रॉल्स का न्याय सिद्धांत क्या है

  1. न्याय का सिद्धांत (theory of justice)
  2. न्याय , प्रक्रियात्मक न्याय क्या है
  3. रॉल्स का न्याय सिद्धान्त
  4. न्याय का एक सिद्धांत इतिहास देखें अर्थ और सामग्री
  5. John Rawls's Theory of Justice in Hindi (जॉन रॉल्स का न्याय सिद्धांत)
  6. न्याय क्या है जॉन रॉल्स का न्याय सिद्धांत का गंभीर विश्लेषण करें? » Nyay Kya Hai John Rawls Ka Nyay Siddhant Ka Gambhir Vishleshan Kare
  7. जॉन रॉल्स के न्याय के सिद्धांत का वर्णन
  8. न्याय का सिद्धांत क्या है? – ElegantAnswer.com


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न्याय का सिद्धांत (theory of justice)

न्याय का सिद्धांत (theory of justice) ग्रीक राजनीतिक चिंतन के इतिहास में प्लेटो एक उच्च कोटि के आदर्शवादी राजनीतिक विचारक तथा नैतिकता के एक महान पुजारी थे। चूंकि सुकरात की मृत्यु से प्लेटो का ह्रदय लोकतंत्र से भर गया था। अतः अपनी न्याय धारणा के आधार पर प्लेटो एक शासनतंत्र की कल्पना करने लगा, जिसका संचालन श्रेष्ठ व्यक्तियों द्वारा होता हो। न्याय क्या है? प्लेटो की मुख्य समस्याएं रही है और इसी समस्या के समाधान के लिए 40 वर्ष की अवस्था में प्लेटो ने republic की रचना की, जिसका शीर्षक concerning justice या “न्याय के संबंध में है।” प्लेटो ने आदर्श राज्य का निर्माण ही एक निश्चित उद्देश्य से किया और वह उद्देश्य एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना करना है जिसमें सभी वैयक्तिक , सामाजिक एवं राजनीतिक संस्थाएं न्याय से अनुप्राणित हो। प्लेटो ने आलोचक व दार्शनिक दोनों के रूप में कार्य किया है क्योंकि अपने से पूर्ववर्ति विचारकों के न्याय संबंधी विचारों की आलोचना करते हुए उसने न्याय के अपने सिद्धांत का प्रतिपादन किया है। प्लेटो न्याय को केवल नियमों के पालन तक सीमित नहीं मानता था , क्योंकि न्याय मानव आत्मा की अंतःप्रकृति पर आधारित है। यह दुर्बल के ऊपर सबल की विजय नहीं है, क्योंकि यह तो दुर्बल की सबल से रक्षा करता है। प्लेटो के अनुसार एक न्यायोचित राज्य सभी की अच्छाई की ओर ध्यान रखकर प्राप्त किया जा सकता है। एक न्यायोचित समाज में शासक , सैन्य वर्ग तथा उत्पादक वर्ग सभी वह करते हैं जो उन्हें करना चाहिए। इस प्रकार के समाज में शासक बुद्धिमान होते हैं, सैनिक बहादुर होते हैं, और उत्पादक आत्मनियंत्रण या संयम का पालन करते हैं। सुकरात के माध्यम से इन विचारों को व्यक्त करने से पूर्व प्लेटो ने उस समय व...

न्याय , प्रक्रियात्मक न्याय क्या है

Procedural justice इस प्रकार, अतीत में जो न्याय था, वर्तमान में अन्याय हो सकता है तथा वर्तमान में जो न्याय है, अतीत में अन्याय रहा हो सकता है। तदनुसार, न्याय का समतावादी बोध रहा है जिसमें उच्चतम स्थान समानता के मूल्य को दिया जाता है, ‘इच्छास्वातंत्र्यवादी’ बोध रहा है जिसमें स्वतंत्रता ही परम मूल्य होता है; ‘क्रांतिकारी’ दृष्टिकोण जिसमें न्याय का मतलब है कायापलट कर देना; ‘दैवी’ दृष्टिकोण जिसमें ईश्वर की इच्छा का निष्पादन ही न्याय है; सुखवादी’ न्याय की कसौटी ‘अधिकतम संख्या का अधिकतम लाभ’ को बनाता है; समन्वयक’ के लिए न्याय पर्याप्त संतुलन लाने हेतु विभिन्न मूल सिद्धांतों व मूल्य का समन्वय करना है। कुछ लोग न्याय को कर्तव्य’अथवा शान्ति व व्यवस्था कायम रखने के साथ पहचानते हैं;दूसरे,इसे एक अभिजात-वर्गवादी कार्य के रूप में देखते हैं;इस प्रकार,न्याय व्यक्ति के अधिकार के साथ-साथ समाज की सार्वजनिक शांति से भी संबंध रखता है। प्रक्रियात्मक न्याय न्याय संबंधी एक अपेक्षाकृत अधिक अनुदार दृष्टिकोण वह है, जिसे ‘प्रक्रियात्मक न्याय’ कहा जाता है। इस अर्थ में यह शब्द धन-दौलत व लाभों के पुनर्वितरण की प्रयोग-विधि बतलाने में इतना इस्तेमाल नहीं होता, जितना कि वैयक्तिक कार्यों हेतु व्यवहृत नियमों व प्रक्रियाओं के लिए। अनिवार्यतः वह मानवीय कार्यों में मनमानेपन को दूर करने व कानून के शासक का समर्थन करने का प्रयास करता है। इस अवधारणा में व्यष्टियाँ होती हैं, न कि समष्टियाँ। इस दृष्टिकोण से. नियमों व प्रक्रियाओं का साथ न देते हुए, लाइन तोड़कर आगे पहुँचना अथवा प्रतिस्पर्धा में कुछ प्रतिभागियों को अनुचित लाभ देना अन्याय कहलायेगा। प्रक्रियात्मक सिद्धांतियों (उदाहरणतः हयेक) का मानना है कि सम्पत्ति के पुनर्...

