नालंदा विश्वविद्यालय के संस्थापक कौन थे

  1. [Solved] नालंदा विश्वविद्यालय के संस्थापक कौन थे?
  2. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय: इतिहास, संस्थापक, महत्व और भारतीय शिक्षा में योगदान
  3. नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास
  4. नालन्दा विश्वविद्यालय
  5. नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीनतम विश्वविद्यालय
  6. नालन्दा विश्‍वविद्यालय
  7. नालन्दा विश्वविद्यालय
  8. नालन्दा विश्‍वविद्यालय
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  10. नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीनतम विश्वविद्यालय


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[Solved] नालंदा विश्वविद्यालय के संस्थापक कौन थे?

सही उत्तर कुमारगुप्तहै । Key Points • कुमारगुप्त ने 5 वीं शताब्दी ईस्वी में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की । • उन्हें शारदित्य भी कहा जाता था । • नालंदा विश्वविद्यालय: • गुप्त वंश के कुमारगुप्त के शासन के दौरान निर्मित । • महायान भिक्षुओं असनागा और वसुबंधु ने कहा कि 400-500 ईस्वी में नालंदा मिला । • चीनी तीर्थयात्री ह्वेन त्सांग हर्ष के शासनकाल के दौरान आया था, जिसने नालंदा विश्वविद्यालय का विस्तृत विवरण दिया। • नालंदा एक विशाल मठवासी-शैक्षिक प्रतिष्ठान था । • प्राथमिक शिक्षण ध्यान: महायान बौद्ध धर्म, अभी तक अन्य 'धर्मनिरपेक्ष' विषयों के साथ-साथ, व्याकरण, तर्क, महामारी विज्ञान और विज्ञान शामिल हैं । Additional Information • धर्मपाल ने नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित किया । • उन्होंने विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की । • वह बौद्ध धर्म के महान संरक्षक थे। • उन्होंने बिहार में भागलपुर जिले में विक्रमशिला मठ, और बिहार में ओदंतपुरी में एक मठ की स्थापना की। 23653 vacancies will be released by the Bihar Police for recruitment to the post of Sub Inspector (Daroga). The detailedBihar Police SI Notification willbe released soon. Bihar Police Subordinate Service Commission (BPSSC) has activated the link to download the mark sheet of Bihar Police Sub Inspector on 21st August 2022. The candidates, who appeared for

प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय: इतिहास, संस्थापक, महत्व और भारतीय शिक्षा में योगदान

जब विश्व के अधिकांश देश सभ्यता और संस्कृति के युग से गुजर रहे थे, तब भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई थी। ‘विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय-नालंदा का इतिहास’ यह वर्तमान बिहार राज्य की राजधानी पटना (बिहार) के दक्षिण में बड़गाँव नामक आधुनिक गाँव के पास स्थित था। यह जगह पटना से 40 मील दूर है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में देश-विदेश से हजारों छात्र आते थे। आज इस ब्लॉग में हम भारत के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय नालंदा के बारे में जानेंगे। Table of Contents • • • • • • • • • नालंदा विश्वविद्यालय नाम प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय समय 5वीं शताब्दी ईस्वी – 800 ईस्वी संस्थापक सम्राट कुमारगुप्त प्रमुख विषय बौद्ध धर्म की शिक्षा, दर्शन, धर्मशास्त्र, खगोल विज्ञान और गणित विनाशक मुस्लिम आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी होम पेज – प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया के प्रथम विश्वविद्यालयों में से एक था और भारत के बिहार में नालंदा के प्राचीन शहर में स्थित था। इसकी स्थापना 5वीं शताब्दी ईस्वी में हुई थी और यह 800 से अधिक वर्षों के लिए शिक्षा और अनुसंधान का केंद्र था। विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त साम्राज्य द्वारा सम्राट कुमारगुप्तके संरक्षण में की गई थी। प्रारंभ में यह बौद्ध अध्ययन के लिए एक छोटा केंद्र था, लेकिन सदियों से आकार और प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई, जिसने दुनिया भर के विद्वानों और छात्रों को आकर्षित किया। नालंदा विश्वविद्यालय दर्शन, धर्मशास्त्र, खगोल विज्ञान और गणित जैसे क्षेत्रों में अपने उन्नत पाठ्यक्रमों के लिए जाना जाता था। इसमें एक विशाल पुस्तकालय था जिसमें 9 मिलियन से अधिक पुस्तकें और पांडुलिपियाँ थीं, जो इसे उस समय दु...

