संदेह अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए

  1. संदेह अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
  2. संदेह अलंकार की परिभाषा और उदाहरण ( भ्रांतिमान अलंकार )
  3. अलंकार (साहित्य)
  4. संदेह अलंकार : परिभाषा एवं उदाहरण
  5. अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण, परिभाषा, भेद, वाक्य
  6. अलंकार की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण


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संदेह अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित

Sandeh Alankar की परिभाषा उदाहरण सहित संदेह अलंकार किसे कहते है परिभाषा – जब उपमेय में उपमान के संशय का आभास हो, अर्थात किसी वस्तु को देखकर निश्चय ना हो पाना, तब संदेह अलंकार होता है। यह भी पढ़ सकते है – Sandeh Alankar ke Udaharan उदाहरण – सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है, कि सारी ही की नारी है कि नारी ही की सारी है। यह भी जरूर पढ़ें: आप नीचे दिए अलंकारों को भी पढ़ सकते है – अनुप्रास अलंकार यमक अलंकार उत्प्रेक्षा अलंकार विभावना अलंकार अतिशयोक्ति अलंकार अनंवय अलंकार दृष्टांत अलंकार अपँहुति अलंकार ब्याज स्तुति अलंकार

संदेह अलंकार की परिभाषा और उदाहरण ( भ्रांतिमान अलंकार )

संदेह अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण आदि। इस को भ्रांतिमान अलंकार भी कहा जाता है। इस लेख में का विस्तार पूर्वक अध्ययन करेंगे और अपनी परीक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति करेंगे। यह लेख सभी प्रकार की परीक्षाओं के लिए कारगर है। अतः आप अपनी परीक्षा के लिए इस लेख का अध्ययन कर सकते हैं। संदेह अलंकार जैसा कि हम जानते हैं अलंकार काव्य के सौंदर्य की वृद्धि करते हैं। अतः इसका मुख्य उद्देश्य काव्य में प्रयुक्त होकर उसके सौंदर्य की वृद्धि करना होता है। जिस प्रकार स्त्री-पुरुष अपने सौंदर्य की वृद्धि के लिए आभूषण पहनते हैं। उसी प्रकार अलंकार का प्रयोग काव्य में सौंदर्य वृद्धि के लिए किया जाता है। संदेह अलंकार की परिभाषा ( sandeh alankar ki paribhasha ) जहां प्रस्तुत में अप्रस्तुत का संशयपूर्ण वर्णन हो वहां संदेह अलंकार होता है। जहां उपमेय और उपमान में रूप,रंग आदि के साभ्य के कारण समानता हो,इस साम्य के कारण संशयपूर्ण वर्णन हो,वहां संदेह अलंकार होता है। इस अलंकार का संबंध अर्थालंकार से है। संदेह अलंकार का उदाहरण ( sandeh alankar ke udaharan ) सारी बिच नारी है कि नारी बिच सारी है। कि सारी ही की नारी है कि नारी ही की सारी है। । इस अंलकार में नारी और साड़ी के विषय में संशय है अतः संदेह या भ्रम उत्पन्न हो रहा है। अन्य उदहारण – • प्रेम प्रपंचु कि झूठ फुर जानहिं मुनि रघुराउ। (भरत-राम का प्रेम) संबंधित लेख पढ़ें अन्य अलंकार की जानकारी भी प्राप्त करें निष्कर्ष उपरोक्त अध्ययन से स्पष्ट होता है कि संदेह अलंकार को भ्रान्ति अलंकार भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत संदेह की उत्पत्ति होती है ,यह लेख अर्थालंकार के अंतर्गत लिखा गया है। संबंधित विषय से प्रश्न पूछने के लिए कमेंट बॉक्स में लिखें। अगर आपके मन में इस...

