रानी लक्ष्मीबाई का निबंध

  1. झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध
  2. रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 2023
  3. हिन्दी निबंध : झांसी की रानी लक्ष्मीबाई
  4. झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध
  5. रानी लक्ष्मी बाई पर हिंदी में सरल निबंध
  6. रानी लक्ष्मीबाई पर लघु निबंध (short essay on rani lakshmi bai in hindi) – HistoryDekho.com
  7. झांसी की रानी “रानी लक्ष्मीबाई” पर निबंध


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झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध

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रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 2023

Table of Contents • • • • • रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध | rani lakshmi bai essay in hindi in 100,200 and 300 words 100 शब्दों में रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध | essay on rani lakshmi bai in hindi in 100 words झांसी की रानी का पूरा नाम लक्ष्मीबाई गंगाधरराव नेवालकर है। मूल रूप से मानकसर्णिका की रहने वाली लक्ष्मीबाई 19वीं सदी के झांसी साम्राज्य की रानी थीं।उनका जन्म 19 नवंबर 1835 को काशी, उत्तर प्रदेश में पिता मोरोपंत तांबे और मां भागीरथीबाई के घर हुआ था। रानी लक्ष्मीबाई एक रणनीतिकार, कुशल योद्धा और नेता थीं। कुश्ती में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए उन्होंने एक अलग तरह के व्यायाम का आविष्कार किया जिसे मल्लखंबा कहा जाता है। उनकी विशेषता यह थी कि पितृसत्तात्मक संस्कृति वाले समाज में, उन्होंने रणनीतिक रूप से पुरुषों के कपड़े पहनने का फैसला किया। 1842 में, उन्होंने झांसी के राजा गंगाधरराव नेवालकर से शादी की। गंगाधरराव नेवलकर रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया लेकिन जब वह तीन महीने का था तब उसकी मृत्यु हो गई। इसलिए उन्होंने वसुदा वासुदेवराव नेवालकर के पुत्र को गोद लिया और उसका नाम दामोदर रखा। लेकिन अंग्रेजों ने दत्तक वारिसों को स्वीकार नहीं किया और उन्होंने झांसी के राज्य पर कब्जा कर लिया। उस समय लक्ष्मीबाई ने जोर देकर कहा कि मैं झांसी नहीं जाऊंगी। 1857 में, लक्ष्मीबाई ने नानासाहेब पेशवा तात्या टोपे की मदद से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। १८ जून १८५८ को, अंग्रेजों से लड़ते हुए लक्ष्मीबाई की वीरता से मृत्यु हो गई।झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने २३ वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु को स्वीकार कर लिया। 200 शब्दों में रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध | essay on rani lakshmi bai in hindi in 200 words ...

हिन्दी निबंध : झांसी की रानी लक्ष्मीबाई

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई वास्तविक अर्थ में आदर्श वीरांगना थीं। वे कभी आपत्तियों से नहीं घबराई, कभी कोई प्रलोभन उन्हें अपने कर्तव्य पालन से विमुख नहीं कर सका। अपने पवित्र उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह सदैव आत्मविश्वास से भरी रहीं। महारानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में 19 नवंबर 1835 को हुआ। इनके पिता का नाम मोरोपंत ताम्बे और माता का नाम भागीरथी बाई था। रानी लक्ष्मीबाई को बचपन में मनुबाई नाम से बुलाया जाता था। रानी लक्ष्मीबाई का विवाह सन्‌ 1850 में गंगाधर राव से हुआ जोकि सन्‌ 1838 से झांसी के राजा थे। जिस समय लक्ष्मीबाई का विवाह उनसे हुआ तब गंगाधर राव पहले से विधुर थे। सन्‌ 1851 में लक्ष्मीबाई को पुत्र पैदा हुआ लेकिन चार माह बाद ही उसका निधन हो गया। रानी लक्ष्मीबाई के पति को इस बात का गहरा सदमा लगा और 21 नवंबर 1853 को उनका निधन हो गया। राजा गंगाधर राव ने अपने जीवनकाल में ही अपने परिवार के बालक दामोदर राव को दत्तक पुत्र मानकर अंगरेजी सरकार को सूचना दे दी थी। परंतु ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार ने दत्तक पुत्र को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद शुरु हुआ रानी लक्ष्मीबाई के जीवन में संघर्ष, लार्ड डलहौजी ने गोद की नीति के अंतर्गत दत्तकपुत्र दामोदर राव की गोद अस्वीकृत कर दी और झांसी को अंगरेजी राज्य में मिलाने की घोषणा कर दी। लेकिन रानी लक्ष्मीबाई झांसी अग्रेजों की होने देना नहीं चाहती थी, उन्होंने विद्रोह कर दिया। रानी लक्ष्मीबाई ने सात दिन तक वीरतापूर्वक झांसी की सुरक्षा की और अपनी छोटी-सी सशस्त्र सेना से अंगरेजों का बड़ी बहादुरी से मुकाबला किया। रानी ने खुलेरूप से शत्रु का सामना किया और युद्ध में अपनी वीरता का परिचय दिया। वे अकेले ही अपनी पीठ के पीछे दामोदर राव को कसकर घोड़े पर सवार हो, अंग...

