पर्यावरण प्रदूषण के कारण और निवारण pdf

  1. प्रदूषण पर निबंध
  2. पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ
  3. पर्यावरण प्रदूषण : समस्या और समाधान,प्रदूषण की समस्या : कारण और निवारण
  4. पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ, प्रकार, कारण
  5. पर्यावरण प्रदूषण कारण एवं निवारण : डॉ. एस. के. पुरोहित द्वारा हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक
  6. पर्यावरणीय क्षरण (प्रदूषण)के कारण और प्रभाव और नियन्त्रण के उपाय
  7. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100, 200, 300, 500 और 1000 शब्दों में
  8. प्रदूषण : कारण एवं निवारण


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प्रदूषण पर निबंध

Essay on Pollution in Hindi :आज की इस पोस्ट में आप सभी पाठकों के लिए प्रदूषण पर निबंध लिखकर पेश किया गया है। यह निबंध एक सरल भाषा में एवं एकदम सुशोभित तरिके से लिखा गया है। इस पोस्ट में आप सभी पाठकों के इन सभी सवालों के जवाब मिलेगें - Essay on Pollution in Hindi, Pollution Essay in Hindi, Pradushan ka nibandh, Essay on air pollution in Hindi, Essay on Pollution problem in Hindi, Essay on Pollution free diwali in Hindi, Essay on pollution control in Hindi, Essay on pollution and environment in hindi आदि। तो आप सभी इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें। यह पोस्ट आप सभी पाठकों के लिए बहुत ही लाभयदायक साबित होगी। प्रदूषण की परिभाषा : प्रदूषण का अर्थ होता है प्राकृतिक संतुलन में दोषपैदा होना। यदि प्रकृति में वायु, भूमि, जल, ध्वनि आदि संतुलित ना हो तो इसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण में दूषित पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाला दोष है। प्रदूषण का अर्थ होता है - हवा, पानी, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना। इसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव होता है तथा परिस्थितिकतंत्र को भी नुकसान होता है। प्रदूषण एक अभिशाप :यदि जल प्रदूषण हो तो जल प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु दूषित होने से उत्पन्न वायु प्रदूषण सजीव प्रजातियों के लिए सांस लेने के लिए बहुत ही हानिकारक होता है। व्यवहारिक रूप में मानव की प्रगति की चाहत और सुख-सुविधाओं की वृद्धिकी चाहमें उसके द्वारा किए गए दिन-प्रतिदिन नए प्रयोगों ने प्रदूषण में दिन-प्रतिदिन वृद्धिकी है। इससे ना केवल वायु प्रदूषण हुआ है बल्कि इसके साफ-साफ जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण तथा भूमि प्र...

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ

अनुक्रम (Contents) • • • • पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ होता है— पर्यावरण की गुणवत्ता को कम करना, जो मानवीय क्रियाओं द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के अधिक उपयोग के कारण होता है, जैसे वनों के कटाव से, कृषि में, रासायनिक खादों के प्रयोग से तथा औद्योगीकरण से । इस प्रकार मानवीय क्रियाओं द्वारा स्थानीय सर पर पर्यावरण की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव डालना एवं इसमें परिवर्तन होना पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है। निम्नलिखित प्रकार के प्रदूषण को पर्यावरण के क्षेत्र में सम्मिलित किया गया है- 1. कार्बन पदार्थ (Carbon substance)– कार्बन पदार्थों में वायु प्रदूषण कार्बन मोनो ऑक्साइड से अधिक होता है, जो मानव जीवन के लिये बहुत हानिकारक होता है। यह मुख्य रूप से कोयले के जलने, बिजली उत्पादन के यन्त्रों एवं गैस से चलने वाले इंजनों से उत्पन्न होता है, जो मनुष्य के रक्त में मिल जाती है और उसके नाड़ी तन्त्र को प्रभावित करती है। 2. कार्बन डाई ऑक्साइड (Carbon dioxide)- मूलरूप से यह गैस कार्बन-चक्र का एक भाग है । यह कोयला आदि जलने से उत्पन्न होती है । इस गैस में सूर्य की विकिरण ऊर्जा को सोख लेने की शक्ति होती है, जिससे ग्रीन हाउस इफ्फेक्ट की सम्भावना बढ़ जाती है, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से प्रदूषण को उत्पन्न करता है। 3. सल्फर डाई-ऑक्साइड (Sulphure dioxide)- सामान्य रूप से वायुमण्डल में सल्फर डाई ऑक्साइड से वायु प्रदूषण होता है। (SO) (SO, ) ये दोनों महत्त्वपूर्ण सल्फर ऑक्साइड हैं। यह गैसें पेट्रोल एवं कोयले के जलने से उत्पन्न होती हैं और यह मानव की श्वांस क्रिया को प्रभावित करती है । यह गैस वायुमण्डल में आर्द्रता से तुरन्त क्रिया करके सल्फ्यूरिक एसिड बनाती है...

