साल का सबसे छोटा दिन

  1. winter solstice 2020 know the special facts about the shortest day of the year
  2. साल 2023 का सबसे लम्बा और छोटा दिन के बारे में पूरी जानकारी।
  3. आज साल का सबसे छोटा दिन, 21 दिसंबर से बढ़ने लगती है ठंड और सूरज से दूरी भी
  4. Winter solstice or shortest day of the year 2019: साल का सबसे छोटा दिन आज, जाने क्या है कारण
  5. साल के सबसे छोटे दिन 21 दिसंबर को उत्तम संयोग; सूर्यदेव को ऐसे करें प्रसन्न
  6. Winter Solstice 2022: आज साल का सबसे छोटा दिन
  7. 21 December: आज साल का सबसे छोटा दिन, 16 घंटों की होगी रात


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winter solstice 2020 know the special facts about the shortest day of the year

इस साल 21 दिसंबर (21st December) को साल का सबसे छोटा दिन है. पिछले साल सबसे छोटा दिन 22 दिसंबर को था. साल के इस सबसे छोटे दिन को विंटर सॉल्सटिस (Winter Solstice) कहते हैं. जानिए इसके पीछे का विज्ञान और इस दिन से पहले और बाद में क्या-क्या बदलता है. https://zeenews.india.com/hindi/science/photo-gallery-winter-solstice-2020-know-the-special-facts-about-the-shortest-day-of-the-year/811435 उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में आज का दिन सबसे छोटा (Shortest Day Of The Year) होता है. इसका अर्थ है कि इस दिन धरती के इस हिस्से में सूरज सबसे कम देर के लिए रहेगा. वहीं दक्षिणी गोलार्ध में आज ही सूरज सबसे ज्यादा देर तक रहेगा. इसलिए इस हिस्से में आने वाले देश आज के दिन सबसे बड़ा दिन देखेंगे. अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में आज से गर्मी की शुरुआत हो रही है. वहीं उत्तरी गोलार्ध वाले देशों में आज से ठंड और बढ़ जाती है. दरअसल आज के दिन दुनिया के दो हिस्सों में दो अलग-अलग तरीकों से बदलाव (Two different changes in two parts of the world) दिख रहे हैं, सबसे छोटा और सबसे लंबा दिन का. दिन के छोटे या बड़े होने का कारण है, पृथ्वी की अपने अक्ष पर पोजिशन. हमारी धरती भी दूसरे ग्रहों की तरह अपनी धुरी पर लगभग 23.5 डिग्री पर झुकी हुई है. इस तरह झुके होकर अपनी धुरी पर चक्कर लगाने के कारण सूरज की किरणें किसी एक जगह ज्यादा और दूसरी जगह कम पड़ती हैं. जिस जगह सूरज की रोशनी कम देर के लिए आती है, वहां दिन छोटा, जबकि ज्यादा रोशनी से दिन बड़ा होता है. अब जानते हैं उत्तरी गोलार्ध के बारे में. यह साल के 6 महीने सूरज की ओर झुका रहता है. इस वजह से साल के इन महीनों में सूरज की अच्छी-खासी रोशनी इस तरफ आती...

