पूर्णमासी कौन से दिन की है

  1. Aaj kaun sa din hai
  2. पूर्णिमा और अमावस्या क्या है ? इनका विशेष महत्व क्या है ?
  3. God days of the week: In hinduism know which God is worshiped on which day and the reason for it. From Shiva on Monday to Shani Saturday.
  4. पञ्चाङ्गम्
  5. सप्ताह के किस दिन करें कौन से भगवान की पूजा
  6. पूर्णिमा 2023 तिथियाँ: पूर्णिमा की रातों में उपवास अनुष्ठान
  7. Raksha Bandhan 2022 Date Shubh Muhurat Know Important Work Before Rakhi


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Aaj kaun sa din hai

Aaj kaun sa de hai: कई बार हम भूल जाते हैं की आज कौन सा दिन है ( Aaj kaun sa din hai) या आज कौन सा वार है, कई बार तो ऐसा भी होता है की हमें तारीख भी याद नहीं रहती है, आज हम आपके लिए लेकर आये हैं ये आर्टिकल, इसमें हमने जावा स्क्रिप्ट की मदद से वार, तारीख और महीना लाइव चेक करने की सुविधा प्रदान की है। ताकि आप आसानी से दिन, तारीख और महीने का पता लगा सकें। साथ ही इस आर्टिकल की मदद से आप छुट्टियों और महत्वपूर्ण दिवस के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। अगर आप जानना चाहते हैं की आज कितनी तारीख है या आज कौन सा वार है। आज कौन सा डे है? (Aaj kaun sa day hai). अथवा आज कौन सा दिन है, ये आप यह से देख सकते हैं। आज कौनसा दिवस है? | आज कौन सा वार है? - Aaj konsa divas hai | Aaj konsa war hai इस साल आने वाले सभी व्रत, त्योहारों और छुट्टियों की सूची भी हमने यहाँ दी है, आप यहां से चेक कर सकते हैं की किस महीने कौन से छुट्टी रहेगी या कौन सा व्रत त्यौहार किस दिन आ रहा है। January 2023 में व्रत और त्योहारों की सूची 01 जनवरी रविवार अंग्रेजी नव वर्ष 11 जनवरी बुधवार मासिक शिवरात्रि 12 जनवरी गुरुवार राष्ट्रीय युवा दिवस 12 जनवरी गुरुवार स्वामी विवेकानंद जयंती 13 जनवरी शुक्रवार लोहड़ी 14 जनवरी शनिवार मकर संक्रांति 15 जनवरी रविवार - बुधवार, 18 जनवरी पोंगल 20 जनवरी शुक्रवार गुरु गोबिंद सिंह जयंती 21 जनवरी शनिवार मौनी अमावस्या 23 जनवरी सोमवार सुभाष चंद्र बोस जयंती 26 जनवरी गुरुवार गणतंत्र दिवस 26 जनवरी गुरुवार Vasant Panchami 30 जनवरी सोमवार Mahatma Gandhi Punyatithi 31 जनवरी मंगलवार Birthday of Guru Har Rai (Nanakshahi Calendar) फरवरी 2023 में भारतीय त्योहारों और छुट्टियों की सूची 03 फरवरी शुक्रवार...

पूर्णिमा और अमावस्या क्या है ? इनका विशेष महत्व क्या है ?

