प्रकाश दास जी महाराज का परिचय

  1. केशवदास
  2. श्रीमद् रामहर्षण दास जी महाराज का संक्षिप्त परिचय
  3. Aniruddhacharya Ji महाराज का जीवन परिचय: Age, Son, Wife Caste and Fees 2022
  4. परमहंस रामचंद्र दास
  5. Blog by Satsahib.org: आचार्य श्री गरीब दास जी महाराज का जीवन परिचय
  6. परमहंस रामचंद्र दास
  7. केशवदास
  8. श्रीमद् रामहर्षण दास जी महाराज का संक्षिप्त परिचय
  9. Blog by Satsahib.org: आचार्य श्री गरीब दास जी महाराज का जीवन परिचय
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केशवदास

अनुक्रम • 1 जीवन परिचय • 2 रचनाएं • 3 काव्यगत विशेषताएं • 3.1 वर्ण्य विषय • 3.2 प्रकृति चित्रण • 3.3 संवाद योजना • 3.4 पांडित्य-प्रदर्शन • 4 भाषा • 5 शैली • 6 रस • 7 छंद • 8 अलंकार • 9 साहित्य में स्थान • 10 चित्र वीथिका • 11 सन्दर्भ • 12 इन्हें भी देखें • 13 बाहरी कड़ियाँ जीवन परिचय आचार्य केशवदास का जन्म 1555 ईस्वी में केशवदास भाषा बोल न जानहीं, जिनके कुल के दास। तिन भाषा कविता करी, जडमति केशव दास।। केशव बड़े भावुक और रसिक व्यक्ति थे। कहा जाता कि एक बार वृध्दावस्था में वे किसी कुएं पर बैठे थे। वहां पानी भरने के लिए आई हुई कुछ स्त्रियों ने उन्हें बाबा कहकर संबोधन किया। इस पर उन्होंने निम्न दोहा कहा - केशव केसनि असि करी, बैरिहु जस न कराहिं। चंद्रवदन मृगलोचनी बाबा कहि कहि जाहिं।। संवत 1608 के लगभग जहांगीर ने ओरछा का राज्य वीर सिंह देव को दे दिया। केशव कुछ समय तक वीर सिंह के दरबार में रहे, फिर गंगातट पर चले गए और वहीं रहने लगे। 1618 ईस्वी में उनका देहावसान हो गया। रचनाएं केशवदास रचित प्रामाणिक ग्रंथ नौ हैं: रसिकप्रिया, कविप्रिया, नखशिख, छंदमाला, रामचंद्रिका, वीरसिंहदेव चरित, रतनबावनी, विज्ञानगीता और जहाँगीर जसचंद्रिका। रसिकप्रिया केशव की प्रौढ़ रचना है जो काव्यशास्त्र संबंधी ग्रंथ हैं। इसमें रस, वृत्ति और काव्यदोषों के लक्षण उदाहरण दिए गए हैं। इसके मुख्य आधारग्रंथ हैं - काव्यगत विशेषताएं केशव कठिन काव्य के प्रेत कहा है। विशिष्ट प्रबंधकाव्य रामचंद्रिका प्रबधनिर्वाह, मार्मिक स्थलों की पहचान, प्रकृतिवर्णन आदि की दृष्टि से श्रेष्ठ नहीं है। परंपरा पालन तथा अधिकाधिक अलंकारों को समाविष्ट करने के कारण वर्णनों की भरमार है। चहल-पहल, नगरशोभा, साजसज्जा आदि के वर्णन में इनका मन अधिक रमा ...

