संत रविदास की अमर कहानी

  1. संत रविदास ( रैदास ) का जीवन परिचय और उनके दोहे,
  2. रविदास का जीवन परिचय Guru Ravidass Ji History Biography In Hindi
  3. संत रविदास जी की अमर गाथा, पढ़ें उनके प्रेरक प्रसंग तथा प्रचलित दोहे...। Ravidas Jayanti 2020
  4. संत रविदास और गंगा जी की कहानी
  5. Guru Ravidass Ji History in Hindi
  6. Sant Ravidas Jayanti 2023 Hindi: कौन थे संत रविदास? क्यों मनायी जाती है उनकी जयंती


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संत रविदास ( रैदास ) का जीवन परिचय और उनके दोहे,

वैसे तो हमारे देश भारत में सदियों से अनेक महान संतो ने जन्म लेकर इस भारतभूमि को धन्य किया है जिसके कारण भारत को विश्वगुरु कहा जाता है और जब जब हमारे देश में ऊचनीच भेदभाव, जातीपाती, धर्मभेदभाव अपने चरम अवस्था पर हुआ है तब तब हमारे देश भारत में अनेक महापुरुषों ने इस धरती पर जन्म लेकर समाज में फैली बुराईयों, कुरूतियो को दूर करते हुए अपने बताये हुए सच्चे मार्ग पर चलते हुए भक्ति भावना से पूरे समाज को एकता के सूत्र में बाधने का काम किया है इन्ही महान संतो में संत गुरु रविदास जी / Sant Guru Ravidas Ji का भी नाम आता है जो की एक 15वी सदी के एक महान समाज सुधारक, दार्शनिक कवि और धर्म की भेदभावना से ऊपर उठकर भक्ति भावना दिखाते है । तो आईये जानते है ऐसे महान संत गुरु रविदास जी / Sant Guru Ravidas Ji के जीवन के बारे में जिनके जीवन से हमे धर्म और जाती से उठकर समाज कल्याण की भावना की सीख मिलती है रविदास भारत में 15वीं शताब्दी के एक महान संत, दर्शनशास्त्री, कवि, समाज-सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे। वो निर्गुण संप्रदाय अर्थात् संत परंपरा में एक चमकते नेतृत्वकर्ता और प्रसिद्ध व्यक्ति थे तथा उत्तर भारतीय भक्ति आंदोलन को नेतृत्व देते थे। ईश्वर के प्रति अपने असीम प्यार और अपने चाहने वाले, अनुयायी, सामुदायिक और सामाजिक लोगों में सुधार के लिये अपने महान कविता लेखनों के जरिये संत रविदास ने विविध प्रकार की आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश दिये। वो लोगों की नजर में उनकी सामाजिक और आध्यात्मिक जरुरतों को पूरा करने वाले मसीहा के रुप में थे। आध्यात्मिक रुप से समृद्ध रविदास को लोगों द्वारा पूजा जाता था। हर दिन और रात, रविदास के जन्म दिवस के अवसर पर तथा किसी धार्मिक कार्यक्रम के उत्सव पर लोग उनके महान गीतों आदि...

रविदास का जीवन परिचय Guru Ravidass Ji History Biography In Hindi

रविदास का जीवन परिचय व इतिहास | Guru Ravidass Ji History, Biography In Hindi: उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन की अलख जगाने वाले संत रविदास जी महाराज का नाम सर्वप्रथम लिया जाता हैं. जिन्हें रैदास भी कहा जाता हैं. जूते बनाने का पारम्परिक कार्य करने वाले परिवार में जन्मे गुरु रविदास ने समाज में फैली बुराइयों को समाप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. कबीर दास जी से इनकी काफी समानताएं हैं दोनों के गुरु रामानंद जी ही थे. माघ महीने की पूर्णिमा तिथि को रविदास जयंती मनाई जाती हैं. इस लेख में रविदास का जीवन परिचय व इतिहास के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया जा रहा हैं. रविदास का जीवन परिचय व इतिहास | Guru Ravidass Ji History, Biography In Hindi रैदास जी कबीर के समकालीन भक्त कवि थे, जो रामानंद जी के परम शिष्य थे. तथा निर्गुण भक्ति उपासना के समर्थक थे. रविदास जी जाति पांति में विश्वास नही करते थे. वे बाहरी आडम्बरों को व्यर्थ समझते और मन की शुद्धता पर जोर देते थे. मानव समानता उनका प्रमुख सिद्धांत था. उनका कहना था कि ऐसा चाहो राज में, जहाँ मिलें सबन को अन्न छोट बड़ों सब सम बसे, रविदास रहे प्रसन्न || ये काशी में ही कबीर जी के पास रहा करते थे. कबीर इनकों संतों का संत कहते थे. इनका का उपदेश था कि परमात्मा अपने भक्तों के ह्रदय में निवास करता हैं, उसे सिर्फ वही पा सकता हैं जिसने अपने अंदर दैवीय प्रेम की अनुभूति कर ली हैं. उनका कहना था कि सभी में हरि हैं और सब हरि में हैं. वे यह भी मानते थे मन रहे चंगा तो कठौती में गंगा. रविदासजी ने ईश्वर के प्रति आत्मसमर्पण का प्रचार किया तथा अवतारवाद का खंडन किया, उनके अनुयायियों ने रैदासी सम्प्रदाय स्थापित किया. मानव मात्र के कल्याण के लिए रविदास जी ने अपनी भक्त...

