रसज्ञ रंजन के लेखक

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  2. निबंध लेखन MCQ [Free PDF]
  3. स्तर रंजन क्या है ?
  4. [Solved] "रस सिद्धांत” के ले�
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रसज्ञ

ई--कथि-कसव्य श्श काव्य सर्वसाधारण की सममक के बाहर होता है वदद बहुत कम लोकमान्य होता है । कवियों को इसका सदैव ध्यान रखना वादिए। कविता लिखने में व्याकरण के नियमों की अवहेलना न करनी चाहिए । शुद्ध भाषा का जितना मान द्ोता है झशुद्ध का उतना नहीं होता । व्याकरण का विचार न करना कवि की तद्विषयक अज्ञानता का सूचक है । कोई-कोई कवि व्याकरण के नियमों की ोर दृक्पात तक नहीं करते । यह. बड़े खेद औौर लडज्जा की बात हे । न्रजभाषा की कविता में कविजन मनमानी निरंकुशता दिखलाते हैं । यह उचित नहीं । जद्दां तक सम्भव हो शब्दों के मूल-रूप न विगाड़ना चाह्ठिये । मुद्दाविरे का भी विचार रखना चाहिए । बे-मुह्दाविरा-भांषा अच्छी नंददीं लगती । क्रोध क्षमा कीजिए इत्यादि वाक्य कान को अतिशय पीड़ा पहुँचाते हैं। सुद्दाविश दी भाषा का प्रास है उसे जिसने नहीं जाना उसने कुछ नहीं जाना । उसकी भाषा -कदापि आदरणीय नहीं हो सकती । विषय के अनुकूल शब्द-स्थापना करनी चाहिए । कविता एक श्रपूव रसायन है । उसके रस की सिद्धि के लिए बड़ी साव- धानी घड़ी मनोयोधिता शरीर बड़ी चठुराई ्ावश्यक होती है । रसायन सिद्ध करने मे आँच के न्यूनाधिक होने से जेसे रस बिगड़ जाता है वैसे द्वी यथोचित शब्दों का उपयोग न करने से काव्य रूपी रस भी बिगड़ जाता है। कि नी-कि सी स्थल्ल-विशेष पर रूचा- चार वाले शब्द अच्छे लगते हैं परन्तु श्रौर सर्वत्र ललित मर मधुर शब्दों ही का प्रयोग करना उचित है । शब्द चुनने में अ्रक्तर मैत्री का विशेष विचार रखना चाहिए । अच्छे झ्थ का य्योतक न होकर भी कोई-कोई पद्य केवल अपनी मधघुरता ही से पढ़ने वालों के झन्तःकररण को द्रवीभूत कर देता है । टुटत अढ्डट बे3े तर जाई जत्यादि वाक्य लिखना हिन्दी की कविता क्रो कलड्रित करना है ।

निबंध लेखन MCQ [Free PDF]

'बाजार दर्शन' की विधा निबंध है। बाजार दर्शन- • रचनाकार-जैनेन्द्र कुमार • विधा-निबंध • विषय- • उपभोक्तावाद और बाजारवाद से संबंधित है। Key Points जैनेन्द्र- • जन्म-1905-1990 ई. • हिन्दी साहित्य के प्रमुख मनोविश्लेषणवादी रचनाकार है। • प्रमुख निबंध- • प्रस्तुत प्रश्न • जड़ की बात • पूर्वोदय • साहित्य का श्रेय-प्रेय • सोच विचार आदि। • उपन्यास- • सुनीता(1934 ई.) • त्यागपत्र(1937 ई.) • सुखदा(1952 ई.) • विवर्त(1953 ई.) • व्यतीत(1953 ई.) • मुक्तिबोध(1965 ई.) आदि। • कहानी संग्रह- • फाँसी (1929 ई.) • वातायन (1930 ई.) • नीलम देश की राजकन्या (1933 ई.) • एक रात (1934 ई.) • दो चिड़ियाँ (1935 ई.) • पाजेब (1942 ई.) आदि। 'जो फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना' यह पंक्ति 'शिरीष के फूल' निबंध में तुलसीदास ने कही थी। 'शिरीष के फूल' पाठ के अनुसार:- • ​शिरीष के फूलों के सम्बन्ध में तुलसीदास जी ने कहा है-“धरा को प्रमान यही तुलसी जो फरा सो झरा जो बरा सो बताना’ अर्थात् • जो फूल फलता है वही अवश्य कुम्हलाकर झड़ जाता है। कुम्हलाने के पश्चात पुनः विकसित हो जाता है। Key Points तुलसीदास:- • इनका जन्म राजापुर जिला बाँदा (वर्तमान में चित्रकूट) में हुआ हैं। • राजापुर उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिला के अंतर्गत स्थित एक गाँव है। • गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिन्दी साहित्य के महान सन्त कवि थे। रामचरितमानस इनका गौरव ग्रन्थ है। • इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। • रचनाएं- रामललानहछू, वैराग्य-संदीपनी, विनय-पत्रिका, कवितावली, गीतावली, ‎हनुमान चालीसा आदि। Additional Information वाल्मीकि:- • वाल्मीकि जी संस्कृत भाषा के आदि कवि और आदि काव्य 'रामायण' के रचयिता के रूप में सुप्रसिद...

