संवाद लिखते समय कौन गायब हो जाता है

  1. Samvad Lekhan in Hindi संवाद लेखन उदाहरण
  2. संवाद लिखते समय शब्द कैसे प्रयोग करने चाहिए *? – ElegantAnswer.com
  3. CBSE Class 10 Hindi B संवाद लेखन
  4. Samvad Lekhan in Hindi
  5. मलिक मोहम्मद जायसी


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Samvad Lekhan in Hindi संवाद लेखन उदाहरण

संवाद – लेखन Dialogue Writing in Hindi आप जानते हैं कि भाषा की आधारभूत इकाई ‘वाक्य’ है , तो संप्रेषण की आधारभूत इकाई संवाद है | हम अपनी बात को संप्रेषित करने के लिए बातचीत या वार्तालाप करते हैं | वार्तालाप के लिए हमेशा कम से कम दो लोगों की आवश्यकता होती है – ‘वक्ता’ तथा ‘श्रोता’. What is Samvad Lekhan– संवाद लेखन क्या है वक्ता अपने मन की बात को श्रोता तक पहुँचाता है और श्रोता उसे सुनकर समझता है और फिर वह उत्तर देता है | वक्ता अपने विचारों को श्रोता तक पहुँचाने के लिए किसी न किसी ‘कोड’ या ‘भाषा’ का सहारा लेता है | संप्रेषण के लिए यह जरूरी है कि श्रोता भी उस ‘कोड’ से परिचित हो , नही तो संप्रेषण नही होगा | निम्नलिखित आरेख के माध्यम से इसे समझिए – यदि प्रेषित संदेश का कोड भाषा है , तो उसके दो रूप हो सकते हैं – मौखिक तथा लिखित | मौखिक भाषा में वक्ता बोलकर अपनी बात श्रोता तक पहुँचाता है , जिसे श्रोता सुनकर ग्रहण करता है | यदि भाषा लिखित है तो लेखक अपनी बात लिखकर पाठक तक पहुँचाता है , जिसे पाठक पढ़कर ग्रहण करता है | क्रमशः इसी प्रक्रिया के माध्यम से श्रोता और पाठक उन बातों को समझते हैं , जिन्हें वक्ता और लेखक द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है | यदि संदेश मौखिक है तो श्रोता कान से सुनकर और यदि लिखित है तो आँखों से पढ़कर ग्रहण करता है और उस ‘बात’ तक पहुँचता है जिस बात को वक्ता ने कहना चाहा है | फिर उसके उत्तर में श्रोता कुछ कहता है और वक्ता उसे ग्रहण करता है | इस तरह दोनों के बीच ‘वार्तालाप’ या ‘संवाद’ जन्म लेता है | संवाद लेखन class 9 hindi संवाद में वक्ता तथा श्रोता की भूमिकाएँ बदलती रहती हैं | वक्ता की बात को ग्रहण करने के बाद जब श्रोता अपनी बात कहता है , तब वह वक्ता बन जाता है | इस त...

