रहिमन धागा प्रेम का दोहा

  1. दोहे Archives
  2. साहित्यम्: दोहा छंद वाली समस्या पूर्ति
  3. जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग
  4. रहीम दास के अनमोल दोहे जो जीवन को बदल दे ! Rahim das ke vichar
  5. रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय
  6. Rahim Ke Dohe Rahiman Dhaga Prem Ka Meaning in Hindi
  7. रहीम दास के लोकप्रिय दोहे
  8. रहीमन धागा प्रेम का दोहे का अर्थ एवं भावार्थ
  9. 25+ रहीम के दोहे हिंदी अर्थ सहित
  10. 25+ रहीम के दोहे हिंदी अर्थ सहित


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दोहे Archives

रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार। रहिमन फिरि-फिर पोहिए, टूटे मुक्ताहार॥ शब्दार्थ सुजन = अच्छे लोग पोहिए = जोड़िए इस दोहे की रचना करने वाले = रहीम रूठे सुजन मनाइए दोहे की व्याख्या यह दोहा रहीम द्वारा निर्मित है। इस दोहे के माध्यम से रहीम कहना चाहते हैं कि अगर आपके मित्र अथवा परिवार के लोग आपसे … Categories Tags दोहा:-ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये। औरन को शीतल करें, आपहुं शीतल होएं।। शब्दार्थ शीतल – ठंडा आपहुं – स्वयं आपा – गुस्सा वाणी – वचन यह दोहा कबीर दास द्वारा लिखा गया है। ऐसी वाणी बोलिए दोहा का व्याख्या व्याख्या:- इस दोहे के माध्यम से कबीर दास कहना चाहते हैं कि मनुष्य को ऐसी वाणी बोलनी चाहिए … Categories Tags

साहित्यम्: दोहा छंद वाली समस्या पूर्ति

नमस्कार दोहा शब्द कानों में पड़ते ही जो दोहे हमारी स्मृतियों से झाँकते हैं वो अमूमन ये या इस प्रकार के होते हैं कबिरा खड़ा बजार में , माँगे सब की ख़ैर नहिं काहू सों दोसती , ना काहू सों बैर रहिमन धागा प्रेम का , मत तोरो चटकाय टूटे पे फिर ना जुरे , जुरे गाँठ पर जाय साधू ऐसा चाहिये , जैसा सूप सुभाय सार सार को गहि रहे , थोथा देय उड़ाय और भी कई इस तरह के दोहे हैं जो दोहों के पर्याय बन चुके हैं। ग़ौर से देखने / पढ़ने पर हम पाते हैं कि इन दोहों में ‘ नीति’ या‘ सीख’ का स्वर मुखर हो कर ध्वनित हो रहा है।‘ वेदना’ का स्वर या तो नहीं है या बहुत कम। अपवाद छोड़ दें तो पिछले कई दशकों से नीतिपरक दोहे ही लिखे जा रहे हैं, फिर वो हरियाली पर हों, धूप पर हों, वनस्पतियों पर हों या किसी और पर। वेदना का स्वर दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है; जीवन में से भी और काव्य में से भी। अनुभूतियाँ अक्सर ही बगलें झाँकती हुई मिलती हैं। एहसास का स्थान शब्द सज्जा ने ले लिया है। आंशिक रूप से सहमत हुआ जा सकता है कि कविता नारा या चुटकुला बन रही है। पर आज़ भी ऐसे अग्रज हैं जो हमें सही राह दिखाने के लिये सदैव उद्यत हैं। शुरुआती दौर में मेरी रचनाओं में भी वेदना का स्वर गौण हुआ करता था, अब कभी-कभी, कहीं-कहीं, थोड़ा-थोड़ा मुखर होने लगा है। इस तत्व के महत्व को महसूस करने के बाद इस बार की समस्या-पूर्ति में कुछ संकेत लिये गये जिन में मानवीय संवेदनाओं, अनुभूतियों एवं विशिष्ट अभिव्यक्तियों पर काम किया जा सके। इस उद्देश्य के साथ ही ये सात संकेत दिये गये:- • ठेस • उम्मीद • सौन्दर्य • आश्चर्य • हास्य-व्यंग्य • वक्रोक्ति • सीख घोषणा के उपरान्त सदैव की भाँति मंच के सहयोगियों / सहभागियों ने अपने दोहे भेजना शुरू कर दिया। ये वास्तव में ख...

जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग

दोहा – 01 जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग। चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग।। अर्थ: रहीमदास जी कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं, उनको बुरी संगति भी नहीं बिगाड़ पाती। जिस प्रकार ज़हरीले सांप सुगंधित चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते। दोहा – 02 वृक्ष कबहूँ नहीं फल भखैं, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा सरीर।। अर्थ: वृक्ष कभी अपने फल नहीं खाते, नदी कभी अपने लिए जल संचित नहीं करती, उसी प्रकार सज्जन पुरुष परोपकार के लिए देह धारण करते हैं। दोहा – 03 रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार। रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार।। अर्थ: रहीमदास जी कहते हैं कि यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए। क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए। क्योकि मोतियों की माला हमेशा सभी के मन को भाती है। दोहा – 04 खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय। रहिमन करुए मुखन को, चाहिए यही सजाय।। अर्थ: खीरे का कड़ुवापन को दूर करने के लिए उसके ऊपरी सिरे को काटने के बाद नमक लगा कर घिसा जाता है। रहीम दास जी कहते हैं कि कड़ुवे मुंह वाले के लिए – कटु वचन बोलने वाले के लिए यही सजा उपयुक्त है। दोहा – 05 दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं। जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के माहिं।। अर्थ: कौआ और कोयल रंग में एक जैसा होता हैं। जब तक ये बोलते नहीं तब तक इनकी पहचान नहीं हो सकती। लेकिन जब वसंत ऋतु आती है, तो कोयल की मधुर आवाज़ से दोनों का अंतर स्पष्ट हो जाता है। दोहा – 06 रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय। टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय।। अर्थ: रहीम दास जी कहते हैं क...

रहीम दास के अनमोल दोहे जो जीवन को बदल दे ! Rahim das ke vichar

Table of Contents • • • सामंतवादी संस्कृति के महान कवि अबदुर्ररहीम खानखाना का जन्म सन् 1553 में लाहौर में इतिहास प्रसिद्ध व्यक्ति बैरम खाँ के घर में हुआ था. हुमायूँ ने बैरम खाँ के पुत्र का नाम रहीम रखा. रहीम बहुमुखी प्रतिभा के धनि थे. रहीम को भारत के रहीम दास के अनमोल दोहे Rahim Das ke dohe In Hindi Meaning Abdur Rahim Khankhana दोहा 1: रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय. टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय. हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता बहुत नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना काफी कठिन होता है और अगर मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है. दोहा 2: जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग. चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग. हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं कि जो दोहा 3: रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि. जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि. हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं कि बड़ी वस्तु को देख कर छोटी वस्तु को फेंकना नहीं चाहिए. जहां पर छोटी सी सुई काम आती है, वहां पर तलवार बेचारी क्या कर सकती है ? दोहा 4: बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय. रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय. हिन्दी अर्थ : मनुष्य को दोहा 5: जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं. गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं. हिन्दी अर्थ : रहीम कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन नहीं घटता, क्योंकि गिरिधर ( दोहा 6: रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार. रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार. हिन्दी अर्थ : यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए क्योंकि यदि मोतियों की माल...