संत रविदास जी की अमर गाथा, पढ़ें उनके प्रेरक प्रसंग तथा प्रचलित दोहे...। Ravidas Jayanti 2020

रैदासजी ने कहा कि आप गंगा स्नान करने जा रहे हैं, यह एक मुद्रा है, इसे मेरी तरफ से गंगा मैया को दे देना। ब्राह्मण जब गंगाजी पहुंचा और स्नान करके जैसे रुपया गंगा में डालने को उद्यत हुआ तो गंगा नदी में से गंगा मैया ने जल में से अपना हाथ निकालकर वह रुपया ब्राह्मण से ले लिया तथा उसके बदले ब्राह्मण को एक सोने का कंगन दे दिया। राजा ने कहा- प्रिये ऐसा ही एक और कंगन मैं तुम्हें शीघ्र मंगवा दूंगा। राजा से उसी ब्राह्मण को खबर भिजवाई कि जैसा कंगन मुझे भेंट किया था वैसा ही एक और कंगन मुझे तीन दिन में लाकर दो वरना राजा के दंड का पात्र बनना पड़ेगा। खबर सुनते ही ब्राह्मण के होश उड़ गए। वह पछताने लगा कि मैं व्यर्थ ही राजा के पास गया, दूसरा कंगन कहां से लाऊं? इसी ऊहापोह में डूबते-उतरते वह रैदासजी की कुटिया पर पहुंचा और उन्हें पूरा वृत्तांत बताया कि गंगाजी ने आपकी दी हुई मुद्रा स्वीकार करके मुझे एक सोने का कंगन दिया था, वह मैंने राजा को भेंट कर दिया। अब राजा ने मुझसे वैसा ही कंगन मांगा है, यदि मैंने तीन दिन में दूसरा कंगन नहीं दिया तो राजा मुझे कठोर दंड देगा रैदासजी बोले कि तुमने मुझे बताए बगैर राजा को कंगन भेंट कर दिया। इसका पछतावा मत करो। यदि कंगन तुम भी रख लेते तो मैं नाराज नहीं होता, न ही मैं अब तुमसे नाराज हूं। रविदास के शिष्यों में से एक ने उनसे भी गंगा स्नान के लिए चलने का आग्रह किया। उन्होंने उत्तर दिया- गंगा स्नान के लिए मैं अवश्य चलता किंतु एक व्यक्ति को जूते बनाकर आज ही देने का वचन मैंने दे रखा है। यदि मैं उसे आज जूते नहीं दे सका तो मेरा वचन भंग होगा। ऐसे में गंगा स्नान के लिए जाने पर मन यहां लगा रहेगा तो पुण्य कैसे प्राप्त होगा?

संत रविदास और गंगा जी की कहानी

Jankaritoday.com अब Google News पर। अपनेे जाति के ताजा अपडेट के लिए Last Updated on 08/10/2022 by भारत संतों का देश है. भारत की पावन भूमि पर अनेक महात्माओं ने जन्म लिया है. संत रविदास का संतों की दुनिया में एक विशेष स्थान है. संत रविदास और गंगा जी की कहानी •गंगा जी द्वारा दुराचारी राजा को दंड और रविदास जी के प्राणों की रक्षा एक कथा के अनुसार एक बार रविदास जी ने गंगा जी के प्रसाद के लिए एक बड़े भंडारे का आयोजन किया. इस भंडारे में आम जनमानस के साथ-साथ दूर-दूर से संत शामिल हुए. उस भंडारे में सधेगढ के राजा भी आए हुए थे. रविदास जी की सेवा भाव, शुद्ध भक्ति और साधना से प्रसन्न होकर स्वयं गंगा माता भी एक सुंदर कन्या का रूप धारण करके इस भंडारे में पहुंचीं. गंगा जी के सौंदर्य को देखकर राजा मोहित हो गए. उन्होंने रविदास जी को बुलाकर कहा कि वह शादी हेतु इस कन्या से बात करें. जब रविदास जी ने विवाह के लिए कोई प्रयत्न नहीं किया तो राजा कुपित हो गए और उन्होंने रविदास को प्राण दंड देने की धमकी दे डाली. जब रविदास जी ने इस बात के लिए असमर्थता जाहिर की तो क्रोधित होकर राजा रविदास जी को मृत्युदंड देने की तैयारी करने लगे. जब यह बात कन्या रूपी गंगा जी को पता चली तो अपने भक्त को संकट में देखकर वह विवाह के लिए राजी हो गईं. शर्त के अनुसार बारात सज धज कर रविदास के आश्रम पहुंची. राजा की खुशी का ठिकाना नहीं था. बारात आश्रम के पास बने कुंड के चारों तरफ ठहरी. विवाह के लिए सुंदर कन्या सज धज कर बारात के सामने उपस्थित हुई. इसके बाद अचानक चमत्कार हो गया. कन्या देखते ही देखते कुंड में कूद गई और विलीन हो गई. उस कुंड से एक मोटी और तीव्र जलधारा फूट पड़ी और क्षण भर में हीं राजा समेत सभी बाराती उसमें डूब गए. इस प्...

