रानी दुर्गावती की कहानी

  1. पुण्यतिथिः कहानी रानी दुर्गावती की, जिन्होंने छुड़ा दिए थे अकबर की फौज के छक्के
  2. रानी दुर्गावती
  3. चित्तौड़ की रानी पद्मावती की कहानी Padmavati History Hindi
  4. स्वतंत्रता के लिए प्राण अर्पण करने वाली
  5. रानी दुर्गावती की कहानी। Rani Durgavati ki Kahani
  6. विश्व की श्रेष्ठतम वीरांगना रानी दुर्गावती का साम्राज्य और गोंडवाना का स्वर्ण युग
  7. रानी दुर्गावती का जीवन परिचय
  8. एमपी में पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी रानी दुर्गावती की वीर गाथा, CM ने किया ऐलान


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पुण्यतिथिः कहानी रानी दुर्गावती की, जिन्होंने छुड़ा दिए थे अकबर की फौज के छक्के

रानी अपने हाथी पर सवार होकर युद्धभूमि में आई, रणभूमि में प्रलय सा मच गया। इस युद्ध में दुर्गावती के मासूम पुत्र वीर नारायण ने अपना जौहर दिखाया। लड़ाई में तीन बार मुगलों की सेना पीछे हटी। लेकिन युद्ध के दौरान रानी के कान के पास तीर लगा और वो घायल हो गईं, वो जबतक संभलती एक दूसरा तीर उनकी गर्दन में घुस गया। तब मुगल सम्राट अकबर का परचम बुलंद हुआ करता था। वक्त यही कोई 1562 ईस्वी के आस-पास थी। हिन्दुस्तान में मुगलिया सल्तनत की तूती बोलती थी। इसी दौरान मध्य भारत में एक रानी हुआ करती थी। नाम था रानी दुर्गावती। वर्तमान उत्तर प्रदेश के बांदा में इनका शासन हुआ करता था। उसे तब मालवा साम्राज्य कहा जाता था। मुगलों की तलवारों की चमक रानी दुर्गावती को डरा नहीं पाई थी। रानी दुर्गावती बांदा की स्वतंत्र रानी थी। लेकिन इस छोटे से राज्य की आजादी अकबर को खटकती रहती थी। अकबर ने अपने एक जनरल को इस राज्य पर कब्जा करने को कहा। फिर जो युद्ध हुआ वो मालवा और हिन्दुस्तान के इतिहास में दर्ज हो गया। 24 जून 1564 ये वही तारीख थी जब रानी दुर्गावती ने कुर्बानी दी थी। रानी की बलिदान की कहानी हम आपको बताएं इससे पहले इस त्याग की पृष्ठभूमि हम आपको बताते हैं। सन 1542 ईस्वी में रानी दुर्गावती की राजगोंड वंश के राजा संग्राम शाह के बेटे दलपत शाह से हुई। 1545 ईस्वी में रानी दुर्गावती ने एक पुत्र को जन्म दिया, उनका नाम रखा गया वीर नारायण। जब वीर नारायण मात्र 5 साल के थे भी दलपत शाह इस दुनिया से चल बसे। हालात को देखते हुए रानी दुर्गावती ने गोंड साम्राज्य का संचालन खुद अपने हाथ में लिया। इस दौरान दुर्गावती को दीवान बेवहर अधर सिम्हा और मंत्री मन ठाकुर से मदद मिली। रानी अपनी राजधानी को सिंगूरगढ़ से चौरागढ़ ले आई। ये रणनीत...

