मोरारजी देसाई

  1. Morarji Desai
  2. मोरारजी देसाई को इंदिरा का विराेध पड़ा भारी, कैसे कांग्रेस से भी गए और कुर्सी भी गई... पूरी कहानी
  3. जब मोरारजी देसाई ने कहा था
  4. मोरारजी देसाई
  5. मोरारजी देसाई की जीवनी
  6. मोरारजी देसाई की जीवनी
  7. मोरारजी देसाई को इंदिरा का विराेध पड़ा भारी, कैसे कांग्रेस से भी गए और कुर्सी भी गई... पूरी कहानी
  8. मोरारजी देसाई
  9. जब मोरारजी देसाई ने कहा था
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Morarji Desai

• العربية • অসমীয়া • বাংলা • Català • Čeština • Cymraeg • Dansk • Deutsch • Español • Esperanto • Euskara • فارسی • Français • ગુજરાતી • गोंयची कोंकणी / Gõychi Konknni • 한국어 • Հայերեն • हिन्दी • Ido • Bahasa Indonesia • Italiano • עברית • ಕನ್ನಡ • मैथिली • മലയാളം • मराठी • مصرى • Nederlands • नेपाली • 日本語 • Norsk bokmål • ଓଡ଼ିଆ • Oʻzbekcha / ўзбекча • ਪੰਜਾਬੀ • پنجابی • Polski • Português • Română • Русский • संस्कृतम् • ᱥᱟᱱᱛᱟᱲᱤ • Simple English • Српски / srpski • Suomi • Svenska • தமிழ் • తెలుగు • Тоҷикӣ • Türkçe • Українська • اردو • Tiếng Việt • 吴语 • Yorùbá • 中文 • • In office 13March1967 ( 1967-03-13)–16July1969 ( 1969-07-16) Prime Minister Preceded by Succeeded by In office 13March1958 ( 1958-03-13)–29August1963 ( 1963-08-29) Prime Minister Preceded by Succeeded by 2nd In office 21April1952 ( 1952-04-21)–31October1956 ( 1956-10-31) Preceded by Succeeded by In office 1957 ( 1957)–1980 ( 1980) Constituency Personal details Born Morarji Ranchhodji Desai Following the death of Prime Minister On the international scene, Desai holds international fame for his He is the oldest person to hold the office of prime minister, at the age of 81, in the history of Indian politics. Early life [ ] Birth [ ] Morarji Desai was born into a School education and early career [ ] Desai underwent his primary schooling in The Kundla School (now called J.V. Modi school), Freedom fighter [ ] Desai then joined the freedom struggle under In government [ ] Chief Minister of Bombay and Partition of ...

मोरारजी देसाई को इंदिरा का विराेध पड़ा भारी, कैसे कांग्रेस से भी गए और कुर्सी भी गई... पूरी कहानी

24 मार्च 1977, वो तारीख, जब देश में पहली गैर-कांग्रेस सरकार बनी. जनता पार्टी की. प्रधानमंत्री बने मोरारजी देसाई. हालांकि वो कांग्रेस में रहते हुए भी इस पद के तगड़े दावेदार थे. लेकिन तब तक शायद उनका भाग्य उतना बुलंंद नहीं था! कहानी शुरू करते हैं, 1964 से, जब तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद प्रधानमंत्री का पद खाली हो गया था. मोरारजी देसाई दावेदार तो थे पर कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी के बीच वो अपने साथ ज्यादा लोगों को नहीं जोड़ पाए. ऐसे में प्रधानमंत्री बनाए गए लाल बहादुर शास्त्री. नेहरू के निधन के चलते इंदिरा गांधी से सहानुभूति थी. वो सूचना व प्रसारण मंत्री बना दी गईं. 1965 में भारत-पाक युद्ध में जीत का क्रेडिट पीएम शास्त्री को भी मिला. 1966 में लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद एक बार फिर प्रधानमंत्री पद खाली हो गया. इस बार मोरारजी और इंदिरा में सीधी टक्कर थी. पार्टी के अध्यक्ष थे- के कामराज. वो और अन्य बड़े नेता इंदिरा को मजबूत दावेदार नहीं मानते थे. मोरारजी देसाई तो उन्हें गूंगी गुड़िया कहा करते थे. जबकि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद इंदिरा का कार्यकाल तगड़ा रहा था. वो तो अपने पिता नेहरू के सुझाव भी किनारे कर दिया करती थीं. तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद इंदिरा प्रधानमंत्री बन गईं. मोरारजी का विरोध किनारे रह गया और इस बार इंदिरा और सशक्त होकर उभरना चाहती थीं. देसाई रह गए सन्न, शुरू हुई गुटबाजी प्रधानमंत्री बनने के बाद इंदिरा गांधी का समाजवादी रूप दिखने लगा. पार्टी के सीनियर लीडर्स से सलाह लेने की बजाय वो अपने पिता की तरह सीधे जनता से संवाद करने लगीं. इंदिरा ने जब रुपये का करीब 57 फीसदी अवमूल्यन किया तो इस फैसले से मोरारजी देसाई, के कामराज और वरिष्ठ नेताओं का त...

