महाराजा हरि सिंह

  1. #23 सितंबर, जम्मू
  2. कौन हैं महाराजा हरि सिंह, जिनकी मूर्ति लगी है जम्मू
  3. महाराजा हरि सिंह का इतिहास
  4. Birthday of Maharaja Hari Singh जम्मू कश्मीर में आधुनिक व समावेशी शिक्षा के शिल्पकार थे महाराजा हरि सिंह


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#23 सितंबर, जम्मू

भारत देश की भूमि में अनेकों महानायको ने जन्म लिया है। आज यानी 23 सितंबर को ऐसे ही महानायक महाराजा हरि सिंह की जयंती है, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर राज्य समेत संपूर्ण देश को अपने दूरदर्शी सोच से एक नई दिशा दी थी। जिसके कारण आज जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग है। जम्मू-कश्मीर विरासत के आखिरी राजा हरि सिंह का जन्म 23 सितंबर 1895 के दिन जम्मू में हुआ था। अपनी वीरता और बुद्धि बल के दम पर हरि सिंह मात्र 20 वर्ष में ही जम्मू-कश्मीर सियासत के मुख्य सेनापति नियुक्त हो चुके थे। महाराजा प्रताप सिंह की मृत्यु के बाद 1925 में उनका जम्मू-कश्मीर राज्य के राजा के तौर पर राजतिलक हुआ था। जम्मू में डोगरा राजवंश के संस्थापक महाराजा गुलाब सिंह थे। गुलाब सिंह का राजा के तौर पर राजतिलक महाराजा रणजीत सिंह ने स्वयं किया था। गुलाब सिंह ने अपने राज्य का विस्तार लद्दाख, गिलगित और बल्तिस्तान तक किया था। 1846 में कश्मीर घाटी भी इसमें शामिल हो गया था। महाराजा गुलाब सिंह की मुत्यु श्रीनगर में 30 जून 1857 में हुई थी। उनकी मौत के बाद उनके 26 साल के बेटे रणवीर सिंह राजगद्दी पर बैठे। रणवीर सिंह के चार पुत्र हुये थे। सबसे बड़े पुत्र प्रताप सिंह, राम सिंह, अमर सिंह और लक्ष्मण सिंह थे। लक्ष्मण सिंह की मृत्यु तो पाँच साल की अल्प आयु में ही हो गई थी। वहीं दूसरे पुत्र राम सिंह की मृत्यु 45 साल की आयु में हुई थी। लगभग तीस साल राज्य करने के बाद 55 साल की उम्र में 12 सितंबर, 1885 को रणवीर सिंह की मृत्यु हो गई और परंपरानुसार उनके बड़े सुपुत्र प्रताप सिंह का राजतिलक हुआ। राजा बनने के बाद प्रताप सिंह ने राज्य को बखूबी संभाला और राज्य की सीमाओं का विस्तार किया था। 1891 में प्रताप सिंह की सेना ने गिलगित की हुंजा वैली, न...

कौन हैं महाराजा हरि सिंह, जिनकी मूर्ति लगी है जम्मू

Who is Maharaja Hari Singh: जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने महाराजा हरि सिंह के जन्मदिन पर सरकारी अवकाश करवाने की मांग की है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना का कहना है कि हमने एलजी से बात कर ली है, उन्होंने हमें आश्वासन दिया है. बता दें, ये पहली बार होगा कि किसी राजा के जन्मदिन पर सरकारी छुट्टी होगी. आइए जानते हैं महाराजा हरि सिंह कौन थे और कैसा रहा उनका जीवन. जम्मू-कश्मीर की राजनीति में महाराजा हरि सिंह की एंट्री हो गई है. ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि ऐसा पहली बार होगा..जब किसी राजा के जन्मदिन पर सरकारी छुट्टी होगी. जी हां, बीजेपी ने महाराजा हरि सिंह के जन्मदिन पर सरकारी छुट्टी करवाने की तैयारी की है. बीजेपी का सियासी दांव! बता दें कि वहां के राजपूत समाज के लोगों ने इस मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी दे दी है. इसे ध्यान में रखते हुए भाजपा के स्थानीय नेताओं ने जम्मू की सिविल सोसाइटी और व्यापारिक संगठनों के साथ बैठकें भी की थीं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि बीजेपी ने विलय दिवस (26 अक्टूबर) पर सरकारी अवकाश करवाया. अब हमारी कोशिश है कि महाराजा के जन्मदिन (23 सितंबर) पर अवकाश की अधिसूचना जल्द जारी हो. उन्होंने कहा कि एलजी ने हमें आश्वासन दे दिया है. जम्मू जश्न मनाने की तैयारी करे. बता दें कि साल 2012 में पहली बार महाराजा हरि सिंह की प्रतिमा लगी थी. कहा जा रहा है कि बीजेपी ने अपने वोट बैंक के नाराज होने के डर से यह फैसला लिया है. जम्मू-कश्मीर में 28.33% हिंदू और 68.34% मुस्लिम हैं. हिंदुओं में 27% राजपूत हैं. इसलिए कहा जा रहा है कि राजनीतिक तौर पर यह बड़ा सियासी दांव साबित हो सकता है. कौन हैं महाराजा हरि सिंह? 23 सितंबर 1895 को महाराजा हरि ...