अलंकार (साहित्य)

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर स्रोत खोजें: · · · · अलंकार, अलंकरोति इति अलंकारः' (जो अलंकृत करता है, वही अलंकार है।) उपमा आदि के लिए अलंकार शब्द का संकुचित अर्थ में प्रयोग किया गया है। व्यापक रूप में सौंदर्य मात्र को अलंकार कहते हैं और उसी से काव्य ग्रहण किया जाता है। ( काव्यं ग्राह्ममलंकारात्। सौन्दर्यमलंकार: - वक्राभिधेतशब्दोक्तिरिष्टा वाचामलं-कृति:।) अभिधानप्रकाशविशेषा एव चालंकारा:)। काव्यशोभाकरान् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते)। सौंदर्य, चारुत्व, काव्यशोभाकर धर्म इन तीन रूपों में अलंकार शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में हुआ है और शेष में शब्द तथा अर्थ के अनुप्रासोपमादि अलंकारों के संकुचित अर्थ में। एक में अलंकार काव्य के प्राणभूत तत्त्व के रूप में ग्रहीत हैं और दूसरे में सुसज्जितकर्ता के रूप में। अनुक्रम • 1 आधार • 2 स्थान और महत्व • 3 वर्गीकरण • 4 कुछ अलंकार • 4.1 उपमा अलंकार • 4.2 अतिशयोक्ति अलंकार • 4.3 रूपक अलंकार • 4.4 विभावना अलंकार • 4.5 अनुप्रास अलंकार • 4.6 यमक अलंकार • 4.7 श्लेष अलंकार • 4.8 वक्रोक्ति अलंकार • 4.9 प्रतीप अलंकार • 4.10 उत्प्रेक्षा अलंकार • 4.11 ब्याजस्तुति अलंकार • 4.12 दृष्टांत अलंकार • 4.13 भ्रांतिमान अलंकार • 4.14 ब्याजनिन्दा अलंकार • 4.15 पाश्चात्य अलंकार • 4.16 विशेषोक्ति अलंकार • 4.17 मानवीकरण अलंकार • 5 सन्दर्भ • 6 इन्हेंभीदेखें • 7 बाहरी कड़ियाँ आधार [ ] सामान्यत: कथनीय वस्तु को अच्छे से अच्छे रूप में अभिव्यक्ति देने के विचार से अलंकार प्रयुक्त होते हैं। इनके द्वारा या तो भावों को उत्कर्ष प्रदान किया जाता है या रूप, गुण, तथा क्रिया का अधिक तीव्र अनुभव कराया जाता है। अत: मन का ओज ही अलं...

संदेह अलंकार : परिभाषा एवं उदाहरण

सारी बिच नारी है कि नारी बिच सारी है। कि सारी ही की नारी है, कि नारी ही की सारी है।। स्पष्टीकारण—प्रस्तुत उदाहरण में नारी और सारी के विषय में संशय है, अत: यहाँ सन्देह अलंकार है। निष्कर्ष, इस आर्टिकल में हमने संदेह अलंकार की परिभाषा, लक्षण एवं उदाहरण आदि के बारे में विस्तार से जाना हैं। • • • • अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो आप कृपया करके इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो आप नीचे दिए गए Comment Box में जरुर लिखे।

अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण, परिभाषा, भेद, वाक्य

विषय-सूचि • • • इसलेखमेंहमनेंअलंकारकेभेदअतिशयोक्तिअलंकारकेबारेमेंचर्चाकीहै। अलंकारकामुख्यलेखपढ़नेंकेलिएयहाँक्लिककरें– अतिशयोक्तिअलंकारकीपरिभाषा जबकिसीवस्तु, व्यक्तिआदिकावर्णनबहुतबाधाचढ़ाकरकियाजाएतबवहांअतिशयोक्तिअलंकारहोताहै।इसअलंकारमेंनामुमकिनतथ्यबोलेजातेहैं। जैसे : अतिशयोक्तिअलंकारकेउदाहरण : • हनुमानकीपूंछमेंलगननपाईआग, लंकासिगरीजलगईगएनिशाचरभाग। ऊपरदिएगएउदाहरणमेंकहागयाहैकिअभीहनुमानकीपूंछमेंआगलगनेसेपहलेहीपूरीलंकाजलकरराखहोगयीऔरसारेराक्षसभागखड़ेहुए। यहबातबिलकुलअसंभवहैएवंलोकसीमासेबढ़ाकरवर्णनकियागयाहै।अतःयहउदाहरणअतिशयोक्तिअलंकारकेअंतर्गतआएगा। • आगेनदियांपड़ीअपारघोडाकैसेउतरेपार।राणानेसोचाइसपारतबतकचेतकथाउसपार।। ऊपरदीगयीपंक्तियोंमेंबतायागयाहैकिमहाराणाप्रतापकेसोचनेकीक्रियाख़त्महोनेसेपहलेहीचेतकनेनदियाँपारकरदी। यहमहाराणाप्रतापकेघोड़ेचेतककीअतिशयोक्तिहैएवंइसतथ्यकोलोकसीमासेबहुतबढ़ा-चढ़ाकरवर्णनकियागयाहै।अतःयहउदाहरणअतिशयोक्तिअलंकारकेअंतर्गतआएगा। • धनुषउठायाज्योंहीउसने, औरचढ़ायाउसपरबाण | धरा–सिन्धुनभकाँपेसहसा, विकलहुएजीवोंकेप्राण। ऊपरदिएगएवाक्योंमेंबतायागयाहैकिजैसेहीअर्जुननेधनुषउठायाऔरउसपरबाणचढ़ायातभीधरती, आसमानएवंनदियाँकांपनेलगीओरसभीजीवोंकेप्राणनिकलनेकोहोगए। यहबातबिलकुलअसंभवहैक्योंकिबिनाबाणचलायेऐसाहोहीनहींसकताहै।इसथथ्यकालोकसीमासेबहुतबढ़ा-चढ़ाकरवर्णनकियागयाहै।अतःयहउदाहरणअतिशयोक्तिअलंकारकेअंतर्गतआएगा। अतिशयोक्तिअलंकारकेअन्यउदाहरण: • भूपसहसदसएकहिंबारा।लगेउठावनटरतनटारा।। ऊपरदिएगएउदाहरणमेंकहागयाहैकिजबधनुर्भंगहोरहाथाकोईराजाउसधनुषकोउठानहींपारहाथातबदसहज़ाररजाएकसाथउसधनुषकोउठानेलगेलेकिनवहअपनीजगहसेतनिकभीनहींहिला। यहबातबिलकुलअसंभवहैक्योंकिदसहज़ारलोगएकसाथधनुषकोनहींउठासकते।अतःयहउदाहरणअतिशयोक्तिअलंकारकेअंतर्गतआएगा। • ...

अलंकार की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

अलंकार दो शब्दों से मिलकर बने होते है – (अलम + कार = अलंकार) यहाँ पर अलम का अर्थ होता है आभूषण, उसकी प्रवर्ती के कारण ही अलंकारों को जन्म दिया गया है। जिस तरह से एक नारी अपनी सुन्दरता को बढ़ाने के लिए आभूषणों को पहनती हैं उसी प्रकार भाषा को सुन्दर बनाने के लिए अलंकारों का प्रयोग किया जाता है। अथार्त जो अलंकार का महत्व कविता की रोचकता, हृदयग्राहाता, सरसता और चमत्कार बढ़ जाता हैं। अनेक विद्वान तो अलंकार को काव्य की आत्मा तक मान बैठे हैं। उदाहरण :- कनक-कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय! वा खाये बौराए नर, वा पाये बौराये। अलंकार के प्रकार अंलकार मुख्य तीन प्रकार के होते हैं। • शब्दालंकार • अर्थालंकार • उभयालंकार शब्दालंकार की परिभाषा शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है शब्द + अलंकार। ध्वनी और अर्थ। ध्वनि के आधार पर शब्दालंकार की सृष्टी होती है। जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और अर्थात जिस अलंकार में शब्दों को प्रयोग करने से चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर शब्दालंकार के प्रकार शब्दालंकार के 6 प्रकार निम्लिखित हैं। 1. यमक अलंकार क्या है जहां शब्दों की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार होती हैं किंतु प्रत्येक बार (स्थिति के अनुसार प्रत्येक शब्द अर्थ भिन्न होते हैं यमक अंलकार होता हैं। उदाहरण :- कनक-कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय! वा खाए वैराय जग, या पाए वैराय!! 2. अनुप्रास अंलकार क्या है जहां पर एक या एक से अधिक उदाहरण :- बंदऊ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुवाम सरल अनुरणा ब, प, स, द, र, ग (वर्णो की आवृत्ति) 3. श्लेष अलंकार क्या है जिस अंलकार में शब्दों की आवृत्ति एक से अधिक बार आवृति हुए बिना प्रसन्न अनुसार दो या दो से अधिक अर्थ निकले वहा...