जब मोरारजी देसाई ने कहा था

आज देश के चौथे और पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (Morarji Desai) की जन्म जयंती है. आज ही के दिन 1896 में बॉम्बे प्रांत के भदेली गांव में मोरारजी रणछोड़जी देसाई (Morarji Ranchhodji Desai)का जन्म हुआ था. मोरारजी देसाई 1977 से लेकर 1979 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. इसके अलावा वो बॉम्बे राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर भी रहे. आजादी की लड़ाई से लेकर उसके बाद देश की राजनीति में उन्होंने अपना अहम योगदान निभाया. एक पारंपरिक धार्मिक परिवार से आने वाले मोरारजी देसाई कहा करते थे कि हर आदमी को अपनी जिंदगी में सच्चाई और उसके विश्वास के अनुरूप काम करना चाहिए. ब्रिटिश शासनकाल के दौरान मोरारजी देसाई ने करीब 12 वर्षों तक डिप्टी कलेक्टर का पद संभाला. लेकिन महात्मा गांधी से प्रेरित होकर वो 1930 में आजादी की लड़ाई में कूद पड़े. 1931 में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली. आजादी के बाद भी उन्होंने देश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई. वो जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में गृहमंत्री के पद पर रहे. इसके बाद इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए, वो उपप्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रहे. इंदिरा गांधी के लगाए आपातकाल के सबसे मुखर विरोधी रहे मोरारजी देसाई 1969 में जब इंदिरा गांधी ने उनसे वित्तमंत्रालय छीनकर 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया तो उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस (आर्गेनाइजेशन) की स्थापना की, जिसे सिंडिकेट भी कहा गया. मोरारजी देसाई उन बड़े नेताओं में शामिल रहे, जिन्होंने इंदिरा गांधी के लगाए आपातकाल का पुरजोर विरोध किया था. इंदिरा विरोध में एकजुट हुई जनता पार्टी का उन्होंने नेतृत्व किया और 1977 के चुनाव में जब जनता पार्टी ने शानदार बहुम...

मोरारजी देसाई

विषय सूची • 1 जन्म • 2 विद्यार्थी जीवन • 3 व्यावसायिक जीवन • 4 राजनीतिक जीवन • 5 प्रधानमंत्री पद पर • 5.1 सहयोगी दल सरकार • 5.2 उतार चढ़ाव • 6 व्यक्तिव विशेषताएँ • 7 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 8 संबंधित लेख जन्म मोरारजी देसाई का जन्म 29 फ़रवरी 1896 को "मेरे पिता ने मुझे जीवन के मूल्यवान पाठ पढ़ाए थे। मुझे उनसे कर्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा प्राप्त हुई थी। उन्होंने धर्म पर विश्वास रखने और सभी स्थितियों में समान बने रहने की शिक्षा भी मुझे दी थी।" मोरारजी देसाई की माता मणिबेन क्रोधी स्वभाव की महिला थीं। वह अपने घर की समर्पित मुखिया थीं। रणछोड़जी की मृत्यु के बाद वह अपने नाना के घर अपना परिवार ले गईं। लेकिन इनकी नानी ने इन्हें वहाँ नहीं रहने दिया। वह पुन: अपने पिता के घर पहुँच गईं। विद्यार्थी जीवन मोरारजी देसाई की शिक्षा-दीक्षा "मैं अपने पैसों से फ़िल्म देखना या मनोरंजन करना पसंद नहीं करता। मुझमें कभी ऐसी ख़्वाहिश ही नहीं उठती थी।" बचपन में मोरारजी देसाई को क्रिकेट देखने का भी शौक़ था लेकिन क्रिकेट खेलने का नहीं। व्यावसायिक जीवन मोरारजी देसाई ने मुंबई प्रोविंशल सिविल सर्विस हेतु आवेदन करने का मन बनाया जहाँ सरकार द्वारा सीधी भर्ती की जाती थी। जुलाई राजनीतिक जीवन इसके बाद आत्ममंथन का दौर चला। मोरारजी देसाई ने मोरारजी देसाई एकमात्र ऐसे भारतीय प्रधानमंत्री हैं जिन्हें भारत सरकार की ओर से 'भारत रत्न' तथा पाकिस्तान की ओर से 'तहरीक़-ए-पाकिस्तान' का सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री पद पर पण्डित जवाहर लाल नेहरू के समय कांग्रेस में जो अनुशासन था, वह उनकी मृत्यु के बाद बिखरने लगा। कई सदस्य स्वयं को पार्टी से बड़ा समझते थे। मोरारजी देसाई भी उनमें से एक थे। श्री इसक...

