रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय हिंदी में

  1. रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय एवं रचनाएं
  2. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के जीवन
  3. रामधारी सिंह दिनकर
  4. रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं और जीवन परिचय
  5. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जीवन परिचय भाषा
  6. रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय
  7. रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय
  8. रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय रचनाएं, भाषा शैली, साहित्य परिचय - Gyan Light
  9. रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं और जीवन परिचय
  10. रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय


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रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय एवं रचनाएं

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर सन्‌ 1908 ईस्वी में बिहार के बेगूसराय जिले (पुराना जिला मुंगेर) के सिमरिया नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम रवि सिंह तथा माता का नाम मनरूप देवी था। इनके पिता एक साधारण कृषक थे इनकी प्रारंभिक शिक्षा अपने ही गांव से शुरू हुई थी तथा स्नातक (बी०ए० ऑनर्स) की शिक्षा इतिहास एवं राजनीति विज्ञान विषय से पटना विश्वविद्यालय में संपन्न हुई। इन्होंने कई भाषाओं का गहन अध्ययन कर ज्ञान प्राप्त किया जैसे- संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी तथा बांग्ला आदि। कई भाषाओं का ज्ञान तथा बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात इन्होंने एक माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्त होकर कार्य किया। सन् 1934 से 1947 तक इन्होंने बिहार सरकार की सेवा में सब-रजिस्ट्रार तथा प्रचार विभाग के उपनिदेशक के पद पर कार्य किया‌ तथा यह मुजफ्फरनगर के एक कॉलेज 'लंगट सिंह कॉलेज' में हिंदी‌ के विभागाध्यक्ष भी रहे। इनका राजनीतिक जीवन भी था, यह तीन बार राज्यसभा के लिए चुने गए और इन्होंने सन् 1952 से 1964 तक राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया तथा इन्होंने 'भागलपुर विश्वविद्यालय' के कुलपति के रूप में भी कार्य किया और भारत सरकार के हिंदी सलाहकार भी बने। आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ कवि तथा भारत सरकार से पुरस्कार प्राप्त करने वाले दिनकर जी की मृत्यु 24 अप्रैल सन् 1974 ईस्वी में बिहार के बेगूसराय जिले में हुई। ( रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय एवं रचनाएं || Ramdhari Singh Dinkar Ka jivan parichay ) रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय नाम रामधारी सिंह दिनकर जन्म 23 सितंबर 1988 जन्म स्थान सिमरिया (बिहार) पिता का नाम बाबू रवि सिंह माता का नाम श्रीमती मन...

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के जीवन

हिन्दी के प्रसिद्ध कवि व क्रान्ति-गीतों के अमर गायक श्री रामधारी सिंह हिन्दी-साहित्याकाश के दीप्तिमान् ‘दिनकर’ हैं। इन्होंने अपनी प्रतिभा की प्रखर किरणों से हिन्दी-साहित्य-गगन को आलोकित किया है। ये हिन्दी के महान् विचारक, निबन्धकार, आलोचक और भावुक कवि हैं। इनके द्वारा कई ऐसे ग्रन्थों की रचना की गयी है, जो हिन्दी-साहित्य की अमूल्य निधि हैं। जीवन-परिचय–दिनकर जी का जन्म सन् 1908 ई० में बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया’ नामक ग्राम में एक साधारण कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री रवि सिंह तथा माता का नाम श्रीमती मनरूप देवी था। अल्पायु में ही इनके पिता का देहान्त हो गया था। इन्होंने पटना विश्वविद्यालय से बी० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की और इच्छा होते हुए भी पारिवारिक कारणों से आगे न पढ़ सके और नौकरी में लग गये। कुछ दिनों तक इन्होंने माध्यमिक विद्यालय मोकामाघाट में प्रधानाचार्य के पद पर कार्य किया। फिर सन् 1934 ई० में बिहार के सरकारी विभाग में सब-रजिस्ट्रार की नौकरी की। इसके बादप्रचार विभाग में उपनिदेशक के पद पर स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद तक कार्य करते रहे। सन् 1950 ई० में इन्हें मुजफ्फरपुर के स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। सन् 1952 ई० में ये राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए। इसके बाद इन्होंने भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति, भारत सरकार के गृहविभाग में हिन्दी सलाहकार और आकाशवाणी के निदेशक के रूप में कार्य किया। सन् 1962 ई० में भागलपुर विश्वविद्यालय ने इन्हें डी० लिट्० की मानद उपाधि प्रदान की। सन् 1972 ई० में इनकी काव्य-रचना ‘उर्वशी’ पर इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हिन्दी साहित्य-गगन का यह दिनकर 24 अप्रैल, सन् 1974...