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय

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Rahim Ke Dohe Rahiman Dhaga Prem Ka Meaning in Hindi

Rahiman dhaga prem ka mat todo chatkay doha meaning in hindi: रहिमन धागा प्रेम का अर्थ: इस प्रसिद्ध दोहे में महान कवि रहीम दास जी कहते हैं कि प्रेम का धागा बड़ा ही नाज़ुक और कोमल होता है। इसे कठोर वचनों और कड़वी भावनाओं के जरिए तोड़ना बिल्कुल उचित नहीं है। अगर प्रेम की यह कोमल डोर एक बार टूट जाए, तो फिर यह कभी जुड़ नहीं पाती है। अगर हज़ार प्रयत्न करके आप प्रेम की यह डोरी जोड़ भी लो, तो उसमें एक गाँठ पड़ ही जाती है। अर्थात एक बार टूट जाने के बाद रिश्ते भले ही दोबारा जुड़ जाएं, लेकिन वो पहले जैसे नहीं रह पाते हैं। यहाँ रहीम जी हमें रिश्तों की अहमियत समझा रहे हैं। इस दोहे में वो कहते हैं कि रिश्ते हमारी ज़िंदगी का एक बहुत ख़ास हिस्सा होते हैं। अपनी गलतियों और बुरे व्यवहार की वजह से हमें रिश्तों के कोमल बंधन को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए। अगर कड़वी बातों के वार से कोमल रिश्ते एक बार टूट कर अलग हो जाएं, तो फिर उन्हें फिर से पहले जैसा करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमें अपने रिश्तों को हमेशा प्यार से सहेज कर रखना चाहिए।

रहीम दास के लोकप्रिय दोहे

रहीम के दोहे – Rahim Ke Dohe दोहा – रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय| टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय|| अर्थ: रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नही होता| यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है, तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है| दोहा – बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय| रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय|| अर्थ: मनुष्य को सोच समझकर व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एक बार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नही निकाला जा सकेगा| दोहा – रहिमन देखि बडेन को, लघु न दीजिए डारि| जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि|| अर्थ: रहीम कहते हैं कि बड़ी वस्तु को देखकर छोटी वस्तु को फेंक नहीं देना चाहिए‐ जहाँ छोटी सी सुई काम आती है, वहां तलवार बेचारी क्या कर सकती है? दोहा – जो रहीम उतम प्रकृति, का करी सकत कुसंग| चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग|| अर्थ: रहीम कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं, उनको बुरी संगति भी बिगाड़ नही पाती‐ जहरीले सांप चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते| दोहा – रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार| रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुता हार|| अर्थ: यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए| क्योंकि यदि मोतियों कि माला टूट जाए तो भी उन मोतियों मो बार बार धागे में पिरों लिया जाता है| दोहा – जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं| गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं|| अर्थ: रहीम कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से...

रहीमन धागा प्रेम का दोहे का अर्थ एवं भावार्थ

रहीमन धागा प्रेम का दोहा रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परी जाय॥ रहीमन धागा प्रेम का दोहे का अर्थ एवं भावार्थ रहीमन धागा प्रेम का दोहे का अर्थ – रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता। यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है। रहीमन धागा प्रेम का दोहे का भावार्थ – इस प्रसिद्ध दोहे में महान कवि रहीम दास जी कहते हैं कि प्रेम का धागा बड़ा ही नाज़ुक और कोमल होता है। इसे कठोर वचनों और कड़वी भावनाओं के जरिए तोड़ना बिल्कुल उचित नहीं है। अगर प्रेम की यह कोमल डोर एक बार टूट जाए, तो फिर यह कभी जुड़ नहीं पाती है। अगर हज़ार प्रयत्न करके आप प्रेम की यह डोरी जोड़ भी लो, तो उसमें एक गाँठ पड़ ही जाती है। अर्थात एक बार टूट जाने के बाद रिश्ते भले ही दोबारा जुड़ जाएं, लेकिन वो पहले जैसे नहीं रह पाते हैं। यहाँ रहीम जी हमें रिश्तों की अहमियत समझा रहे हैं। इस दोहे में वो कहते हैं कि रिश्ते हमारी ज़िंदगी का एक बहुत ख़ास हिस्सा होते हैं। अपनी गलतियों और बुरे व्यवहार की वजह से हमें रिश्तों के कोमल बंधन को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए। अगर कड़वी बातों के वार से कोमल रिश्ते एक बार टूट कर अलग हो जाएं, तो फिर उन्हें फिर से पहले जैसा करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमें अपने रिश्तों को हमेशा प्यार से सहेज कर रखना चाहिए। रहीम दास का जीवन परिचय नाम रहीम दास पूरा नाम अब्दुल रहीम खान-ए-खाना जन्म और स्थान 17 दिसम्बर 1556, लाहोर (पाकिस्तान) माता का नाम सुल्ताना बेगम (जमाल खान की छोटी बेटी) पिता का नाम बैरम खान पत्नी का नाम माहबानो धर्म इस्लाम काल ...