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास – nalanda vishwavidyalaya history in hindi नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास( Nalanda Vishwavidyalaya) अत्यंत ही गौरवपूर्ण रहा है। भारत प्राचीन काल से शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र रहा है। कहते हैं की भारत यूं ही विश्व गुरु नहीं कहलाता था। बिहार का नालंदा यूनिवर्सिटी को दुनियाँ का सबसे पहला विश्वविध्यालय माना जाता है। इस Nalanda Vishwavidyalaya में पूरी दुनियाँ से छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे। जहाँ छात्रों को रहने खाने के साथ निः शुल्क शिक्षा की व्यवस्था थी। प्राचीन काल में भारत के सबसे प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान में तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशीला विश्वविध्यालय का नाम आता है। लेकिन इतिहासकार के अनुसार नालंदा विश्वविध्यालय विश्व का सबसे पुराना विश्वविध्यालय है। विद्वानों के अनुसार अगर बिहार स्थित भारत के इस प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट नहीं किया जाता तो यह विश्व के सबसे पुराने विश्वविद्यालय ब्रिटेन की ऑक्सफ़ोर्ड (स्थापना – 1167), इटली की बोलोना ( स्थापना – 1088), काहिरा की अल अज़हर ( स्थापना – 972) से भी काफी वर्ष पुरानी होती। नालंदा विश्वविद्यालय का खंडहर फोटो-Nalanda Vishwavidyalaya khandar image लेकिन एक कट्टर सोच रखने वाले सुल्तान बख्तियार खिलजी ने 12 वीं शताब्दी में नालंदा यूनिवर्सिटी को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। हजारों छात्रों और बौद्ध अनुयायी को मौत के घाट उतार दिया गया। बख्तियार खिलजी ने इसे नष्ट करने के बाद इसके पुस्तकालय में आग लगा दि। जिसमें कहा जाता है की भारतवर्ष की अनेकों साहित्य भी जल कर राख हो गई। इस लेख में नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास, नालंदा यूनिवर्सिटी के संस्थापक कौन थे, बख्तियार खिलजी ने क्यों इस विश्वविद्यालय को khandar...

नालन्दा विश्वविद्यालय

शैक्षिक कर्मचारी 30 (2016) छात्र 130 (2016) स्थान परिसर नगरीय .edu .in नालन्दा विश्वविद्यालय भारत के बिहार राज्य में नालंदा जिले के राजगीर में स्थित एक सार्वजनिक केंद्रीय / संघ विश्वविद्यालय है। इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आईएनआई) और उत्कृष्टता के रूप में नामित किया गया है। 18 सदस्य देशों द्वारा समर्थित अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना 2010 में भारतीय संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी। अनुक्रम • 1 इतिहास • 1.1 नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम • 2 शासन • 3 स्कूल और केंद्र • 4 इन्हें भी देखें • 5 सन्दर्भ इतिहास [ ] नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना नालंदा के प्राचीन विश्वविद्यालय का अनुकरण करने के लिए की गई थी, जो 5वीं और 13वीं शताब्दी के बीच कार्य करता था। नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने के विचार का 2007 में दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में सोलह सदस्य देशों द्वारा समर्थन किया गया था। वास्तुशिल्प डिजाइन को एक वैश्विक प्रतियोगिता के आधार पर चुना गया था। विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय महत्व के एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम [ ] 28 मार्च 2006 को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार के लिए बिहार विधान मंडल के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए इस विचार का प्रस्ताव रखा। नालंदा विश्वविद्यालय विधेयक, 2010 शासन [ ] विश्वविद्यालय के आगंतुक भारत के राष्ट्रपति हैं। गवर्निंग बोर्ड के चांसलर और चेयरपर्सन विजय भटकर हैं। कुलपति सुनैना सिंह हैं। गवर्निंग बोर्ड में चांसलर, कुलपति, सदस्य देशों के प्रतिनिधि, एक सचिव, बिहार सरकार के दो प्रतिनिधि, विश्वविद्यालय के पहले चांसलर अमर्त्य सेन थे, उसके बाद सिंगापुर के...

नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीनतम विश्वविद्यालय

नालंदा विश्वविद्यालय एक बौद्ध विहार के रूप में सर्वप्रथम यहाँ एक महेन्द्रादित्य की थी। महेन्द्र तथा शक्र एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। कुमारगुप्त के पुत्र तथा उत्तराधिकारी वज्र ने इस विहार के पश्चिम की ओर एक विहार बनवा दिया। इसके बाद तथागतगुप्त ने पूरब में एक विहार बनवाया तथा फिर ताम्रविहार बनवाया था। ग्यारहवीं शती के अंत तक हिन्दू तथा मठ तथा YouTube Video नालंदा विश्वविद्यालय एक विश्वविद्यालय के रूप में नालंदा की खुदाई से पता चलता है, कि यहां का विश्वविद्यालय लगभग एक मील लंबे तथा आधा मील चौङे क्षेत्र में स्थित था। भवन, ह्वी-ली यहां के भवनों का अत्यन्त रोचक विवरण प्रस्तुत करता है, जो इस प्रकार है – संपूर्ण संस्थान ईंटों की दीवार से घिरा हुआ है,जो कि पूरे मठ को बाहर से घेरती है। एक द्वार विद्यापीठ की ओर है, जिससे आठ अन्य हाल जो (संघाराम के)बीच में स्थित हैं, अलग किये गये हैं। प्रचुर रूप से अलंकृत मीनारें तथा परियों के समान गुम्बज, पर्वत की नुकीली चोटियों की तरह परस्पर हिले-मिले से खङे हैं। मान मंदिर (प्रातः कालीन) ध्रूम्र में विलीन हुये से लगते हैं तथा ऊपरी कमरे बादलों के ऊपर विराजमान हैं। खिङकियों से कोई देख सकता है, कि किस प्रकार हवा तथा बादल नया-नया रूप धारण करते हैं, और उत्तुंग ओलतियों के ऊपर सूर्य एवं चंद्रमा की कान्ति देखी जा सकती है। गरे तथा पारभासी तालाबों के ऊपर नील कमल खिले हुए हैं, जो गहरे लाल रंग के कनक पुष्पों से मिले हैं तथा बीच-बीच में आम्रकुन्ज चारों ओर अपनी छाया बिखेरते हैं। बाहर की सभी कक्षायें जिनमें श्रमण आवास हैं चार-चार मंजिली हैं। उनके मकारकृत बार्जे, रंगीन ओलतियाँ, सुसज्जित एवं चित्रित मोती के समान लाल स्तंभ, सुअलंकृत लघु स्तंभ तथा खपङों से ढकी हुयी छत...

नालन्दा विश्‍वविद्यालय

विवरण देश-विदेश के छात्र शिक्षा के लिए नालन्दा विश्‍वविद्यालय आते थे। आजकल इसके राज्य ज़िला निर्माण काल 450-470 ई. स्थापना गुप्तकालीन भौगोलिक स्थिति मार्ग स्थिति कैसे पहुँचें विमान, रेल, बस, कार आदि। पटना और गया हवाई अड्डा निकटवर्ती रेलवे स्‍टेशन राजगीर व नालन्दा बस, टॅक्सी, ऑटो रिक्शा आदि क्या देखें नालन्‍दा पुरातत्‍वीय संग्रहालय कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह एस.टी.डी. कोड 61194 ए.टी.एम लगभग सभी क्षेत्रफल 2367 वर्ग किलोमीटर अन्य जानकारी अब तक के मिले अवशेषों से ऐसा प्रतीत होता है कि यहां पर व्याख्यान हेतु 7 बड़े कक्ष एवं 300 छोटे कक्ष बनाये गये थे। नालन्दा विश्‍वविद्यालय ( Nalanda University) प्राचीन • महाराज शकादित्य, सम्भवत: गुप्तवंशीय सम्राट कुमार गुप्त, 415-455 ई., ने इस जगह को • नालन्दा विश्‍वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए जावा, • जब • विदेशी यात्रियों के वर्णन के अनुसार नालन्दा विश्वविद्यालय में छात्रों के रहने की उत्तम व्यवस्था थी। उल्लेख मिलता है कि यहाँ आठ शालाएं और 300 कमरे थे। कई खंडों में विद्यालय तथा छात्रावास थे। प्रत्येक खंड में छात्रों के स्नान लिए सुंदर तरणताल थे जिनमें नीचे से ऊपर जल लाने का प्रबंध था। शयनस्थान पत्थरों के बने थे। जब नालन्दा विश्वविद्यालय की खुदाई की गई तब उसकी विशालता और भव्यता का ज्ञान हुआ। यहाँ के भवन विशाल, भव्य और सुंदर थे। कलात्मकता तो इनमें भरी पड़ी थी। यहाँ तांबे एवं पीतल की बुद्ध की मूर्तियों के प्रमाण मिलते हैं। • इस विश्‍वविद्यालय में • पहले यहाँ केवल एक • • नालन्दा विश्वविद्यालय के शिक्षक अपने ज्ञान एवं विद्या के लिए विश्व में प्रसिद्ध थे। इनका चरित्र सर्वथा उज्ज्वल और दोषरहित था। छात्रों के लिए कठोर नियम था। जिनका पा...

