महेंद्र कपूर के पुराने गाने

  1. काला पत्थर (1979 फ़िल्म)
  2. Gaane Anjaane
  3. क्यों राज कपूर ने जलाया अपना हाथ महेंद्र कपूर के लिए ? Raj Kapoor and Mahendra Kapoor Friendship
  4. Birthday Special: महेंद्र कपूर के वो 10 गाने जिन्होंने छुआ था लोगों का दिल
  5. Mahendra Kapoor Birthday Special: महेंद्र कपूर: वो आवाज जिसने देशभक्ति और रूमानियत में डाल दी जान
  6. When Raj Kapoor burnt his hand for Mahendra Kapoor. राज कपूर ने महेंद्र कपूर से गाना गंवाने के लिए .
  7. महेंद्र कपूर को उनके एक देशभक्ति गीत ने देशभर में कर दिया था मशहूर
  8. महेंद्र कपूर को उनके एक देशभक्ति गीत ने देशभर में कर दिया था मशहूर
  9. Gaane Anjaane
  10. काला पत्थर (1979 फ़िल्म)


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काला पत्थर (1979 फ़िल्म)

अनुक्रम • 1 मुख्य कलाकार • 2 दल • 3 संगीत • 4 नामांकन और पुरस्कार • 5 सन्दर्भ • 6 बाहरी कड़ियाँ मुख्य कलाकार [ ] • • • • • • • • • • गीता सिद्धार्थ – श्रीमती रघुनाथ • • बाबु कुमार – रघुनाथ का बेटा • • गौतम सरीन – प्रमुख नौसेना अफसर • ओम सहनी – नौसेना अफसर • सुरेश बेदी – नौसेना अफसर • लांबा – नौसेना अफसर • • सुधा चोपड़ा – श्रीमती सिंह, विजय की माँ • • • परदेसी – वैद्य सहायक • • रोमेश शर्मा – विक्रम • • • • मोहन शेरी – शंकर • • जगदीशराज – पुलिस इंस्पेक्टर • महान स्वदेश – मुरली • बलदेव त्रेहन – ओज़ी • विकास आनन्द – राम सिंह • राज वर्मा – मुनीम • हरिश्चन्द्र – हरीश • नागर – दाग • चन्दू – चन्दू • उत्तम सोढी – कैदी • दर्शन – जेलर • भोला – ज्ञान • रामानन्द – रोशन सिंह दल [ ] • निर्देशन– • लेखक– • निर्माण– • निर्माण संस्था– • छायांकन– के जी • संगीत– राजेश रोशन • गीत– • पार्श्वगायन– संगीत [ ] सभी गीत के गीतकार गीत गायक समय "एक रास्ता है जिंदगी" किशोर कुमार, लता मंगेशकर 5:20 "बाहों में तेरी" मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर 4:15 "मेरी दूरों से आई बरात" लता मंगेशकर, समूह 3:20 "जगया जगया" महेंद्र कपूर, एस.के. मोहन, पमेला चोपड़ा 6:55 "धूम मचे धूम" मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर, महेंद्र कपूर, एस.के. मोहन 7:40 "मुझे प्यार का तोहफा देकर" मोहम्मद रफ़ी, ऊषा मंगेशकर 5:15 नामांकन और पुरस्कार [ ] • 1980 • सर्वश्रेष्ठ फिल्म • • • • • सर्वश्रेष्ठ कथा - • सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक - राजेश रोशन • सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक - सन्दर्भ [ ]