AMOJEET - हिन्दी ब्लॉग पर आप सभी पाठकों का स्वागत है। आज की इस पोस्ट में हम आपको पूर्णिमा और अमावस्या के बारे में पूरी जानकारीदेने वाले है। यदि आपके मन में भी कुछ ऐसे सवाल है - • अमावस्या क्या होती है ? • अमावस्या कब होती है ? • अमावस्या साल में कितनी बार आती है ? • पूर्णिमा क्या होती है ? • पूर्णिमा कब होती है ? • पूर्णिमा साल में कितनी बार होती है ? • पूर्णिमा और अमावस्या का क्या संबंध है ? • पूर्णिमा और अमावस्या कैसे होती है ? • हिन्दू पंचांग में पूर्णिमा और अमावस्या का क्या सबंध है ? • अमावस्या और पूर्णिमा का चंद्र/चंद्रमा/चंद्रग्रहण से क्या सबंध है ? तो आज की इस पोस्ट में हम आपके इन सभी सवालो का जबाव विस्तारपूर्वक देने वाले है। तो आइये पोस्ट की शुरुवात करते है। अमावस्या और पूर्णिमा क्या होती है ? आजकल हम जिस कलेंडर का इस्तेमाल करते है वो English Calendar होता है। इंग्लिश कलेंडर के अनुसार साल में 12 महीने होते है। इस कलेंडर के हर एक महीने में 31,30,28 या 29 दिन हो सकते है। महीनों के नाम कुछ इस प्रकार है - जनवरी,फरवरी,मार्च,अप्रैल,मई,जून,जुलाई,अगस्त,सितंबर,अक्टूबर,नवंबर,दिसंबर लेकिन भारत में आज भी पंडित वर्ग,हिन्दू समुदाय के लोग Hindu Calendar के अनुसार तिथि देखते है और अपने पर्व आदि मनाते है। Hindu Calendar को हिन्दी पंचांग भी कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में बारह महीने होते है,जिनका नाम कुछ इस प्रकार है - बारहवाँ महीना Hindu पंचांग के अनुसार हर महीने के 30 दिनों को शुक्ल/शुक्ला और कृष्ण/कृष्णा पक्ष में विभाजित किया गया है। यानि की हर महीने के पहले 15 दिन कृष्ण पक्ष और अंतिम 15 दिन शुक्ल पक्ष के होते है। कृष्ण पक्ष के 15वें दिन अमावस्या होती है। अमावस्य...

God days of the week: In hinduism know which God is worshiped on which day and the reason for it. From Shiva on Monday to Shani Saturday.

Gods Days of the Week : सप्ताह के सातों दिनों के नाम ग्रहों के आधार पर रखें गए हैं। सातों दिन अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित किए हैं। ज्योतिष के अनुसार, हर एक दिन अलग ग्रह के लिए होता है और इसके अनुसार ही देवी देवताओं की पूजा की जाए तो भगवान कृपा हमेशा बनी रहती है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपके जीवन में भगवान की कृपा बनी रहे तो आपको ये जरूर जानना कि हफ्ते का कौन सा दिन किसी देवी देवताओं को समर्पित है और उस दिन किसी की पूजा की जाती है। सोमवार सोमवार का दिन साक्षात् जगत पिता भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिवजी की पूजा की जाती है। भगवान शिव को देवों के देव महादेव भी कहा जता है। इस दिन शिव जी पूजा करने से भोले अपने भक्त से प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी पूजा करने से समाज में मान-सम्मान भी बढ़ता है। ज्योतिषियों के अनुसार, जो लोग भगवान शिवजी का व्रत करते उन पर शिवजी की कृपा हमेशा बनी रहती है। मंगलवार मगंलवार का दिन मंगल ग्रह का दिन कहा जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है। इस दिन हनुमान जी की पूजा से भक्त के पिछले जन्मों के पापों से भी मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर होता है उन्हें मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने और चालीसा पढ़ने से भक्तों को भय से मुक्ति मिलती है। बुधवार बुधवार का दिन श्री गणेश को समर्पित को समर्पित है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन कोई भी काम करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही जिन लोगों को कुंडली में कमजोर होता है उन्हें बुधवार के दिन गणेश भगवान की पूजा करने की सलाह दी जाती है। गुरुवार गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित...