श्रीमद् रामहर्षण दास जी महाराज का संक्षिप्त परिचय

अनन्त श्री सम्पन्न प्रेमावतार पंचरसाचार्य करुणा वरुणालय श्री स्वामी राम हर्षण दास जी महाराज को भक्तवृंद उपरोक्त विशेषणों से समलंकृत करते हुए देखे सुने गए हैं यद्यपि मैं स्वयं स्वामी जी का ही कृपा पात्र हूँ। परंतु इन सभी विशेषणों की सार्थकता को नहीं जानता था, उसी तरह जैसे प्रतिदिन दर्शन करते हुए भी हम सूर्य भगवान क्या हैं इस रहस्य को नहीं समझ पाते। एक दिन स्वामी जी के दर्शनार्थ भारतवर्ष के सर्वमान्य संत, साधु समाज के भूषण, तपोमूर्ति महान वीतरागी महापुरुष स्वामी जी जो अपने को तृणादपि सुनीच समझने वाले, संत के व्यवहार को देखकर अवाक रह गए। बहुत विनय की तब भी सिर नहीं उठाया तब स्वामी जी ने अपने प्रधान शिष्य महान्त श्री हरिदास जी से कहा “इत्र लाइये” और अपनी दोनों हथेलियों में इत्र लगाकर श्री रामसुखदास जी के सिर पर यह कहते हुए हाथ रख दिए कि मैं आपको आशीर्वाद देने लायक नहीं हूँ। आपकी सेवा कर रहा हूँ सिर की चम्पी (मालिश) किये दे रहा हूँ। मैं उस समय वहां था। उपरोक्त घटना को देखकर अब समझा कि स्वामी जी मेरे गुरुदेव भगवान के संबंध में कहे जाने वाले सभी विशेषण सत्य हैं। क्योंकि संत की महिमा को, उनके स्तर के कोई संत ही समझ सकते हैं, सामान्य व्यक्ति नहीं। कहावत भी है, “खग जाने खग ही की भाषा”। श्री स्वामी जी के संबंध में परमार्थ पथ के पथिक सभी ग्रहस्थ, विरक्त महानुभावों की अत्यंत उत्कृष्ट गरिमामयी मान्यता रही है। अनुभवी भक्तों ने यह तथ्य पूर्णतया सप्रमाण स्वीकार किया है कि श्री स्वामी जी श्री जानकी जी के अग्रज, श्री जनक सुनैना जी के दुलारे लाल श्री प्रेम मूर्ति लक्ष्मीनिधि जी के अवतार थे जो जगत के कलिमल ग्रस्त जीवो को मिथिला रस का रसास्वादन कराकर भव पार करने के लिये साथ ही अपने बहनोई श्री र...

Aniruddhacharya Ji महाराज का जीवन परिचय: Age, Son, Wife Caste and Fees 2022

नमस्कार दोस्तों हमारी वेबसाइट पर आपका स्वागत है, आज हम बात करने वाले हैं, अनिरुद्धचार्य जी महाराज के बारे में, आज के इस लेख में हम अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज के बारे में संपूर्ण जानकारी जानेंगे और जानेंगे. Aniruddhacharya ji Maharaj Family, Aniruddhacharya Ji Maharaj Son, Wife, Age, Aniruddhacharya ji maharaj biography, Aniruddhacharya ji maharaj fees. वर्तमान समय मे अनिरुद्धाचार्य जी महाराज हर घर की शान बन गए हैं, क्योंकि उनकी कथा लगभग हर घर, हर व्यवसाय क्षेत्र में टीवी या मोबाइल के माध्यम से चलता ही रहता है, यह हम सभी को देखने में मिलता है. अनिरुद्धाचार्य जी महाराज का जन्म 27 सितंबर 1989 में मध्यप्रदेश के दमोह जिले मे रिंवझा नामक गाँव में हुआ है। Aniruddhacharya ji Maharaj एक जाने-माने धार्मिक प्रवचनकर्ता है, अगर आप भक्ति से जुड़े हुए कार्यक्रम देखना पसंद करते हैं, तो आपने इन्हें यूट्यूब चैनल या टीवी पर जरूर देखा होगा. स्वामी अनिरुद्धाचार्य जी महाराज द्वारा दिए गए प्रवचन को सुनने के लिए लोगों की भीड़ हजारों की संख्या में आती है, और लोग अनिरुद्धाचार्य जी महाराज को देखना भी बहुत ज्यादा पसंद करते है. Table of Contents • • • • • • • • अनिरुद्धाचार्य जी महाराज का जीवन परिचय | Aniruddhacharya Ji Maharaj biography वास्तविक नाम अनिरुद्धाचार्य जी प्रसिद्ध नाम स्वामी अनिरुद्धाचार्य जी महाराज जन्म तारिक 27 सितंबर 1989 जनम स्थान रिंवझा नामक गावं जबलपुर मध्यप्रदेश कार्य भागवत कथावाचक गुरु श्री गिर्राज शास्त्री जी महाराज रंगरूप गोरा रंग माथे पर लम्बा तिलक और लम्बे बाल परम पूज्य श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज का जन्म 27 सितंबर 1989 को जबलपुर मध्यप्रदेश (भारत) में हुआ था, बताया जाता है कि...