मोरारजी देसाई की जीवनी

पूरानाम–मोरारजीरणछोड़जीदेसाई जन्म–29 फेब्रुअरी 1896 जन्मस्थान–भदेलीग्राम पिता–रणछोड़जीदेसाई माता–वाजियाबेनदेसाई विवाह–1911 मेंसिर्फ 15 वर्षकीआयुमेंहीजराबेनसेहुआ। मोरारजीदेसाईकीजीवनी / Morarji Desai Biography मोरारजीदेसाईभारतकेस्वाधीनतासेनानीऔर 1977 से 1979 तकभारतकेप्रधानमंत्रीथे।मोरारजीदेसाईकाजन्मबॉम्बेप्रेसीडेंसी (अभीकागुजरात) केबुलसरजिलेकेभदेलीग्राममें 29 फेब्रुअरी 1986 कोहुआथा।अपनेमाता-पिताकीआठसंतानोंमेंवेसबसेबड़ेथे।उनकेपिताएकस्कूलशिक्षकथे। देसाईनेसौराष्ट्रकेदकुंडलास्कूल, सवार्कुंदलासेअपनीप्रारंभिकशिक्षाग्रहणकीजिसेआजजे.व्ही. मोदीस्कूलकेनामसेभीजानाजाताहै।बादमेंमुबईकेविल्सनकॉलेजसेग्रेजुएटहोनेकेबादवेगुजरातकेसिविलसर्विसमेंशामिलहोगये।मई 1930 मेंगोदराकेडिप्टीकलेक्टरकेपदसेउन्होंनेइस्तीफादेदिया। बादमेंवे उससमयवेऐसेपहलेप्रधानमंत्रीथेजोभारतीयराष्ट्रियकांग्रेसकेबजायअन्यदलकेथे।भारतसरकारकेविभिन्नपदोंपरवेविराजमानरहे।जैसेकी: बॉम्बेराज्यकेमुख्यमंत्री, गृहमंत्री, अर्थमंत्रीऔरडिप्टीप्रधानमंत्री।अंतर्राष्ट्रीयस्तरपरदेसाईएशियाकेदोमुख्यदेशभारतऔरपकिस्तानकेबिचशांतिचाहतेथे। 1974 मेंभारतकेपहलेआणविकविस्फोटकेसमयदेसाईनेचाइनाऔरपकिस्तानकेसाथअच्छेसंबंधबनायेरखनेमेंकाफीसहायताकी।और 1971 केभारत-पाकयुद्धकेदौरानवेदोनोंदेशोकीसेनाओकाटकरावनहीकरवानाचाहतेथे।परिणामतः 1974 केआणविककार्यक्रमोंमेंउन्होंनेभारतकीतरफसेमहत्वपूर्णभूमिकानिभाईथी। मोरारजीदेसाईअकेलेऐसेभारतीयहैजिन्हेंपकिस्तानकेसर्वोच्चसम्माननिशान-ए-पकिस्तानसेसम्मानितकियागयाथा।यहसम्मानउन्हें 1990 केएकरंगारंगकार्यक्रममेंपकिस्तानकेराष्ट्रपतिघुलामइशाकखाननेदियाथा। मोरारजीदेसाईकाहमेशासेहीयहमाननाथाकीजबतकगावोऔरकस्बोमेंरहनेवालेगरीबलोगसामान्यजीवनजीनवमेंसक्षमनहीहोते, तबत...