रानी दुर्गावती

पूरा नाम रानी दुर्गावती जन्म जन्म भूमि मृत्यु मृत्यु स्थान अभिभावक राजा कीर्तिराज पति/पत्नी कर्म भूमि प्रसिद्धि रानी, वीरांगना विशेष योगदान रानी दुर्गावती ने अनेक मंदिर, मठ, नागरिकता भारतीय धर्म अन्य जानकारी रानी दुर्गावती ( Rani Durgawati, जन्म: जीवन परिचय वीरांगना महारानी दुर्गावती शौर्य और पराक्रम की देवी थर-थर दुश्मन कांपे, पग-पग भागे अत्याचार, नरमुण्डों की झडी लगाई, लाशें बिछाई कई हजार, जब विपदा घिर आई चहुंओर, सीने मे खंजर लिया उतार। चौरागढ़ का जौहर आसफ़ ख़ाँ रानी की मृत्यु से बौखला गया, वह उन्हें अकबर के दरबार में पेश करना चाहता था, उसने राजधानी चौरागढ़ (हाल में ज़िला नरसिंहपुर में) पर आक्रमण किया, रानी के पुत्र राजा वीरनारायण ने वीरतापूर्वक युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त की, इसके साथ ही चौरागढ़ में पवित्रता को बचाये रखने का महान् जौहर हुआ, जिसमें अकबर और दुर्गावती तथाकथित महान् मुग़ल शासक अकबर भी राज्य को जीतकर रानी को अपने हरम में डालना चाहता था। उसने विवाद प्रारम्भ करने हेतु रानी के प्रिय सफेद सम्मान रानी दुर्गावती कीर्ति स्तम्भ, रानी दुर्गावती पर डाकचित्र, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, रानी दुर्गावती अभ्यारण्य, रानी दुर्गावती सहायता योजना, रानी दुर्गावती संग्रहालय एवं मेमोरियल, रानी दुर्गावती महिला पुलिस बटालियन आदि न जाने कितनी कीर्ति आज नमन कर रहा है। सुनूगीं माता की आवाज, रहूंगीं मरने को तैयार। कभी भी इस वेदी पर देव, न होने दूंगी अत्याचार। मातृ मंदिर में हुई पुकार, चलो मैं तो हो जाऊँ बलिदान, चढ़ा दो मुझको हे भगवान!! पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ भारतीय इतिहास कोश | लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य | प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान | पृष्ठ संख्य...

चित्तौड़ की रानी पद्मावती की कहानी Padmavati History Hindi

चित्तौड़ की रानी पद्मावती की कहानी Rani Padmavati History in Hindi Story Kahani Jivani Biography: 13वी सदी में दिल्ली की गद्दी पर सल्तनत का शासन था. शासक की यह चाह थी कि पुरे भारत वर्ष पर उसका शासन हो ! इसलिए अधीनता ना स्वीकार करने वाली रियासतों और राज्यों पर आक्रमण करना आरम्भ कर दिया | जिनमे उनकी पहली नजर थी राजपूताने के मेवाड़ की जिन्होंने कभी भी दिल्ली सल्तनत की अधीनता स्वीकार नहीं की थी अब यह पहली नज़र थी दिल्ली के शासक अलाउदीन खिलजी की. सोते मन में स्मृति सुन्दरी ,लहर लहर लहरे, चित्र खीचती चपला क्षितिज पर, कोई न ठहरे, जौहर की जीत लिए दिल में ,तेज तेगा वेग बढे, पद्मिनी की सुन्दरता में खलजी की खिल्ली उड़े|| कौन थीं रानी पद्मावती, क्या है इतिहास पद्मिनी चित्तौड़ के राणा रतनसिंह (1302-03) की पत्नी थी. यह अपनी सुन्दरता के लिए विख्यात थी. अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ आक्रमण का एक कारण पद्मिनी को प्राप्त करना भी था. जब लम्बे घेरे के बाद भी अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़ विजय न कर सका तो अपने छल से राणा रत्नसिंह को बंदी बना लिया. Telegram Group तब पद्मिनी ने साहस एव कूटनीति का परिचय देते हुए गोरा बादल की सहायता से राणा रतनसिंह को मुक्त कराया. 1303 ई में चित्तौड़ किले का पतन होने के बाद पद्मिनी ने 1600 स्त्रियों के साथ जौहर कर लिया. यह जौहर चित्तौड़ के प्रथम साके के नाम से प्रसिद्ध हैं. मलिक मोहम्मद जायसी ने अपने ग्रंथ पद्मावत में पद्मिनी की कथा का रोचक वर्णन किया हैं. रानी पद्मावती का जीवन परिचय/इतिहास (rani padmavati life introduction history in hindi) रानी पद्मावती उस समय की अद्वतीय सुंदरी थी कहा जाता हैं कि रानी पदमिनी को देखकर अलाउदीन उनकी सुन्दरता पर मोहित हो गया था और उसे पाने के लि...