रामधारी सिंह दिनकर

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (Ramdhari Singh Dinkar) का Ramdhari Singh Dinkar रामधारी सिंह दिनकर के जीवन वृत्त पर प्रकाश डालिए तथा उनकी कृतियों की सोदाहरण विवेचना कीजिए। रामधारी सिंह ‘दिनकर’ राष्ट्रीय जीवन की आकांक्षाओं के उत्कृष्ट प्रतिनिधि कवि हैं। इनकी कविताओं में विद्रोह, राष्ट्र-प्रेम, अन्याय तथा शोषण के प्रति आवाज उठी है। राष्ट्रकवि का सम्मान देकर राष्ट्र ने उनके प्रति कृतज्ञता का परिचय दिया है। दिनकर की कविता युगीन समस्याओं को प्रस्तुत करती है। वे ‘ओज’ और ‘माधुर्य’ के कवि के रूप में हिन्दी को अनेक काव्य रचनाएँ दे चुके हैं। क्रान्तिवीर दिनकर की कविताएँ मन को झकझोर देने में समर्थ हैं। उनके कृतित्व की श्रेष्ठता का प्रमाण है उनकी कृति ‘ उर्वशी‘ पर मिला ‘ ज्ञानपीठ‘ पुरस्कार। दिनकर जी सच्चे अर्थों में राष्ट्र कवि कहे जाने योग्य हैं। रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म बिहार के मुंगेर जिले में सिमरिया गाँव में 30 सितम्बर, सन् 1908 ई. को हुआ था। इनके पिता का नाम रविसिंह एवं माता का नाम मनरूपदेवी था। बाल्यावस्था में ही इनके पिता का देहान्त हो जाने के कारण इनकी माताजी ने इनका पालन किया। मोकामघाट से हाईस्कूल करके पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। मोकामघाट के विद्यालय में प्रधानाचार्य में पद पर कार्य किया और फिर उसके बाद सब-रजिस्टार के पद पर भी कार्य किया। ये मुजफ्फरपर कॉलेज के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष भी रहे। तत्पश्चात् वे भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति रहे और भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार पद पर भी कार्य किया। अनेक वर्षों तक ये राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे। 24 अप्रैल, सन 1974 को इनका देहान्त हो गया। ‘दिनकर’ प्रारम्भ से ही लोक के प्रति निष्ठा...

रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं और जीवन परिचय

Jankaritoday.com अब Google News पर। अपनेे जाति के ताजा अपडेट के लिए Last Updated on 12/04/2020 by सामाजिक और आर्थिक समानता और शोषण के खिलाफ कविताओं से आवाज बुलंद करने वाले राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की आज 44वीं पुण्यतिथी है. उनका निधन 24 अप्रैल 1974 को हुआ था. दिनकर स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये. दिनकर एक प्रगतिवादी और मानववादी कवि थे. उन्होंने हिंदी साहित्य में न सिर्फ वीर रस के काव्य को एक नयी ऊंचाई दी, बल्कि अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का भी सृजन किया. कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार सुनने को मिलती है. रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय दिनकर का जन्म 23 सितंबर, 1908 को सिमरिया गाँव, बेगूसराय, बिहार में हुआ था. पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक विद्यालय में अध्यापक हो गये. हिंदी साहित्य में एक नया मुकाम बनाने वाले दिनकर छात्र जीवन में इतिहास, राजनीतिक शास्त्र और दर्शन शास्त्र जैसे विषयों को पसंद करते थे, हालांकि बाद में उनका झुकाव साहित्य की ओर हुआ.1934 से 1948 तक बिहार सरकार की सेवा में सब-रजिस्टार और प्रचार विभाग के उपनिदेशक पदों पर कार्य किया. 1950 से 1952 तक मुजफ्फरपुर कालेज में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे, भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति के पद पर कार्य किया और उसके बाद भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार बने.उन्हें पद्म विभूषण की उपाधि से भी अलंकृत किया गया. उनकी पुस्तक संस्कृति के चार अध्याय के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा उर्वशी के लिये भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पुण्यतिथि के...