रॉल्स का न्याय सिद्धान्त

राबर्ट एमडूर : 1950 व 1960 के दशक में यह शंका व्यक्त की जाने लगी कि ‘राजनीतिक सिद्धान्त’ विषय ही खत्म हो गया. इसैया बर्लिन ने 1961 में लिखा कि अमेरिका व इंग्लैण्ड में यह मान्यता होने लगी कि ‘राजनीतिक दर्शन’ की मृत्यु हो गई है. इसका मूल कारण यह था कि बीसवीं शताब्दी में ‘राजनीतिक-दर्शन’ में कोई गम्भीर रचना नहीं हुई. लेकिन 1971 में जॉन रॉल्स की पुस्तक ‘ए थ्योरी ऑफ जस्टिस’ ने इस धारणा को तोड़ा. रॉल्स का सिद्धान्त : रॉल्स का उद्देश्य ऐसे सिद्धान्त विकसित करना था जो हमें समाज के मूल ढांचे को समझने में मदद करे. किस तरह से संविधान और समाज की प्रमुख संस्थाएं अधिकारों और कर्त्तव्यों का वितरण करती हैं? और किस तरह से सामाजिक सहयोग से होने वाले लाभ का वितरण किया जाता है? संविधान और ये संस्थाएं अनेक पदों का सृजन करती हैं और इन पदों पर आसीन लोगों की जीवन से भिन्न-भिन्न अपेक्षाएं होती हैं. सामाजिक-आर्थिक असमानताएं जीवन की अपेक्षाओं को नियन्त्रित करती हैं. अत: सामाजिक न्याय का सिद्धान्त इन असमानताओं पर ही सबसे पहले लागू होना चाहिये. रॉल्स चाहता है कि हम सोचें कि सामाजिक-संरचना के मूल सिद्धान्त के बारे में प्रारम्भिक सहमति क्या रही होगी. संविदा-सिद्धान्त की मान्यता है कि समाज न्याय के प्रारम्भिक सिद्धान्तों को तय कर सकता है, अथवा, यह कि लगभग समानता की स्थिति में विवेकपूर्ण और स्वहितकारी लोग अपने लिये कुछ सिद्धान्तों की रचना कर सकेंगे. रॉल्स चाहता है कि हम उस मीटिंग की कल्पना करें जहां सामाजिक सहयोग के आधार पर लोगों के उन सिद्धान्तों की रचना की होगी जिनके आधार पर अधिकारों और कर्त्तव्यों का वितरण किया जाना चाहिये और सामाजिक लाभ का विभाजन किया जाना चाहिये. रॉल्स के अनुसार वास्तव में ऐसी कोई मी...