साल 2023 का सबसे लम्बा और छोटा दिन के बारे में पूरी जानकारी।

वर्ष के सभी महीनों में हम दिनों को घटते एवं बढ़ते देखते रहते है। सर्दियों में जहाँ दिन छोटे एवं रातें लम्बी होती है वही गर्मियों में दिन लम्बे एवं रातें छोटी हो जाती है। चलिए अब आपसे एक सवाल पूछते है ? क्या आप जानते है की साल 2023 का सबसे लम्बा और छोटा दिन कौन सा है? अगर आपको इस सवाल का जवाब नहीं मालूम तो चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। साल 2023 का सबसे लम्बा और छोटा दिन | Longest and Shortest Day of The Year in Hindi साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आपको दिनों के घटने एवं बढ़ने के भौगोलिक तथ्यों के बारे में भी जानकारी प्रदान की जाएगी। भूगोल में रूचि रखने वाले जिज्ञासुओं एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी यह आर्टिकल समान रूप से उपयोगी होने वाला है। यहाँ भी देखें -->> आप सभी यह जानते होंगे की वैसे तो एक वर्ष में 365 दिन होते है परन्तु हर चार वर्ष में एक बार वर्ष 366 दिन होते है। क्यों घटते-बढ़ते है दिन साल के सबसे लम्बे एवं सबसे छोटे दिन के बारे में जानकारी प्राप्त करने से पूर्व हमे इसके कारण के बारे में जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। दिनों की अवधि (दिनों का छोटा या बड़ा होना) एक खगोलीय घटना “संक्रांति” यानि सोल्सटिस (Solstice) के कारण होता है। यह घटना वर्ष में दो बार, सर्दियों एवं गर्मियों के मौसम में घटित होती है। इसी घटना के कारण पृथ्वी पर दिनों की अवधि में अंतर आता है एवं दिन छोटे या बड़े होते है। धरती को भौगोलिक आधार पर 2 भागो में विभाजित किया गया है – उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) एवं दक्षिणी गोलार्ध (Southern hemisphere)। यह विभाजन पृथ्वी की मध्य रेखा से किया गया है। जिसे की भूमध्य रेखा (Equator) या विषुवत रेखा के नाम से भी जाना जाता ह...

आज साल का सबसे छोटा दिन, 21 दिसंबर से बढ़ने लगती है ठंड और सूरज से दूरी भी

साल के इस सबसे छोटे दिन को विंटर सॉल्सटिस (Winter solstice) कहते हैं उत्तरी गोलार्द्ध के लिए ये सबसे छोटा दिन तो दक्षिणी गोलार्द्ध के लिए सबसे बड़ा दिन अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में आज से गर्मी की शुरुआत हो जाएगी. आज यानी 21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन होता है. वैसे जरूरी नहीं कि ये हर साल 21 दिसंबर को ही हो. कभी-कभार ये एक दो दिन आगे पीछे हो सकता है. मसलन पिछले साल ये दिन 22 दिसंबर को था. गणना के हिसाब से इस साल भी जब हम रात को सोएंगे तो रात 03.17 बजे ‘सॉल्सिटिस डे’ दबे पांव प्रवेश करेगा. इस सबसे छोटे दिन को विंटर सॉल्सटिस (Winter solstice) कहते हैं. जानिए, क्या है इसके पीछे का विज्ञान और इस दिन से पहले और बाद में क्या-क्या बदलता है. सबसे पहले तो समझते हैं कि सॉल्सटिस क्या है. ये एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है सूरज का स्थिर हो जाना. धरती अपने अक्ष पर घूमते हुए सूरज की ओर दिशा बदलती है. ऐसे में धरती का जो हिस्सा सूरज के संपर्क में आता है, उसे सॉल्सटिस शब्द से जोड़ दिया जाता है. उत्तरी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन उत्तरी गोलार्ध में आज का दिन सबसे छोटा है. इसका मतलब ये है कि इस दिन धरती के इस हिस्से में सूरज सबसे कम देर के लिए रहेगा. वहीं दक्षिणी गोलार्ध में आज ही सूरज सबसे ज्यादा देर तक रहेगा और इस तरह से इस हिस्से में आने वाले देश आज के दिन सबसे बड़ा दिन देखेंगे. जैसे अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में आज से गर्मी की शुरुआत हो रही है. दुनिया के एक हिस्से में सबसे लंबा दिन तो एक हिस्से में सबसे छोटा इससे ये समझ आता है कि आज का दिन दुनिया के दो हिस्सों में दो अलग-अलग तरीकों से दिख रहा है, सबसे छोटा और सबसे लंबा. दिन के छोटे या बड़े होने का कारण ह...