पर्यावरण प्रदूषण : समस्या और समाधान,प्रदूषण की समस्या : कारण और निवारण

अन्य शीर्षक पर्यावरण प्रदूषण और निराकरण के उपाय, सामाजिक वानिकी और पर्यावरण, पर्यावरण प्रदूषण, धरती की रक्षा : पर्यावरण सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण का महत्त्व, पर्यावरण प्रदूषण: कारण और निवारण,पर्यावरण शुद्ध करने में विज्ञान की उपयोगिता, असन्तुलित पर्यावरणः प्राकृतिक आपदाओं का कारण, पर्यावरण सुरक्षा की महत्ता, पर्यावरण की समस्या एवं समाधान,पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय, वृक्षारोपण की उपयोगिता, संकेत बिन्दु भूमिका, प्रदूषण का तात्पर्य, प्रदूषण के कारण, प्रदूषण के दुष्परिणाम, प्रदूषण निवारण के उपाय, उपसंहार। भूमिका प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों में पर्यावरणीय प्रदूषण एक गम्भीर समस्या है। यह भारत की ही नहीं पूरे विश्व की समस्या है। इस समस्या से निपटने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। सम्पूर्ण मानव जाति के अस्तित्व को समाप्त कर सकने में सक्षम इस वैश्विक समस्या पर अब समस्त विश्व समुदाय एकजुट है और इसके निवारण के उपायों की खोज में जुटा है। उल्लेखनीय है कि पर्यावरण प्रदूषण से विश्व का पर्यावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है, साथ ही इसके दुष्परिणामस्वरूप कई अनेक जटिल समस्याएँ भी उत्पन्न हो रही हैं। प्रदूषण का तात्पर्य निःसन्देह सौरमण्डल में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है, जहाँ जीवन के होने के पूर्ण प्रमाण विद्यमान हैं। पृथ्वी के वातावरण में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन तथा 1% अन्य गैसें शामिल हैं। इन गैसों का पृथ्वी पर समुचित मात्रा में होना जीवन के लिए अनिवार्य है, किन्तु जब इन गैसों का आनुपातिक सन्तुलन बिगड़ जाता है, तो जीवन के लिए प्रतिकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। विश्व में आई औद्योगिक क्रान्ति के बाद से ही प्राकृतिक संसाधनों का दोहन शुरू हो गया था, जो उन...

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ, प्रकार, कारण

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ (paryavaran pradushan kya hai) paryavaran pradushan arth prakar karan;पर्यावरण प्रदूषण दो शब्दों, पर्यावरण और प्रदूषण से मिलकर बना है। जैसा की हम पिछले लेख मे यह जान चुके है की पर्यावरण का तात्पर्य हमारे चारों ओर आस-पास के वातावरण एवं परिवेश से होता है, जिसमे हम, आप और अन्य जीवधारी रहते है। 'प्रदूषण' को स्पष्ट करते हुए कोलिन वाकर ने कहा है "प्रकृति के द्वारा प्रदत्त सामान्य वातावरण मे भौतिक, रासायनिक या जैविक कारको के कारण होने वाले परिवर्तन प्रदूषण है।" ओडम के अनुसार," वातावरण के अथवा जीवमंडल के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों के ऊपर जो हानिकारक प्रभाव पड़ता है, प्रदूषण कहलाता है।" अन्य शब्दों मे हमारे पर्यावरण की प्राकृतिक संरचना एवं संतुलन मे उत्पन्न अवांछनीय परिवर्तन को प्रदूषण कह सकते है। प्रदूषण के प्रकार (paryavaran pradushan ke prakar) पर्यावरण मे मिलने वाले हानिकारक पदार्थ, जो पर्यावरण को प्रदूषित बनाते है प्रदूषक कहलाते है तथा इस समस्या को प्रदूषण कहते है। प्रदूषण के निम्न प्रकार होते है-- 1. वायू प्रदूषण जीवाश्य ईधन, कोयला, लकड़ी, खनिज तेल, पेट्रोल, कल-कारखानों तथा वाहनों का धुआं वायू प्रदूषण पैदा करते है। इनके कारण वायुमंडल मे जहरीली कार्बन डाईआक्साइड, सल्फर हाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सीसा इत्यादि की मात्रा बढ़ रही है। इससे भूमंडलीय तापमान मे वृद्धि हो रही है। सांस तथा गले की बीमारी, अम्लीय वर्षा, ओजोन परत मे कमी, जीव-जंतुओं की असमय मृत्यु होना वायु प्रदूषण के हानिकारक दुष्परिणाम है। 2. जल प्रदूषण कल-कारखानों का कूड़ा-कचरा तथा हानिकारक रसायन नही व जलाशयों मे फेंकने, शहर की गंदगी व सीवर नदियों मे बहाने, रासायनिक खाद...