न्याय का एक सिद्धांत इतिहास देखें अर्थ और सामग्री

320/.01/1 21 एलसी क्लास JC578 .R38 1999 परिणामी सिद्धांत को 1971 में इसके मूल प्रकाशन के बाद के दशकों में कई बार चुनौती दी गई और परिष्कृत किया गया। 1985 के निबंध " पहली बार 1971 में प्रकाशित, ए थ्योरी ऑफ जस्टिस को 1975 में संशोधित किया गया था, जबकि अनुवादित संस्करण 1990 के दशक में जारी किए जा रहे थे, इसे 1999 में और संशोधित किया गया था। 2001 में, रॉल्स ने जस्टिस एज़ फेयरनेस: ए रिस्टेटमेंट नामक एक अनुवर्ती अध्ययन प्रकाशित किया । मूल संस्करण 2004 में फिर से जारी किया गया था। "मूल स्थिति" रॉल्स मूल स्थिति कहता है ; जिसमें हर कोई "... कोई भी समाज में उसकी जगह, उसकी वर्ग स्थिति या सामाजिक स्थिति को नहीं जानता है, और न ही प्राकृतिक संपत्ति और क्षमताओं, उसकी बुद्धि, ताकत और इस तरह के वितरण में अपने भाग्य को जानता है। मैं यह भी मानूंगा कि पार्टियां अच्छे के बारे में उनकी धारणाओं या उनकी विशेष मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियों को नहीं जानते। न्याय के सिद्धांतों को अज्ञानता के पर्दे के पीछे चुना जाता है।" रॉल्स के अनुसार, स्वयं के बारे में इन विवरणों की अज्ञानता उन सिद्धांतों को जन्म देगी जो सभी के लिए उचित हैं। यदि कोई व्यक्ति यह नहीं जानता है कि वह अपने स्वयं के कल्पित समाज में कैसे समाप्त होगा, तो वह शायद किसी एक वर्ग के लोगों को विशेषाधिकार नहीं देगा, बल्कि न्याय की एक ऐसी योजना विकसित करेगा जो सभी के साथ उचित व्यवहार करे। विशेष रूप से, दावा है कि में उन लोगों के रोंव्ल्स मूल स्थिति सभी एक को अपना लिया "वे ऐसे सिद्धांत हैं जो अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए संबंधित तर्कसंगत और स्वतंत्र व्यक्ति समानता की प्रारंभिक स्थिति में अपने संघ की शर्तों के मूल सिद्धांतों को परिभाषित करने के रूप मे...

John Rawls's Theory of Justice in Hindi (जॉन रॉल्स का न्याय सिद्धांत)

अमेरिका में जन्मे जॉन रॉल्स की बचपन से ही सामाजिक समस्याओं को समझने में रुचि रखते थे। जॉन रॉल्स एक उदारवादी, राजनीतिक दार्शनिक और विलक्षण प्रतिभा के व्यक्ति थे। युवावस्था में जॉन रॉल्स ने सामाजिक विषमताओं को समझकर अपने विचारों को पत्र-पत्रिकाओं में छपवाकर अपने बुद्धिजीवी होने का परिचय दिया। जॉन रॉल्स ने 1950 में अपने प्रथम विचार ‘न्याय उचितता के रूप में’ लिखना प्रारम्भ किया और यह सबसे पहले 1957 में प्रकाशित हुआ। इसी विचार को आगे जॉन रॉल्स ने अपने ‘न्याय सिद्धांत’ के आधार के रूप में मान्यता दी थी। जॉन रॉल्स के न्याय सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को दूसरों के लिए समान ...

न्याय क्या है जॉन रॉल्स का न्याय सिद्धांत का गंभीर विश्लेषण करें? » Nyay Kya Hai John Rawls Ka Nyay Siddhant Ka Gambhir Vishleshan Kare

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। हेलो फ्रेंड जैसे कि आपका सवाल है न्याय क्या है जॉन रॉल्स का न्याय सिद्धांत का गंभीर विश्लेषण करें तो मैं आपको बताना चाहती हूं कि रोज का दर्शन समाजवादियों के लिए समाजवादी तथा व्यक्ति वादियों के लिए व्यक्तिवादी है उपयोगितावाद का विरोध तथा सामाजिक न्याय के सरोकार रखने के कारण और रोल्स का सामाजिक न्याय का सिद्धांत आज राजनीतिक चिंतन का महत्वपूर्ण सिद्धांत है और सामाजिक न्याय की संकल्पना राजनीतिक चिंतन की केंद्रीय अवधारणा है धन्यवाद hello friend jaise ki aapka sawaal hai nyay kya hai john rawls ka nyay siddhant ka gambhir vishleshan kare toh main aapko batana chahti hoon ki roj ka darshan samajvadiyon ke liye samajwadi tatha vyakti vadiyon ke liye vyaktivadi hai upayogitavad ka virodh tatha samajik nyay ke sarokar rakhne ke karan aur Rolls ka samajik nyay ka siddhant aaj raajnitik chintan ka mahatvapurna siddhant hai aur samajik nyay ki sankalpana raajnitik chintan ki kendriya avdharna hai dhanyavad हेलो फ्रेंड जैसे कि आपका सवाल है न्याय क्या है जॉन रॉल्स का न्याय सिद्धांत का गंभीर विश्ले