Winter solstice or shortest day of the year 2019: साल का सबसे छोटा दिन आज, जाने क्या है कारण

आज का साल (world shortest day 2019) का सबसे छोटा दिन है. यह संक्रांति यानि सोल्सटिस (Winter solstice) खगोलीय घटना है. जो कि एक बार सर्दियों में और एक बार गर्मियों में होती है. हर साल सूर्य को जब उत्तर या दक्षिण ध्रुव से देखा जाता है. तो यह साल का सबसे बड़ा दिन होता है. इस दिन सूर्य की किरणें ज्यादा समय के लिए रहती हैं. वहीं आमतौर पर 22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन होता है, क्योंकि इस दिन सूर्य की किरण पृथ्वी पर सबसे कम समय के लिए रहती हैं. अलग-अलग देशों में शीतकालीन संक्रांति की तारीखों और समय में अंतर होता है. हम आपको कुछ राजधानी दिल्ली के अलावा कुछ विदेशी शहरों के छोटे दिन की तारीख और समय बता रहे हैं. शहर तारीख दिन के समय की लम्बाई दिल्ली 22 दिसम्बर 10 घंटा 19 मिनट बीजिंग 22 दिसंबर 9 घंटा 20 मिनट रिओ डे जनिरेओ 22 दिसम्बर 13 घंटा 13 मिनट न्यू यॉर्क सिटी 22 दिसम्बर 9 घंटा 15 मिनट लोस अन्गेलेस 22 दिसम्बर 9 घंटा 53 मिनट मेक्सिको सिटी 22 दिसम्बर 10 घंटा 57 मिनट टोक्यो, जापान 22 दिसम्बर 9 घंटा 44 मिनट मेलबोर्न 22 दिसम्बर 14 घंटा 47 मिनट

साल के सबसे छोटे दिन 21 दिसंबर को उत्तम संयोग; सूर्यदेव को ऐसे करें प्रसन्न

21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य की रोशनी सबसे कम समय तक पृथ्वी पर पड़ती है। इस तारीख को दिन छोटा और रात लंबी होती है। इस साल यह तारीख़ काफी खास होने वाली है क्योंकि इस दिन प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक साथ पड़ रही है। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि और मासिक शिवरात्रि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि दोनों ही भगवान भोलेनाथ को प्रिय हैं। अपने जीवन को कैसे बनाएँ खास? विद्वान ज्योतिषियों से फोन पर बात करके जानें जवाब इस बार 21 दिसंबर 2022 (पौष माह) को विशेष संयोग बन रहा है। प्रदोष व्रत और शिवरात्रि एक ही तिथि को मनाई जाएगी, वह भी साल के सबसे छोटे दिन। इस दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। तो आइए जानते हैं कि 21 दिसंबर के दिन किए जाने वाले कुछ खास उपायों व इस दिन से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण बातों के बारे में। 21 दिसंबर को क्यों होता है छोटा दिन 21 दिसंबर को भारत समेत कई देशों में सबसे छोटा दिन होता है। दिन का तात्पर्य है कि सूरज उगने से लेकर अस्त होने तक का समय। इस दिन सूरज अपने निश्चित समय से कम समय तक रहता है और फिर जल्द ही डूब जाता है। इससे दिन छोटा हो जाता है और रात बड़ी। दूसरे शब्दों में कहें तो सूरज ज्यादा देर तक धरती पर अपनी किरणों से प्रकाश नहीं फैलाता है। इसलिए 21 दिसंबर को साल के सबसे छोटे दिन के रूप में जाना जाता है। बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा बता दें कि 21 दिसंबर को दुनिया भर के कई देशों में अलग-अलग तरीकों से जश्न मनाया जाता है। चीन में इस दिन को सकारात्मक ...