पञ्चाङ्गम्

पञ्चाङ्गम् परम्परागत भारतीय 'पञ्चाङ' का शाब्दिक अर्थ है, 'पाँच अङ्ग' (पञ्च + अङ्ग)। अर्थात पञ्चाङ्ग में गणना के आधार पर हिंदू पंचांग की तीन धाराएँ हैं- पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति। भिन्न-भिन्न रूप में यह पूरे भारत में माना जाता है। एक वर्ष में १२ महीने होते हैं। प्रत्येक महीने में १५ दिन के दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण। प्रत्येक साल में दो अयन होते हैं। इन दो अयनों की राशियों में २७ नक्षत्र भ्रमण करते रहते हैं। १२ मास का एक वर्ष और ७ दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन अनुक्रम • 1 तिथि • 2 वार • 3 नक्षत्र • 4 योग • 5 करण • 6 पक्ष • 7 महीनों के नाम • 8 सौरमास • 9 चंद्रमास • 10 नक्षत्रमास • 10.1 सन्दर्भ • 10.2 इन्हेंभीदेखें तिथि [ ] एक दिन को तिथि कहा गया है जो पंचांग के आधार पर उन्नीस घंटे से लेकर छब्बीस घंटे तक की होती है। चंद्र मास में ३० तिथियाँ होती हैं, जो दो पक्षों में बँटी हैं। शुक्ल पक्ष में एक से चौदह और फिर तिथियों के नाम निम्न हैं- पूर्णिमा (पूरनमासी), प्रतिपदा (पड़वा), द्वितीया (दूज), तृतीया (तीज), चतुर्थी (चौथ), पंचमी (पंचमी), षष्ठी (छठ), सप्तमी (सातम), अष्टमी (आठम), नवमी (नौमी), दशमी (दसम), एकादशी (ग्यारस), द्वादशी (बारस), त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस) और अमावस्या (अमावस)। वार [ ] एक सप्ताह में सात दिन होते हैं:-सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार। नक्षत्र [ ] आकाश में तारामंडल के विभिन्न रूपों में दिखाई देने वाले आकार को नक्षत्र कहते हैं। मूलत: नक्षत्र 27 माने गए हैं। ज्योतिषियों द्वारा एक अन्य अभिजित नक्षत्र भी माना जाता है। चंद्रमा उक्त सत्ताईस नक्षत्रों में भ्रमण करता है। नक्षत्रो...

सप्ताह के किस दिन करें कौन से भगवान की पूजा

• 5 hours ago • 7 hours ago • 8 hours ago • 8 hours ago • 10 hours ago • 11 hours ago • 11 hours ago • 11 hours ago • 11 hours ago • 13 hours ago • 14 hours ago • 14 hours ago • 15 hours ago • 16 hours ago • 17 hours ago • 19 hours ago • 22 hours ago • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • 38.8°C सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं का पूजन किया जाता है। दैवीय शक्तियों को विधाता ने मनुष्य की अलग-अलग इच्छाओं को पूरा करने का काम सौंपा है। हर दिन का अपना खास महत्व होता है लेकिन कुछ दिनों में विशेष देवी-देवताओं का पूजन करने से सांसारिक कामनाओं की पूर्ति होती है। सप्ताह के सात दिन भी सात देवों को समर्पित हैं, उनकी पूजा से क्या फल मिलता है, आईए जानें- रविवार: रविवार को सूर्य देव का वार कहा जाता है। इस रोज व्रत रखना, घी-तेल और नमक से परहेज करना शुभ फल देता है। संडे को लाल रंग के कपड़े पहनें, लाल चंदन का टीका लगाएं और लाल रंग के फल-फूल सूर्यनारायण को अर्पित करके गरीबों में बांट दें। सोमवार: सोमवार का दिन देवों के देव महादेव और चन्द्र ग्रह को समर्पित है। कुंवारी कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए यह व्रत करती हैं। इस दिन सफ़ेद रंग के कपड़े पहनना और इसी रंग की चीजों का दान करना विशेष फलदाई है। मंगलवार: मंगलवार का दिन हनुमान जी और मंगल ग्रह का है। इस दिन व्रत रखने से जीवन में कभी भी अमंगल प्रवेश नहीं करता। इस दिन लाल वस्त्र पहनने चाहिए। हनुमान जी को गुड़, चने और लाल रंग की मिठाईयों का भोग लगाने से शनि और मंगल ग्रह की शुभता मिलती है। बुधवार: शास्त्रों ने बुधवार का दिन ...