मोरारजी देसाई की जीवनी

जन्म: 29 फरवरी 1896, भदेली, ब्रिटिश प्रेसीडेंसी मृत्यु: 10 अप्रैल 1995, दिल्ली कार्य: स्वतंत्रता सेनानी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई भारत के स्वाधीनता सेनानी और देश के छ्ठे प्रधानमंत्री थे। वह पहले गैर कांग्रेसी प्रथम प्रधानमंत्री थे। 81 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले मोरारजी एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ एवं पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से सम्मानित किया गया है। प्रधानमंत्री बनने से पहले वो भारत सरकार में उप-प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रलयों का कारभार संभल चुके थे। मोरारजी बॉम्बे राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके थे। उनको भारत और पाकिस्तान के मध्य शांति स्थापित करने के प्रयासों के लिए भी जाना जाता है। सन 1974 में भारत के प्रथम नाभिकीय परिक्षण के बाद उन्होंने पाकिस्तान और चीन के साथ मित्रता बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी ‘रॉ’ को भी बंद करने की कोशिश की। प्रारंभिक जीवन मोरारजी देसाई का जन्म 29 फ़रवरी 1896 को गुजरात के बुलसर जिले के भदेली नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता रणछोड़जी देसाई भावनगर में एक स्कूल अध्यापक थे और बाद में मानसिक अवसाद से ग्रस्त रहने के कारण उन्होंने आत्म-हत्या कर ली थी। मोरारजी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा सौराष्ट्र के ‘द कुंडला स्कूल’ ग्रहण की और बाद में वलसाड़ के बाई अव हाई स्कूल में दाखिला लिया। मुंबई के विल्सन कॉलेज से स्त्नातक करने के बाद वो गुजरात सिविल सेवा में शामिल हो गए। सन 1927-28 के दौरान गोधरा में हुए दंगों में उनपर पक्षपात का आरोप लगा जिसके स्वरुप उन्होंने सन 1930 में गोधरा के डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया। स्वाधीनता आन्दोलन ...

मोरारजी देसाई को इंदिरा का विराेध पड़ा भारी, कैसे कांग्रेस से भी गए और कुर्सी भी गई... पूरी कहानी

24 मार्च 1977, वो तारीख, जब देश में पहली गैर-कांग्रेस सरकार बनी. जनता पार्टी की. प्रधानमंत्री बने मोरारजी देसाई. हालांकि वो कांग्रेस में रहते हुए भी इस पद के तगड़े दावेदार थे. लेकिन तब तक शायद उनका भाग्य उतना बुलंंद नहीं था! कहानी शुरू करते हैं, 1964 से, जब तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद प्रधानमंत्री का पद खाली हो गया था. मोरारजी देसाई दावेदार तो थे पर कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी के बीच वो अपने साथ ज्यादा लोगों को नहीं जोड़ पाए. ऐसे में प्रधानमंत्री बनाए गए लाल बहादुर शास्त्री. नेहरू के निधन के चलते इंदिरा गांधी से सहानुभूति थी. वो सूचना व प्रसारण मंत्री बना दी गईं. 1965 में भारत-पाक युद्ध में जीत का क्रेडिट पीएम शास्त्री को भी मिला. 1966 में लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद एक बार फिर प्रधानमंत्री पद खाली हो गया. इस बार मोरारजी और इंदिरा में सीधी टक्कर थी. पार्टी के अध्यक्ष थे- के कामराज. वो और अन्य बड़े नेता इंदिरा को मजबूत दावेदार नहीं मानते थे. मोरारजी देसाई तो उन्हें गूंगी गुड़िया कहा करते थे. जबकि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद इंदिरा का कार्यकाल तगड़ा रहा था. वो तो अपने पिता नेहरू के सुझाव भी किनारे कर दिया करती थीं. तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद इंदिरा प्रधानमंत्री बन गईं. मोरारजी का विरोध किनारे रह गया और इस बार इंदिरा और सशक्त होकर उभरना चाहती थीं. देसाई रह गए सन्न, शुरू हुई गुटबाजी प्रधानमंत्री बनने के बाद इंदिरा गांधी का समाजवादी रूप दिखने लगा. पार्टी के सीनियर लीडर्स से सलाह लेने की बजाय वो अपने पिता की तरह सीधे जनता से संवाद करने लगीं. इंदिरा ने जब रुपये का करीब 57 फीसदी अवमूल्यन किया तो इस फैसले से मोरारजी देसाई, के कामराज और वरिष्ठ नेताओं का त...