Gaane Anjaane

तेरे पास आके मेरा वक्त जुजर जाता है तेरे पास आ के मेरा वक़्त गुज़र जाता है दो घड़ी के लिए ग़म जाने किधर जाता है जब कभी दूर से तू मुझको नज़र आता है प्यार हँस कर मेरी आँखों में सँवर जाता है तेरे पास आ के ... तू वही है जिसे इस दिल ने सदाएँ दी हैं -२ तू वही है जिसे नज़रों ने दुआएँ दी हैं तू वही है कि जो दिल ले के मुक़र जाता है दो घड़ी के लिए ... तेरे पास आ के ... जाम इतने तेरी मस्ती भरी आँखों से पिए -२ बेखुदी में तुझे सजदे मेरी नज़रों ने किए तेरे जलवों में ख़ुदा मुझको नज़र आता है प्यार हँस कर ... तेरे पास आ के ... तेरी याद आते ही घबरा के चली आती हूँ -२ मैं हर इक क़ैद को ठुकरा के चली आती हूँ मैं नहीं आती मुझे प्यार इधर लाता है दो घड़ी के लिए ... तेरे पास आ के ... FILM: NEELA AAKASH (1965) STARRING: Dharmendra, Mala Sinha, Shashikala, Mehmood Sulochana Latkar Raj Mehra Mumtaz Begum Madan Puri Manorama Jeevan Kala Madhavi MUSIC: Madan Mohan LYRICS: Mehdi Raja, Ali Khan DIRECTOR: Rajendra Bhatia देखा है जिंदगी को कुछ इतना करीब से (Dekha Hai Zindagi Ko) देखा हैं जिन्दगी को कुछ इतना करीब से, चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से, कहने को दिल की बात जिन्हें ढूँढते थे हम, महफ़िल में आ गए हैं वो अपने नसीब से, नीलाम हो रहा था, किसी नाजनी का प्यार, कीमत नहीं चुकाई गयी एक गरीब से, तेरी वफ़ा की लाश पे, ला मैं ही डाल दूँ, रेशम का ये कफ़न जो मिला हैं रकीब से.. गीतकार : साहिर लुधियानवी, गायक : किशोर कुमार, संगीतकार : रवी, चित्रपट : एक महल हो सपनोंका - 1975 Lyricist : Saahir Ludhiyanvi, Singer : Kishore Kumar, Music Director : Ravi, Movie : Ek Mahal Ho Sapnoka - 1975 . ये माना मैं किसी क़ाबिल नहीं हूं इन निगाहों...

क्यों राज कपूर ने जलाया अपना हाथ महेंद्र कपूर के लिए ? Raj Kapoor and Mahendra Kapoor Friendship

Table of Contents • • • रूस में जुगलबंदी Raj Kapoor and Mahendra Kapoor राज कपूर एक ऐसे फनकार थे, जिनके चाहने वाले सिर्फ हिंदुस्तान में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कोने कोने में मौजूद थे। उनकी फिल्मों को रूस में बहुत अधिक पसंद किया जाता था। इतना ही नहीं बल्कि प्यार से हिन्दुस्तानियों को वहां आवारा कहा जाता था। एक बार किसी कार्यक्रम के सिलसिले में वे ताशकंद गए और उनके साथ उस सफर पर महेंद्र कपूर भी थे। जनता की मांग पर महेंद्र कपूर को राज कपूर की फिल्मों के गीत गाने थे। महेंद्र कपूर ने राज कपूर से आग्रह किया कि वे हारमोनियम संभाल ले। राजकपूर ने हारमोनियम संभाला और महेन्द्र कपूर ने राज साहब के गानों से समां बाँध दिया। थोड़ी ही देर में उन्होंने राज साहब के गाने रूसी भाषा में गाने शुरू किये। इस पर राज कपूर महेंद्र कपूर से बहुत प्रभावित हुए। संगम के गाने Raj Kapoor in Sangam उन दिनों राजकपूर फिल्म संगम बना रहे थे। उन्होंने महेंद्र कपूर से कहा कि मुंबई वापस जाने के बाद वे उनसे अपनी अगली फिल्म संगम में जरूर गाना गवाएंगे। उन्होंने कहा कि खुद के ऊपर फिल्माए जाने वाले गाने वे पहले ही मुकेश को दे चुके हैं, लेकिन फिल्म के दूसरे हीरो के लिए महेंद्र कपूर अपनी आवाज देंगे। राज कपूर का वादा Raj Kapoor and Mahendra Kapoor महेंद्र कपूर को राज साहब की बात पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि पाजी आप बड़े आदमी हो। भारत जाते ही अपना वादा भूल जाओगे। इतना सुनते ही राज कपूर ने जलती हुई सिगरेट उठाई और अपने हाथ पर दाग दी। उन्होंने कहा कि महेंद्र ये जला हुआ हाथ मुझे अपना वादा नहीं भूलने देगा। इस तरह मुंबई पहुँचने के बाद फिल्म संगम के सुपरहिट गीत “हर दिल जो प्यार करेगा ” में राजेंद्र कुमार के लिए महेन्द्र कपूर ...