25+ रहीम के दोहे हिंदी अर्थ सहित

रहीमकेदोहेहिंदीअर्थसहित– Rahim Ke Dohe In Hindi रहीमदासजीकलाप्रेमी, महानकविऔरएकअच्छेसाहित्यकारथे।रहीमदासजीअपनेकाव्यमेंरामायण, महाभारत, पुराणतथागीताजैसेग्रंथोंकेअंशोकोउदाहरणकेरूपमेंइस्तेमालकरतेथे।जोभारतीयसंस्कृतिकीझलककोपेशकरताहै।रहीमदासनेअपनीकाव्यरचनाद्वाराहिन्दीसाहित्यकीजोसेवाकीवहअद्भुतऔरकाफीप्रशंसनीयहै। रहीमकेदोहेऔररचनाएंप्रसिद्धहैं। आपकोबतादेंकिउनकीसभीकृतियां“रहीमग्रंथावली”मेंसमाहितहैं।रहीमकेग्रंथोमेंरहीमदोहावलीयासतसई, बरवै, मदनाष्ठ्क, रागपंचाध्यायी, नगरशोभा, नायिकाभेद, श्रृंगार, सोरठा, फुटकरबरवै, फुटकरछंदतथापद, फुटकरकवितव, सवैये, संस्कृतकाव्यप्रसिद्धहैं। रहीमनेतुर्कीभाषामेंलिखी रहीमदासजीकाव्यक्तित्वबेहदप्रभावशालीऔरहरकिसीकोअपनीतरफआर्कषितकरनेवालाथा।वेमुसलमानहोकरभीकृष्णभक्तथे।रहीमनेअपनेकाव्यमेंरामायण, महाभारत, पुराणतथा आपकोबतादेंकिरहीमनेअपनेदोहेमेंखुदको“रहिमन”कहकरभीसम्बोधितकियाहै।इनकेकाव्यमेंनीति, भक्ति, प्रेमऔरश्रृंगारकासुन्दरसमावेशमिलताहै। रहीमनेअपनेजीवनकेअनुभवोंसेकईदोहोंकोबेहदसरलऔरआसानभाषाशैलीमेंअभिव्यक्तकियाहै।जोकिवास्तवमेंअदभुतहै।रहीमदासजीनेअपनीकविताओंमेंछंदों, दोहोंमेंपूर्वीअवधी, ब्रजभाषातथाखड़ीबोलीकाइस्तेमालकियाहै।रहीमनेतदभवशब्दोंकाज्यादाइस्तेमालकियाहै। आजहमआपकोअपनेइसलेखमेंरहीमजीकेदोहोंसमेतउनकेअर्थ– Rahim ke Dohe with Meaningकेबारेमेंबताएंगेजोकिइसप्रकारहै– रहीमदासकादोहानंबर 1 – Rahim Ke Dohe 1 रहीमदासजीनेअपनेइसदोहेकेमाध्यमसेऐसेलोगोंकोशिक्षादेनेकीकोशिशकीहै, जिन्हेंयहलगताहैकिउन्हेंकिसीअन्यनामसेपुकारनेसेउनकामहत्वकमहोजाएगायाफिरवेछोटेहोजाएंगे। दोहा: “जोबड़ेनकोलघुकहें, नहींरहीमघटीजाहिं।गिरधरमुरलीधरकहें, कछुदुःखमानतनाहिं।” अर्थ: रहीमअपनेदोहेंमेंकहतेहैंकिकिसीभीबड़ेकोछोटाकहनेस...

