पर्यावरण पर चार्ट

  1. पर्यावरण पर गहराता संकट, भविष्य के लिए वैश्विक चुनौती
  2. हरी पर्यावरण संरक्षण चार्ट संग्रह पीपीटी तत्व
  3. स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार: छह अहम बातें
  4. विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण एवं चार्ट प्रतियोगिता का आयोजन
  5. विश्व पर्यावरण दिवस : जलवायु परिवर्तन वॉरियर्स की अगली पीढ़ी 'ग्रीन गुरुकुल' के बच्चों से मिलें
  6. Importance of water and environment explained through chart


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पर्यावरण पर गहराता संकट, भविष्य के लिए वैश्विक चुनौती

पर्यावरण यानि हमारे चारों और मौजूद जीव-अजीव घटकों का आवरण, जिससे हम घिरे हुए हैं जैसे कि जीव-जंतु, जल, पौधे, भूमि और हवा जो प्रकृति के संतुलन को अच्छा बनाएं रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है किंतु जब पर्यावरण शब्द के साथ संकट जुड़ गया तब से विश्व में पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मानने की आवश्यकता महसूस हुई इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी। इसके बाद हर वर्ष 5 जून को पर्यावरण शब्द सुनने को मिलता है किंतु आजतक इतने वर्षों में क्या हम जागृति ला पाए है पर्यावरण के प्रति, पर्यावरण कार्य हेतु दुनियाभर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। पर्यावरण और जीवन का अन्योन्याश्रित संबंध है तथापि हमें अलग से यह दिवस मनाकर पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन और विकास का संकल्प लेने की आवश्यकता पड़ रही है। आजकल ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर भले ही इस अवसर पर बड़े-बड़े व्याख्यान दिये जाएं, बड़ी बड़ी गोष्ठियां ओर सम्मेलन किये जाएं या हज़ारों पौधा-रोपण किए जाएं और पर्यावरण संरक्षण की झूठी क़समें खायी जाएं, पर इस एक दिन को छोड़ शेष 365 दिन प्रकृति के प्रति अमानवीय व्यवहार करकर क्या हम एक दिन पर्यावरण सरंक्षण करके पर्यावरण को बचा सकते है। यह मानवजाति के लिए सवालिया निशान है। विकास के चक्कर में लोग यह भूलते जा रहे हैं कि हमारा जीवन प्रकृति की ही देन है, पृथ्वी पर जीवन है तो इसका कारण केवल पर्यावरण की उपस्थिती है। हमारे विकास की भौतिकवादी और पूंजीवादी विचारधारा ने पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है। पर्यावरण की चिंता करते हुए यदि हम गोष्ठियों और सभाओं तक सीमित रह...

हरी पर्यावरण संरक्षण चार्ट संग्रह पीपीटी तत्व

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स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार: छह अहम बातें

मानवाधिकार परिषद का मिशन, विश्व भर में मानवाधिकारों को बढ़ावा देना और उनकी रक्षा करना है. संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था ने पहली बार एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें स्वस्थ व टिकाऊ पर्यावरण की सुलभता को एक सार्वभौमिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है. प्रस्ताव में, इस अभूतपूर्व क़दम को लागू करने के लिये, सभी देशों और अन्य साझीदारों से एक साथ मिलकर प्रयास करने का आग्रह किया गया है. SREnvironment मानवाधिकार परिषद की प्रमुख और फ़िजी की राजनयिक नज़हत शमीम ने हथौड़े की चोट से जब मतदान के नतीजे घोषित किये तो उस क्षण, पर्यावरण एवं मानवाधिकार के मुद्दे पर यूएन के विशेष रैपोर्टेयर, डेविड बॉयड भी सभागार में मौजूद थे. उन्होंने बताया कि पेशेवर जीवन में, यह उनके अब तक के सबसे रोमांचकारी अनुभवों में से एक के रूप में याद रहेगा. उन्होंने विशाल पैमाने पर किये गए सामूहिक प्रयासों की सराहना की. “इस प्रस्ताव को पारित कराने में वस्तुत:, लाखों लोगों और वर्षों दर वर्षों का समय लगा है.” इस प्रस्ताव में एक हज़ार से ज़्यादा नागरिक समाज, बाल, युवा और आदिवासी समुदाय के संगठनों के प्रयासों का उल्लेख किया गया है. प्रस्ताव के पक्ष में 43 वोट डाले गए, जबकि चार सदस्य देश मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे. प्रस्ताव में एक सुरक्षित, स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण को मानवाधिकार के रूप में मान्यता दिये जाने, उसे लागू किये जाने और इस अधिकार की रक्षा किये जाने की बात कही गई है. मगर, यह अधिकार किन मायनों में महत्वपूर्ण है और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होने वाले समुदायों के लिये इसके क्या निहितार्थ हैं? यूएन न्यूज़ ने इस विषय में छह महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर सामग्री तैयार की है. 1. पहले, एक नज़र मानवाधिकार परिषद के का...

विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण एवं चार्ट प्रतियोगिता का आयोजन

टिहरी गढ़वाल 5 जून 2023। शहीद बेलमती चौहान राजकीय महाविद्यालय पोखरी, क्वीली, टिहरी गढ़वाल के भूगोल विभाग द्वारा महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ० शशिबाला वर्मा के निर्देशन में विश्व पर्यावरण दिवस २०२३ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भाषण एवं चार्ट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें महाविद्यालय की समस्त छात्र छात्राओं द्वारा बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया गया। इस मौके पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉo शशिबाला वर्मा द्वारा छात्र-छात्राओं को बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन थीम के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई तथा पर्यावरण संतुलन को कैसे अपने दैनिक व्यवहार की आदतों में शामिल किया जाना चाहिए इस विषय में विस्तार से समझाया गया। महाविद्यालय के भूगोल विभाग की प्रभारी डॉ सुमिता पंवार द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया तथा छात्र छात्राओं को पर्यावरण संतुलन के विषय में एवं विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की थीम बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम में हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ राम भरोसे द्वारा भी छात्र छात्राओं को पर्यावरण संतुलन वृक्षारोपण, वन आग्नि से बचाव तथा प्लास्टिक उपयोग को कम करने के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम में अंग्रेजी विभाग की प्राध्यापिका डॉ वंदना सेमवाल द्वारा भी छात्र छात्राओं को प्लास्टिक के हानिकारक प्रभाव एवं इसके उपयोग को कम करने के विषय में विस्तार से चर्चा की गई। अर्थशास्त्र विभाग की प्राध्यापिका श्रीमती सरिता सैनी द्वारा भी छात्र छात्राओं को पर्यावरण संतुलन के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए उनके द्वारा चार्ट एवं भाषण प्रतियोगिता हेतु शुभकामनाएं प्रकट की गई तथा साथ ही उन्हें मंच पर बोलने क...

विश्व पर्यावरण दिवस : जलवायु परिवर्तन वॉरियर्स की अगली पीढ़ी 'ग्रीन गुरुकुल' के बच्चों से मिलें

स्वस्थ वॉरियर विश्व पर्यावरण दिवस : जलवायु परिवर्तन वॉरियर्स की अगली पीढ़ी ‘ग्रीन गुरुकुल’ के बच्चों से मिलें ग्रीन गुरुकुल हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कक्षा छह से कक्षा 12 तक के सरकारी स्कूलों के छात्रों के बीच एक गैर-सरकारी संगठन ‘वेस्ट वॉरियर्स’ द्वारा संचालित एक इंटर-स्कूल समग्र छात्र संपर्क पहल है नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन ने आज के समय में हमारे भविष्य की अनिश्चितता को बढ़ा दिया है. जैसे-जैसे इसका प्रभाव बढ़ रहा है, एक बात निश्चित हो गई है: हम धरती को आने वाली जनरेशन के भरोसे छोड़ देंगे. ऐसे में आज की युवा पीढ़ी के लिए जलवायु परिवर्तन और इसके यूज और एडॉप्शन के बारे में बात करना जरूरी हो जाता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि युवा आबादी जलवायु परिवर्तन की पीड़ित होने के बजाय इसमें महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बने, इसलिए उत्तराखंड का एक NGO वेस्ट वारियर्स ‘ग्रीन गुरुकुल’ नाम से एक कम्युनिटी एक्टिवेशन प्रोग्राम चला रहा है. इसे भी पढ़ें: ग्रीन गुरुकुल ग्रीन गुरुकुल की शुरुआत 2017 में की गई थी. शुरू में लगभग 22 स्कूलों के 3,223 स्टूडेंट्स इसका हिस्सा बने थे. 7 सालों में 70 से अधिक स्कूलों के लगभग 39 हजार छात्र इस पहल के साथ जुड़ चुके हैं. ग्रीन गुरुकुल एक इंटर-स्कूल ओवरऑल स्टूडेंट इंटरेक्शन प्रोग्राम है, जो स्कूली छात्रों को एक्टिविटीज और पहलों के माध्यम से पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने के लिए एक प्लेटफार्म प्रदान करता है. इस प्रोग्राम को जलवायु परिवर्तन और वेस्ट मैनेजमेंट सहित कई पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने में मदद करने के लिए और इसमें स्कूलों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसका उद्देश्य उन पर्यावरणीय मुद्दों को उजागर करना है, जिनका एक देश के ...

Importance of water and environment explained through chart

निष्ठा प्रशिक्षण 17 मॉड्यूल पर आधारित है। पांच दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान प्रतिदिन निर्धारित विषय पर चर्चा के साथ ही कुछ गतिविधियां भी करायी जाती है। इन्हीं गतिविधियों के बीच प्रशिक्षकों द्वारा उपलब्ध कराये गए चार्ट पर शिक्षकों की टोलियों ने पर्यावरण, भूजल, शिक्षण, स्वास्थ्य आदि विभिन्न विषयों पर आधारित चित्र को मूर्तरूप दिया। टोलियों में विभाजित शिक्षकों ने चार्ट पर तैयार किए गए चित्र के विभिन्न हिस्सों को इंगित करते हुए विषय के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए पौधों का क्यों सबसे अधिक महत्व है। खंड शिक्षाधिकारी विनोद कुमार पांडेय ने प्रशिक्षण का निरीक्षण किया।