Birthday Special: महेंद्र कपूर के वो 10 गाने जिन्होंने छुआ था लोगों का दिल

मुंबई। बॉलीवुड में महेंद्र कपूर का नाम एक ऐसे पार्श्वगायक के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने लगभग पांच दशक तक अपने रूमानी गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। महेंद्र कपूर का जन्म 09 जनवरी 1934 को अमृतसर में हुआ था। बचपन के दिनों से ही महेंद्र कपूर का रूझान संगीत की ओर था। महेंद्र कपूर ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा हुस्नलाल-भगतराम, उस्ताद नियाज अहमद खान, उस्ताद अब्दुल रहमान खान और पंडित तुलसीदास शर्मा से हासिल की। मोहम्मद रफी से प्रभावित होने के कारण महेन्द्र कपूर उन्हीं की तरह पार्श्वगायक बनना चाहते थे। अपने इसी सपने को पूरा करने के लिये महेंद्र कपूर मुंबई आ गये। वर्ष 1958 में प्रदर्शित व्ही:शांताराम की फिल्म नवरंग में महेंद्र कपूर ने सी.रामचंद्र के सगीत निर्देशन में “आधा है चंद्रमा रात आधी” से बतौर गायक अपनी पहचान बना ली। इसके बाद महेंद्र कपूर ने सफलता की नयी उंचाइयों को छुआ और एक से बढ़कर एक गीत गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। 1967 में प्रदर्शित फिल्म उपकार के गीत “मेरे देश की धरती सोना उगले” के लिए महेंद्र कपूर को सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया। वर्ष 1972 को महेन्द्र कपूर पद्मश्री सम्मान सम्मानित किये गये। महेंद्र कपूर को तीन बार सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का फिल्म फेयरपुरस्कार दिया गया। 2-मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती … महेंद्र कपूर को सर्वप्रथम वर्ष 1963 में गुमराह के गीत “चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं” के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था। 3-चलो इक बार फिर से, अजनबी बन जाएं हम दोनों चलो इक बार फिर से … इसके बाद वर्ष 1967 में हमराज के “गीत नीले गगन के तले”और वर्ष 1974 में फिल्म रोटी कपड़ा और मकान के गीत “और न...

Mahendra Kapoor Birthday Special: महेंद्र कपूर: वो आवाज जिसने देशभक्ति और रूमानियत में डाल दी जान

बॉलीवुड में जब-जब पुराने दौर के देशभक्ति गानों का जिक्र होता है, तो महेंद्र कपूर का नाम बड़े प्यार और अदब से लिया जाता है. 'मेरे देश की धरती सोना उगले', 'है प्रीत जहां की रीत सदा', 'मेरा रंग दे बसंती चोला' जैसे गानों में अपनी आवाज देकर महेन्द्र कपूर देशभक्ति गीतों का पर्याय बने. यही वजह है कि देशभक्ति फिल्मों से अपनी अलग पहचान बनाने वाले मनोज कुमार के साथ उनकी आवाज का जबरदस्त तालमेल बैठा. हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को ये देशभक्ति गाने शहरो-कस्बों के स्कूलों से लेकर सरकारी दफ्तरों तक गूंजते हैं. इसके साथ ही उन्होंने 'नीले गगन के तले', 'तुम अगर साथ देने का वादा करो', 'चलो एक बार फिर से अजनबी', 'किसी पत्थर की मूरत' जैसे रोमांटिक गाने भी गए. ये खूबसूरत गाने आज के दौर में भी उतने ही पसंद किए जाते हैं. अपने चार दशक के फिल्मी सफर में कई भाषाओं में करीब 25 हजार गीत गाने वाले महेंद्र कपूर के जन्मदिन के मौके पर आइए सुनते हैं उनके ऐसे ही कुछ सदाबहार गाने-

When Raj Kapoor burnt his hand for Mahendra Kapoor. राज कपूर ने महेंद्र कपूर से गाना गंवाने के लिए .