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध

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रानी लक्ष्मी बाई पर हिंदी में सरल निबंध

प्रस्तावना : झांसी की रानी, वीरांगना लक्ष्मीबाई वास्तविक अर्थ में आदर्श वीरांगना थीं, जिसमें भारतीय वसुंधरा को गौरवान्वित किया तथा अपने साहस और वीरता के बल पर शत्रुओं को धूल चटा दी। अपने पवित्र उद्देश्य की प्राप्ति के लिए ऐसी महान शख्सियत सदैव ही आत्मविश्वासी, कर्तव्य परायण, स्वाभिमानी और धर्मनिष्ठ होते है। ऐसी ही थीं वीरांगना लक्ष्मीबाई (Rani Laxmi Bai) परिचय : रानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में 19 नवंबर 1835 को हुआ। इनके पिता मोरोपंत ताम्बे चिकनाजी अप्पा के आश्रित थे। इनकी माता का नाम भागीरथी बाई था। महारानी के पितामह बलवंत राव के बाजीराव पेशवा की सेना में सेनानायक होने के कारण मोरोपंत पर भी पेशवा की कृपा रहने लगी। लक्ष्मीबाई अपने बाल्यकाल में मनुबाई के नाम से जानी जाती थीं। विवाह : इधर सन्‌ 1838 में गंगाधर राव को झांसी का राजा घोषित किया गया। वे विधुर थे। सन्‌ 1850 में मनुबाई से उनका विवाह हुआ। सन्‌ 1851 में उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। झांसी के कोने-कोने में आनंद की लहर प्रवाहित हुई, लेकिन चार माह पश्चात उस बालक का निधन हो गया। सारी झांसी शोक सागर में निमग्न हो गई। राजा गंगाधर राव को तो इतना गहरा धक्का पहुंचा कि वे फिर स्वस्थ न हो सके और 21 नवंबर 1853 को चल बसे। यद्यपि महाराजा का निधन महारानी के लिए असहनीय था, लेकिन फिर भी वे घबराई नहीं, उन्होंने विवेक नहीं खोया। राजा गंगाधर राव ने अपने जीवनकाल में ही अपने परिवार के बालक दामोदर राव को दत्तक पुत्र मानकर अंगरेजी सरकार को सूचना दे दी थी। परंतु ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार ने दत्तक पुत्र को अस्वीकार कर दिया। संघर्ष : 27 फरवरी 1854 को लार्ड डलहौजी ने गोद की नीति के अंतर्गत दत्तकपुत्र दामोदर राव की गोद अस्वीकृत कर दी और झांस...

रानी लक्ष्मीबाई पर लघु निबंध (short essay on rani lakshmi bai in hindi) – HistoryDekho.com

प्रस्तावना लक्ष्मीबाई सम्पूर्ण भारत में झाँसी की रानी के नाम से प्रसिद्ध है। वह एक महान भारतीय विरांगना थी। जिन्होंने लोगों की आज़ादी के लिए रणभूमि में बीना किसी के भय के अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। भारत स्वतंत्रता के लिए वर्ष 1857 में लड़े गए सबसे पहले स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास इन्होंने ही अपने खून से बनाने का गौरव प्राप्त किया था। हम सब के लिए उनका जीवन आदर्श और सम्मान से भी बढ़कर माना जाता है। झांसी की रानी की वास्तविकता भारतीय नागरिक को एक गौरव और शान देने वाली झांसी की रानी उर्फ लक्ष्मीबाई असलीयत में एक आदर्श और वीरता से परिपूर्ण महिला और वीरांगना थीं। एक ईमानदार और सच्चा वीर कभी भी उसके सामने आए मुश्किलों से नहीं घबराता है। प्रलोभन ऐसे वीरों को उनके जीवन के कर्तव्य कार्य से विमुख नहीं कर सकते। ऐसे महान गौरवशाली वीरों का लक्ष्य उदार और उच्च प्रतीत होता है। उसका व्यक्तित्व काफी अनुकरणीय होता है। लक्ष्मी बाई का जन्म लक्ष्मीबाई को सब उनके असली नाम मनुबाई के नाम से जानते थे। रानी लक्ष्मी बाई नाना जी पेशवा राव की मुहबोली बहन कही जाती थी। ये महान योद्धा उनके संग खेलकूद कर पली-बड़ी हुई है। उनके नानाजी उन्हें प्यार से छबीली कह कर बुलाते थे। लक्ष्मीबाई के पिता मोरोपन्त थे, जो लक्ष्मी जी की ही भाँति वीर थे और उनकी माँ का नाम भागीरथी बाई कहा जाता था। ये वैसे तो महाराष्ट्र के रहनेवाले थे। लक्ष्मीबाई का जन्म 13 नवम्बर वर्ष 1835 को काशी के जगह पे हुआ था। इसके अलावा लक्ष्मीबाई का पालन-पोषण बिठूर में माना जाता था। जब वो चार-पांच साल की हुई, उस समय इनकी माँ इस दुनिया को अलविदा कह गईं। लक्ष्मी बाई जब छोटी थी तभी से ही वो पुरुषों के साथ ही खेलना-कूदना, तलवार का द्वंद करना, घोड़े की सवा...