मोरारजी देसाई

विषय सूची • 1 जन्म • 2 विद्यार्थी जीवन • 3 व्यावसायिक जीवन • 4 राजनीतिक जीवन • 5 प्रधानमंत्री पद पर • 5.1 सहयोगी दल सरकार • 5.2 उतार चढ़ाव • 6 व्यक्तिव विशेषताएँ • 7 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 8 संबंधित लेख जन्म मोरारजी देसाई का जन्म 29 फ़रवरी 1896 को "मेरे पिता ने मुझे जीवन के मूल्यवान पाठ पढ़ाए थे। मुझे उनसे कर्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा प्राप्त हुई थी। उन्होंने धर्म पर विश्वास रखने और सभी स्थितियों में समान बने रहने की शिक्षा भी मुझे दी थी।" मोरारजी देसाई की माता मणिबेन क्रोधी स्वभाव की महिला थीं। वह अपने घर की समर्पित मुखिया थीं। रणछोड़जी की मृत्यु के बाद वह अपने नाना के घर अपना परिवार ले गईं। लेकिन इनकी नानी ने इन्हें वहाँ नहीं रहने दिया। वह पुन: अपने पिता के घर पहुँच गईं। विद्यार्थी जीवन मोरारजी देसाई की शिक्षा-दीक्षा "मैं अपने पैसों से फ़िल्म देखना या मनोरंजन करना पसंद नहीं करता। मुझमें कभी ऐसी ख़्वाहिश ही नहीं उठती थी।" बचपन में मोरारजी देसाई को क्रिकेट देखने का भी शौक़ था लेकिन क्रिकेट खेलने का नहीं। व्यावसायिक जीवन मोरारजी देसाई ने मुंबई प्रोविंशल सिविल सर्विस हेतु आवेदन करने का मन बनाया जहाँ सरकार द्वारा सीधी भर्ती की जाती थी। जुलाई राजनीतिक जीवन इसके बाद आत्ममंथन का दौर चला। मोरारजी देसाई ने मोरारजी देसाई एकमात्र ऐसे भारतीय प्रधानमंत्री हैं जिन्हें भारत सरकार की ओर से 'भारत रत्न' तथा पाकिस्तान की ओर से 'तहरीक़-ए-पाकिस्तान' का सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री पद पर पण्डित जवाहर लाल नेहरू के समय कांग्रेस में जो अनुशासन था, वह उनकी मृत्यु के बाद बिखरने लगा। कई सदस्य स्वयं को पार्टी से बड़ा समझते थे। मोरारजी देसाई भी उनमें से एक थे। श्री इसक...

जब मोरारजी देसाई ने कहा था

आज देश के चौथे और पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (Morarji Desai) की जन्म जयंती है. आज ही के दिन 1896 में बॉम्बे प्रांत के भदेली गांव में मोरारजी रणछोड़जी देसाई (Morarji Ranchhodji Desai)का जन्म हुआ था. मोरारजी देसाई 1977 से लेकर 1979 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. इसके अलावा वो बॉम्बे राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर भी रहे. आजादी की लड़ाई से लेकर उसके बाद देश की राजनीति में उन्होंने अपना अहम योगदान निभाया. एक पारंपरिक धार्मिक परिवार से आने वाले मोरारजी देसाई कहा करते थे कि हर आदमी को अपनी जिंदगी में सच्चाई और उसके विश्वास के अनुरूप काम करना चाहिए. ब्रिटिश शासनकाल के दौरान मोरारजी देसाई ने करीब 12 वर्षों तक डिप्टी कलेक्टर का पद संभाला. लेकिन महात्मा गांधी से प्रेरित होकर वो 1930 में आजादी की लड़ाई में कूद पड़े. 1931 में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली. आजादी के बाद भी उन्होंने देश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई. वो जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में गृहमंत्री के पद पर रहे. इसके बाद इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए, वो उपप्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रहे. इंदिरा गांधी के लगाए आपातकाल के सबसे मुखर विरोधी रहे मोरारजी देसाई 1969 में जब इंदिरा गांधी ने उनसे वित्तमंत्रालय छीनकर 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया तो उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस (आर्गेनाइजेशन) की स्थापना की, जिसे सिंडिकेट भी कहा गया. मोरारजी देसाई उन बड़े नेताओं में शामिल रहे, जिन्होंने इंदिरा गांधी के लगाए आपातकाल का पुरजोर विरोध किया था. इंदिरा विरोध में एकजुट हुई जनता पार्टी का उन्होंने नेतृत्व किया और 1977 के चुनाव में जब जनता पार्टी ने शानदार बहुम...

Morarji Desai

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