रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय

  1. Jhansi Ki Rani Lakshmi Bai History, Story, Information in Hindi
  2. रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी
  3. रानी लक्ष्मी बाई जीवन परिचय (जन्म, मृत्यु, लड़ाई)
  4. रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय


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Jhansi Ki Rani Lakshmi Bai History, Story, Information in Hindi

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (Jhansi Ki Rani Lakshmi Bai) एक भारतीय रानी थी जो सभी महिलाओं के लिए आदर्श और बहादुरी और वीरता का प्रतीक है। भारत की महान वीरांगना के रूप में जाने जाने वाली झांसी की रानी वीर मनु की कहानी के बारे में जानेंगे अगर महिलाओं के सशक्तिकरण के विषय पर चर्चा करें तो रानी लक्ष्मीबाई की छवि जरूर सामने आती है। रानी लक्ष्मीबाई की बहादुरी और वीरता के चर्चे देश-विदेशों में भी फैले हुए हैं। रणभूमि में वीरगति को प्राप्त रानी लक्ष्मीबाई एक स्वाभिमानी और धर्मनिष्ठ महिला थी। About Rani Laxmi Bai, Essay, Story, History, Information about Rani of Jhansi, Lakshmi Bai, Married Life, Rani Laxmi Bai Death, 10 points about rani laxmi bai (रानी लक्ष्मी बाई के बारे में, रानी लक्ष्मी बाई की कहानी, निबंध, कहानी, इतिहास, झाँसी की रानी, लक्ष्मी बाई, विवाहित जीवन, रानी लक्ष्मी बाई मृत्यु के बारे में जानकारी।). प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने अपनी अहम भूमिका निभाई और अपनी अंतिम सांस तक अपने साम्राज्य की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लड़ती रही। रानी लक्ष्मी बाई झांसी की रानी के नाम से भी जानते हैं। Table of Contents • • • • • • • • • रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय (Biography of Rani Lakshmi Bai) रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को काशी, वाराणसी में हुआ था। उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। उनकी माता का नाम भागीरथी बाई था। उनके पिता एक मराठी थे और मराठा बाजीराव के दरबार में सेवक थे। रानी लक्ष्मी बाई का बचपन का नाम मणिकर्णिका था सभी उन्हें प्यार से “मनु” कह कर पुकारते थे। जब रानी लक्ष्मीबाई 4 वर्ष की थी तभी उनकी मां का निधन हो गया था। इसलिए उनके पिता ने मनु को अपने साथ पेशवा बा...

रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी

आपने एक कविता तो जरूर सुनी होगी जो कुछ इस प्रकार से है :- सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में,वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। जी हाँ,इस कविता को सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते है और वीरता की भावना प्रबल होती है। यह कविता सुभद्रा कुमारी चौहान जी ने रानी लक्ष्मीबाई की वीरता से प्रभावित होकर उनकी प्रशंसा में लिखी है। • भारत के इतिहास में रानी लक्ष्मी बाई का गौरवमयी इतिहास शामिल है। रानी लक्ष्मी बाई को झाँसी की रानी के नाम से भी जाना जाता है। इस लेख में हम 'रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी [ Biography of Rani Laxmi Bai in Hindi ]' से जुड़ी जानकारी शेयर कर रहे है। इस लेख में रानी लक्ष्मी बाई के बारे में पूरी जानकारी हिन्दी भाषा में दी गयी है। रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी - Rani Laxmi Bai Biography in Hindi रानी लक्ष्मी बाई की जन्म दिनांक,माता - पिता का नाम रानी लक्ष्मी बाई का जन्म वाराणसी में 19 नवम्बर 1828 को हुआ था। उनका नाम 'मणिकर्णिका' रखा गया था लेकिन उन्हे प्यार से सभी 'मनु' कहते थे। उनकी माता का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। मोरोपंत तांबे एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में कार्यरत थे। बचपन में ही रानी लक्ष्मी बाई की माता का निधन हो जाने के कारण उनके पिता उन्हे अपने साथ पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में ले जाने लगे थे। दरबार में चंचल और सुन्दर मनु को सब लोग उसे प्यार से "छबीली" कहकर बुलाने लगे। रानी लक्ष्मी बाई से जुड़ी जानकारी जन्म तिथि ...