स्वतंत्रता के लिए प्राण अर्पण करने वाली

मानव सभ्यता के आदिकाल से नारी का कार्यक्षेत्र घर माना गया है। वही संतान की जननी, पालन करने वाली और संरक्षिका है। पुरुष को वह जैसा बनाती है, वह प्रायः वैसा ही बन जाता है। इस दृष्टि से यदि उसे मानव जाति की निर्माणकर्ता कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं है। वैसे प्रकृति ने नारी को सब प्रकार की शक्तियाँ और प्रतिभाएँ पूर्ण मात्रा में प्रदान की हैं, पर गृह- संचालन की जिम्मेदारी के कारण उसमें मातृत्व और पत्नीत्वके गुणों का ही विकास सर्वाधिक होता है। उसको अपने इस क्षेत्र से बाहर निकलने की आवश्यकता बहुत कम पड़ती है, पर जब आवश्यकता पड़ती है तो वह अन्य क्षेत्रों में भी ऐसे महानता के कार्य कर दिखाती है कि दुनिया चकित रह जाती है। यद्यपि वर्तमान समय में परिस्थितियों में परिवर्तन हो जाने के कारण स्त्रियाँ विभिन्न प्रकार के पेशों में प्रवेश कर रही हैं और शिक्षा, व्यवसाय, कला उद्योग- धंधे, सार्वजनिक सेवा आदि अनेक क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में स्त्रियाँ दिखाई पड़ने लगी हैं। यद्यपि हमारे देश में अभी यह प्रकृति आरंभिक दशा में है, पर विदेशों में तोकरोडों स्त्रियाँ सब प्रकार के जीवन- निर्वाह के पेशों में भाग ले रही हैं। यदि यह कहा जाए कि इंग्लैंड, अमेरिका, रूस आदि देशों की तीन चौथाई से अधिक स्त्रियाँ गृह- व्यवस्था के अतिरिक्त अर्थोपार्जन और समाज- संचालन के अन्य कार्यों में भी संलग्न हैं तो इसे गलत नहीं कहा जा सकता। पर एक क्षेत्र ऐसा अवश्य है, जिसमें हमारे देश तथा अन्य देशों की स्त्रियों ने बहुत कम भाग लिया है, वह है, सेना और युद्ध का विभाग। हमारे देश में बहुत समय से नारी को कभी इस कार्य के लिए उपयुक्त माना ही नहीं गया और इसलिए उसका एक नाम 'अबला' भी रख दिया गया है। लोगों का ख्याल है कि अधिकांश ...

रानी दुर्गावती की कहानी। Rani Durgavati ki Kahani

रानी दुर्गावती की कहानी। Rani Durgavati ki Kahani रानी दुर्गावती का नाम इतिहास में महान वीरांगना के रूप में बड़े आदर और श्रद्धा से लिया जाता है। उनका जन्म उत्तरप्रदेश के राठ (महोबा) नामक स्थान पर हुआ था। वे कालिंजर के अन्तिम शासक महाराजा कीर्तिसिंह चन्देल की इकलौती सन्तान थी। नवरात्रि की दुर्गाष्टमी को जन्म लेने के कारण पिता ने इनका नाम दुर्गावती रखा। बचपन में ही दुर्गावती की माता का देहान्त हो गया था। पिता ने इन्हें पिता के साथ-साथ माँ का प्यार भी दिया और इनका पालन-पोषण बड़े लाड़ प्यार से किया। दुर्गावती बचपन से ही बड़ी बहादुर थीं। अस्त्र-शस्त्र चलाने में और घुड़सवारी करने में उनकी विशेष रुचि थी। राजकुमार के समान ही उन्होंने वीरता के कार्यों का प्रशिक्षण लिया। बड़ी होने पर वे अकेली ही शिकार को जाने लगीं। बन्दूक और तीर-कमान से अचूक निशाना लगाने में वे निपुण थीं। दुर्गावती वीर होने के साथ-साथ सुशील, भावुक और अत्यन्त सुन्दरी भी थीं। इन गुणों के साथ-साथ दुर्गावती में धैर्य, साहस, दूरदर्शिता और स्वाभिमान भी कूट-कूट कर भरा था। रानी दुर्गावती की कहानी। Rani Durgavati ki Kahani रानी दुर्गावती का नाम इतिहास में महान वीरांगना के रूप में बड़े आदर और श्रद्धा से लिया जाता है। उनका जन्म उत्तरप्रदेश के राठ (महोबा) नामक स्थान पर हुआ था। वे कालिंजर के अन्तिम शासक महाराजा कीर्तिसिंह चन्देल की इकलौती सन्तान थी। नवरात्रि की दुर्गाष्टमी को जन्म लेने के कारण पिता ने इनका नाम दुर्गावती रखा। बचपन में ही दुर्गावती की माता का देहान्त हो गया था। पिता ने इन्हें पिता के साथ-साथ माँ का प्यार भी दिया और इनका पालन-पोषण बड़े लाड़ प्यार से किया। दुर्गावती बचपन से ही बड़ी बहादुर थीं। अस्त्र-शस्त्र चलाने में और घुड़सव...

