मकर सक्रांति

  1. मकर संक्रांति
  2. मकर संक्रांति उत्‍सव: पतंगें और फसलें ही नहीं वजहें और भी हैं...
  3. Makar Sankranti 2022 date shubh muhurt and importance in hindi
  4. मकर संक्रांति 2021
  5. Makar Sankranti 2024


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मकर संक्रांति

अन्य नाम 'तिल संक्रांति', 'खिचड़ी पर्व' अनुयायी उद्देश्य मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ पौराणिक तिथि उत्सव यह दिन सुन्दर अनुष्ठान इस दिन कहीं खिचड़ी तो कहीं 'चूड़ादही' धार्मिक मान्यता संबंधित लेख संक्रांति का अर्थ 'संक्रांति' का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना, अत: वह राशि जिसमें सूर्य प्रवेश करता है, संक्रांति की संज्ञा से विख्यात है। अन्य जानकारी मकर संक्रांति के दिन अद्यतन‎ • दो अयन संक्रान्तियाँ- मकर संक्रान्ति, जब कर्कट संक्रान्ति, जब • दो विषुव संक्रान्तियाँ अर्थात् • वे चार संक्रान्तियाँ, जिन्हें षडयीतिमुख अर्थात् • विष्णुपदी या विष्णुपद अर्थात् संक्रांति के प्रकार 'ये बारह संक्रान्तियाँ सात प्रकार की, सात नामों वाली हैं, जो किसी • घोरा • ध्वांक्षी • महोदरी • मन्दाकिनी • मन्दा • मिश्रिता • राक्षसी • इसके अतिरिक्त कोई संक्रान्ति यथा मेष या कर्क आदि क्रम से मन्दा, मन्दाकिनी, ध्वांक्षी, घोरा, महोदरी, राक्षसी, मिश्रित कही जाती है, यदि वह क्रम से ध्रुव, मृदु, क्षिप्र, उग्र, चर, क्रूर या मिश्रित नक्षत्र से युक्त हों। 27 या 28 नक्षत्र निम्नोक्त रूप से सात दलों में विभाजित हैं- • ध्रुव (या स्थिर) – • मृदु – • क्षिप्र (या लघु) – • उग्र – • चर – • क्रूर (या तीक्ष्ण) – • मिश्रित (या मृदुतीक्ष्ण या साधारण) – संक्रान्ति का देवीकरण आगे चलकर संक्रान्ति का देवीकरण हो गया और वह साक्षात्‌ मकर संक्रान्ति के सम्मान में तीन दिनों या एक दिन का नारी द्वारा दान मकर संक्रान्ति पर अधिकांश में नारियाँ ही दान करती हैं। वे पुजारियों को तमिल वर्ष का प्रथम दिवस है। यह उत्सव तीन दिनों का होता है। पोंगल का अर्थ है 'क्या यह उबल रहा' या 'पकाया जा रहा है?' संक्रांति पर श्राद्ध कुछ लोगों...

मकर संक्रांति उत्‍सव: पतंगें और फसलें ही नहीं वजहें और भी हैं...