रानी लक्ष्मी बाई जीवन परिचय (जन्म, मृत्यु, लड़ाई)

आज तक जितनी ऐतिहासिक भारतीय वीर रानियां अपने-अपने वीर तथा साहसी कार्यों से सारे संसार को चकित करके अपनी अक्षय कीर्ति स्थापित कर गई है. रानी लक्ष्मी बाई जीवन परिचय (जन्म, मृत्यु, लड़ाई). उन सब में अंतिम भारतीय वीर रानी झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई थी. 1857 के भारतीय सिपाही विद्रोह के समय से इस वीर रानी का नाम भारतवर्ष में सर्वप्रथम व्यापक हो गया है. इस वीर रानी के अतुल पराक्रम और साहस की प्रशंसा सभी देशी और विदेशी बड़े प्रेम और अभिमान के साथ करते हैं. महारानी के जैसी गुण शालिनी, स्वाधीनता प्रिय, वीरमणि का चरित भारतीय इतिहास में सर्वोच्च स्थान पाने योग्य है. Rani Lakshmi Bai Biography in English – “ झांसी की रानी लक्ष्मी बाई पुरा नाम – रानी लक्ष्मी बाई जन्म – 19 नवंम्बर 1828 वाराणसी ,उत्तरप्रदेश मृत्यु– 18 जून 1858 कोटा की सराय, ग्वालियर पति– महाराज गंगाधर राव नेवालकर पिता – मोरोपंत ताम्बे माता – भागीरथी सापरे संताने – दामोदर राव, आंनद राव (गोद लिया था) प्रारम्भिक जीवन संसार में प्रेम से बढ़कर और कोई पवित्र वस्तु नहीं है, यदि वह प्रेम सच्चा सुधीर दर से किया गया हो. ऐसा ही सच्चा प्रेम मोरोपंत और उनकी पत्नी में था. ऐसे शुद्ध और पवित्र प्रेम के बीच फल भला क्यों मीठा और उत्तम ना होंगे. कार्तिक बदी 19 नवंबर सन 1828 ईस्वी को मोरोपंत के घर में कन्या का जन्म हुआ. संतान की उत्पत्ति का जो आनंद मनुष्य को होता है वह संसार में सब लोगों को विदित ही है. मोरोपंत को भी बहुत आनंद हुआ, उनके सब मित्र स्नेही बंधुओं ने मिलकर उसकी बेटी को आशीर्वाद दिया – ईश्वर आपकी इस संतान को चिरायु करें और भविष्य में यह बड़े यश और पराक्रम प्राप्त करें. काशी जी के विख्यात ज्योतिषियों ने जात का अधिकार विचार कर यह भ...

रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय

Table of Contents • • • • • • • • • • • • आज हम आपको इस पोस्ट में रानी लक्ष्मी बाई की सम्पूर्ण जीवनी के बारे में बतायंगे – रानी लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय (Rani Lakshmi Bai ka jivan parichay in hindi) :- जन्म :- रानी लक्ष्मी बाई का जन्म वाराणसी के अस्सी घाट में 19 नवंबर 1828 में हुआ था। नाम :- उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था। लेकिन प्यार से उन्हें मन्नू का जाता था। पिता जी का नाम :- मोरोपंत तांबे था। मराठी थे और मराठा बाजीराव द्वितिय की सेवा में थे। माता जी का नाम :- भागीरथी बाई था। भागीरथी बाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान और धर्मनिष्ठ महिला थी। इनकी मृत्यु जब मनू दो,तीन वर्ष की थी तब मृत्यु हो गई थी। मां की मृत्यु के बाद :- मनु अपने पिताजी के साथ बिठूर आ गई थी। यहीं पर मनु ने मल्लविद्या,घुङसवारी और शस्त्र विद्या सीख गई थी। क्योंकि घर में मनु की देखभाल के लिए कोई नहीं था, इसलिए उनके पिताजी अपने साथ बाजीराव द्वितीय के दरबार में ले जाते थे। जहां चंचल और सुंदर मनु ने सबका मन मोह लिया था। पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में उनके बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक आते थे। मन्नू भी उन बच्चों के साथ पढ़ती थी। 7 साल की कम उम्र में ही रानी लक्ष्मी बाई ने घुङ सवारी सीख ली थी। इसके साथ ही उन्होंने अस्त्र शस्त्र चलाना और घुङसवारी करना अपना प्रिय खेल बना लिया था। इसके साथ ही तलवारबाजी और धनुर्विद्या में लड़कों से भी ज्यादा निपुण थी इसलिए कम उम्र में ही मनु अस्त्र शस्त्र चलाने में पारंगत हो गई थी। रानी लक्ष्मी बाई की डाकटिकट पर तस्वीर विवाह (Rani Lakshmi Bai in hindi):- कुछ समय बाद सन् 1842 में मनु का विवाह झांसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ कर दिया गया था। शादी के बाद मन्नू (मणिकर्णिका) रानी ...