पर्यावरण प्रदूषण कारण एवं निवारण : डॉ. एस. के. पुरोहित द्वारा हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक

सभी Hindi Pdf Book यहाँ देखें सभी Audiobooks in Hindi यहाँ सुनें पर्यावरण प्रदूषण कारण एवं निवारण का संछिप्त विवरण : भारत में गोबर को अधिकांश मात्रा में जलाया जाता है और खाद के रूप में से बहुत कम मात्रा में लिया जाता है | गोबर का स्वास्थ्यकर और सही तरीके से निस्तारण करके उससे मनुष्यों और पशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है और मक्खियों तथा बीमारीओं को भी नियन्त्रित किया जा सकता है | गोबर, ऊ्जी (गोबर गैस ) का बहुत अच्छा स्रोत बनता है………. Paryavaran Pradushan Karan Evan Nivaran PDF Pustak Ka Sankshipt Vivaran : Bharat mein Gobar ko Adhikansh matra mein jalaya jata hai aur khad ke roop mein use bahut kam matra mein liya jata hai. Gobar ka svasthyakar aur sahi tareeke se nistaran karake usase manushyon aur pashuon ke svasthy ki raksha ki ja sakati hai aur makkhiyon tatha beemarion ko bhee niyantrit kiya ja sakata hai. Gobar, oorja (Gobar gais ) ka bahut achchha srot banata hai…………. Short Description of Paryavaran Pradushan Karan Evan Nivaran PDF Book : In India, dung is consumed in most quantity and in the form of manure it is taken in very small amounts. Healthy and proper disposal of cow dung can be done to protect the health of humans and animals and flies and diseases can also be controlled. Dung becomes a very good source of energy (dung gas)………….. 44Books का एंड्रोइड एप डाउनलोड करें “याद रखें कि कोई भी आपकी सहमति के बिना आपको नीचा नहीं महसूस करवा सकता।” ‐ एलेनोर रूसवेल्ट “Remember no one can make you feel inferior without your consent.” ‐ Eleanor Roosevelt Related P...

पर्यावरणीय क्षरण (प्रदूषण)के कारण और प्रभाव और नियन्त्रण के उपाय

पर्यावरणीय क्षरण (प्रदूषण) ( Environmental Pollution) • पर्यावरणी प्रदूषण वर्तमान समय में मानवता एवं पृथ्वी की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। पृथ्वी के वातावरण में उपस्थित भौतिक एवं जैविक घटकों ( Physical and Biological Components) का इस स्तर तक प्रदूषित होना कि सामान्य पर्यावरणीय प्रक्रिया नकारात्मक रूप से प्रभावित होने लगे तो इस स्थिति को पर्यावरणीय प्रदूषण कहा जाता है। • पर्यावरणी प्रदूषण हमारे परिवेश ( Surroundings) में होने वाला प्रतिकूल परिवर्तन ( Unfavorable Alteration) है , जो आंशिक अथवा पूर्ण रूप से मानवीय क्रियाकलापों का परिणाम है। • वनस्पतियों एवं जैव विविधता में कमी , वातावरण एवं खाद्यान्नों में हानिकारक रसायनों की अधिक मात्रा में उपस्थिति , पर्यावरणीय दुर्घटनाओं ( Environmental Accidents) के बढ़ते खतरे तथा जीवन रक्षा तंत्र ( Life Support System) के लिए उत्पन्न संकट आदि से यह प्रमाणित होता है कि प्रदूषण के कारण पर्यावरणीय गुणवत्ता ( Environmental Quality) में गिरावट आयी है। पर्यावरणीय अवनयन ( Environmental Degradation ) • प्राकृतिक संसाधनों जैसे वायु , जल , भूमि के क्षरण , पारितंत्र ( Ecosystem) एवं पर्यावास ( Habitat) के विनाश , वन्यजीवों की विलुप्ति ( Extinction of Wildlife) तथा प्रदूषण के माध्यम से पर्यावरण का ह्रास होना पर्यावरण अवनयन कहलाता है। यह पर्यावरण में होने वाले किसी अवांछनीय परिवर्तन ( Undesirable Change) अथवा अव्यवस्था ( Disturbance) के रूप में परिभाषित किया जाता है। • पर्यावरण प्रदूषण एवं पर्यावरण अवनयन दोनों प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप पर्यावरण की शुद्धता में ह्रास ( Deterioration of Purity) होता है। पर्यावरणीय प्रदूषक ( Environmental Pollutan...