मकर संक्रांति वह दिन है, जब राशिचक्र में महत्वपूर्ण बदलाव होता है। इस गतिशीलता से जो नए बदलाव होते हैं, वे हमें पृथ्वी पर दिखाई देते और महसूस होते हैं। सद्‌गुरु: दुनिया के इस हिस्से में यह एक बेहद महत्वपूर्ण त्योहार है। संक्रांति का अर्थ है – गति या चाल। जीवन के रूप में हमजिसे भी जानते हैं, उसमें गति निहित है। सौभाग्य से हमसे पहले जो इस दुनियामें आए वह चले गए और जो लोग हमारे बाद आने वाले हैं, वे हमारे जाने काइंतजार कर रहे हैं – इस बारे में अपने मन में कोई शक मत रखिए। यह पृथ्वी भीगतिशील है, इसी गतिशीलता का नतीजा है कि इससे जीवन उपजा है। अगर यह स्थिरहोती तो इस पर जीवन का होना संभव ही नहीं था। इसलिए इस सृष्टि में गतिशीतला– नाम की कोई चीज है, जिसमें हर प्राणी शामिल है, लेकिन अगर सृष्टि में गति हैतो उस गति का विराम भी होना चाहिए। दरअसल, निश्चलता या स्थिरता की कोख सेही गति का जन्म होता है। जिसने अपने जीवन की निश्चलता का अहसास न किया हो, जिसने अपने अस्तित्व की स्थिरता को महसूस न किया हो, जिसने अपने भीतर औरबाहर की निश्चलता को जाना न हो वह गति के चक्करों में पूरी तरह से खो जाएगा। गतिशीलता एक निश्चित बिंदु या सीमा तक ही अच्छी लगती है। यह ग्रह पृथ्वी बेहद सौम्य और खूबसूरत तरीके से घूम रही है – इसी वजह से मौसम बदलते हैं। कल को अगर यह अपनी गति बढ़ा दे और थोड़ा तेजी से घूमने लगे तो हमारा संतुलित दिमाग पूरी तरह से असंतुलित हो उठेगा और हर चीज नियंत्रण से बाहर हो जाएगी। इसलिए गतिशीलता एक सीमा तक ही सुखद और अच्छी लगती है। एक बार अगर यह अपनी सीमा से बाहर निकल जाती है तो गतिशीलता एक मुसीबत बन जाती है। मकर संक्रांति के दिन राशिचक्र में महत्वपूर्ण बदलाव होता है। इस गतिशीलता से जो नए बदलाव होते है...

Makar Sankranti 2022 date shubh muhurt and importance in hindi

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या है? मकर संक्रांति का पुण्य काल मुहूर्त दोपहर 2:12:26 बजे से शाम 5:45:10 बजे तक है. यानी पुण्य काल मुहूर्त की अवधि 3 घंटे 32 मिनट रहेगी. वहीं, महापुण्य काल मुहूर्त दोपहर 2:12:26 बजे से 2:36:26 बजे तक है. इसकी अवधि 24 मिनट की रहेगी. वहीं, संक्रांति पल दोपहर 2:12:26 बजे होगा. क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति? इस साल मकर संक्रांति का शुभ पर्व शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है. इसे सूर्य देव का संक्रमण काल कहा जाता है. इसी दिन सूर्य दक्षिण से उत्तर की ओर प्रस्थान करते हैं. मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने जाते हैं. मकर राशि शनि का घर है इसलिए इसे मकर संक्रांति भी कहते हैं. एक मान्यता यह भी है कि महाभारत के समय भीष्म पितामह ने सूर्य उत्तरायण होने पर अपने शरीर का त्याग किया था. इसी दिन उनका श्राद्ध तर्पण किया गया था. क्या मांगलिक कार्य शुरू होंगे? इस दिन खरमास का समापन होता है. इसी दिन से शुभ और मांगलिक कामकाज शुरू होते हैं. लेकिन, 22 फरवरी से 23 मार्च तक एक बार फिर गुरु बृहस्पति अस्त हो जाएंगे. ऐसे में इस अवधि में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं होंगे. मकर संक्रांति पर स्नान-दान का क्या महत्व है? मकर संक्रांति को बहुत सी जगहों पर खिचड़ी, उत्तरायण, उत्तरैणी, मकरैणी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन पाप कर्म धुल जाते हैं इसलिए लोग मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. सूर्य देव की कृपा पाने के लिए काले तिल का दान भी करते हैं. यह भी पढ़िएः देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल...