जॉन रॉल्स के न्याय के सिद्धांत का वर्णन

जॉन रॉल्स का जन्म 21 फरवरी 1921 को अमेरिका में हुआ। जॉन रॉल्स की बचपन से ही सामाजिक समस्याओं को समझने में रुचि थी। जॉन रॉल्स एक विलक्षण प्रतिभा रखने वाले व्यक्ति थे। अपनी परिपक्व आयु में जॉन रॉल्स ने सामाजिक विषमताओं को समझकर अपने विचारों को पत्र-पत्रिकाओं में छपवाकर एक बुद्धिजीवी होने का परिचय दिया। जॉन रॉल्स ने 1950 में लिखना प्रारम्भ किया और उनका तात्विक रूप से प्रथम विचार ‘न्याय उचितता के रूप में’ सबसे पहले 1957 में प्रकाशित हुआ। इसी विचार को आगे जॉन रॉल्स ने अपने‘न्याय सिद्धांत’ के आधार के रूप में मान्यता दी। हावर्ड विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र के प्राध्यापक रहते हुए जॉन रॉल्स ने अपनी न्याय की संकल्पना को विस्तृत आधार प्रदान करके 1971 में अपनी प्रथम पुस्तक ‘A Theory of Justice’ 1971 ई0 में प्रकाशित कराई। इस पुस्तक में उसने न्याय पर आधारित एक आदर्श समाज की विवेकपूर्ण तथा तर्कसंगत सरंचना प्रस्तुत की। य पुस्तक 9 भागों में विभाजित हैं जो लगभग 600 पृष्ठों में लिखी गई महत्वपूर्ण रचना है। इसी पुस्तक के कारण जॉन रॉल्स को राजनीतिक चिन्तन के पुनरोद्य का जनक होने का गौरव प्राप्त हुआ। उसके बाद जॉन रॉल्स की दूसरी रचना 1993 में‘Political Liberalism’ के नाम से प्रकाशित हुई। इसमें जॉन रॉल्स के न्याय के सिद्धांत को संशोधित रूप में पेश किया। उसके बाद 1999 में जॉन रॉल्स की दो रचनाएं‘Collected Papers’ तथा‘The Law of Peoples’ प्रकाशित हुई।‘Collected Papers’ में जॉन रॉल्स के 1950 से 1995 तक प्रकाशित सभी लेखों का संकलन था। अपनी दूसरी पुस्तक ‘The Law of Peoples’ में जॉन रॉल्स ने अपने न्याय सिद्धांत को अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक के क्षेत्र में लागू करने का प्रयत्न किया। उसके बाद जॉन रॉल्स की...

न्याय का सिद्धांत क्या है? – ElegantAnswer.com

न्याय का सिद्धांत क्या है? इसे सुनेंरोकेंन्याय सिद्धांत नैतिक है, वैधानिक नहीं– प्लेटो का न्याय सिद्धांत नैतिक चरित्र का है, आधुनिक युग की तरह वैधानिक चरित्र का नहीं। यह विधि से उत्पन्न नहीं होता है बल्कि प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अपने नैसर्गिक कर्तव्य पालन से उत्पन्न होता है। यह भावना मात्र है, कानून नहीं। जबकि वास्तविक दृष्टि से यह दोनों अलग-अलग वस्तुएं हैं। सामाजिक न्याय के सिद्धांत क्या है? इसे सुनेंरोकेंसामाजिक न्याय एक राजनीतिक और दार्शनिक सिद्धांत है जो समाज में व्यक्तियों के बीच संबंधों में निष्पक्षता की अवधारणा और धन, अवसरों और सामाजिक विशेषाधिकारों तक समान पहुंच पर केंद्रित है और कह सकते है की सामाजिक न्याय निष्पक्षता है जैसा कि समाज में प्रकट होता है इसमें स्वास्थ्य सेवा, रोजगार, आवास, और बहुत कुछ में निष्पक्षता … जॉन रॉल्स के अनुसार न्याय के दो सिद्धांत क्या है? इसे सुनेंरोकेंजॉन रॉल्स का न्याय-सिद्धांत अवसर की समानता, समान स्वतन्त्रताओं, प्राथमिक वस्तुओं का न्यायपूर्ण वितरण, आय की समानता, संविधानिक लोकतन्त्र का समर्थन, समाज के सद्गुण के रूप में न्याय की सर्वोच्चता, सामाजिक कल्याण में वृद्धि आदि बातों पर विचार करके उदारवादी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। न्याय की देवी का नाम क्या है? इसे सुनेंरोकेंदरअसल, पौराणिक कथाओं में न्याय की देवी की अवधारणा यूनानी देवी डिकी की कहानी पर आधारित है। कलात्मक दृष्टि से डिकी को हाथ में तराजू लिए दर्शाया जाता था। डिकी ज़्यूस की पुत्री थीं और मनुष्यों का न्याय करती थीं। वैदिक संस्कृति में ज्यूस को द्योस: अर्थात् प्रकाश और ज्ञान का देवता अर्थात् बृहस्पति कहा गया है। सामाजिक न्याय क्या है इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए? इसे सुनें...