परमहंस रामचंद्र दास

मेरे जीवन की तीन ही अन्तिम अभिलाषाएं हैं। पहली- राम मन्दिर, कृष्ण मन्दिर, काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण। दूसरी- इस देश में आमूल-चूल गोहत्या बन्द हो। तीसरी- भारत मां को जीवन परिचय [ ] परमहंस जी महाराज का पूर्व नाम चन्द्रेश्वर तिवारी था। १७ वर्ष की आयु में साधु जीवन अंगीकार करने के बाद उनका नाम रामचन्द्र दास हो गया। चंद्रेश्वर बालक ही थे कि माता स्वर्ग सिधार गयीं। कुछ दिनों बाद पिता भी नहीं रहे। परिणामस्वरूप इनके शिक्षण एवं लालन-पालन का दायित्व घर में सबसे बड़े भाई यज्ञानन्द तिवारी के कंधों पर आ गया। परिवार में कुल चार भाई, चार बहनों का जन्म हुआ। परमहंस जी चारों भाइयों में सबसे छोटे थे। मंझले दोनों भाई अपनी अल्पायु में ही चल बसे, आज कोई बहन भी जीवित नहीं है। इस प्रकार परिवार में केवल दो भाई शेष रहे। सबसे बड़े यज्ञानन्द तिवारी और सबसे छोटे चन्द्रेश्वर तिवारी। बड़े भाई उनसे लगभग १७ वर्ष बड़े थे। श्री चंद्रेश्वर तिवारी जब कक्षा १० में पढ़ते थे, तभी पास के किसी ग्राम में यज्ञ देखने गए और सन्तों के सम्पर्क में आ गए। ग्राम में रहकर १२वीं कक्षा पास की। उसके पश्चात्‌ साधु जीवन स्वीकार कर लिया। उस समय लगभग १५ वर्ष की आयु में हृदय में वैराग्य भाव जागृत हो गया था। पटना आयुर्वेद कालेज से आयुर्वेदाचार्य, बिहार संस्कृत संघ से व्याकरणाचार्य तथा बंगाल से साहित्यतीर्थ की परीक्षाएं पास कीं। परमहंस जी महाराज १९३० ई. के लगभग अयोध्या आ गए थे। अयोध्या में वे रामघाट स्थित परमहंस रामकिंकर दास जी की छावनी में रहे। (आज इसी स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के लिए पत्थरों की नक्काशी का कार्य होता है।) महाराज जी के आध्यात्मिक गुरु ब्रह्मचारी रामकिशोर दास जी महाराज (मार्फा गुफा जानकी कुण्ड, चित्रकूट) थे...

Blog by Satsahib.org: आचार्य श्री गरीब दास जी महाराज का जीवन परिचय

आचार्य श्री गरीब दास जी महाराज का जीवन परिचय सतगुरु संत और अवतार तीन कला एके दरबार जगतगुरु आचार्य श्री गरीबदास महाराज जी का अवतार इस कलयुग में भटक चुके लोगों को परमेश्वर प्राप्ति का सही मार्ग दिखाने के लिये छुडानी में हुआ आप कबीर पंथ के महान संत, महान योगी, महान कवी हुए आप जी की इस जगत को सब से बड़ी देन आप जी की पवित्र वाणी है जो की“श्री ग्रन्थ साहिब” के नाम से प्रचलित है इसमे आप जी ने लगभग १८०० दोहों की रचना की है इतनी बड़ी मात्र में विभिन्न भाषाओं के शब्दों का प्रयोग करते हुए शायद ही किसी महापुरुष ने वाणी की रचना की हो आप की पवित्र वाणी को पढ- सुनकर, विचारकर ना जाने कितने ही जीवों का उद्धार हो चूका है और आगे भी होता रहेगा जहां एक तरफ आप ने परमेश्वर प्राप्ति के लिये नाम स्मरण, भक्ति और ज्ञान मार्ग का उपदेश दिया वहीं दूसरी तरफ समाज में फैली बुराइयों का जम कर विरोध भी किया आप हिंदू मुसलिम सब को एक सामान, उस एक परमात्मा की संतान मानते थे आप हमेशा तुरिया अवस्था में लीन रहते थे और आप जी के श्री मुख से सहज ही वाणी प्रकट होती रहती थी आप जी से ही गरीब दासी पंथ की शुरुवात हुई जो आज भारत के अनेक राज्यों में पसर चूका है आप जी का अवतार स्थान श्री छुडानी धाम गरीब दासी संप्रदाय का सर्वोच्च पीठ है जहां पर आप जी की याद में भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है यहाँ पर – १. हर वर्ष वैशाख की पूर्णिमा को जगतगुरु आचार्य श्री गरीबदास जी महाराज का अवतार दिवस बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है २. कबीर साहिब जी द्वारा गरीब दास जी को गुरु दीक्षा देने वाले दिन की याद में हर वर्ष फाल्गुन शुद्धि द्वादशी को छुडानी धाम में कृपा पर्व बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है यह परम्परा महाराज श्री गरीब दास जी के समय से ही चली ...