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जीवन परिचय भाषा

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जीवन परिचय भाषा-शैली व साहित्यिक परिचय : राष्ट्रकवि रामधारी सिंह का हिंदी के ओजस्वी कवियों में शीर्ष स्थान है। वे हिंदी के महान कवि, श्रेष्ठ निबंधकार, विचारक एवं समीक्षक के रूप में जाने जाते हैं। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के ग्राम सिमरिया में सन् 1908 ई. में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री रवि सिंह था। इनकी अल्पायु में ही इनके पिता का देहांत हो गया। इन्होंने‘मोकामाघाट’ से मैट्रिक (हाईस्कूल) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् पटना विश्वविद्यालय से बी.ए. ऑनर्स की परीक्षा उत्तीर्ण की। बी.ए. ऑनर्स करने के पश्चात् आप एक वर्ष तक मोकामाघाट के प्रधानाचार्य रहे। सन् 1934 ई. में आप सरकारी नौकरी में आए तथा 1943 ई. में ब्रिटिश सरकार के युद्ध-प्रचार-विभाग में उपनिदेशक नियुक्त हुए। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह का हिंदी के ओजस्वी कवियों में शीर्ष स्थान है। राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत उनकी कविताओं में प्रगतिवादी स्वर भी मुखरित है, जिसमें उन्होंने शोषण का विरोध करते हुए मानवतावादी मूल्यों का समर्थन किया है। वे हिंदी के महान कवि, श्रेष्ठ निबंधकार, विचारक एवं समीक्षक के रूप में जाने जाते हैं। जीवन परिचय : राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘ दिनकर’ का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के ग्राम सिमरिया में सन् 1908 ई. में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री रवि सिंह था। इनकी अल्पायु में ही इनके पिता का देहांत हो गया। इन्होंने ‘ मोकामाघाट’ से मैट्रिक (हाईस्कूल) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् पटना विश्वविद्यालय से बी.ए. ऑनर्स की परीक्षा उत्तीर्ण की। बी.ए. ऑनर्स करने के पश्चात् आप एक वर्ष तक मोकामाघाट के प्रधानाचार्य रहे। सन् 1934 ई. में आप सरकारी नौकरी में आए त...

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय

विषय सूची • • • • • • • • जीवन परिचय – रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिन्दी के प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। ‘दिनकर’ स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद ‘ राष्ट्रकवि‘ के नाम से जाने गये। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है। दिनकर’ जी का जन्म 24 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गाँव में एक सामान्य किसान ‘रवि सिंह’ तथा उनकी पत्नी ‘मनरूप देवी’ के पुत्र के रूप में हुआ था। परिणामत: दिनकर और उनके भाई-बहनों का पालन-पोषण उनकी विधवा माता ने किया।दिनकर दो वर्ष के थे, जब उनके पिता का देहावसान हो गया। दिनकर का बचपन और कैशोर्य देहात में बीता, जहाँ दूर तक फैले खेतों की हरियाली, बांसों के झुरमुट, आमों के बग़ीचे और कांस के विस्तार थे। प्रकृति की इस सुषमा का प्रभाव दिनकर के मन में बस गया, पर शायद इसीलिए वास्तविक जीवन की कठोरताओं का भी अधिक गहरा प्रभाव पड़ा। रामधारी सिंह दिनकर एक क्रांतिकारी कवि माने जाते थे उन्होंने हिंदी साहित्य में वीर रस के काव्य को बहुत ही ऊपर उठाया था रामधारी सिंह दिनकर की मृत्यु 24 अप्रैल 1974 को हुआ था। • नाम – रामधारी सिंह ‘दिनकर’। • जन्म – 24 सितंबर 1908। • मृत्यु – 24 अप्रैल 1974। • जन्म स्थान – सिमरिया गांव बिहार। • पिता – रवि सिंह (किसान)। • माता – मनरूप देवी। • मृत्यु स्थान – चेन्नई (राष्ट्रकवि दिनकर जी की जीवनी)। कृतियाँ ...

