskrit PDF Download Download PDF of महालक्ष्मी मंत्र | Mahalaxmi Mantra in Sanskrit from the link available below in the article, Sanskrit महालक्ष्मी मंत्र | Mahalaxmi Mantra PDF free or read online using the direct link given at the bottom of content. माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए माँ लक्ष्मी के मंत्र को पढ़ना चाहिए। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा से जातकों के जीवन में धन की कमी दूर हो जाती है। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी बताया गया है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए बहुत सारे मंत्रों का जाप किया जाता है। महालक्ष्मी मंत्र जाप से जीवन में खुशहाली, धन, वैभव और समृद्धि का आगमन होता है। इन मंत्रों के जाप से जीवन में धन की कमी पूरी होती है। इन मंत्रों को जपने से धन की कमी दूर होती है। महालक्ष्मी मंत्र | Mahalaxmi Mantra श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र: ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।। लक्ष्मी प्रा​र्थना मंत्र: नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया। या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।। श्री लक्ष्मी महामंत्र: ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।। माता लक्ष्मी के मंत्र ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।। ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।। ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-द...

बीज मंत्र की महिमा और मन्त्र सार

बीज मंत्र की महिमा और मन्त्र सार मंत्र शास्त्र में बीज मंत्रों का विशेष स्थान है। मंत्रों में भी इन्हें शिरोमणि माना जाता है क्योंकि जिस प्रकार बीज से पौधों और वृक्षों की उत्पत्ति होती है, उसी प्रकार बीज मंत्रों के जप से भक्तों को दैवीय ऊर्जा मिलती है। ऐसा नहीं है कि हर देवी-देवता के लिए एक ही बीज मंत्र का उल्लेख शास्त्रों में किया गया है। बल्कि अलग-अलग देवी-देवता के लिए अलग बीज मंत्र हैं। “ऐं” सरस्वती बीज । यह मां सरस्वती का बीज मंत्र है, इसे वाग् बीज भी कहते हैं। जब बौद्धिक कार्यों में सफलता की कामना हो, तो यह मंत्र उपयोगी होता है। जब विद्या, ज्ञान व वाक् सिद्धि की कामना हो, तो श्वेत आसान पर पूर्वाभिमुख बैठकर स्फटिक की माला से नित्य इस बीज मंत्र का एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है। “ह्रीं” भुवनेश्वरी बीज । यह मां भुवनेश्वरी का बीज मंत्र है। इसे माया बीज कहते हैं। जब शक्ति, सुरक्षा, पराक्रम, लक्ष्मी व देवी कृपा की प्राप्ति हो, तो लाल रंग के आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर रक्त चंदन या रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है। “क्लीं” काम बीज । यह कामदेव, कृष्ण व काली इन तीनों का बीज मंत्र है। जब सर्व कार्य सिद्धि व सौंदर्य प्राप्ति की कामना हो, तो लाल रंग के आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है। “श्रीं” लक्ष्मी बीज । यह मां लक्ष्मी का बीज मंत्र है। जब धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि व ऐश्वर्य की कामना हो, तो लाल रंग के आसन पर पश्चिम मुख होकर कमलगट्टे की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है। “ह्रौं” शिव बीज । यह भगवान शिव का बीज मंत्र है। अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग नाश, चहुमुखी विकास व मोक्ष की कामन...

ऐं बीज मंत्र

यह एक ऐसा एकाक्षरी मंत्र है जिनके सम्पूर्ण अनुष्ठान से साधक बृहस्पति के समान बन जाता है | जो मूक होते है वो बोलने लगते है | जो बच्चे पढाई में कमज़ोर है , जिनकी याददाश्त कम हो वो भी इसकी साधना कर सकते है , जो मार्केटिंग फील्ड में है उनके लिए भी यह साधना अनुभूत है | इस मंत्र के जाप से विद्वत्ता प्राप्त होती है | इस मंत्र को वाग्बीज भी कहा जाता है | यानी वाणी का बीज | वाग्भव बीज भी कहा जाता है | इस मंत्र को भुवनेश्वरी का बीज भी कहा जाता है और माँ सरस्वती का बीज भी कहते है | इस मंत्र की साधना में विनियोग - न्यास - ध्यान - साधना का विधान है | मंत्र साधना किसी भी गुरूवार से आरम्भ कर सकते है | या नवरात्री में भी कर सकते है | बसंतपंचमी के दिन भी इसकी साधना की जा सकती है | इस मंत्र की साधना के लिए रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का प्रयोग करना चाहिए | इस मंत्र के 12 लाख जाप करने चाहिए | इसे सिद्ध करने के लिये सूर्यग्रहण उत्तम है | विद्यार्थीओ को इस की प्रतिदिन 11 माला करने से वाकसिद्धि प्राप्त होगी और पढाई में भी शुभ परिणाम प्राप्त होगा | " ऐं " बीज मंत्र साधना विनियोगः ॐ अस्य मंत्रस्य ब्रह्माऋषिः , वाग्देवी देवता ममाभीष्टये विनियोगः | न्यास : ऐं अङ्गुष्ठभ्यां नमः | ऐं तर्जनीभ्यां नमः | ऐं मध्यमाभ्यां नमः | ऐं अनामिकाभ्यां नमः | ऐं कनिष्ठिकाभ्यां नमः | ऐं करतलकर पृष्ठाभ्यां नमः | ऐं हृदयाय नमः | ऐं शिरसे स्वाहा | ऐं शिखायै वौषट | ऐं कवचाय हुम् | ऐं नेत्रत्रयाय वौषट | ऐं अस्त्राय फट || ध्यानं ॐ या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता | नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः || मंत्र : " ऐं " अनुष्ठान विधि प्रथम अनुष्ठान - 12000 ( 120 माला + तद्दशांश यज्ञ - तर्पण - मार्जन ) द्वितीय अनुष्ठ...