संवाद लिखते समय शब्द कैसे प्रयोग करने चाहिए *? – ElegantAnswer.com

संवाद लिखते समय शब्द कैसे प्रयोग करने चाहिए *? इसे सुनेंरोकें(1) संवाद छोटे, सहज तथा स्वाभाविक होने चाहिए। (2) संवादों में रोचकता एवं सरसता होनी चाहिए। (3) इनकी भाषा सरल, स्वाभाविक और बोलचाल के निकट हो। उसमें बहुत अधिक कठिन शब्द तथा अप्रचलित (जिन शब्दों का प्रयोग कोई न करता हो) शब्दों का प्रयोग न हो। संवाद लिखते समय महत्त्वपूर्ण बात कौन सी नहीं है? इसे सुनेंरोकेंसंवाद न अधिक लम्बे होने चाहिए और न ही अधिक छोटे। संवाद पात्रों की भाषा शैली पर आधारित होने चाहिएं। जैसे – डॉक्टर, बच्चे और सब्जीवाले की भाषा में अंतर होता है। यदि संवादों के बीच कोई चित्र बदलता है या किसी नए व्यक्ति का आगमन होता है तो उसका वर्णन कोष्टक में करना चाहिए। संवाद कितने लोगों के बीच में हो सकता है? इसे सुनेंरोकेंसंवाद – ‘वाद’ मूल शब्द में ‘सम्’ उपसर्ग लगाने से ‘संवाद’ शब्द बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘बातचीत’ है। इसे वार्तालाप भी कहा जाता है। रूप से दो लोगों के बीच होने वाली बातचीत को संवाद कहा जाता है। दो व्यक्तियों की बातचीत को ‘वार्तालाप’ अथवा ‘संभाषण’ अथवा ‘संवाद’ कहते हैं। संवाद लेखन कितने प्रकार के होते हैं? इसे सुनेंरोकेंबिना संवाद के मनुष्य सामाजिक प्राणी नहीं बन सकता है। संवादों के माध्यम से केवल शब्दों का ही आदान- प्रदान नहीं होता बल्कि उनका प्रयोग करने वालों के चेहरे पर तरह-तरह के हाव-भाव भी प्रकट होते हैं, जो संवादों में प्रयुक्त किए जाने वाले शब्दों के आरोह-अवरोह को नाटकीय ढंग से स्वाभाविकता प्रदान करते हैं। संवाद स्थापित करने के लिए कम से कम कितने पात्रों की आवश्यकता है? इसे सुनेंरोकेंसंवाद कपोलकल्पना में, दो या दो से अधिक किरदारों के बीच एक मौखिक विनिमय है। साधारण भाषा में जिसे बात करना कहा ...

CBSE Class 10 Hindi B संवाद लेखन

CBSE Class 10 Hindi B लेखन कौशल संवाद लेखन संवाद दो शब्दों ‘सम्’ और ‘वाद’ के मेल से बना है, जिसका अर्थ है-बातचीत करना। इसे हम वार्तालाप भी कहते हैं। दो व्यकि तयों के मध्य होने वाली बातचीत को संवाद कहा जाता है। You can also download Science Class 10 to help you to revise complete syllabus and score more marks in your examinations. संवाद व्यक्ति के मन के भाव-विचार जानने-समझने और बताने का उत्तम साधन है। संवाद मौखिक और लिखित दोनों रूपों में किया जाता है। संवाद में स्वाभाविकता होती है। इसमें व्यक्ति की मनोदशा, संस्कार, बातचीत करने का ढंग आदि शामिल होता है। व्यक्ति की शिक्षा-दीक्षा उसकी संवाद शैली और भाषा को प्रभावित करती है। हमें सामने वाले की शिक्षा और मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर संवाद करना चाहिए। इसी बातचीत का लेखन संवाद लेखन कहलाता है। प्रभावपूर्ण संवाद बोलना और लिखना एक कला है। इसके लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए – • संवाद की भाषा सरल, स्पष्ट और समझ में आने वाली होनी चाहिए। • संवाद बोलते समय सुननेवाले की मानसिक क्षमता का ध्यान रखना चाहिए। • वाक्य छोटे और सरल होने चाहिए। • संवादों को रोचक एवं सरस बनाने के लिए सूक्तियों एवं मुहावरों का प्रयोग करना चाहिए। • संवाद लिखते समय विराम चिह्नों का प्रयोग उचित स्थान पर करना चाहिए। • बोलते समय बलाघात और अनुतान को ध्यान में रखना चाहिए। • एक बार में एक या दो वाक्य बोलकर सुनने वाले की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करनी चाहिए। संवाद-लेखन के कुछ उदाहरण प्रश्नः 1. उत्तराखंड में पिछले सप्ताह भूकंप आ गया था। आप अपने मित्र के साथ भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए जाना चाहते हैं। आप अपने मित्र और स्वयं के बीच हुए संवाद का लेखन कीजिए। आप समी...