महाराजा हरि सिंह का इतिहास

महाराजा हरि सिंह(Maharaja Hari Singh) का परिचय महाराजा हरि सिंह(Maharaja Hari Singh) जम्मू-कश्मीर रियासत के अंतिम शासक थे।हरि सिंह एक ऐसे राजपूत राजा जो अपना अलग देश चाहते थे । महाराजा हरि सिंह एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने अपने राज्य में कई सुधार और विकास की पहल की। बता दें कि 1947 में भारतीय स्वतंत्रता के बाद, महाराजा हरि सिंह चाहते थे कि जम्मू और कश्मीर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित हो. उन्होंने अपने राज्य को पाकिस्तानी सेना के आक्रमण से बचाने के लिए भारत सरकार से मदद मांगी थी। जिसके बाद उन्हें भारतीय सैनिकों का समर्थन प्राप्त हुआ। उनके शासनकाल को कई महत्वपूर्ण घटनाओं द्वारा चिह्नित किया गया था, जो अंततः भारतीय संघ में राज्य के एकीकरण का कारण बना। महाराजा हरि सिंह का जन्म व प्रारंभिक जीवन महाराजा हरि सिंह का जन्म 23 सितंबर, 1895 को जम्मू और कश्मीर की रियासत में हुआ । महाराजा हरि सिंह के पिता का नाम अमर सिंह और माता का नाम भोटियाली छिब था। वह राजा अमर सिंह के सबसे बड़े पुत्र थे, जो उस समय जम्मू-कश्मीर के शासक थे। हरि सिंह ने अपनी शिक्षा अजमेर के मेयो कॉलेज से प्राप्त की और बाद में देहरादून में इंपीरियल कैडेट कोर में अध्ययन करने चले गए। 1923 में, वह अपने पिता की मृत्यु के बाद जम्मू-कश्मीर के सिंहासन पर बैठे। उन्हें 1915 में जम्मू-कश्मीर सरकार के मंत्री रहे जॉर्ज एडर्वड वेक़फील्ड के हवाले से एमवाइ सर्राफ़ ने अपनी किताब ‘कश्मीरी फाइट्स फॉर फ्रीडम’ में बताते हैं कि अपने शासन के शुरुआती दौर में वह चमचागिरी के इतने ख़िलाफ़ थे कि उन्होंने एक सालाना ख़िताब देना तय किया था, जिसका नाम ‘खुशामदी टट्टू’ अवार्ड था, जिसके तहत बंद दरबार में हर साल “सबसे बड़े चमचे को” टट्टू की प्र...

Birthday of Maharaja Hari Singh जम्मू कश्मीर में आधुनिक व समावेशी शिक्षा के शिल्पकार थे महाराजा हरि सिंह

Birthday of Maharaja Hari Singh : जम्मू कश्मीर में आधुनिक व समावेशी शिक्षा के शिल्पकार थे महाराजा हरि सिंह महाराजा गुलाब सिंह ने 6-14 वर्ष के आयु वर्ग में निश्शुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का प्रविधान राज्य में लागू किया। जम्मू श्रीनगर सोपोर मीरपुर और ऊधमपुर में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के अधिनियम 1930 को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए हर संभव प्रयास किए गए। डा. राकेश भारती। महाराजा गुलाब सिंह ने जम्मू कश्मीर में डोगरा शासन की स्थापना की। उन्होंने अपने शासनकाल (1846-1857) का अधिकांश समय राज्य की सीमाओं के विस्तार एवं उन्हें मजबूत करने में समर्पित किया। सशक्त सीमाओं और शासकों की विकासशील सोच का परिणाम रहा कि 1947 तक जम्मू कश्मीर बहुसांस्कृतिक, बहु भाषाई और बहुधार्मिक संस्कृति का केंद्र बना रहा। महाराजा गुलाब सिंह के बाद आए सत्ता में आए महाराजा रणबीर सिंह (1857-1885) को उनकी धर्म में प्रबुद्ध रुचि व शिक्षा और कला के प्रति विशेष समर्पण के लिए जाना जाता है। वह जम्मू को संस्कृत का केंद्र बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित थे। उनके बाद राज्य की बागड़ोर महाराजा प्रताप सिंह (1885-1925) के हाथों में आ गई। उनके शासनकाल में आधुनिक शिक्षा ने आकार लेना शुरू किया। उनके कार्यकाल में पंजाब विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम के आधार पर राज्य में स्कूली शिक्षा के विकास के लिए कई विशेष प्रयास किए। उनके उपरांत शासन की बागड़ोर संभालने वाले महाराजा हरि सिंह (1925-1947) ने शिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति लाने का प्रयास किया। 23 सितंबर 1895 को जम्मू में जन्मे हरि सिंह महाराजा प्रताप सिंह के भाई राजा अमर सिंह के पुत्र थे। महाराजा हरि सिंह की चर्चा मुख्यत: 1947-48 में जम्मू कश्मीर के भारत में विलय और पाकि...