Winter Solstice 2022: आज साल का सबसे छोटा दिन

नई दिल्ली (इंट): इस साल का सबसे छोटा दिन 22 दिसम्बर को होगा। आज दिन 10 घंटे 41 मिनट का होगा। आज गुरुवार को सूर्य मकर रेखा पर लंबवत होगा। 1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें इससे धरती के उत्तरी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात होगी। अगर मध्य भारत की बात करें तो वहां पर सूर्योदय सुबह 7.05 बजे और सूर्यास्त शाम को 5.46 बजे होगा। Related Story • Gurdaspur: हिन्दू-बौद्ध धार्मिक स्थलों को सुधार कर पाक अपनी छवि सुधारे, पर्यटन से आय भी बढ़ाए • Kamrunag Sarnahuli Mela 2023: श्रद्धालुओं ने कमरूनाग झील में अर्पित किया सोना-चांदी व नकदी, नहीं दी... • Religious story: भगवान बुद्ध की प्रेरणा से मछुआरा बना प्रसिद्ध चित्रकार, पढ़ें कथा • मासिक शिवरात्रि: आज इन राशियों के रुके हुए काम होंगे पूरे • Shri Tuljabhavani Mandir: तुलजा भवानी मंदिर में चढ़ावे का 207 किलोग्राम सोना, 1280 चांदी की गणना • Amarnath Yatra 2023: अमरनाथ यात्रा में 40 से अधिक खाद्य पदार्थ प्रतिबंधित, तीर्थयात्रियों को सेहत... • आज जिनका जन्मदिन है, जानें कैसा रहेगा आने वाला साल • Cyclone Biparjoy: गुजरात के तट से टकराया ‘बिपोर्जॉय’, मंदिर और स्कूल रहेंगे बंद • आज का राशिफल 16 जून, 2023- सभी मूलांक वालों के लिए कैसा रहेगा • लव राशिफल 16 जून- मुस्कुराने की वज़ह तुम हो

21 December: आज साल का सबसे छोटा दिन, 16 घंटों की होगी रात

Edited By Seema Sharma,Updated: 21 Dec, 2020 09:51 AM • • • • दिसंबर संक्रांति ने प्राचीन काल से आज तक दुनिया भर की संस्कृतियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 21 दिसंबर साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होगी। पृथ्वी के सबसे पास होने की वजह से सूर्य की मौजूदगी आठ घंटे ही रहती है जिसके अस्त होने के बाद... नेशनल डेस्क: दिसंबर संक्रांति ने प्राचीन काल से आज तक दुनिया भर की संस्कृतियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 21 दिसंबर साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होगी।पृथ्वी के सबसे पास होने की वजह से सूर्य की मौजूदगी आठ घंटे ही रहती है जिसके अस्त होने के बाद 16 घंटों की साल की सबसे लंबी रात होती है। सूर्य इस दिन कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर उत्तरायण से दक्षिणायन की ओर प्रवेश करता है। इसे ‘विंटर सोलस्टाइस’ कहा जा रहा है। क्या होता है विंटर सोलस्टाइस ‘विंटर सोलस्टाइस’ (Winter Solstice) का मतलब है कि हर साल 21 दिसंबर साल का सबसे छोटा दिन होता है। इसकी वजह यह है कि इस दिन चांद की रोशनी ज्यादा देर तक धरती पर पड़ती रहती है। इस दिन के बाद से ही ठंड बढ़ जाती है। इस दिन सूर्य पृथ्वी पर कम समय के लिए उपस्थित होता है तथा चंद्रमा अपनी शीतल किरणों का प्रसार पृथ्वी पर अधिक देर तक करता है। इसे ‘विंटर सोल्स्टाइस’ अथवा दिसंबर दक्षिणायन कहा जाता है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है जिसके कारण इस दिन सूर्य की दूरी पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध से अधिक हो जाती है और सूर्य की किरणों का प्रसार पृथ्वी पर कम समय तक हो पाता है। और ये भी पढ़े • दिल्ली एयरपोर्ट पर 13 करोड़ रुपये की कोकीन जब्त, एक केन्याई महिला गिरफ्तार • खौफनाक! 10वीं के छात्र को पेट्रोल डाल जिंदा जलाया, जा रहा था ट्य...