Samvad Lekhan in Hindi

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • Samvad Lekhan in Hindi संवाद-लेखन की परिभाषा: दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच हुए वार्तालाप या सम्भाषण को संवाद कहते हैं। अथवा दो व्यक्तियों की बातचीत को ‘वार्तालाप’ अथवा ‘संभाषण’ अथवा ‘संवाद’ कहते हैं। संवाद का सामान्य अर्थ बातचीत है। इसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति भाग लेते है। अपने विचारों और भावों को व्यक्त करने के लिए संवाद की सहायता ली जाती है। जो संवाद जितना सजीव, सामाजिक और रोचक होगा, वह उतना ही अधिक आकर्षक होगा। उसके प्रति लोगों का खिंचाव होगा। अच्छी बातें कौन सुनना नहीं चाहता ? इसमें कोई भी व्यक्ति अपने विचार सरल ढंग से व्यक्त करने का अभ्यास कर सकता है। वार्तालाप में व्यक्ति के स्वभाव के अनुसार उसकी अच्छी-बुरी सभी बातों को स्थान दिया जाता है। इससे छात्रों में तर्क करने की शक्ति उत्पत्र होती है। नाटकों में वार्तालाप का उपयोग सबसे अधिक होता है। इसमें रोचकता, प्रवाह और स्वाभाविकता होनी चाहिए। व्यक्ति, वातावरण और स्थान के अनुसार इसकी भाषा ऐसी होनी चाहिए जो हर तरह से सरल हो। इतना ही नहीं, वार्तालाप संक्षिप्त और मुहावरेदार भी होना चाहिए। संवाद के अनेक नाम हैं : वर्तालाप, आलाप, संलाप, कथोपकथन, गुफ्तगू, सम्भाषण इत्यादि। यह कहानी, उपन्यास, एकांकी, नाटकादि की जान है। इसके माध्यम से पात्रों की सोच, चिन्तन-शैली, तार्किक क्षमता और उसके चरित्र का पता चलता है। नाटकों के संवादों से कथावस्तु का निर्माण होता है। संवाद के वाक्यों में स्वाभाविकता होनी चाहिए, बनावटीपन नहीं। लम्बे-लम्बे कठिन और उलझे हुए संवाद प्रायः बनावटी हुआ करते हैं। अच्छा संवाद-लेखक ही नाटक, रेडियो नाटक, एकांकी तथा कथा-कहानी लिखने में कुशलता हासिल करता है। भा...

मलिक मोहम्मद जायसी

अनुक्रम • 1 जीवन • 2 कृतियाँ • 3 इन्हें भी देखें • 4 सन्दर्भ • 5 बाहरी कड़ियाँ जीवन [ ] जायसी का जन्म सन 1492 ई़ के आसपास माना जाता है। वे जायस नगर मोर अस्थानू। नगरक नांव आदि उदयानू। तहां देवस दस पहुने आएऊं। भा वैराग बहुत सुख पाएऊं॥ इससे यह पता चलता है कि उस नगर का प्राचीन नाम उदयान था, वहां वे एक पहुने जैसे दस दिनों के लिए आए थे, अर्थात उन्होंने अपना नश्वर जीवन प्रारंभ किया था अथवा जन्म लिया था और फिर वैराग्य हो जाने पर वहां उन्हें बहुत सुख मिला था। भा अवतार मोर नौ सदी। तीस बरिख ऊपर कवि बदी॥ जिसके आधार पर केवल इतना ही अनुमान किया जा सकता है कि उनका जन्म संभवतः ८०० हि० एवं ९०० हि० के मध्य, तदनुसार सन १३९७ ई० और १४९४ ई० के बीच किसी समय हुआ होगा तथा तीस वर्ष की अवस्था पा चुकने पर उन्होंने काव्य-रचना का प्रारंभ किया होगा। पद्मावत का रचनाकाल उन्होंने ९४७ हि० उनके पिता का नाम मलिक राजे अशरफ़ बताया जाता है और कहा जाता है कि वे मामूली ज़मींदार थे और खेती करते थे। स्वयं जायसी का भी खेती करके जीविका-निर्वाह करना प्रसिद्ध है। जायसी ने अपनी कुछ रचनाओं में अपनी गुरु-परंपरा का भी उल्लेख किया है। उनका कहना है, सैयद अशरफ़, जो एक प्रिय संत थे मेरे लिए उज्ज्वल पंथ के प्रदर्शक बने और उन्होंने प्रेम का दीपक जलाकर मेरा हृदय निर्मल कर दिया।। जायसी कुरुप व काने थे थे। एक मान्यता अनुसार वे जन्म से ऐसे ही थे किन्तु अधिकतर लोगों का मत है कि शीतला रोग के कारण उनका शरीर विकृत हो गया था। अपने काने होने का उल्लेख जायसी ने स्वयं ही इस प्रकार किया है - एक नयन कवि मुहम्मद गुनी। अब उनकी दाहिनी या बाईं कौन सी आंख फूटी थी, इस बारे में उन्हीं के इस दोहे को सन्दर्भ लिया जा सकता है: मुहमद बाईं दिसि तजा, एक सरव...