नालन्दा विश्वविद्यालय

शैक्षिक कर्मचारी 30 (2016) छात्र 130 (2016) स्थान परिसर नगरीय .edu .in नालन्दा विश्वविद्यालय भारत के बिहार राज्य में नालंदा जिले के राजगीर में स्थित एक सार्वजनिक केंद्रीय / संघ विश्वविद्यालय है। इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आईएनआई) और उत्कृष्टता के रूप में नामित किया गया है। 18 सदस्य देशों द्वारा समर्थित अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना 2010 में भारतीय संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी। अनुक्रम • 1 इतिहास • 1.1 नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम • 2 शासन • 3 स्कूल और केंद्र • 4 इन्हें भी देखें • 5 सन्दर्भ इतिहास [ ] नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना नालंदा के प्राचीन विश्वविद्यालय का अनुकरण करने के लिए की गई थी, जो 5वीं और 13वीं शताब्दी के बीच कार्य करता था। नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने के विचार का 2007 में दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में सोलह सदस्य देशों द्वारा समर्थन किया गया था। वास्तुशिल्प डिजाइन को एक वैश्विक प्रतियोगिता के आधार पर चुना गया था। विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय महत्व के एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम [ ] 28 मार्च 2006 को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार के लिए बिहार विधान मंडल के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए इस विचार का प्रस्ताव रखा। नालंदा विश्वविद्यालय विधेयक, 2010 शासन [ ] विश्वविद्यालय के आगंतुक भारत के राष्ट्रपति हैं। गवर्निंग बोर्ड के चांसलर और चेयरपर्सन विजय भटकर हैं। कुलपति सुनैना सिंह हैं। गवर्निंग बोर्ड में चांसलर, कुलपति, सदस्य देशों के प्रतिनिधि, एक सचिव, बिहार सरकार के दो प्रतिनिधि, विश्वविद्यालय के पहले चांसलर अमर्त्य सेन थे, उसके बाद सिंगापुर के...

नालन्दा विश्‍वविद्यालय

विवरण देश-विदेश के छात्र शिक्षा के लिए नालन्दा विश्‍वविद्यालय आते थे। आजकल इसके राज्य ज़िला निर्माण काल 450-470 ई. स्थापना गुप्तकालीन भौगोलिक स्थिति मार्ग स्थिति कैसे पहुँचें विमान, रेल, बस, कार आदि। पटना और गया हवाई अड्डा निकटवर्ती रेलवे स्‍टेशन राजगीर व नालन्दा बस, टॅक्सी, ऑटो रिक्शा आदि क्या देखें नालन्‍दा पुरातत्‍वीय संग्रहालय कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह एस.टी.डी. कोड 61194 ए.टी.एम लगभग सभी क्षेत्रफल 2367 वर्ग किलोमीटर अन्य जानकारी अब तक के मिले अवशेषों से ऐसा प्रतीत होता है कि यहां पर व्याख्यान हेतु 7 बड़े कक्ष एवं 300 छोटे कक्ष बनाये गये थे। नालन्दा विश्‍वविद्यालय ( Nalanda University) प्राचीन • महाराज शकादित्य, सम्भवत: गुप्तवंशीय सम्राट कुमार गुप्त, 415-455 ई., ने इस जगह को • नालन्दा विश्‍वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए जावा, • जब • विदेशी यात्रियों के वर्णन के अनुसार नालन्दा विश्वविद्यालय में छात्रों के रहने की उत्तम व्यवस्था थी। उल्लेख मिलता है कि यहाँ आठ शालाएं और 300 कमरे थे। कई खंडों में विद्यालय तथा छात्रावास थे। प्रत्येक खंड में छात्रों के स्नान लिए सुंदर तरणताल थे जिनमें नीचे से ऊपर जल लाने का प्रबंध था। शयनस्थान पत्थरों के बने थे। जब नालन्दा विश्वविद्यालय की खुदाई की गई तब उसकी विशालता और भव्यता का ज्ञान हुआ। यहाँ के भवन विशाल, भव्य और सुंदर थे। कलात्मकता तो इनमें भरी पड़ी थी। यहाँ तांबे एवं पीतल की बुद्ध की मूर्तियों के प्रमाण मिलते हैं। • इस विश्‍वविद्यालय में • पहले यहाँ केवल एक • • नालन्दा विश्वविद्यालय के शिक्षक अपने ज्ञान एवं विद्या के लिए विश्व में प्रसिद्ध थे। इनका चरित्र सर्वथा उज्ज्वल और दोषरहित था। छात्रों के लिए कठोर नियम था। जिनका पा...