हिंदी सिनेमा में जब भी बात देशभक्ति गानों की होती है, तो एक सिंगर का नाम ज़रूर लिया जाता है, वो हैं महेंद्र कपूर. इन्होंने ‘मेरे देश की धरती’, से लेकर ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’, जैसे गानों को अपनी आवाज़ देकर लोगों को देश भक्ति के रस से सराबोर कर दिया. इंडस्ट्री के भारत कुमार उर्फ़ मनोज कुमार पर फ़िल्माए गए उनके गाने लोगों को ख़ूब भाते थे. ये गाने आज भी 15 अगस्त से लेकर 26 जनवरी के अवसर पर उनके देशभक्ति गीतों को ज़रूर बजाया जाता है. मगर महेंद्र कपूर ने देशभक्ति गीतों के अलावा कई रोमांटिक गीतों को भी अपनी आवाज़ दी है. जैसे ‘नीले गगन के तले’, ‘चलो इक बार फिर से अजनबी…’ ऐसा ही एक रोमांटिक गाना है फ़िल्म ‘संगम’ का ‘हर दिल जो प्यार करेगा वो गाना गाएगा.’ इस फ़िल्म के लिए उन्हें कैसे चुना गया था इसकी एक इंटरेस्टिंग स्टोरी आज महेंद्र कपूर जी की बर्थ एनिवर्सरी पर ख़ास आपके लिए लेकर आए हैं. महेंद्र कपूर और राज कपूर दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे. राज कपूर महेंद्र कपूर की आवाज़ के फ़ैन थे. एक बार दोनों ताशकंद में एक इंटरनेशनल शो करने पहुंचे थे. यहां महेंद्र कपूर ने कहा था कि अगर वो गाना गांएगे तो राज कपूर जी को हारमोनियम बजाना होगा. हुआ भी ऐसा ही. ताशकंद के लोगों में राज कपूर काफ़ी लोकप्रिय थे. उस शो में महेंद्र कपूर ने राज साहब के कई गाने गाए. कुछ गानों को उन्होंने रूसी में भी गाया. इसमें उनका साथ दिया राज कपूर जी ने जो साथ बैठकर हारमोनियम बजा रहे थे. शो हिट रहा और ताशकंद से लौटते समय राज कपूर जी ने उन्हें अपनी फ़िल्म ‘संगम’ में काम देने का वादा किया. उन्होंने महेंद्र से कहा – ‘महेंद्र मैं तुम्हें अपने ऊपर पिक्चराइज़ होने वाले गाने नहीं दे सकता क्योंकि वो मैं पहले ही मुकेश को दे चुका हूं, पर...

महेंद्र कपूर को उनके एक देशभक्ति गीत ने देशभर में कर दिया था मशहूर

यह आवाज ही है जो कभी मरती नहीं। हमारी फिल्मी ​दुनिया ने ऐसे कई फनकार दिए हैं, जिनके काम की आज भी कितनी ही तरी​फ की जाए कम है। ऐसे ही एक गायक थे महेंद्र कपूर। महेंद्र के गाने उनके जाने के बाद भी जब जुबां पर आते हैं तो एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं। वह एक ऐसे गायक थे जिनके सुरों में इतनी जान थी कि हर दिल को छू लिया करते थे। आज 9 जनवरी को महेंद्र कपूर की 89वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इस खास मौके पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें… लीजेंड मोहम्मद रफी से काफी प्रभावित थे महेंद्र महान गायक महेंद्र कपूर का जन्म 9 जनवरी, 1934 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। महेंद्र को बचपन से ही गायिकी का शौक था और उनका यही शौक उन्हें मुम्बई तक ले गया था। उन्होंने गायिकी की दुनिया में पहचान बनाने के लिए काफी मेहनत की और कई ख्यातनाम गायकों के शार्गिद के रूप में भी काम किया। महेंद्र कपूर ने अपनी संगीत की प्रारंभिक शिक्षा हुस्नलाल-भगतराम, उस्ताद नियाज़ अहमद खान, उस्ताद अब्दुल रहमान खान और पंडित तुलसीदास शर्मा से हासिल कीं। महान गायक मोहम्मद रफी से प्रभावित होने के कारण महेंद्र उन्हीं की तरह पार्श्वगायक बनना चाहते थे। मर्फी रेडियो कॉन्टेस्ट के विजेता बनकर चमके महेंद्र कपूर की किस्मत तब चमकी जब मर्फी रेडियो की ओर से आयोजित एक कॉन्टेस्ट के वो विजेता बने थे। इसके बाद उनके फिल्मी सफर की शुरुआत हुईं। उन्होंने वर्ष 1953 में आई फिल्म ‘मदमस्त’ के साहिर लुधियानवी द्वारा लिखित गीत ‘आप आए तो ख्याल-ए-दिल-ए नाशाद आया’ को गाया। वर्ष 1958 में प्रदर्शित वी. शांताराम की फिल्म ‘नवरंग’ में महेन्द्र कपूर ने सी. रामचंद्र के संगीत निर्देशन में ‘आधा है चंद्रमा रात आधी’ से बतौर गायक अपनी पहचान कायम की। इसके बाद महेंद...