विश्व की श्रेष्ठतम वीरांगना रानी दुर्गावती का साम्राज्य और गोंडवाना का स्वर्ण युग

(रानी दुर्गावती जयंती 05 अक्टूबर पर विशेष) डॉ. आनंद सिंह राणा मृत्यु तो सभी को आती है अधार सिंह, परंतु इतिहास उन्हें ही याद रखता है जो स्वाभिमान के साथ जीये और मरे -रानी दुर्गावती (आत्मोत्सर्ग के समय अपने सेनापति से कहा था) भारत के हृदय स्थल में स्थित त्रिपुरी के महान कलचुरि वंश का 13 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में अवसान हो गया था, फलस्वरूप सीमावर्ती शक्तियां इस क्षेत्र को अपने अधीन करने के लिए लिए लालायित हो रही थीं। अंततः इस संक्रांति काल में एक वीर योद्धा जादोंराय (यदुराय) ने, तिलवाराघाट निवासी एक महान् ब्राह्मण संन्यासी सुरभि पाठक के भगीरथ प्रयास से, त्रिपुरी क्षेत्रांतर्गत, गढ़ा-कटंगा क्षेत्र में गोंड वंश की नींव रखी। (यह उपाख्यान आचार्य चाणक्य और चंद्रगुप्त मौर्य की याद दिलाता है) कालांतर में यह साम्राज्य महान गोंडवाना साम्राज्य के नाम से जाना गया।गोंडवाना साम्राज्य का चरमोत्कर्ष का प्रारंभ 48वीं पीढ़ी के महानायक राजा संग्रामशाह (अमानदास) के समय हुआ और इनकी पुत्रवधु वीरांगना रानी दुर्गावती का समय गोंडवाना साम्राज्य के स्वर्ण युग के नाम से जाना जाता है। भारतीय इतिहास का दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि रानी दुर्गावती एवं गोंडवाना साम्राज्य के महान इतिहास को एक छोटी सी कहानी बना डाला और पटाक्षेप कर दिया। रानी दुर्गावती का साम्राज्य लगभग इंग्लैंड के बराबर था। 16 वर्ष का शासन काल था, पूरे भारत में एकमात्र राज्य जहां कर, सोने के सिक्के एवं हाथियों तक में चुकाया गया था। जिसके शौर्य, पराक्रम, प्रबंधन और देशभक्ति के सामने आस्ट्रिया की मारिया थेरेसा, रूस की कैथरीन द्वितीय और इंग्लैंड की एलिजाबेथ प्रथम कहीं नहीं लगतीं।। (केवल जोन आव आर्क को छोड़ दिया जाए वह भी युद्ध कला में) मध्यक...