परमहंस रामचंद्र दास

मेरे जीवन की तीन ही अन्तिम अभिलाषाएं हैं। पहली- राम मन्दिर, कृष्ण मन्दिर, काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण। दूसरी- इस देश में आमूल-चूल गोहत्या बन्द हो। तीसरी- भारत मां को जीवन परिचय [ ] परमहंस जी महाराज का पूर्व नाम चन्द्रेश्वर तिवारी था। १७ वर्ष की आयु में साधु जीवन अंगीकार करने के बाद उनका नाम रामचन्द्र दास हो गया। चंद्रेश्वर बालक ही थे कि माता स्वर्ग सिधार गयीं। कुछ दिनों बाद पिता भी नहीं रहे। परिणामस्वरूप इनके शिक्षण एवं लालन-पालन का दायित्व घर में सबसे बड़े भाई यज्ञानन्द तिवारी के कंधों पर आ गया। परिवार में कुल चार भाई, चार बहनों का जन्म हुआ। परमहंस जी चारों भाइयों में सबसे छोटे थे। मंझले दोनों भाई अपनी अल्पायु में ही चल बसे, आज कोई बहन भी जीवित नहीं है। इस प्रकार परिवार में केवल दो भाई शेष रहे। सबसे बड़े यज्ञानन्द तिवारी और सबसे छोटे चन्द्रेश्वर तिवारी। बड़े भाई उनसे लगभग १७ वर्ष बड़े थे। श्री चंद्रेश्वर तिवारी जब कक्षा १० में पढ़ते थे, तभी पास के किसी ग्राम में यज्ञ देखने गए और सन्तों के सम्पर्क में आ गए। ग्राम में रहकर १२वीं कक्षा पास की। उसके पश्चात्‌ साधु जीवन स्वीकार कर लिया। उस समय लगभग १५ वर्ष की आयु में हृदय में वैराग्य भाव जागृत हो गया था। पटना आयुर्वेद कालेज से आयुर्वेदाचार्य, बिहार संस्कृत संघ से व्याकरणाचार्य तथा बंगाल से साहित्यतीर्थ की परीक्षाएं पास कीं। परमहंस जी महाराज १९३० ई. के लगभग अयोध्या आ गए थे। अयोध्या में वे रामघाट स्थित परमहंस रामकिंकर दास जी की छावनी में रहे। (आज इसी स्थान पर श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के लिए पत्थरों की नक्काशी का कार्य होता है।) महाराज जी के आध्यात्मिक गुरु ब्रह्मचारी रामकिशोर दास जी महाराज (मार्फा गुफा जानकी कुण्ड, चित्रकूट) थे...

केशवदास

अनुक्रम • 1 जीवन परिचय • 2 रचनाएं • 3 काव्यगत विशेषताएं • 3.1 वर्ण्य विषय • 3.2 प्रकृति चित्रण • 3.3 संवाद योजना • 3.4 पांडित्य-प्रदर्शन • 4 भाषा • 5 शैली • 6 रस • 7 छंद • 8 अलंकार • 9 साहित्य में स्थान • 10 चित्र वीथिका • 11 सन्दर्भ • 12 इन्हें भी देखें • 13 बाहरी कड़ियाँ जीवन परिचय आचार्य केशवदास का जन्म 1555 ईस्वी में केशवदास भाषा बोल न जानहीं, जिनके कुल के दास। तिन भाषा कविता करी, जडमति केशव दास।। केशव बड़े भावुक और रसिक व्यक्ति थे। कहा जाता कि एक बार वृध्दावस्था में वे किसी कुएं पर बैठे थे। वहां पानी भरने के लिए आई हुई कुछ स्त्रियों ने उन्हें बाबा कहकर संबोधन किया। इस पर उन्होंने निम्न दोहा कहा - केशव केसनि असि करी, बैरिहु जस न कराहिं। चंद्रवदन मृगलोचनी बाबा कहि कहि जाहिं।। संवत 1608 के लगभग जहांगीर ने ओरछा का राज्य वीर सिंह देव को दे दिया। केशव कुछ समय तक वीर सिंह के दरबार में रहे, फिर गंगातट पर चले गए और वहीं रहने लगे। 1618 ईस्वी में उनका देहावसान हो गया। रचनाएं केशवदास रचित प्रामाणिक ग्रंथ नौ हैं: रसिकप्रिया, कविप्रिया, नखशिख, छंदमाला, रामचंद्रिका, वीरसिंहदेव चरित, रतनबावनी, विज्ञानगीता और जहाँगीर जसचंद्रिका। रसिकप्रिया केशव की प्रौढ़ रचना है जो काव्यशास्त्र संबंधी ग्रंथ हैं। इसमें रस, वृत्ति और काव्यदोषों के लक्षण उदाहरण दिए गए हैं। इसके मुख्य आधारग्रंथ हैं - काव्यगत विशेषताएं केशव कठिन काव्य के प्रेत कहा है। विशिष्ट प्रबंधकाव्य रामचंद्रिका प्रबधनिर्वाह, मार्मिक स्थलों की पहचान, प्रकृतिवर्णन आदि की दृष्टि से श्रेष्ठ नहीं है। परंपरा पालन तथा अधिकाधिक अलंकारों को समाविष्ट करने के कारण वर्णनों की भरमार है। चहल-पहल, नगरशोभा, साजसज्जा आदि के वर्णन में इनका मन अधिक रमा ...