महेंद्र कपूर को उनके एक देशभक्ति गीत ने देशभर में कर दिया था मशहूर

यह आवाज ही है जो कभी मरती नहीं। हमारी फिल्मी ​दुनिया ने ऐसे कई फनकार दिए हैं, जिनके काम की आज भी कितनी ही तरी​फ की जाए कम है। ऐसे ही एक गायक थे महेंद्र कपूर। महेंद्र के गाने उनके जाने के बाद भी जब जुबां पर आते हैं तो एक अलग ही दुनिया में ले जाते हैं। वह एक ऐसे गायक थे जिनके सुरों में इतनी जान थी कि हर दिल को छू लिया करते थे। आज 9 जनवरी को महेंद्र कपूर की 89वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इस खास मौके पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें… लीजेंड मोहम्मद रफी से काफी प्रभावित थे महेंद्र महान गायक महेंद्र कपूर का जन्म 9 जनवरी, 1934 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। महेंद्र को बचपन से ही गायिकी का शौक था और उनका यही शौक उन्हें मुम्बई तक ले गया था। उन्होंने गायिकी की दुनिया में पहचान बनाने के लिए काफी मेहनत की और कई ख्यातनाम गायकों के शार्गिद के रूप में भी काम किया। महेंद्र कपूर ने अपनी संगीत की प्रारंभिक शिक्षा हुस्नलाल-भगतराम, उस्ताद नियाज़ अहमद खान, उस्ताद अब्दुल रहमान खान और पंडित तुलसीदास शर्मा से हासिल कीं। महान गायक मोहम्मद रफी से प्रभावित होने के कारण महेंद्र उन्हीं की तरह पार्श्वगायक बनना चाहते थे। मर्फी रेडियो कॉन्टेस्ट के विजेता बनकर चमके महेंद्र कपूर की किस्मत तब चमकी जब मर्फी रेडियो की ओर से आयोजित एक कॉन्टेस्ट के वो विजेता बने थे। इसके बाद उनके फिल्मी सफर की शुरुआत हुईं। उन्होंने वर्ष 1953 में आई फिल्म ‘मदमस्त’ के साहिर लुधियानवी द्वारा लिखित गीत ‘आप आए तो ख्याल-ए-दिल-ए नाशाद आया’ को गाया। वर्ष 1958 में प्रदर्शित वी. शांताराम की फिल्म ‘नवरंग’ में महेन्द्र कपूर ने सी. रामचंद्र के संगीत निर्देशन में ‘आधा है चंद्रमा रात आधी’ से बतौर गायक अपनी पहचान कायम की। इसके बाद महेंद...