मकर संक्रांति 2021

भारत में अनेक पौराणिक कथाएं कहा जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी व सभी असुरों का सिर मंदार पर्वत में दबा दिया था। यह भी माना जाता है मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भागीरथ के पिछे-पिछे कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में उनसे जा मिली थी। अन्य मान्यता है कि गंगा को धरती पर लाने वाले भागीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था जिसे स्वीकार कर गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी। मान्यता यह भी है कि सर सैय्या पर लेटे हुए भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का ही चयन किया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही यशोदा ने कृष्ण जन्म के लिए व्रत किया था जिसके बाद मकर संक्रांति के व्रत का प्रचलन हुआ। कहां-कहां, कैसे-कैसे मनाई जाती है मकर संक्रांति जितनी विविधता मकर संक्रांति के अवसर पर देश भर में देखी जाती है किसी अन्य त्यौहार पर देखने को नहीं मिलती। उत्तर भारत में मकर संक्राति की पूर्व संध्या को लोहड़ी के रुप में मनाया जाता है, फिर मकर संक्रांति के दिन सुबह-सुबह स्नान कर सूर्य देव की पूजा की जाती है। बड़े-बुजूर्गों का आशीर्वाद लिया जाता है। पूर्वोत्तर राज्यों में बिहु तो दक्षिणी राज्यों में पोंगल के रुप में भी मकर संक्रांति के उत्सव को मनाया जाता है। मकर सक्रांति पर यहां है रुठों को मनाने की परंपरा उत्तरी भारत खासकर हरियाणा व हरियाणा की सीमा से सटे राज्यों में मकर संक्रांति के दिन बड़े-बुजूर्गों को भेंट दी जाती है व उनका आशीर्वाद लिया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने सास-ससुर, जेठ-जेठानी यानि रिश्ते में बड़ों को वस्त्र भेंट करते हैं। परिजनों में जिसके साथ भी गिला-शिकवा है इस दिन सभी गिले...

Makar Sankranti 2024

May 5, 2022 मकर संक्रांति 2024 – Makar Sankranti 2024 Makar sankranti 2024 –वर्ष 2024 में Makar Sankranti 2024 – मकर संक्रांति को खिचड़ी का पर्व भी कहते है. मकर संक्रांति पर स्नान और दान का अति विशेष महत्व बताया जाता है. हमारे देश भारत में हरदिन कोई ना कोई पर्व ,व्रत या त्यौहार अवश्य मनाया जाता है. आस्था का प्रतीक यह त्यौहार हमारी सिर्फ एक परंपरा नहीं है परंतु उन्हें मनाए जाने का प्रामाणिक वैज्ञानिक कारण भी साथ ही साथ उपलब्ध है. भारत में हर साल जनवरी में मकर सक्रांति पर्व हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है. मकर सक्रांति काे भारत भिन्न-भिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता हैं. Makar sankranti 2024 –पौष मास के दौरान जब सूर्य भगवान् अपनी धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. तो उन दिनों सनातन धर्म में यह पर्व सक्रांति के रूप में मनाया जाता है. संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायणी गति प्रारंभ कर लेता है. इसलिए इस पर वह को उत्तरायणी का पर्व के नाम से भी जाना जाता है. Makar Sankranti 2024 – न्याय के देवता Makar sankranti 2024 –यदि हमारे वैज्ञानिकों की मानें तो पहले सूर्य पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध पर अपनी किरणों को सीधा डालता है. जिसके कारण उत्तरी गोलार्ध में रात्रि बड़ी और दिन छोटा हो जाता है. इसके कारण सर्दी का मौसम भी रहता है. सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ना शुरू करदेता है. जिसके कारण ऋतुो में भी परिवर्तित होता है और यह कृषकों की फसलों के लिए ये बेहद ही फायदेमंद और लाभकारी होता है. मकर संक्रांति से जुडी कथाएं – Makar Sankranti Se Judi Kathayen Makar sankranti 2024 –मकर संक्रांति से जुडी बहुत सी रोचक कथाएं है जिसमे से कुछ निम्मन प्रकार से है • कथा 1 – ...