प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय: इतिहास, संस्थापक, महत्व और भारतीय शिक्षा में योगदान

जब विश्व के अधिकांश देश सभ्यता और संस्कृति के युग से गुजर रहे थे, तब भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई थी। ‘विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय-नालंदा का इतिहास’ यह वर्तमान बिहार राज्य की राजधानी पटना (बिहार) के दक्षिण में बड़गाँव नामक आधुनिक गाँव के पास स्थित था। यह जगह पटना से 40 मील दूर है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में देश-विदेश से हजारों छात्र आते थे। आज इस ब्लॉग में हम भारत के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय नालंदा के बारे में जानेंगे। Table of Contents • • • • • • • • • नालंदा विश्वविद्यालय नाम प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय समय 5वीं शताब्दी ईस्वी – 800 ईस्वी संस्थापक सम्राट कुमारगुप्त प्रमुख विषय बौद्ध धर्म की शिक्षा, दर्शन, धर्मशास्त्र, खगोल विज्ञान और गणित विनाशक मुस्लिम आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी होम पेज – प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया के प्रथम विश्वविद्यालयों में से एक था और भारत के बिहार में नालंदा के प्राचीन शहर में स्थित था। इसकी स्थापना 5वीं शताब्दी ईस्वी में हुई थी और यह 800 से अधिक वर्षों के लिए शिक्षा और अनुसंधान का केंद्र था। विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त साम्राज्य द्वारा सम्राट कुमारगुप्तके संरक्षण में की गई थी। प्रारंभ में यह बौद्ध अध्ययन के लिए एक छोटा केंद्र था, लेकिन सदियों से आकार और प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई, जिसने दुनिया भर के विद्वानों और छात्रों को आकर्षित किया। नालंदा विश्वविद्यालय दर्शन, धर्मशास्त्र, खगोल विज्ञान और गणित जैसे क्षेत्रों में अपने उन्नत पाठ्यक्रमों के लिए जाना जाता था। इसमें एक विशाल पुस्तकालय था जिसमें 9 मिलियन से अधिक पुस्तकें और पांडुलिपियाँ थीं, जो इसे उस समय दु...

नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीनतम विश्वविद्यालय

नालंदा विश्वविद्यालय एक बौद्ध विहार के रूप में सर्वप्रथम यहाँ एक महेन्द्रादित्य की थी। महेन्द्र तथा शक्र एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। कुमारगुप्त के पुत्र तथा उत्तराधिकारी वज्र ने इस विहार के पश्चिम की ओर एक विहार बनवा दिया। इसके बाद तथागतगुप्त ने पूरब में एक विहार बनवाया तथा फिर ताम्रविहार बनवाया था। ग्यारहवीं शती के अंत तक हिन्दू तथा मठ तथा YouTube Video नालंदा विश्वविद्यालय एक विश्वविद्यालय के रूप में नालंदा की खुदाई से पता चलता है, कि यहां का विश्वविद्यालय लगभग एक मील लंबे तथा आधा मील चौङे क्षेत्र में स्थित था। भवन, ह्वी-ली यहां के भवनों का अत्यन्त रोचक विवरण प्रस्तुत करता है, जो इस प्रकार है – संपूर्ण संस्थान ईंटों की दीवार से घिरा हुआ है,जो कि पूरे मठ को बाहर से घेरती है। एक द्वार विद्यापीठ की ओर है, जिससे आठ अन्य हाल जो (संघाराम के)बीच में स्थित हैं, अलग किये गये हैं। प्रचुर रूप से अलंकृत मीनारें तथा परियों के समान गुम्बज, पर्वत की नुकीली चोटियों की तरह परस्पर हिले-मिले से खङे हैं। मान मंदिर (प्रातः कालीन) ध्रूम्र में विलीन हुये से लगते हैं तथा ऊपरी कमरे बादलों के ऊपर विराजमान हैं। खिङकियों से कोई देख सकता है, कि किस प्रकार हवा तथा बादल नया-नया रूप धारण करते हैं, और उत्तुंग ओलतियों के ऊपर सूर्य एवं चंद्रमा की कान्ति देखी जा सकती है। गरे तथा पारभासी तालाबों के ऊपर नील कमल खिले हुए हैं, जो गहरे लाल रंग के कनक पुष्पों से मिले हैं तथा बीच-बीच में आम्रकुन्ज चारों ओर अपनी छाया बिखेरते हैं। बाहर की सभी कक्षायें जिनमें श्रमण आवास हैं चार-चार मंजिली हैं। उनके मकारकृत बार्जे, रंगीन ओलतियाँ, सुसज्जित एवं चित्रित मोती के समान लाल स्तंभ, सुअलंकृत लघु स्तंभ तथा खपङों से ढकी हुयी छत...