श्रीमद् रामहर्षण दास जी महाराज का संक्षिप्त परिचय

अनन्त श्री सम्पन्न प्रेमावतार पंचरसाचार्य करुणा वरुणालय श्री स्वामी राम हर्षण दास जी महाराज को भक्तवृंद उपरोक्त विशेषणों से समलंकृत करते हुए देखे सुने गए हैं यद्यपि मैं स्वयं स्वामी जी का ही कृपा पात्र हूँ। परंतु इन सभी विशेषणों की सार्थकता को नहीं जानता था, उसी तरह जैसे प्रतिदिन दर्शन करते हुए भी हम सूर्य भगवान क्या हैं इस रहस्य को नहीं समझ पाते। एक दिन स्वामी जी के दर्शनार्थ भारतवर्ष के सर्वमान्य संत, साधु समाज के भूषण, तपोमूर्ति महान वीतरागी महापुरुष स्वामी जी जो अपने को तृणादपि सुनीच समझने वाले, संत के व्यवहार को देखकर अवाक रह गए। बहुत विनय की तब भी सिर नहीं उठाया तब स्वामी जी ने अपने प्रधान शिष्य महान्त श्री हरिदास जी से कहा “इत्र लाइये” और अपनी दोनों हथेलियों में इत्र लगाकर श्री रामसुखदास जी के सिर पर यह कहते हुए हाथ रख दिए कि मैं आपको आशीर्वाद देने लायक नहीं हूँ। आपकी सेवा कर रहा हूँ सिर की चम्पी (मालिश) किये दे रहा हूँ। मैं उस समय वहां था। उपरोक्त घटना को देखकर अब समझा कि स्वामी जी मेरे गुरुदेव भगवान के संबंध में कहे जाने वाले सभी विशेषण सत्य हैं। क्योंकि संत की महिमा को, उनके स्तर के कोई संत ही समझ सकते हैं, सामान्य व्यक्ति नहीं। कहावत भी है, “खग जाने खग ही की भाषा”। श्री स्वामी जी के संबंध में परमार्थ पथ के पथिक सभी ग्रहस्थ, विरक्त महानुभावों की अत्यंत उत्कृष्ट गरिमामयी मान्यता रही है। अनुभवी भक्तों ने यह तथ्य पूर्णतया सप्रमाण स्वीकार किया है कि श्री स्वामी जी श्री जानकी जी के अग्रज, श्री जनक सुनैना जी के दुलारे लाल श्री प्रेम मूर्ति लक्ष्मीनिधि जी के अवतार थे जो जगत के कलिमल ग्रस्त जीवो को मिथिला रस का रसास्वादन कराकर भव पार करने के लिये साथ ही अपने बहनोई श्री र...