झांसी की रानी “रानी लक्ष्मीबाई” पर निबंध

झांसीकीरानी“रानीलक्ष्मीबाई”परनिबंध– Essay on Jhansi Ki Rani in Hindi प्रस्तावना झांसीकीरानीकेअद्भुतसाहसऔरपराक्रमकेकिस्सेआजभीकाफीमशहूरहैं, जिसतरहउन्होंनेभारतीयस्वतंत्रतासंग्राममेंएकवीरपुरुषकीतरहअपनेसाहसकापरिचयदियाथा, वोकाफीप्रशंसनीयहै। झांसीकीरानीकीबहादुरीकेसामनेअंग्रेजभीमत्थाटेकतेथेऔरउनसेबचतेथे।वीरांगनालक्ष्मीबाईनेअपनेजीवनमेंतमामसंघर्षोंकेबादभीइतिहासकेपन्नोंपरस्वर्णिमअक्षरोंमेंअपनीविजयगाथालिखीऔरअपनेराज्यकीस्वतंत्रताकीलड़ाईमेंवेवीरगतिकोप्राप्तहुईंएवंदुनियाकेलिएअपनेसाहस, पराक्रमऔरदेशभक्तिकीएकअनूठीमिसालकायमकीसाथहीसमस्तनारीशक्तिकाहौसलाबढ़ाया।उनकेबारेमेंयहकहावतकाफीलोकप्रियहै– “बुंदेलेहरबोलोंकेमुँहहमनेसुनीकहानीथी। खूबलड़ीमरदानीवहतोझाँसीवालीरानीथी।।” वीरांगनारानीलक्ष्मीबाईकाप्रारंभिकजीवनबचपनएवंशिक्षा– Rani Laxmi Bai Information in Hindi आत्मविश्वासीऔरसाहसीवीरांगनारानीलक्ष्मीबाई 19 नवंबर, साल 1828 कोउत्तरप्रदेशकेवाराणसीकेभदैनीनगरमेंजन्मीथी।इनकेबचपनकानाममणिकर्णिकातांबेथा, जिनकेनामपरहालहीएकफिल्म हालांकि, रानीलक्ष्मीबाईकोमर्णिकार्णिकानहींबल्किमनुबाईकेनामसेपुकाराजाताथा।इनकेपिताएक रानीलक्ष्मीबाईबचपनसेहीविलक्षणप्रतिभाकीधनीथी, जिसेउनकेपितामोरोपन्ततांबेनेशुरुआतमेंहीभांपलियाथाऔरउसदौरमेंजबलोगअपनीबेटियोंकीशिक्षापरज्यादामहत्वनहींदेतेथे, तबउन्होंनेरानीलक्ष्मीबाईकोघरपरहीशिक्षाग्रहणकरवाई। इसकेसाथहीएकवीरयोद्धाकीतरहनिशानेबाजी, घेराबंदी, युद्धकीशिक्षा, सैन्यशिक्षा, घुड़सवारी, तीरंदाजी, आत्मरक्षाआदिकीभीट्रेनिंगदिलवाई, घुड़सवारीऔरअस्त्र-शस्त्रचलानामनुकेबचपनमेंप्रियखेलथे। मनुबाईबेहदकमउम्रमेंहीशस्त्रविद्याओंमेंनिपुणहोगईथी।बादमेंएकसाहसीयोद्दाकीतरहवेएकवीररानीबनीऔरलोगोंकेसामनेअपनीवीरताकीमिसालपेशकी। विवाहक...