महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कक्षा 12 pdf

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महादेवी वर्मा का जीवन परिचय, रचनाएं

विषय सूची • • • • • • • • • • महादेवी वर्मा का जीवन परिचय महादेवी वर्मा जी का स्थान आधुनिक गीत काव्य में सबसे उपर रहा है। उनकी कविता में प्रेम की पीर और भावो की तीव्रता होने के कारण संगीत जैसी त्रिवेणी उनके गीतों में प्रवाहित होती है I बिना कल्पना किए काव्यरूपों का सहारा लिए कोई रचनाकर गद्य में कितना कुछ अर्जित कर सकता है। ये आप महादेवी वर्मा के बारे में पढ़कर ही जान सकते है I उनके गद्य में इतनी वैचारिक परिपक्वता है कि वह आज भी प्रासंगिक है। सामाजिक जीवन की गहरी परतो को छूने वाली इतनी तीव्र दृष्टि नारी जीवन के शोषण को तीखेपन से आंकने वाली महादेवी जी की जितनी प्रशंसा की जाएं कम ही होगी I महादेवी वर्मा का जीवन परिचय महादेवी वर्मा का जन्म जन्म सन् 1907 ई० में जन्म स्थान फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश) में मृत्यु सन् 1987 ई० में पिता का नाम श्री गोविंद प्रसाद वर्मा शिक्षा M.A. तक रचनाएं निहार, रश्मि नीरजा, संध्यागीत, दीपशिखा, यामा निबंध श्रृंखला की कड़ियां, साहित्यकार की आस्था, क्षणदा महादेवी वर्मा जी का जन्म 1907 में उत्तर प्रदेश के फरुखाबाद नामक जनपद में हुआ था I उनकी माता का नाम हमरानी और पिता का नाम गोविन्द प्रसाद था I आपको बता दें कि इनके परिवार में 200 साल बाद यानी 7 पीढ़ी के बाद पहली लडकी के रूप में महादेवी जी ने जन्म लिया था और इसी वजह से परिवार वाले इन्हें सबसे ज्यादा प्यार करते थे I इनके पिता इन्हें घर की देवी मानते थे और इसलिए उन्होंने इनका नाम महादेवी रखा था I शिक्षा दीक्षा महादेवी वर्मा ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा इंदौर और आगे की पढाई प्रयाग से पूरी की थी I उन्हें घर पर ही संस्कृत, अंग्रेजी, संगीत और चित्रकला की शिक्षा दी जाती थी I महादेवी तब 7 वर्ष की थी जब उन्होंने कवित...

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय कक्षा 12

महादेवी वर्मा जी का जीवन परिचय - जीवन परिचय - श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद में सन 1960 ईस्वी में होलिकोत्सव के दिन हुआ था। इनके पिता गोविंदप्रसाद वर्मा भागलपुर के एक कॉलेज में प्रधानाचार्य और माता हेमरानीविदुषी और धार्मिक स्वभाव की महिला थी। इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई थी। संस्कृत में एम.ए उत्तीर्ण करने के बाद ही यह प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्राचार्या हो गई। इनका विवाह छोटी आयु में ही हो गया था। इनके पति डॉक्टर थे। वैचारिक साम्य ना होने के कारण यह अपने पति से अलग रहती थी। कुछ समय तक इन्होंने ' चांद' पत्रिका का संपादन किया। इनके जीवन पर महात्मा गांधी का तथा साहित्य-साधना पर रविंद्रनाथ टैगोर का विशेष प्रभाव पड़ा। इन्होंने नारी- स्वात्त्रय के लिए सदैव संघर्ष किया और अधिकारों की रक्षा के लिए नारी का शिक्षित होना आवश्यक बताया। कुछ वर्षों तक यह उत्तर प्रदेश विधान परिषद की मनोनीत सदस्या भी रही। इनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए राष्ट्रपति ने इन्हें ' पद्मभूषण' की उपाधि से अलंकृत किया। 'सेकसरिया' एवं ' मंगलाप्रसाद' पारितोषित इससे भी इन्हें सम्मानित किया गया। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा 18 मई, 1983 ईस्वी को इन्हें हिंदी की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री के रूप में ' भारत-भारती' पुरस्कार प्रदान करके सम्मानित किया गया। 28 नवंबर 1983 ईस्वी को इन्हें इनकी अप्रतिम गीतात्मक काव्यकृति 'यामा' पर 'ज्ञानपीठ' पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। ये प्रयाग में ही रहकर जीवन पर्यंत साहित्य साधना करती रहीं। 11 सितंबर 1987 ईस्वी को यह इस असार संसार से विदा हो गई। यद्यपि आज यह हमारे बीच नहीं है, लेकिन इनके गीत काव्य-प्रेमियों के मानस पटल ...