25+ रहीम के दोहे हिंदी अर्थ सहित

रहीमकेदोहेहिंदीअर्थसहित– Rahim Ke Dohe In Hindi रहीमदासजीकलाप्रेमी, महानकविऔरएकअच्छेसाहित्यकारथे।रहीमदासजीअपनेकाव्यमेंरामायण, महाभारत, पुराणतथागीताजैसेग्रंथोंकेअंशोकोउदाहरणकेरूपमेंइस्तेमालकरतेथे।जोभारतीयसंस्कृतिकीझलककोपेशकरताहै।रहीमदासनेअपनीकाव्यरचनाद्वाराहिन्दीसाहित्यकीजोसेवाकीवहअद्भुतऔरकाफीप्रशंसनीयहै। रहीमकेदोहेऔररचनाएंप्रसिद्धहैं। आपकोबतादेंकिउनकीसभीकृतियां“रहीमग्रंथावली”मेंसमाहितहैं।रहीमकेग्रंथोमेंरहीमदोहावलीयासतसई, बरवै, मदनाष्ठ्क, रागपंचाध्यायी, नगरशोभा, नायिकाभेद, श्रृंगार, सोरठा, फुटकरबरवै, फुटकरछंदतथापद, फुटकरकवितव, सवैये, संस्कृतकाव्यप्रसिद्धहैं। रहीमनेतुर्कीभाषामेंलिखी रहीमदासजीकाव्यक्तित्वबेहदप्रभावशालीऔरहरकिसीकोअपनीतरफआर्कषितकरनेवालाथा।वेमुसलमानहोकरभीकृष्णभक्तथे।रहीमनेअपनेकाव्यमेंरामायण, महाभारत, पुराणतथा आपकोबतादेंकिरहीमनेअपनेदोहेमेंखुदको“रहिमन”कहकरभीसम्बोधितकियाहै।इनकेकाव्यमेंनीति, भक्ति, प्रेमऔरश्रृंगारकासुन्दरसमावेशमिलताहै। रहीमनेअपनेजीवनकेअनुभवोंसेकईदोहोंकोबेहदसरलऔरआसानभाषाशैलीमेंअभिव्यक्तकियाहै।जोकिवास्तवमेंअदभुतहै।रहीमदासजीनेअपनीकविताओंमेंछंदों, दोहोंमेंपूर्वीअवधी, ब्रजभाषातथाखड़ीबोलीकाइस्तेमालकियाहै।रहीमनेतदभवशब्दोंकाज्यादाइस्तेमालकियाहै। आजहमआपकोअपनेइसलेखमेंरहीमजीकेदोहोंसमेतउनकेअर्थ– Rahim ke Dohe with Meaningकेबारेमेंबताएंगेजोकिइसप्रकारहै– रहीमदासकादोहानंबर 1 – Rahim Ke Dohe 1 रहीमदासजीनेअपनेइसदोहेकेमाध्यमसेऐसेलोगोंकोशिक्षादेनेकीकोशिशकीहै, जिन्हेंयहलगताहैकिउन्हेंकिसीअन्यनामसेपुकारनेसेउनकामहत्वकमहोजाएगायाफिरवेछोटेहोजाएंगे। दोहा: “जोबड़ेनकोलघुकहें, नहींरहीमघटीजाहिं।गिरधरमुरलीधरकहें, कछुदुःखमानतनाहिं।” अर्थ: रहीमअपनेदोहेंमेंकहतेहैंकिकिसीभीबड़ेकोछोटाकहनेस...