Blog by Satsahib.org: आचार्य श्री गरीब दास जी महाराज का जीवन परिचय

आचार्य श्री गरीब दास जी महाराज का जीवन परिचय सतगुरु संत और अवतार तीन कला एके दरबार जगतगुरु आचार्य श्री गरीबदास महाराज जी का अवतार इस कलयुग में भटक चुके लोगों को परमेश्वर प्राप्ति का सही मार्ग दिखाने के लिये छुडानी में हुआ आप कबीर पंथ के महान संत, महान योगी, महान कवी हुए आप जी की इस जगत को सब से बड़ी देन आप जी की पवित्र वाणी है जो की“श्री ग्रन्थ साहिब” के नाम से प्रचलित है इसमे आप जी ने लगभग १८०० दोहों की रचना की है इतनी बड़ी मात्र में विभिन्न भाषाओं के शब्दों का प्रयोग करते हुए शायद ही किसी महापुरुष ने वाणी की रचना की हो आप की पवित्र वाणी को पढ- सुनकर, विचारकर ना जाने कितने ही जीवों का उद्धार हो चूका है और आगे भी होता रहेगा जहां एक तरफ आप ने परमेश्वर प्राप्ति के लिये नाम स्मरण, भक्ति और ज्ञान मार्ग का उपदेश दिया वहीं दूसरी तरफ समाज में फैली बुराइयों का जम कर विरोध भी किया आप हिंदू मुसलिम सब को एक सामान, उस एक परमात्मा की संतान मानते थे आप हमेशा तुरिया अवस्था में लीन रहते थे और आप जी के श्री मुख से सहज ही वाणी प्रकट होती रहती थी आप जी से ही गरीब दासी पंथ की शुरुवात हुई जो आज भारत के अनेक राज्यों में पसर चूका है आप जी का अवतार स्थान श्री छुडानी धाम गरीब दासी संप्रदाय का सर्वोच्च पीठ है जहां पर आप जी की याद में भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है यहाँ पर – १. हर वर्ष वैशाख की पूर्णिमा को जगतगुरु आचार्य श्री गरीबदास जी महाराज का अवतार दिवस बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है २. कबीर साहिब जी द्वारा गरीब दास जी को गुरु दीक्षा देने वाले दिन की याद में हर वर्ष फाल्गुन शुद्धि द्वादशी को छुडानी धाम में कृपा पर्व बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है यह परम्परा महाराज श्री गरीब दास जी के समय से ही चली ...

Aniruddhacharya Ji महाराज का जीवन परिचय: Age, Son, Wife Caste and Fees 2022

नमस्कार दोस्तों हमारी वेबसाइट पर आपका स्वागत है, आज हम बात करने वाले हैं, अनिरुद्धचार्य जी महाराज के बारे में, आज के इस लेख में हम अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज के बारे में संपूर्ण जानकारी जानेंगे और जानेंगे. Aniruddhacharya ji Maharaj Family, Aniruddhacharya Ji Maharaj Son, Wife, Age, Aniruddhacharya ji maharaj biography, Aniruddhacharya ji maharaj fees. वर्तमान समय मे अनिरुद्धाचार्य जी महाराज हर घर की शान बन गए हैं, क्योंकि उनकी कथा लगभग हर घर, हर व्यवसाय क्षेत्र में टीवी या मोबाइल के माध्यम से चलता ही रहता है, यह हम सभी को देखने में मिलता है. अनिरुद्धाचार्य जी महाराज का जन्म 27 सितंबर 1989 में मध्यप्रदेश के दमोह जिले मे रिंवझा नामक गाँव में हुआ है। Aniruddhacharya ji Maharaj एक जाने-माने धार्मिक प्रवचनकर्ता है, अगर आप भक्ति से जुड़े हुए कार्यक्रम देखना पसंद करते हैं, तो आपने इन्हें यूट्यूब चैनल या टीवी पर जरूर देखा होगा. स्वामी अनिरुद्धाचार्य जी महाराज द्वारा दिए गए प्रवचन को सुनने के लिए लोगों की भीड़ हजारों की संख्या में आती है, और लोग अनिरुद्धाचार्य जी महाराज को देखना भी बहुत ज्यादा पसंद करते है. Table of Contents • • • • • • • • अनिरुद्धाचार्य जी महाराज का जीवन परिचय | Aniruddhacharya Ji Maharaj biography वास्तविक नाम अनिरुद्धाचार्य जी प्रसिद्ध नाम स्वामी अनिरुद्धाचार्य जी महाराज जन्म तारिक 27 सितंबर 1989 जनम स्थान रिंवझा नामक गावं जबलपुर मध्यप्रदेश कार्य भागवत कथावाचक गुरु श्री गिर्राज शास्त्री जी महाराज रंगरूप गोरा रंग माथे पर लम्बा तिलक और लम्बे बाल परम पूज्य श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज का जन्म 27 सितंबर 1989 को जबलपुर मध्यप्रदेश (भारत) में हुआ था, बताया जाता है कि...