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय

‘राष्ट्रकवि’ के रूप में समादृत और लोकप्रिय रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय ज़िले के सिमरिया ग्राम में एक कृषक परिवार में हुआ। बचपन संघर्षमय रहा जहाँ स्कूल जाने के लिए पैदल चल गंगा घाट जाना होता था, फिर गंगा के पार उतर पैदल चलना पड़ता था। पटना विश्वविद्यालय से बी.ए. की परीक्षा पास करने के बाद आजीविका के लिए पहले अध्यापक बने, फिर बिहार सरकार में सब-रजिस्टार की नौकरी की। अँग्रेज़ सरकार के युद्ध-प्रचार विभाग में रहे और उनके ख़िलाफ़ ही कविताएँ लिखते रहे। आज़ादी के बाद मुज़फ़्फ़रपुर कॉलेज में हिंदी के विभागाध्यक्ष बनकर गए। 1952 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुन लिया गया जहाँ दो कार्यकालों तक उन्होंने संसद सदस्य के रूप में योगदान किया। इसके उपरांत वह भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति नियुक्त किए गए और इसके एक वर्ष बाद ही भारत सरकार ने उन्हें अपना हिंदी सलाहकार नियुक्त कर पुनः दिल्ली बुला लिया। ओज, विद्रोह, आक्रोश के साथ ही कोमल शृंगारिक भावनाओं के कवि दिनकर की काव्य-यात्रा की शुरुआत हाई स्कूल के दिनों से हुई जब उन्होंने रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा प्रकाशित ‘युवक’ पत्र में ‘अमिताभ’ नाम से अपनी रचनाएँ भेजनी शुरू की। 1928 में प्रकाशित ‘बारदोली-विजय’ संदेश उनका पहला काव्य-संग्रह था। उन्होंने मुक्तक-काव्य और प्रबंध-काव्य—दोनों की रचना की। मुक्तक-काव्यों में कुछ गीति-काव्य भी हैं। कविताओं के अलावे उन्होंने निबंध, संस्मरण, आलोचना, डायरी, इतिहास आदि के रूप में विपुल गद्य लेखन भी किया। प्रमुख कृतियाँ मुक्तक-काव्य: प्रणभंग, रेणुका, हुँकार, रसवंती, द्वंद्वगीत, सामधेनी, बापू, धूप-छाँह, इतिहास के आँसू, धूप और धुआँ, मिर्च का मज़ा, नीम के पत्ते, सूरज का ब्याह, नील-कुसुम, हारे क...

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय रचनाएं, भाषा शैली, साहित्य परिचय - Gyan Light

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय रामधारी सिंह दिनकर का जन्म रामधारी सिंह दिनकर जी का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया घाट नामक ग्राम में सन 1908 में एक साधारण किसान परिवार के यहां हुआ था। रामधारी सिंह दिनकर जी के पिता जी का नाम श्री.रवि सिंह था। और इनकी माता जी का श्रीमती मनरूपा देवी था। रामधारी सिंह दिनकर जी की मृत्यु 24 अप्रैल 1974 को 65 वर्ष की आयु में मद्रास तमिलनाडु, भारत में साहित्य का ये दिनकर सदा के लिए अस्त हो गया। जन्म सन् 1908 ई० को जन्म स्थान बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया ग्राम में पिता का नाम श्री रवि सिंह माता का नाम श्रीमती मनरूपा देवी रचनाएं रेणुका, हुंकार, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतिज्ञा, देश-विदेश आदि मृत्यु सन् 1974 ई० में रामधारी सिंह दिनकर की शिक्षा रामधारी सिंह दिनकर जी की प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई थी। इन्हे कविता लिखने का शौक विद्यार्थी जीवन से ही था। जब यह हाईस्कूल पास कर चुके थे। तब इन्होंने प्राण भंग नामक काव्य पुस्तक लिखी थी। जो सन 1929 में प्रकाशित हुई। इन्होंने सन 1932 में बीए की परीक्षा उत्तीर्ण करके एक उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रधान अध्यापक के पद पर कार्य किया। फिर ये सरकारी नोकरी करने लगे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ये प्रचार के विभाग में निदेशक के पद पर कार्य करते रहे। इन्होंने इसके बाद बिहार विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के पद पर कार्यरत रहे। भागलपुर विश्विद्यालय में ये कुलपति के पद पर भी कार्यरत रहे। आखिर में भारत सरकार के गृहविभाग में हिंदी सलाहकार के रूप में लंबे समय तक प्रचार प्रसार के लिए कार्यरत रहे। पढ़ें… पढ़ें… रामधारी सिंह दिनकर जी के साहित्य परिचय दिनकर जी आधुनिक युग के एक ऐसे साहित्यकार है। जिन्होंने बाल्याव...

रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं और जीवन परिचय

Jankaritoday.com अब Google News पर। अपनेे जाति के ताजा अपडेट के लिए Last Updated on 12/04/2020 by सामाजिक और आर्थिक समानता और शोषण के खिलाफ कविताओं से आवाज बुलंद करने वाले राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की आज 44वीं पुण्यतिथी है. उनका निधन 24 अप्रैल 1974 को हुआ था. दिनकर स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये. दिनकर एक प्रगतिवादी और मानववादी कवि थे. उन्होंने हिंदी साहित्य में न सिर्फ वीर रस के काव्य को एक नयी ऊंचाई दी, बल्कि अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का भी सृजन किया. कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार सुनने को मिलती है. रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय दिनकर का जन्म 23 सितंबर, 1908 को सिमरिया गाँव, बेगूसराय, बिहार में हुआ था. पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक विद्यालय में अध्यापक हो गये. हिंदी साहित्य में एक नया मुकाम बनाने वाले दिनकर छात्र जीवन में इतिहास, राजनीतिक शास्त्र और दर्शन शास्त्र जैसे विषयों को पसंद करते थे, हालांकि बाद में उनका झुकाव साहित्य की ओर हुआ.1934 से 1948 तक बिहार सरकार की सेवा में सब-रजिस्टार और प्रचार विभाग के उपनिदेशक पदों पर कार्य किया. 1950 से 1952 तक मुजफ्फरपुर कालेज में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे, भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति के पद पर कार्य किया और उसके बाद भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार बने.उन्हें पद्म विभूषण की उपाधि से भी अलंकृत किया गया. उनकी पुस्तक संस्कृति के चार अध्याय के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा उर्वशी के लिये भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पुण्यतिथि के...

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय

‘राष्ट्रकवि’ के रूप में समादृत और लोकप्रिय रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय ज़िले के सिमरिया ग्राम में एक कृषक परिवार में हुआ। बचपन संघर्षमय रहा जहाँ स्कूल जाने के लिए पैदल चल गंगा घाट जाना होता था, फिर गंगा के पार उतर पैदल चलना पड़ता था। पटना विश्वविद्यालय से बी.ए. की परीक्षा पास करने के बाद आजीविका के लिए पहले अध्यापक बने, फिर बिहार सरकार में सब-रजिस्टार की नौकरी की। अँग्रेज़ सरकार के युद्ध-प्रचार विभाग में रहे और उनके ख़िलाफ़ ही कविताएँ लिखते रहे। आज़ादी के बाद मुज़फ़्फ़रपुर कॉलेज में हिंदी के विभागाध्यक्ष बनकर गए। 1952 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुन लिया गया जहाँ दो कार्यकालों तक उन्होंने संसद सदस्य के रूप में योगदान किया। इसके उपरांत वह भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति नियुक्त किए गए और इसके एक वर्ष बाद ही भारत सरकार ने उन्हें अपना हिंदी सलाहकार नियुक्त कर पुनः दिल्ली बुला लिया। ओज, विद्रोह, आक्रोश के साथ ही कोमल शृंगारिक भावनाओं के कवि दिनकर की काव्य-यात्रा की शुरुआत हाई स्कूल के दिनों से हुई जब उन्होंने रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा प्रकाशित ‘युवक’ पत्र में ‘अमिताभ’ नाम से अपनी रचनाएँ भेजनी शुरू की। 1928 में प्रकाशित ‘बारदोली-विजय’ संदेश उनका पहला काव्य-संग्रह था। उन्होंने मुक्तक-काव्य और प्रबंध-काव्य—दोनों की रचना की। मुक्तक-काव्यों में कुछ गीति-काव्य भी हैं। कविताओं के अलावे उन्होंने निबंध, संस्मरण, आलोचना, डायरी, इतिहास आदि के रूप में विपुल गद्य लेखन भी किया। प्रमुख कृतियाँ मुक्तक-काव्य: प्रणभंग, रेणुका, हुँकार, रसवंती, द्वंद्वगीत, सामधेनी, बापू, धूप-छाँह, इतिहास के आँसू, धूप और धुआँ, मिर्च का मज़ा, नीम के पत्ते, सूरज का ब्याह, नील-कुसुम, हारे क...