Gaane Anjaane

तेरे पास आके मेरा वक्त जुजर जाता है तेरे पास आ के मेरा वक़्त गुज़र जाता है दो घड़ी के लिए ग़म जाने किधर जाता है जब कभी दूर से तू मुझको नज़र आता है प्यार हँस कर मेरी आँखों में सँवर जाता है तेरे पास आ के ... तू वही है जिसे इस दिल ने सदाएँ दी हैं -२ तू वही है जिसे नज़रों ने दुआएँ दी हैं तू वही है कि जो दिल ले के मुक़र जाता है दो घड़ी के लिए ... तेरे पास आ के ... जाम इतने तेरी मस्ती भरी आँखों से पिए -२ बेखुदी में तुझे सजदे मेरी नज़रों ने किए तेरे जलवों में ख़ुदा मुझको नज़र आता है प्यार हँस कर ... तेरे पास आ के ... तेरी याद आते ही घबरा के चली आती हूँ -२ मैं हर इक क़ैद को ठुकरा के चली आती हूँ मैं नहीं आती मुझे प्यार इधर लाता है दो घड़ी के लिए ... तेरे पास आ के ... FILM: NEELA AAKASH (1965) STARRING: Dharmendra, Mala Sinha, Shashikala, Mehmood Sulochana Latkar Raj Mehra Mumtaz Begum Madan Puri Manorama Jeevan Kala Madhavi MUSIC: Madan Mohan LYRICS: Mehdi Raja, Ali Khan DIRECTOR: Rajendra Bhatia देखा है जिंदगी को कुछ इतना करीब से (Dekha Hai Zindagi Ko) देखा हैं जिन्दगी को कुछ इतना करीब से, चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से, कहने को दिल की बात जिन्हें ढूँढते थे हम, महफ़िल में आ गए हैं वो अपने नसीब से, नीलाम हो रहा था, किसी नाजनी का प्यार, कीमत नहीं चुकाई गयी एक गरीब से, तेरी वफ़ा की लाश पे, ला मैं ही डाल दूँ, रेशम का ये कफ़न जो मिला हैं रकीब से.. गीतकार : साहिर लुधियानवी, गायक : किशोर कुमार, संगीतकार : रवी, चित्रपट : एक महल हो सपनोंका - 1975 Lyricist : Saahir Ludhiyanvi, Singer : Kishore Kumar, Music Director : Ravi, Movie : Ek Mahal Ho Sapnoka - 1975 . ये माना मैं किसी क़ाबिल नहीं हूं इन निगाहों...

काला पत्थर (1979 फ़िल्म)

अनुक्रम • 1 मुख्य कलाकार • 2 दल • 3 संगीत • 4 नामांकन और पुरस्कार • 5 सन्दर्भ • 6 बाहरी कड़ियाँ मुख्य कलाकार [ ] • • • • • • • • • • गीता सिद्धार्थ – श्रीमती रघुनाथ • • बाबु कुमार – रघुनाथ का बेटा • • गौतम सरीन – प्रमुख नौसेना अफसर • ओम सहनी – नौसेना अफसर • सुरेश बेदी – नौसेना अफसर • लांबा – नौसेना अफसर • • सुधा चोपड़ा – श्रीमती सिंह, विजय की माँ • • • परदेसी – वैद्य सहायक • • रोमेश शर्मा – विक्रम • • • • मोहन शेरी – शंकर • • जगदीशराज – पुलिस इंस्पेक्टर • महान स्वदेश – मुरली • बलदेव त्रेहन – ओज़ी • विकास आनन्द – राम सिंह • राज वर्मा – मुनीम • हरिश्चन्द्र – हरीश • नागर – दाग • चन्दू – चन्दू • उत्तम सोढी – कैदी • दर्शन – जेलर • भोला – ज्ञान • रामानन्द – रोशन सिंह दल [ ] • निर्देशन– • लेखक– • निर्माण– • निर्माण संस्था– • छायांकन– के जी • संगीत– राजेश रोशन • गीत– • पार्श्वगायन– संगीत [ ] सभी गीत के गीतकार गीत गायक समय "एक रास्ता है जिंदगी" किशोर कुमार, लता मंगेशकर 5:20 "बाहों में तेरी" मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर 4:15 "मेरी दूरों से आई बरात" लता मंगेशकर, समूह 3:20 "जगया जगया" महेंद्र कपूर, एस.के. मोहन, पमेला चोपड़ा 6:55 "धूम मचे धूम" मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर, महेंद्र कपूर, एस.के. मोहन 7:40 "मुझे प्यार का तोहफा देकर" मोहम्मद रफ़ी, ऊषा मंगेशकर 5:15 नामांकन और पुरस्कार [ ] • 1980 • सर्वश्रेष्ठ फिल्म • • • • • सर्वश्रेष्ठ कथा - • सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक - राजेश रोशन • सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक - सन्दर्भ [ ]