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100, 200, 300, 500 और 1000 शब्दों में

आज हम पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लेकर आये हैं। यह प्रदूषण पर निबंध बहुत ही सरल शब्दों में लिखा गया है। अक्सर स्कूल, कॉलेज में विद्यार्थियों को प्रश्न पूछे जाते हैं: पर्यावरण प्रदूषण के बारे में हिंदी में लिखिए, Write essay on pollution in Hindi, पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्द में लिखिए आदि। निचे दिए गये निबंध को हमने 100, 200, 300 शब्द, 500 words और 1000 शब्दों में लिखा है जिसे class 5,6,8, या क्लास 10, class 12 आदि का कोई भी विद्यार्थी लिख सकता है। Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में प्रकृति में फैलने वाली गंदगियाँ ही प्रदूषण का कारण बनती हैं। जब ये गंदगियाँ और अशुद्धियाँ पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं तो उसे ही पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। हमारे पर्यावरण में अलग-अलग तरह से प्रदूषण हो सकते हैं जैसे: वायु, जल, ध्वनी, मृदा प्रदूषण आदि। प्रदूषण से हवा, पानी, मौसम चक्र और जलवायु खराब होते हैं जिससे हमारे स्वास्थ्य को बहुत नुकसान होता है और हम रोगों के शिकार हो जाते हैं। प्रदूषण फैलने के कई कारण हैं जैसे: पेड़ों की कटाई, औद्योगीकरण, रसायनोंकाप्रयोग आदि। ज्यादातर हम इंसानों की वजह से ही पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण रोकना हम इंसानों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा ताकि हम ऐसी कोई भी गतिविधि न करें जिससे प्रदूषण फैले और प्रकृति को नुकसान हो। पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में भूमिका आज के समय में मनुष्य आधुनिकता की ओर लगातार बढ़ रहा है और इसी होड़ में हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मानव अपनी सुख-सुविधाओं को पूरा करने के लिए लगातार ऐसी गतिविधियाँ कर रहा ...

प्रदूषण : कारण एवं निवारण

निबंध की रूपरेखा • • • • • • • • • • • प्रदूषण के कारण एवं निवारण प्रस्तावना प्रदूषण आज की प्रमुख समस्या है। महानगरों में प्रदूषण इस सीमा तक बढ़ गया है कि लोगो के लिए सांस लेना भी दूभर हो गया है। यदि प्रदूषण पर समय रहते अंकुश न लगाया गया तो यह समस्या अत्यन्त भयावह रूप धारण कर लेगी। आवश्यकता इस बात की है कि लोगों को इस सम्बन्ध में सचेत एवं जागरूक किया जाए। प्रदूषण का अर्थ प्राकृतिक असुंतलन का ही दूसरा नाम प्रदूषण है। मानवीय हस्तक्षेप से जब प्रकृति के किसी एक घटक (तत्व) की मात्रा निश्चित मानकों से कम या अधिक हो जाती है, तो प्रकृति में असन्तुलन उत्पन्न हो जाता है, जिसे प्रदूषण कहा जाता है। पृथ्वी पर प्रदूषण क्यों प्रारम्भ हुआ, इस सम्बन्ध में विद्वानों में मत वैभिन्य है, किन्तु यह सभी स्वीकार करते हैं कि इसका एक प्रमुख कारण जनसंख्या विस्फोट है। जैसे-जैस जनसंख्या बढ़ती गई, जंगल कटते गए, नगर बसते गए, औद्योगीकरण प्रारम्भ हुआ और प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गई। पढ़े – वायु प्रदूषण वायु प्रदूषण का तात्पर्य है- वायु में हानिकारक गैसों का अनुपात अधिक होना। सामान्यतः वायु में अनेक प्रकार की गैसें एक निश्चित अनुपात में होती हैं किन्तु यदि किसी कारण से यह अनुपात बिगड़ जाए अर्थात वायु की भौतिक रासायनिक संरचना में गड़बड़ी आ जाए तो पारिभाषिक दृष्टि से यह कहा जाएगा कि वायु प्रदूषित हो गई है। स्वच्छ वायु जीवन के लिए परम आवश्यक है। यदि दूषित सांस ली जाएगी तो मानव के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और वह अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो जाएगा। वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक औद्योगीकरण एवं वृक्षों का कटना। उद्योग धन्धों के विकास के साथ-साथ जहरीला धुआँ उगलती चिमनियां प्रतिदिन लाखों टन कार्बन डाई-ऑक...