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय, कृतियाँ/रचनाएँ, भाषा

महादेवी वर्मा का संक्षिप्त जीवन-परिचय नाम जन्म वर्ष 1907 जन्मस्थान फर्रुखाबाद मृत्यु 11 सितम्बर, 1987 पिता का नाम श्री गोविन्दसहाय वर्मा माता का नाम श्रीमती हेमरानी प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर उच्च शिक्षा प्रयाग (इलाहाबाद) उपलब्धियां महिला विद्यापीठ की प्राचार्य, पद्मभूषण पुरस्कार, सेकसरिया तथा मंगलाप्रसाद पुरस्कार, भारत-भारती पुरस्कार तथा भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार आदि कृतिया नीहार, रश्मि, नीरजा, सान्ध्य-गीत, दीपशिखा साहित्य में योगदान साहित्य में अलंकार- विधान छायावादी कवयित्री के रूप में गीतात्मक भावपरक शैली का प्रयोग महादेवी जी की देन है। जीवन-परिचय महादेवी वर्मा का जीवन परिचय – हिन्दी साहित्य में आधुनिक मीरा के नाम से प्रसिद्ध कवयित्री एवं लेखिका महादेवी वर्मा का जन्म वर्ष 1907 मेंउत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद शहर में हुआ था। इनके पिता गोविन्दसहाय वर्माभागलपुर के एक कॉलेज में प्रधानाचार्य थे। माता हेमरानी साधारण कवयित्री थीं एवं श्रीकृष्ण में अटूट श्रद्धा रखती थीं। इनके नाना जी को भी ब्रज भाषा में कविता करने की रुचि थी। नाना एवं माता के गुणों का महादेवी पर गहरा प्रभाव पड़ा। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई थी। नौ वर्ष की अल्पायु में ही इनका विवाह स्वरूपनारायण वर्मा से हुआ, किन्तु इन्हीं दिनों इनकी माता का स्वर्गवास हो गया, ऐसी विकट स्थिति में भी इन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा। अत्यधिक परिश्रम के फलस्वरूप इन्होंने मैट्रिक से लेकर एम. ए. तक की परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में ही उत्तीर्ण की। वर्ष 1933 में इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ प्रधानाचार्यापद को सुशोभित किया। इन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए काफी प्रयास किया, साथ ही नारी की स्वतन्त्रता के लिए...

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय, रचनाएं, भाषा शैली,

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय, रचनाएं,भाषा शैली, जन्म महादेवी का जन्म 26 मार्च, 1907 को फ़र्रुख़ाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था।महादेवी वर्मा के पिता का नाम श्री गोविन्द प्रसाद वर्मा और माता का नाम श्रीमती हेमरानी वर्मा था एवं इनके नाना ब्रजभाषा के एक अच्छे कवि थे।इसी कारण बाल्यकाल से ही महादेवी को भी कविता लिखने की रुचि उत्पन्न हो गई। शिक्षा महादेवी वर्मा जी 6वी कक्षा में थी तभी उनका विवाह डॉ० स्वरूपनारायण वर्मा के साथ कर दिया गया| विवाह के बाद महादेवी वर्मा जी की पढाई में रूकावट आ गई और उनकी पढाई रुक गई लेकिन जब उनके ससुर का निधन हो गया तों फिर इसके बाद इन्होने पढाई को पुनः प्रारंभ किया और इन्होंने घर पर ही चित्रकला एवं संगीत की शिक्षा अर्जित की। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इंदौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में सफल हुई थी. संस्कृत में एम. ए. उत्तीर्ण करने के बाद ये प्रयाग महिला विद्दापीठ में प्राचार्य हो गयी विवाह – महादेवी वर्मा जी का विवाह डॉ० स्वरूपनारायण वर्मा के साथ 1916 में हुआ था स्वरूपनारायण वर्मा जी बरेली के पास नवाब गंज के रहने बाले थे जब इनका विवाह हुआ तब ये 10 कक्षा में पढ़ते थे महादेवी जी का जीवन एक संन्यासिनी के रूप में देखा गया है उनके पति का निधन 1966 में हो गया जिसके बाद महादेवी जी इलाहाबाद में रहने लगी महादेवी वर्मा की रचनाएं- महादेवी वर्मा जी ने पहला काव्य संग्रह नीहार को लिखा जिसमे 47 गीतों का वर्णन मिलता है | इनके द्वारा रश्मि काव्य को लिखा गया जिसमे 35 गीत संकलित है महादेवी द्वारा बहुत सारी रचनाओ को लिखा गया जैसे- दीपशिखा, अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, क्षणदा, साहित्यकार की आस्था, श्रृंखला की कड़ियां, चिंतन के क्षण आदि | पुरस्कार महादेवी वर्मा द...

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

Table of Contents • • • • • • • • • Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay महादेवी वर्मा(सन् 1907-1987 ई.) जन्म 26 मार्च, 1907 जन्म-स्थान फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश मृत्यु 11 सितम्बर, 1987 मृत्यु-स्थान प्रयागराज, पिता गोविन्द प्रसाद वर्मा माता श्रीमती हेमरानी वर्मा पति डॉ० स्वरूपनारायण वर्मा महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय: महादेवी वर्मा ‘पीड़ा की गायिका’से रूप में सुुप्रसिद्ध छायावादी कवयित्री होने के साथ एक उत्‍कृष्‍ट गद्य-लेखिका भी थी। गुलाबराय- जैसे शीर्षस्‍तरीय गद्यकार ने लिखा है- ”मैं गद्य में महादेवी का लोहा मान्‍ता हूँ।” महादेवी वर्मा का जन्‍म फर्रुखाबाद के एक सम्‍पन्न परिवार में सन् 1907 ई. में हुआ था। इन्‍दौर में प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्‍त करने के बाद इन्‍होंने का्रस्‍थवेट गर्ल्‍स कॉलेज, इलाहाबाद में शिक्षा प्राप्‍त की। इनका विवाह स्‍वरूप नारायण वर्मा से ग्‍यारह वर्ष की अल्‍प आयु में ही हो गया थ ससुर जी के विशेध के कारण इनकी शिक्षा में व्‍यवधान आ गया, परन्‍तु उनके निधन के पश्‍चात् इन्‍होंने पुन: अध्‍ययन प्रारम्‍भ किया और प्रयाग विश्‍वविद्यालय से संस्‍कृत विषय में एम.ए् की परी खा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। वे 1965 ई. तक प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या के रूप में कार्यरत रहीं। इन्‍हें उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्‍या भी मनोनीत किया गया। इनका देहावसान 11 सितम्‍बर 1987 ई. को प्रयाग में हुआ। महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय: माहदेवी वर्मा के गद्य का आरम्भिक रूप इनकी काव्‍य-कृतियों की भूमिकाओं में देखने को मिलता है। ये मुख्‍यत: कवयित्री ही थीं, फिर भी गद्य के क्षेत्र में उत्‍कृश्‍ट कोटि के संस्‍मरण, रेखचित्र, निबन्‍ध एवं आलोचनाऍं लिखीं। रहस्‍यवाद एवं प्रकृतिवाद पर आध...

Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay

महादेवी वर्मा कौन थीं? Mahadevi Verma Biography in Hindi:- महादेवी वर्मा एक भारतीय लेखिका, महिला अधिकार कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षिका और कवयित्री थीं, जिन्हें हिंदी साहित्य के छायावाद आंदोलन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। वह छायावाद स्कूल की चार सबसे प्रमुख हस्तियों में से एक थीं, अन्य तीन सूर्यकांत त्रिपाठी, सुमित्रानंदन पंत और जयशंकर प्रसाद थे। वह ‘इलाहाबाद (प्रयाग) महिला विद्यापीठ’ की पहली प्रधानाध्यापिका/प्रिंसिपल बनीं, जो एक हिंदी माध्यम का अखिल बालिका विद्यालय है और बाद में इसकी चांसलर बनी। महादेवी की कृतियों ने उन्हें ‘पद्म भूषण’, ‘साहित्य अकादमी फैलोशिप’ और ‘पद्म विभूषण’ जैसे कुछ सबसे प्रतिष्ठित भारतीय साहित्यिक पुरस्कार और मान्यताएँ दिलाईं। उनकी कविताओं के संकलन ‘यम’ ने ‘ज्ञानपीठ’ जीता। पुरस्कार।’“कवि सम्मेलनों” की नियमित प्रतिभागी और आयोजक, महादेवी प्रमुख हिंदी लेखक और कवि सुभद्रा कुमारी चौहान की अच्छी दोस्त भी थीं क्योंकि वे सहपाठी थीं। उनकी कविता अपने विशिष्ट मार्ग और रूमानियत के लिए जानी जाती थी। हालांकि कम उम्र में शादी हो गई, महादेवी ज्यादातर अपने पति से दूर रहती थीं, उनसे कभी-कभार ही मिलती थीं। 80 वर्ष की आयु में उनका प्रयागराज (इलाहाबाद) में निधन हो गया। उनके कई कार्यों को भारत के हिंदी स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। Read About:- Mahadevi Verma ka Jeevan Parichay – महादेवी वर्मा का जीवन परिचय बचपन और प्रारंभिक जीवन Mahadevi Verma ka Jeevan Parichay:- महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च, 1907 को फर्रुखाबाद, संयुक्त प्रांत आगरा और अवध (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) में वकीलों के परिवार में हुआ था। वह मध्य प्रदेश के जबलपुर में पली-बढ़ी और वहीं ...

जीवन परिचय : महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा (26 मार्च, 1907-11 सितंबर, 1987) हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के प्रमुख स्तंभों जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और सुमित्रानंदन पंत के साथ महत्वपूर्ण स्तंभ मानी जाती हैं। उन्हें आधुनिक मीरा भी कहा गया है। कवि निराला ने उन्हें “हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” भी कहा है। उन्होंने अध्यापन से अपने कार्यजीवन की शुरूआत की और अंतिम समय तक वे प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या बनी रहीं। उनका बाल-विवाह हुआ परंतु उन्होंने अविवाहित की भांति जीवन-यापन किया। प्रतिभावान कवयित्री और गद्य लेखिका महादेवी वर्मा साहित्य और संगीत में निपुण होने के साथ साथ कुशल चित्रकार और सृजनात्मक अनुवादक भी थीं। उन्हें हिन्दी साहित्य के सभी महत्त्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव प्राप्त है। गत शताब्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय महिला साहित्यकार के रूप में वे जीवन भर बनी रहीं। वे भारत की 50 सबसे यशस्वी महिलाओं में भी शामिल हैं। महादेवी वर्मा और सुभद्रा कुमारी चौहान के बीच बचपन से मित्रता थी। प्रारंभिक जीवन और परिवार वर्मा का जन्म फ़र्रूख़ाबाद, उत्तर प्रदेश के एक संपन्न परिवार में हुआ। इस परिवार में लगभग २०० वर्षों या सात पीढ़ियों के बाद महादेवी जी के रूप में पुत्री का जन्म हुआ था। अत: इनके बाबा गोविंद प्रसाद वर्मा हर्ष से झूम उठे और इन्हें घर की देवी- महादेवी माना और उन्होंने इनका नाम महादेवी रखा था। महादेवी जी के माता-पिता का नाम हेमरानी देवी और बाबू गोविन्द प्रसाद वर्मा था। श्रीमती महादेवी वर्मा की छोटी बहन और दो छोटे भाई थे। क्रमश: श्यामा देवी (श्रीमती श्यामा देवी सक्सेना धर्मपत्नी- डॉ॰ बाबूराम सक्सेना, भूतपूर्व विभाग...