Guru Ravidass Ji History in Hindi

guru ravidass ji history in hindi | sant guru siromani ravidas (raidas) biography history information in hindi दोस्तो, इस आर्टिकल में आज हम संत रविदासजी( sant ravidas ji) का जीवन परिचय विस्तार पूर्वक हिंदी में चर्चा करेंगे| संत रविदास जिनको गुरु रविदास ( guru ravidas ) or भगत रविदास जी ( bhagat ravidas ji ) के नाम से भी जाना जाता है, 15वीं शताव्दी के भक्ति मूवमेंट के एक कवि संत थे| गुरु रविदास के जन्म से लेकर उनके सामाजिक योगदान और उनके अंतिम समय तक की पूरी जानकारी ( sant ravidas biography in hindi ) हिंदी में अपने पाठकों को उपलव्ध कराने की एक छोटी सी कोशिश हमने की है| Guru Ravidass Ji History in Hindi संत रविदास जी का जीवन परिचय संत रविदास उत्तर भारत के 15वी से 16वी शताव्दी के बीच भक्ति आन्दोलन के एक कवि संत थे| गुरु रविदास कवीर के सम सामयिक थे| भगत रविदासजी के समय में जातिगत भेदभाव चरम सीमा पर था| रविदासजी खुद भी एक, समाज में नीची जाति मानी जाने वाली, चर्मकार जाती ( Cobbler ) से ताल्लुक रखते थे| अर्थार्थ, जब तक मनुष्य जाति के बंधन में बंधा रहेगा, मनुष्य तब तक आपस में लड़ता रहेगा| ये जाती पाती की उंच नीच ही मनुष्य को आपस में प्रेम और सधभाव से नहीं रहने देती है| Guru Ravidass Ji History in Hindi संत रविदास जी का जीवन परिचय आइये जानते हैं हमारे महान संत और गुरु रविदास जी का संपूर्ण जीवन परिचय विस्तार से क्रमांक बिंदु रविदास जीवन परिचय 1. नाम गुरु रविदास जी 2. अन्य नाम संत रविदास, संत रैदास, रोहिदास, रूहिदास 3. जन्म 1450 CE 4. जन्म स्थान सीर गोवर्धन पुर, वाराणसी 5. पिता का नाम श्री संतोख दास जी 6. माता का नाम कलसा देवी जी 7. दादा का नाम श्री कालू राम जी 8. दादी का नाम श्रीमती...

Sant Ravidas Jayanti 2023 Hindi: कौन थे संत रविदास? क्यों मनायी जाती है उनकी जयंती

What is Sant Ravidas Jayanti 2023 in Hindi: जानिये कौन थे संत रविदास ? उनका इतिहास और जीवन परिचय, क्यों मनायी जाती है संत रविदास जयंती | Know all about Sant Ravidas in Hindi, History, Significance, Doha, Quotes, Messages in Hindi हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल माघ मास की पूर्णिमा को संत रविदास जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष रविदास जयंती 2023 में 5 फरवरी, बुधवार को मनाई जा रही है. (Sant Ravidas Birth in Hindi) संत रविदास का जन्म 1377 सीई वारणसी, उत्तर प्रदेश में माघ पूरनमासी को हुआ. गुरु रविदास एक प्रसिद्ध संत थे, भक्ति आंदोलन के साथ साथ आध्यात्मिकता और जातिवाद के खिलाफ लोगों को जागरूक करते थे. (Sant Ravidas Various Names in Hindi) भक्त उन्हें रैदास, रोहिदास और रूहिदास के नाम से भी बुलाते थे. संत रविदास की माता का नाम कलसा देवी और पिता का नाम संतोख दास था. संत रविदास ने अंपने जीवनकाल में लोगों के बीच भेदभाव को दूर करने का अथक प्रयास किया और हमेशा सद्भाव और शांति से रहने की शिक्षा दी. आइये इस लेख के माध्यम से हम संत रविदास के बारे में उनके जीवन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे. (Sant Ravidas Story, History, Biography in Hindi) संत रविदास की कहानी, इतिहास और उनसे जुड़े महत्वपूर्ण घटनाओ तथ्यों को भी जानेंगे. (Sant Ravidas Messages, Doha, Quotes in Hindi) संत रविदास के विचार, दोहे, रचनाये इत्यादि के बारे में. यह यह भी देखेंगे की आखिर संत रविदास जयंती क्यों मनाई जाती है? संत रविदास जयंती 2023 | Sant Ravidas Jayanti 2023 in Hindi हर साल माघ मास की पूर्णिमा तिथि को संत रविदास जयंती मनाई जाती है. (Sant Ravidas Jayanti 2023) इस वर्ष रविदास जयंती 2023 में 05 फरवरी, रविवार को मन...