रानी दुर्गावती का जीवन परिचय

परिचय बिंदु ( Introduction Points) परिचय ( Introduction) पूरा नाम ((Full Name) रानी दुर्गावती जन्म दिन(Birth Date) 5 अक्टूबर 1524 जन्म स्थान (Birth Place) कालंजर के किले में (बांदा, यूपी) पेशा (Profession) योद्धा महारानी राजनीतिक पार्टी (Political Party) – राष्ट्रीयता (Nationality) भारतीय उम्र (Age) 40 वर्ष गृहनगर (Hometown) गोंडवाना राज्य धर्म (Religion) हिन्दू वंश (Genus) चंदेल वंश में जन्म और गोंड वंश में विवाह जाति (Caste) राजपूत वैवाहिक स्थिति (Marital Status) विवाहित राशि (Zodiac Sign) – रानी दुर्गावती का परिवार एवं निजी जानकारी रानी दुर्गावती का जन्म जिस वंश में हुआ था वो चंदेल वंश भारत के इतिहास में विद्याधर के महमूद गजनवी के आक्रमणों से रक्षा के लिए विख्यात हैं, जिसकी मूर्तिकला के प्रति प्रेम को खजुराहो और कालंजर किले में देखने को मिलते हैं. रानी दुर्गावती का प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा ( Rani Durgavati’s early life and Education) • रानी दुर्गावती के दुर्गाष्टमी के दिन पैदा होने के कारण उनका ये नाम रखा गया था. रानी दुर्गावती बचपन से ही योद्धा बनना चाहती थी, उन्होंने तीरंदाजी, तलवारबाजी और शस्त्र प्रशिक्षण लिया था, उन्हें शेर एवं चीते जैसे बड़े जानवरों के शिकार का शौक था. • उन्होंने अपने पिता से युद्ध-कौशल और शिकार करना सीखा था. वो उनके साथ शिकार पर जाती थी और राज्य एवं प्रशासन संभालने की बारीकियां भी सीखती रहती थी इसीलिए उनके पिता को उन पर बेहद गर्व था. रानी दुर्गावती की पारिवारिक जानकारी ( Rani Durgavati’s Family Information) पिता (Father) कीरत राय पति (Husband) दलपतशाह पुत्र (Son) वीर नारायण नाम ससुर (Father-in-law) संग्राम शाह रानी दुर्गावती और गोंड राजवंश ( Rani ...

एमपी में पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी रानी दुर्गावती की वीर गाथा, CM ने किया ऐलान

अब जल्द ही मध्य प्रदेश के छात्र छात्राओं को वीरांगना रानी दुर्गावती की वीर गाथाओं को पढ़ने का मौका मिलेगा. रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस के मौके पर जबलपुर पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि रानी दुर्गावती समेत तमाम आदिवासी नायकों की शौर्य गाथा पाठ्यक्रम में शामिल की जाएंगी. आज वीरांगना का 359 वां बलिदान दिवस रानी दुर्गावती का आज बलिदान दिवस है. गोंडवाना साम्राज्य की रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस को गौरव दिवस के रूप में मनाया गया. इस मौके पर रानी दुर्गावती के समाधि स्थल पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्रद्धांजलि अर्पित की. यहां एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर कई आदिवासी संगठन भी समाधि स्थल पहुंचे और रानी दुर्गावती के बलिदान को नमन किया. ये भी पढ़ें-एमपी पंचायत चुनाव का पहला चरण कल, 1 करोड़ 49 लाख 23 हजार मतदाता चुनेंगे पंच-सरपंच रानी के बलिदान को नमन इस मौके पर बलिदान स्थल पर आयोजित की गई एक चित्र प्रदर्शनी का भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अवलोकन किया. मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा रानी दुर्गावती का बलिदान आज की युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने वाला है. रानी दुर्गावती ने कभी मुगलों के आगे सिर नहीं झुकाया और हंसते-हंसते अपना बलिदान दे दिया. मुख्यमंत्री ने कहा रानी दुर्गावती न केवल एक कुशल शासक थी बल्कि उनके द्वारा निर्मित कराए गए जल स्रोत अद्भुत इंजीनियरिंग का उदाहरण हैं. रानी दुर्गावती ने अपने कार्यकाल में जबलपुर में जल संरक्षण का अद्भुत नमूना पेश किया था. हम ऐसी रणनीति से प्रेरणा लेते हैं कि कैसे स्वाभिमान से जीना है और देश का विकास करना है. रानी की वीर गाथा इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौह...