Munshi premchand information in hindi

  1. सर्वश्रेष्ठ 145 मुंशी प्रेमचंद की कहानी
  2. मुंशी प्रेमचन्द्र जीवनी
  3. मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय
  4. 40 मुंशी प्रेमचंद की कहानियां
  5. मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास: प्रतिज्ञा अध्याय
  6. Munshi Premchand Biography in Hindi
  7. मुंशी प्रेमचंद की जीवनी Munshi Premchand Biography in Hindi
  8. मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय
  9. Munshi Premchand Biography in Hindi
  10. मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास: प्रतिज्ञा अध्याय


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सर्वश्रेष्ठ 145 मुंशी प्रेमचंद की कहानी

मुंशी प्रेमचंद की कहानी का सर्वश्रेष्ठ संकलन Most Popular 145 Munshi Premchand Stories in Hindi हिंदी और उर्दू के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में शुमार “मुंशी प्रेमचंद” का मूल नाम धनपत राय था| प्रेमचंद ने अपने उपन्यासों में मानव जीवन की विभिन्न विधाओं का जीवंत चित्रण किया है, इसीलिए उन्हें “उपन्यास सम्राट” के नाम से भी जाना जाता रहा है| मातृभाषा हिंदी को आगे बढ़ाने में मुंशी प्रेमचंद का विशेष योगदान रहा है जो आने वाली पीढ़ी के लिए सदैव एक मिसाल पेश करता रहेगा| यूँ तो मुंशी जी ने हिंदी की कई विधाओं में रचनायें लिखीं लेकिन इनकी कहानियों और उपन्यासों को जितनी प्रसिद्धि मिली उतनी दूसरी कृतियों को ना मिल पायी| इसीलिए मुंशी प्रेमचंद जी अपनी कहानियों और उपन्यासों के लिए ही प्रसिद्ध हैं| मुंशी प्रेमचंद ना केवल एक प्रतिभावान लेखक थे बल्कि उनके लेखों में एक सचेत नागरिक और संवेंदनशीलता का भाव भी को मिलता है| अगर मुंशी जी को हिंदी गद्य का सर्वश्रेष्ठ लेखक कहा जाये तो इसमें कोई अतिश्योक्ति ना होगी| आज के दौर में अगर आपको सर्वश्रेष्ठ कहानियां पढ़नी हैं तो मुंशी प्रेमचंद की कहानियों का नाम सबसे ऊपर आता है| मुंशी जी की कहानियां बच्चों को स्कूलों में भी पढाई जाती हैं और कहानियां इतनी मजेदार होती हैं कि सुनकर हमेशा के लिए याद रह जाती हैं जैसे – पूस की रात, पंच परमेश्वर, दो बैलों की कथा, ईदगाह आदि कई कहानियां हम सबने बचपन में किताबों में पढ़ी होंगी और आज भी वो कहानियां कंठस्थ याद हैं| आइये यहाँ हम आपको मुंशी जी समस्त हिंदी कहानियां उपलब्ध करा रहे हैं| यहाँ हमने प्रेमचंद की सभी कहानियों की एक लिस्ट तैयार की है और जो कहानी आपको पसंद है आप उस पर क्लिक करके कहानी को पढ़ सकते हैं| तो आइये मुंशी जी की कहानियों ...

मुंशी प्रेमचन्द्र जीवनी

• • • मुंशी प्रेमचन्द्र का शुरुआती जीवन (munshi premchand biography in hindi) • (munshi premchand poem) • मुंशी प्रेमचन्द्र का परिवार (munshi premchand family) • मुंशी प्रेमचन्द्र की शिक्षा (munshi premchand education) • लेखक के रूप में मुंशी प्रेमचन्द्र (munshi premchand writer) • कानपुर पहुंचे मुंशी प्रेमचन्द्र (munshi premchand book) • नवाब राय से मुंशी प्रेमचन्द्र पड़ा नाम (munshi premchand original name) • बनारस वापस लौटे मुंशी प्रेमचन्द्र (munshi premchand life) • फिल्म इंडस्ट्री में मुंशी प्रेमचन्द्र (munshi premchand ) • मुंशी प्रेमचन्द्र का निधन (munshi premchand death) • मुंशी प्रेमचन्द्र की रचनाएं (munshi premchand ki rachnaye) • (munshi premchand stories) अमूमन हिन्दी साहित्य का इतिहास अनगिनत होनहार शख्सियतों के हुनरों से खजाना है। लेकिन इसी कड़ी में एक नाम ऐसा भी है, जिसने अपनी कल्पना और कलम के समागम को साहित्य के पन्नों पर कुछ इस कदर उकेरा कि लोग उनकी कलम के कायल हो गए। दशकों बाद भी उनकी कहानियां हर बच्चे की जुबां पर हैं, तो उनके उपन्यासों की दास्तां के दीवाने भी कई हैं। हिन्दी साहित्य के सुनहरे इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाली वो अद्भुत हस्ती हैं मुंशी प्रेमचन्द्र। (munshi premchand यहाँ पढ़ें : munshi premchand Biography in Hindi | मुंशी प्रेमचन्द्र जीवनी नाम मुंशी प्रेमचन्द्र जन्मतिथि 31 जुलाई 1880 जन्म स्थान लमही, बनारस आयु 56 वर्ष माता आनन्दी देवी पिता मुंशी अजायब राय पत्नी शिवरानी देवी बेटा अमृत राय मृत्यु 8 अक्टूबर 1936 यहाँ पढ़ें : यहाँ पढ़ें : Biography of Munshi Premchand, Know how his literature influenced Freedom Struggle & Social Evils munshi...

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

In this article, we are providing information about Munshi Premchand in Hindi- Munshi Premchand Biography in Hindi Language. मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय | जीवनी मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय | जीवनी- Munshi Premchand Biography in Hindi Information About Munshi Premchand in Hindi नाम- मुंशी प्रेमचंद ( धनपत राय श्रीवास्तव ) जन्म- 31 जुलाई 1880 जन्म स्थल- लमही गांव ( वाराणसी के पास ) पिता का नाम- अजायब राय माता का नाम- आनंदी राय मृत्यु- 8 अक्टूबर 1936 Munshi Premchand Ki Jivani किसी भी साहित्यकार की लोकप्रियता तथा उसके साहित्य का मूल्यांकन और महत्व ही साहित्यकार के अमरत्व का कारण होता है। कालान्तर में भी यदि उसका साहित्य समाज के लिए उपयोगी होता है तथा उसकी कला की चमक धुंधली होकर विलुप्त नहीं हो जाती है तो इससे कलाकार या साहित्यकार की महानता का अनुमान सहज में ही लगाया जा सकता है। प्रेमचन्द हिन्दी के ऐसे अमर साहित्यकार हैं जो अपनी रचनाओं और कलात्मक देन के द्वारा सदैव स्मरण किए जाएंगे। Munshi Premchand Biography in Hindi मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय– प्रेमचन्द का जन्म 31 जुलाई सन् 1880 को बनारस से लगभग चार मील की दूरी पर स्थित ग्राम लमही में हुआ था। इनकी माता का नाम आनन्दी देवी और पिता अजायबराय थे। कायस्थ जाति के थे। प्रेमचन्द के बचपन का नाम धनपत राय था। बालक धनपतराय का बचपन उनके नाम के विपरीत निर्धन अवस्था में और अभावपूर्ण स्थितियों में बीता। उनके पिता डाकखाने में क्लर्क थे तथा उन्हें बीस रुपये मासिक वेतन मिलता था। उनकी माता बीमार रहती थी। उनकी एक बड़ी बहिन भी थी। बचपन में उन्होंने एक मौलवी साहब से शिक्षा ग्रहण की। इनकी माता का तो पहले देहावसान हो गया था पिता ने दूसरी शादी भी क...

40 मुंशी प्रेमचंद की कहानियां

• Munshi Premchand short stories in Hindi • • • मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी (बनारस) के पास स्थित एक गाँव लामाही में हुआ था और उनका नाम धनपत राय था । उनके पूर्वज एक बड़े कायस्थ परिवार से आए थे, जिनके पास आठ से नौ बीघा जमीन थी। उनके दादा, गुरु सहाय राय एक पटवारी (गांव भूमि रिकॉर्ड कीपर) थे, और उनके पिता अजैब लाल एक पोस्ट ऑफिस क्लर्क थे। उनकी माँ करौनी गाँव की आनंदी देवी थीं, जो शायद अपने बड़े घर की बेटी के चरित्र आनंदी के लिए भी उनकी प्रेरणा थीं। धनपत राय अजैब लाल और आनंदी की चौथी संतान थी; पहले दो लड़कियां थीं जो शिशुओं के रूप में मर गईं, और तीसरी एक लड़की थी जिसका नाम सुग्गी था, उनके चाचा, महाबीर, एक अमीर ज़मींदार, ने उन्हें “नवाब” उपनाम दिया, जिसका अर्थ है बैरन । “नवाब राय” धनपत राय द्वारा चुना गया पहला कलम नाम था । यहाँ पढ़ें : Munshi Premchand Ki Kahani | मुंशी प्रेमचंद की कहानियां Munshi Premchand short stories in Hindi प्रेमचंद की कहानियों में प्रेमाश्रम, गोदान, रंगभूमि, सेवासदन, व कर्मभूमि जैसे कई उपन्यास लोकप्रिय हैं । S. No. Munshi Premchand Short Stories 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 Munshi Premchand Ki Kahani – Vidhvansh | विध्वंश | मुंशी प्रेमचंद की कहानियां वीडियो

मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास: प्रतिज्ञा अध्याय

दोनों मित्र आश्रम की सैर करने चले। अमृतराय ने नदी के किनारे असी-संगम के निकट पचास एकड़ जमीन ले ली थी। वहाँ रहते भी थे। अपना कैंटोमेंट वाला बंगला बेच डाला था। आश्रम ही के हाते में एक छोटा-सा मकान अपने लिए बनवा लिया था। आश्रम के द्वार पर के दोनों बाजुओं पर दो बड़े-बड़े कमरे थे। एक आश्रम का दफ्तर था और दूसरा आश्रम में बनी हुई चीजों का शो-रूम। दफ्तर में एक अधेड़ महिला बैठी हुई लिख रही थी। रजिस्टर आदि कायदे से आल्मारियों में चुने रखे थे। इस समय अस्सी स्त्रियाँ थीं और बीस बालक। हमारा जिस्म पुराना है लेकिन इस में हमेशा नया ख़ून दौड़ता रहता है। इस नए ख़ून पर ज़िंदगी क़ायम है। दुनिया के क़दीम निज़ाम में ये नयापन उसके एक एक ज़र्रे में, एक-एक टहनी में, एक-एक क़तरे में, तार में छुपे हुए नग़मे की तरह गूँजता रहता है और ये सौ साल की बुढ़िया आज भी नई दुल्हन बनी हुई है। जब से लाला डंगा मल ने नई शादी की है उनकी जवानी अज़ सर-ए-नौ ऊ’द कर आई है जब पहली बीवी ब-क़ैद-ए-हयात थी वो बहुत कम घर रहते थे। सुबह से दस ग्यारह बजे तक तो पूजापाट ही करते रहते थे। फिर खाना खा कर दुकान चले जाते। वहां से एक बजे रात को लौटते और थके-माँदे सो जाते। • • • • • • दोनों मित्र आश्रम की सैर करने चले। अमृतराय ने नदी के किनारे असी-संगम के निकट पचास एकड़ जमीन ले ली थी। वहाँ रहते भी थे। अपना कैंटोमेंट वाला बंगला बेच डाला था। आश्रम ही के हाते में एक छोटा-सा मकान अपने लिए बनवा लिया था। आश्रम के द्वार पर के दोनों बाजुओं पर दो बड़े-बड़े कमरे थे। एक आश्रम का दफ्तर था और दूसरा आश्रम में बनी हुई चीजों का शो-रूम। दफ्तर में एक अधेड़ महिला बैठी हुई लिख रही थी। रजिस्टर आदि कायदे से आल्मारियों में चुने रखे थे। इस समय अस्सी स्त्रियाँ थीं और बीस...

Munshi Premchand Biography in Hindi

Munshi Premchand Biography in Hindi : मुंशी प्रेमचंद एक बहुत गुणी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे. प्रेमचन्द अपनी हिंदी और उर्दू भाषी रचनाओ के लिए जाने जाते है. प्रेमचंद को “कलम के सिपाही” की संज्ञा भी दी गयी है.उनकी हिंदी और उर्दू भाषा में अच्छी पकड़ थी. वे बनना तो वकील चाहते थे लेकिन हालत ने उन्हें साहित्यकार बना दिया. उन्होंने अपना बचपन बहुत गरीबी और तंगहाली में व्यतीत किया है. उनकी रचना से लिए एक वाक्य आप को बताते है “हाड़ कपा देने वाली सर्दियों की रातो में खेतो की रखवाली की तखलीफ़ खेत जलजाने से कहीं ज्यादा थी किसानो के लिए इसलिए उस का जब खेत जल जाता है तो मुहँ से उसके निकलता है चलो अब रात को पहरेदारी तो नही करनी पड़ेगी” आज भी न जाने कितने लोग है जो जिंदगी की तकलीफ के सामने हार जाते है और हाथ पर हाथ रख कर बेठ जाते है. इंसान के भीतर छुपे ऐसे गुण मनुभावो को करीब 100 साल पहले किसी फिल्म की तरह सामने रख देता था जिंदगी का वो चितेरा जिसे आप हम सभी कहते है “कलम का सिपाही” आइये विस्तार पूर्वक मुंशी प्रेमचंद के जीवन के बारे में जानते है. नाम मुंशी प्रेमचंद असली नाम धनपत राय माता आनंदी देवी पिता अजायब राय जन्म 31 जुलाई 1880 जन्म स्थल लमही (वाराणसी) पत्नी शिवरानी देवी मृत्यु 8 अक्टूबर 1936 प्रथम हिंदी कहानी सोत (1915) कार्यक्षेत्र लेखक, साहित्यकार राष्ट्रीयता भारतीय भाषा हिन्दी, उर्दू विषय-सूची 1 • • • • • • मुंशी प्रेमचंद जी की जीवनी (Munshi Premchand Biography in Hindi) 31 जुलाई 1880 में प्रेमचंद का जन्म हुआ था उनकी माँ का नाम आनंदी देवी था और पिता का नाम मुंशी अजायब राय था. उनके पिताजी लहरी गाँव में डाक मुंशी थे. माता पिता ने प्रेमचंद का नाम धनपत राय रखा था. जब प्रेमचंद 8 साल के थे तब ...

मुंशी प्रेमचंद की जीवनी Munshi Premchand Biography in Hindi

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मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

In this article, we are providing information about Munshi Premchand in Hindi- Munshi Premchand Biography in Hindi Language. मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय | जीवनी मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय | जीवनी- Munshi Premchand Biography in Hindi Information About Munshi Premchand in Hindi नाम- मुंशी प्रेमचंद ( धनपत राय श्रीवास्तव ) जन्म- 31 जुलाई 1880 जन्म स्थल- लमही गांव ( वाराणसी के पास ) पिता का नाम- अजायब राय माता का नाम- आनंदी राय मृत्यु- 8 अक्टूबर 1936 Munshi Premchand Ki Jivani किसी भी साहित्यकार की लोकप्रियता तथा उसके साहित्य का मूल्यांकन और महत्व ही साहित्यकार के अमरत्व का कारण होता है। कालान्तर में भी यदि उसका साहित्य समाज के लिए उपयोगी होता है तथा उसकी कला की चमक धुंधली होकर विलुप्त नहीं हो जाती है तो इससे कलाकार या साहित्यकार की महानता का अनुमान सहज में ही लगाया जा सकता है। प्रेमचन्द हिन्दी के ऐसे अमर साहित्यकार हैं जो अपनी रचनाओं और कलात्मक देन के द्वारा सदैव स्मरण किए जाएंगे। Munshi Premchand Biography in Hindi मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय– प्रेमचन्द का जन्म 31 जुलाई सन् 1880 को बनारस से लगभग चार मील की दूरी पर स्थित ग्राम लमही में हुआ था। इनकी माता का नाम आनन्दी देवी और पिता अजायबराय थे। कायस्थ जाति के थे। प्रेमचन्द के बचपन का नाम धनपत राय था। बालक धनपतराय का बचपन उनके नाम के विपरीत निर्धन अवस्था में और अभावपूर्ण स्थितियों में बीता। उनके पिता डाकखाने में क्लर्क थे तथा उन्हें बीस रुपये मासिक वेतन मिलता था। उनकी माता बीमार रहती थी। उनकी एक बड़ी बहिन भी थी। बचपन में उन्होंने एक मौलवी साहब से शिक्षा ग्रहण की। इनकी माता का तो पहले देहावसान हो गया था पिता ने दूसरी शादी भी क...