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य में छायावाद की सशक्त हस्ताक्षर हैं। छायावाद के चार स्तंभों में सबसे प्रमुखता से उनका नाम लिया जाता है। महादेवी वर्मा को उनकी पारिवारिक और सामाजिक रचनाओं के लिए जाना जाता है। इस पोस्ट में हम आपको महादेवी वर्मा का पूरा जीवन परिचय विस्तार से और सबसे सरल भाषा में बताएंगे तो आपको पोस्ट को पूरा पढ़ना है और लास्ट तक पढ़ना है और अंत में आपको बहुत ही इंपॉर्टेंट क्वेश्चन और उनके आंसर भी मिलेंगे नाम महादेवी वर्मा जन्म वर्ष 1907 जन्म-स्थान फर्रुखाबाद मृत्यु 11 सितंबर, 1987 माता का नाम श्रीमती हेमरानी देवी पिता का नाम श्री गोविंदसहाय वर्मा प्रारंभिक शिक्षा इंदौर उच्च शिक्षा प्रयाग उपलब्धियां महिला विद्यापीठ की प्राचार्य, पदम भूषण पुरस्कार, सेकसरिया तथा मंगला प्रसाद पुरस्कार, भारत भारती पुरस्कार, तथा भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार आदि। कृतियां निहार, रश्मि, नीरजा, सान्ध्यगीत, दीपशिखा भाषा खड़ी बोली साहित्य में योगदान विधान छायावादी कवयित्री के रूप में गीतात्मक भावपरक शैली का प्रयोग महादेवी जी की देन है। पति डॉक्टर स्वरूप नारायण मिश्रा जीवन परिचय (Jivan Parichay) - हिंदी साहित्य में आधुनिक मीरा के नाम से प्रसिद्ध कवियित्री एवं लेखिका महादेवी वर्मा का जन्म वर्ष 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद शहर में हुआ था। इनके पिता गोविंदसहाय वर्मा भागलपुर के एक कॉलेज में प्रधानाचार्य थे। माता हेमरानी साधारण कवयित्री थीं एवं श्री कृष्ण में अटूट श्रद्धा रखती थीं। इनके नाना जी को भी ब्रज भाषा में कविता करने की रुचि थी। नाना एवं माता के गुणों का महादेवी पर गहरा प्रभाव पड़ा। इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई थी। नौ वर्ष की अल्पायु में ही इनका विवाह स्वर...

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय, रचनाएं, भाषा शैली,

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय, रचनाएं,भाषा शैली, जन्म महादेवी का जन्म 26 मार्च, 1907 को फ़र्रुख़ाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था।महादेवी वर्मा के पिता का नाम श्री गोविन्द प्रसाद वर्मा और माता का नाम श्रीमती हेमरानी वर्मा था एवं इनके नाना ब्रजभाषा के एक अच्छे कवि थे।इसी कारण बाल्यकाल से ही महादेवी को भी कविता लिखने की रुचि उत्पन्न हो गई। शिक्षा महादेवी वर्मा जी 6वी कक्षा में थी तभी उनका विवाह डॉ० स्वरूपनारायण वर्मा के साथ कर दिया गया| विवाह के बाद महादेवी वर्मा जी की पढाई में रूकावट आ गई और उनकी पढाई रुक गई लेकिन जब उनके ससुर का निधन हो गया तों फिर इसके बाद इन्होने पढाई को पुनः प्रारंभ किया और इन्होंने घर पर ही चित्रकला एवं संगीत की शिक्षा अर्जित की। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इंदौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में सफल हुई थी. संस्कृत में एम. ए. उत्तीर्ण करने के बाद ये प्रयाग महिला विद्दापीठ में प्राचार्य हो गयी विवाह – महादेवी वर्मा जी का विवाह डॉ० स्वरूपनारायण वर्मा के साथ 1916 में हुआ था स्वरूपनारायण वर्मा जी बरेली के पास नवाब गंज के रहने बाले थे जब इनका विवाह हुआ तब ये 10 कक्षा में पढ़ते थे महादेवी जी का जीवन एक संन्यासिनी के रूप में देखा गया है उनके पति का निधन 1966 में हो गया जिसके बाद महादेवी जी इलाहाबाद में रहने लगी महादेवी वर्मा की रचनाएं- महादेवी वर्मा जी ने पहला काव्य संग्रह नीहार को लिखा जिसमे 47 गीतों का वर्णन मिलता है | इनके द्वारा रश्मि काव्य को लिखा गया जिसमे 35 गीत संकलित है महादेवी द्वारा बहुत सारी रचनाओ को लिखा गया जैसे- दीपशिखा, अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, क्षणदा, साहित्यकार की आस्था, श्रृंखला की कड़ियां, चिंतन के क्षण आदि | पुरस्कार महादेवी वर्मा द...

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय, रचनाएं

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