स्तर रंजन क्या है ?

यह स्थलाकृतियों को प्रदर्शन करने की एक विधि हैं जिसमें धरातलीय ऊँचाई एवं निचाई को विभिन्न छायाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। एटलस एवं दीवार मानचित्रों में इस विधि का उपयोग किया जाता है। ऊँचाई में वृद्धि के अनुसार रंगों की आभाएँ हल्की होती जाती हैं। इनमें समद्र या जलीय भाग को नीले रंग से दिखाया जाता है। मैदान को हरा रंग से तथा पवर्ततों को बादामी हल्का कत्थई रंग से दिखाया जाता है। जबकि बर्फीले क्षेत्र को सफेद रंग से दिखाया जाता है।

[Solved] "रस सिद्धांत” के ले�

रस–सिद्धांत हिन्दी के विख्यात साहित्यकार नगेन्द्र द्वारा रचित एक काव्यशास्त्र है। Mistake Points • "रस सम्प्रदाय" के प्रवर्तक भरतमुनि है | • भरत मुनि के सूत्र में शान्त रस का उल्लेख नहीं है | • भरतमुनि एने अपने ग्रन्ध नाट्यशास्त्र में सर्वप्रथम रस का निष्पादन किया |भरतमुनि को रस के आदिआचार्य माना जाता है | Additional Information रस–>सिद्धांत हिन्दी के विख्यात साहित्यकार नगेन्द्र द्वारा रचित एक काव्यशास्त्र है जिसके लिये उन्हें सन् 1965 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। Important Points • >रस मीमांसा : आचार्य रामचन्द्र शुक्ल • >रसज्ञ रंजन :महावीर प्रसाद द्विवेदी • साहित्य दर्पण :आचार्य विश्वनाथ