Munshi Premchand Biography in Hindi

Munshi Premchand Biography in Hindi : मुंशी प्रेमचंद एक बहुत गुणी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे. प्रेमचन्द अपनी हिंदी और उर्दू भाषी रचनाओ के लिए जाने जाते है. प्रेमचंद को “कलम के सिपाही” की संज्ञा भी दी गयी है.उनकी हिंदी और उर्दू भाषा में अच्छी पकड़ थी. वे बनना तो वकील चाहते थे लेकिन हालत ने उन्हें साहित्यकार बना दिया. उन्होंने अपना बचपन बहुत गरीबी और तंगहाली में व्यतीत किया है. उनकी रचना से लिए एक वाक्य आप को बताते है “हाड़ कपा देने वाली सर्दियों की रातो में खेतो की रखवाली की तखलीफ़ खेत जलजाने से कहीं ज्यादा थी किसानो के लिए इसलिए उस का जब खेत जल जाता है तो मुहँ से उसके निकलता है चलो अब रात को पहरेदारी तो नही करनी पड़ेगी” आज भी न जाने कितने लोग है जो जिंदगी की तकलीफ के सामने हार जाते है और हाथ पर हाथ रख कर बेठ जाते है. इंसान के भीतर छुपे ऐसे गुण मनुभावो को करीब 100 साल पहले किसी फिल्म की तरह सामने रख देता था जिंदगी का वो चितेरा जिसे आप हम सभी कहते है “कलम का सिपाही” आइये विस्तार पूर्वक मुंशी प्रेमचंद के जीवन के बारे में जानते है. नाम मुंशी प्रेमचंद असली नाम धनपत राय माता आनंदी देवी पिता अजायब राय जन्म 31 जुलाई 1880 जन्म स्थल लमही (वाराणसी) पत्नी शिवरानी देवी मृत्यु 8 अक्टूबर 1936 प्रथम हिंदी कहानी सोत (1915) कार्यक्षेत्र लेखक, साहित्यकार राष्ट्रीयता भारतीय भाषा हिन्दी, उर्दू विषय-सूची 1 • • • • • • मुंशी प्रेमचंद जी की जीवनी (Munshi Premchand Biography in Hindi) 31 जुलाई 1880 में प्रेमचंद का जन्म हुआ था उनकी माँ का नाम आनंदी देवी था और पिता का नाम मुंशी अजायब राय था. उनके पिताजी लहरी गाँव में डाक मुंशी थे. माता पिता ने प्रेमचंद का नाम धनपत राय रखा था. जब प्रेमचंद 8 साल के थे तब ...

मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास: प्रतिज्ञा अध्याय

दोनों मित्र आश्रम की सैर करने चले। अमृतराय ने नदी के किनारे असी-संगम के निकट पचास एकड़ जमीन ले ली थी। वहाँ रहते भी थे। अपना कैंटोमेंट वाला बंगला बेच डाला था। आश्रम ही के हाते में एक छोटा-सा मकान अपने लिए बनवा लिया था। आश्रम के द्वार पर के दोनों बाजुओं पर दो बड़े-बड़े कमरे थे। एक आश्रम का दफ्तर था और दूसरा आश्रम में बनी हुई चीजों का शो-रूम। दफ्तर में एक अधेड़ महिला बैठी हुई लिख रही थी। रजिस्टर आदि कायदे से आल्मारियों में चुने रखे थे। इस समय अस्सी स्त्रियाँ थीं और बीस बालक। हमारा जिस्म पुराना है लेकिन इस में हमेशा नया ख़ून दौड़ता रहता है। इस नए ख़ून पर ज़िंदगी क़ायम है। दुनिया के क़दीम निज़ाम में ये नयापन उसके एक एक ज़र्रे में, एक-एक टहनी में, एक-एक क़तरे में, तार में छुपे हुए नग़मे की तरह गूँजता रहता है और ये सौ साल की बुढ़िया आज भी नई दुल्हन बनी हुई है। जब से लाला डंगा मल ने नई शादी की है उनकी जवानी अज़ सर-ए-नौ ऊ’द कर आई है जब पहली बीवी ब-क़ैद-ए-हयात थी वो बहुत कम घर रहते थे। सुबह से दस ग्यारह बजे तक तो पूजापाट ही करते रहते थे। फिर खाना खा कर दुकान चले जाते। वहां से एक बजे रात को लौटते और थके-माँदे सो जाते। • • • • • • दोनों मित्र आश्रम की सैर करने चले। अमृतराय ने नदी के किनारे असी-संगम के निकट पचास एकड़ जमीन ले ली थी। वहाँ रहते भी थे। अपना कैंटोमेंट वाला बंगला बेच डाला था। आश्रम ही के हाते में एक छोटा-सा मकान अपने लिए बनवा लिया था। आश्रम के द्वार पर के दोनों बाजुओं पर दो बड़े-बड़े कमरे थे। एक आश्रम का दफ्तर था और दूसरा आश्रम में बनी हुई चीजों का शो-रूम। दफ्तर में एक अधेड़ महिला बैठी हुई लिख रही थी। रजिस्टर आदि कायदे से आल्मारियों में चुने रखे थे। इस समय अस्सी स्त्रियाँ थीं और बीस...