पूर्णिमा 2023 तिथियाँ: पूर्णिमा की रातों में उपवास अनुष्ठान

पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक शुभ दिन है, यह शब्द पूरी तरह से पूर्ण चंद्रमा का अनुवाद करता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में, इसे पूर्णिमा या पूर्णमासी के रूप में मनाया जाता है और भक्तों के लिए भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने के शुक्ल पक्ष के अंत में पूर्णिमा आती है। साल की हर पूर्णिमा का अपना अलग महत्व होता है और इसके पीछे एक विशेष पूर्णिमा व्रत कथा होती है। उपवास की विधि आमतौर पर हर पूर्णिमा के पीछे की कहानी और व्रत के उद्देश्य के आधार पर अलग होती है। हालाँकि, पूर्णिमा के दिनों में देवताओं (आमतौर पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी) की पूजा करके, जीवन में पिछले सभी पापों से मुक्ति पाने और मोक्ष प्राप्त करने का लक्ष्य आम है। आइए अब पूर्णिमा 2023 के महत्व को समझते हैं। आगामी पूर्णिमा प्रत्येक राशि के लिए क्या लेकर आती है? पढ़ें वार्षिक राशिफल 2023। पूर्णिमा की रातों का महत्व वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा सुंदरता और शांति का प्रतीक है। इसलिए जिस रात चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है यानी पूर्णिमा की रात साल की सबसे सौभाग्यशाली रातों में से एक मानी जाती है। पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा फिर से पूर्ण होने के प्रयास में अपनी सोलह कलाओं को पूरा करता है और अपनी कृपा से रात को रोशन करता है। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा सीधे किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है, इसलिए जो कोई भी इस दिन पूजा करता है और व्रत रखता है, वह चंद्रमा के अवांछित प्रभावों से मुक्त होता है और शांति, सुंदरता और शांति का आशीर्वाद प्राप्त करता है। यह भक्तों के लिए भगवान श्री हरि विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा कर...

Raksha Bandhan 2022 Date Shubh Muhurat Know Important Work Before Rakhi

Raksha Bandhan 2022 Date Shubh Muhurat: भाई बहन के त्योहारों में रक्षा बंधन (Raksha Bandhan 2022) का त्योहार विशेष स्थान रखता है. रक्षा बंधन का त्योहार हर साल श्रावण मास (Sawan Month 2022) के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी (Rakhi) बांधती हैं और भाई के लंबी उम्र और सुखद जीवन की कामना करती हैं. वहीं भाई अपनी बहनों को कुछ गिफ्ट देता है. साथ ही उनकी रक्षा का वचन देता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में भाइयों की कलाई पर शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधने की बात कही गई है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ होता है. भाई-बहन के बीच प्रेम और स्नेह का यह त्योहार इस बार 11 अगस्त को मनाया जाएगा. इस पर्व के पहले कुछ कम ऐसे होते हैं जिन्हें समय रहते ही कर लेना चाहिए. अभी से राखी भेज दें यदि आपका भाई कहीं दूर पढ़ने गया हो या नौकरी करने गया हो. या फिर अन्य किसी कारण वश रक्षा बंधन के दिन आप उसको राखी न बांध सके, तो ऐसी परिस्थितियों में उसके लिए अभी से ही राखी कूरियर के द्वारा या पोस्ट के द्वारा भेज दें. ताकि रक्षा बंधन के पहले भाई को राखी मिल जाए और वह समय से राखी बांध सके. बहन के लिए भेजें तोहफा इसी तरह भाई भी रक्षा बंधन के दिन अपने बहन को तोहफा पहुंचाना चाहता है तो उसे भी पहले ही खरीदकर बहन के पास पोस्टल के द्वारा भेज देना चाहिए. ताकि बहन भी रक्षा बंधन के दिन भाई का तोहफा प्राप्त कर सके. टिकट बुक कर लें जो भाई बहन एक दूसरे से दूर हैं. उन्हें रक्षा बंधन के दिन पहुंचने के लिए अभी से ही टिकट बुक करा लेना चाहिए. यह जरूरी नहीं है कि तत्काल आपको टिकट मिल ही जाये. क्योंकि पर्व और त्योहारों के समय महीनों पहले टिकट बुक हो जाते हैं.