हिंदी गद्य का विकास : HindiPrem.com

हिंदी गद्य का विकास क्रम (काल विभाजन) : • पूर्व भारतेंदु युग (हिन्दी गद्य साहित्य का प्रारंभिक काल) – 13वीं शताब्दी के मध्य से 1868 ई. तक • भारतेंदु युग (पुनर्जागरण काल) – 1868 ई. – 1900 ई. • द्विवेदी युग – 1900 से 1922 ई. • शुक्ल युग (छायावादी युग) – 1919 – 1938 ई. • शुक्लोत्तर युग (छायावादोत्तर युग) – 1938 ई. से वर्तमान हिन्दी की बोलियाँ – हिंदी गद्य का विकास • पूर्वी हिन्दी – अवधी, वघेली, छत्तीसगढ़ी • पश्चिमी हिन्दी – खड़ोबोली, बुन्देली, ब्रजभाषा, हरियाणवी (बाँगरू) • बिहारी हिन्दी – भोजपुरी, मैथिली, मगही • राजस्थानी हिन्दी – मालवी, मेवाती, मारवाड़ी, जयपुरी • पहाड़ी हिन्दी – गढ़वाली, कुमाऊँनी प्रमुख रचनाएं – हिंदी गद्य का विकास खड़ीबोली हिन्दी की प्रथम रचना – गोरा बादल की कथा (जटमल) हिन्दी का प्रथम नाटक – नहुष (गोपालचंद्र गिरिधर दास) हिन्दी का प्रथम उपन्यास – परीक्षा गुरु (लाला श्रीनिवास दत्त) हिंदी की प्रथम कहानी – इन्दुमती (किशोरीलाल गोस्वामी) हिन्दी का प्रथम यात्रावृत्तांत – सरयू पार की यात्रा (भारतेन्दु हरिश्चंद्र) हिन्दी गद्य की विधाएं – हिंदी गद्य का विकास कहानी, निबन्ध, उपन्यास, जीवनी, नाटक, एकांकी, आत्मकथा, आलोचना, यात्रावृत्त, संस्मरण, रेखाचित्र, पत्र, डायरी, पिरोर्ताज, गद्यकाव्य/गद्यगीत, भेंटवार्ता/साक्षात्कार। भारतेंदु युग के पत्र व पत्रिकाएं– पत्र/पत्रिका सम्पादक कवि-वचन-सुधा भारतेन्दु हरिश्चंद्र हरिश्चंद्र मैगजीन भारतेंदु हरिश्चंद्र हिन्दी प्रदीप बालकृष्ण भट्ट ब्राह्मण प्रतापनारायण मिश्र आनन्द कादम्बिनी बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' द्विवेदी युग के पत्र व पत्रिकाएं– पत्र/पत्रिकाएं सम्पादक सरस्वती महावीर प्रसाद द्विवेदी सुदर्शन देवकीनंदन खत्री, माधवप्रसाद मिश्र ...

UP Board Solutions for Class 11 Samanya Hindi गद्य

(2) भारतेन्दु युग में प्रकाशित ‘आनन्द कादम्बिनी’ नामक पत्रिका के सम्पादक थे (क) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (ख) बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ (ग) राय कृष्णदास (घ) धर्मवीर भारती (3) (4) ‘हिन्दी दीप्ति-प्रकाश’ नामक पत्रिका का सम्पादन किया (क) प्रतापनारायण मिश्र ने (ख) कार्तिकप्रसाद खत्री ने (ग) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने (घ) राय कृष्णदास ने (5) ‘इन्दु’, ‘सुदर्शन’, ‘समालोचक’, ‘प्रभा’, ‘मर्यादा’और’माधुरी’ पत्रिकाएँ किस युग में प्रकाशित हुईं? (क) भारतेन्दु युग में (ख) द्विवेदी युग में (ग) छायावाद युग में (घ) छायावादोत्तर युग में (6) ‘ब्राह्मण’ पत्र के सम्पादक हैं (क) बालकृष्ण भट्ट (ख) राधाचरण गोस्वामी (ग) प्रतापनारायण मिश्र (घ) पं० लल्लूलाल (7) कवि-वचन-सुधा’ नामक पत्रिका के सम्पादक थे– (क) प्रतापनारायण मिश्र (ख) महावीरप्रसाद द्विवेदी (ग) श्यामसुन्दर दास (घ) भारतेन्दु हरिश्चन्द (8) ‘विशाल-भारत’ नामक पत्रिका के सम्पादक थे (क) प्रेमचन्द (ख) श्रीराम शर्मा (ग) धर्मवीर भारती (घ) प्रतापनारायण मिश्र (9) ‘हंस’ नामक पत्रिका के सम्पादक थे– (क) महावीर प्रसाद द्विवेदी (ख) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (ग) बालकृष्ण भट्ट (घ) मुंशी प्रेमचन्द (10) महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा सम्पावित पत्रिका है (क) प्रदीप (ख) इन्दु (ग) प्रभा (घ) सरस्वती (11) निम्नलिखित में से कौन पत्रिका नहीं है? (क) इन्द्र (ख) भारत दुर्दशा (ग) सरस्वती (घ) आनन्द कादम्बिनी (12) ‘दिनकर के पत्र’ को प्रकाशन-वर्ष है (क) 1970 (ख) 1977 (ग) 1981 (घ) 1991 (13) ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रथम सम्पादक हैं (क) महावीर प्रसाद द्विवेदी (ख) श्यामसुन्दर दास (ग) जयशंकर प्रसाद (घ) हरदेव बाहरी (14) हिन्दी प्रदीप’ पत्र का सम्पादन होता था (क) इलाहाबाद से (ख) वाराणसी से (...