सारंगपुर हनुमानजी मंदिर

  1. सालंगपुर में भगवान हनुमान की 54 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया
  2. भारत के 37 चमत्कारिक हनुमान मंदिर
  3. Dharamshala in Sarangpur
  4. कष्‍टभंजन हनुमान मंदिर सारंगपुर
  5. सारंगपुर
  6. कष्टभंजन हनुमान मंदिर सारंगपुर (गुजरात) की विस्तार पूर्वक जानकारी (Kashtbhanjan Hanuman mandir sarangpur gujarat ki vistarapoorvak jankari in hindi)


Download: सारंगपुर हनुमानजी मंदिर
Size: 78.29 MB

सालंगपुर में भगवान हनुमान की 54 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया

भोजनालय का डाइनिंग हॉल। हॉल में 656 डाइनिंग टेबल भोजनालय में दो फ्लोर पर कुल 7 डाइनिंग हॉल है। दोनों हॉल में 328-328 यानी कुल मिलाकर 656 डाइनिंग टेबल लगाई गई हैं। इसमें एक साथ 4 हजार से ज्यादा लोग डाइनिंग टेबल पर बैठकर खा सकते हैं। इसके अलावा पहले फ्लोर पर भोजनालय में 3 व दूसरी मंजिल पर 2 VIP डाइनिंग हॉल भी बनाए गए हैं। भोजनालय में कुल 79 रूम बनाए गए हैं। परिसर में 5 लिफ्ट भी लगी हैं। इसके अलावा भोजनालय के मुख्य एंट्रेंस पर 75 फीट चौड़ाई की कुल 28 सीढ़ियां और एक ऐलिवेटर भी बनाया गया है। 11 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस प्रतिमा का वजन 30 हजार किलोग्राम है। एक दिन पहले मूर्ति का अनावरण अमित शाह ने हनुमान जन्‍मोत्‍सव पर सालंगपुर धाम के हनुमान मंदिर परिसर में 54 फीट ऊंची बजरंग बली की प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या साधु संतों की मौजूदगी रही। करीब सात किलोमीटर दूर से भी इस मूर्ति के दर्शन हो सकेंगे। 11 करोड़ रुपS की लागत से तैयार इस प्रतिमा का वजन 30 हजार किलोग्राम है। इसका निर्माण पंचधातु से किया गया है। हनुमान की इस विशालकाय मूर्ति को 'किंग ऑफ सारंगपुर' नाम दिया गया है। यहां हनुमानजी को महाराजाधिराज के नाम से भी जाना जाता है। किले की तरह दिखता है हनुमानजी का ये मंदिर सालंगपुर का कष्टभंजन हनुमान मंदिर किसी किले की तरह दिखाई देता है। इसका स्वरूप बहुत ही भव्य है। मंदिर अपने पौराणिक महत्व, सुंदरता और भव्यता की वजह से काफी प्रसिद्ध है। कष्टभंजन हनुमानजी सोने के सिंहासन पर विराजमान हैं। यहां हनुमानजी को महाराजाधिराज के नाम से भी जाना जाता है। हनुमानजी की प्रतिमा के आसपास वानर सेना दिखाई देती है। हनुमानजी के साथ ही शनिदेव स्त्री रूप में भी विराजित हैं। शनि हनुमानजी...

भारत के 37 चमत्कारिक हनुमान मंदिर

हनुमानजी के चमत्कारिक सिद्धपीठों की संख्‍या सैकड़ों में है। उन सभी स्थानों पर हनुमान के मंदिर बने हैं, जहां वे गए थे या जहां वे बहुत काल तक रहे थे या जहां उनका जन्म हुआ। कुछ मंदिर उनके जीवन की खास घटनाओं से जुड़े हैं और कुछ का संबंध चमत्कार से है। इन हजारों सिद्धपीठों या मंदिरों में से यहां प्रस्तुत है 36 चमत्कारिक और ऐतिहासिक मंदिरों के बारे में संक्षिप्त जानकारी। इस मंदिर के जीर्णोद्धार के पीछे एक कहानी है। सुल्तान मंसूर अली लखनऊ और फैजाबाद का प्रशासक था। तब एक बार सुल्तान का एकमात्र पुत्र बीमार पड़ा। वैद्य और डॉक्टरों ने जब हाथ टेक दिए, तब सुल्तान ने थक-हारकर आंजनेय के चरणों में अपना माथा रख दिया। उसने हनुमान से विनती की और तभी चमत्कार हुआ कि उसका पुत्र पूर्ण स्वस्थ हो गया। उसकी धड़कनें फिर से सामान्य हो गईं। तब सुल्तान ने खुश होकर अपनी आस्था और श्रद्धा को मूर्तरूप दिया- हनुमानगढ़ और इमली वन के माध्यम से। उसने इस जीर्ण-शीर्ण मंदिर को विराट रूप दिया और 52 बीघा भूमि हनुमानगढ़ी और इमली वन के लिए उपलब्ध करवाई। संत अभयारामदास के सहयोग और निर्देशन में यह विशाल निर्माण संपन्न हुआ। 300 साल पहले संत अभयारामदास निर्वाणी अखाड़ा के शिष्य थे और यहां उन्होंने अपने संप्रदाय का अखाड़ा भी स्थापित किया था। इलाहाबाद किले से सटा यह मंदिर लेटे हुए हनुमानजी की प्रतिमा वाला एक छोटा किंतु प्राचीन मंदिर है। यह संपूर्ण भारत का केवल एकमात्र मंदिर है जिसमें हनुमानजी लेटी हुई मुद्रा में हैं। यहां पर स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा 20 फीट लंबी है। जब वर्षा के दिनों में बाढ़ आती है और यह सारा स्थान जलमग्न हो जाता है, तब हनुमानजी की इस मूर्ति को कहीं ओर ले जाकर सुरक्षित रखा जाता है। उपयुक्त समय आने पर इस ...

Dharamshala in Sarangpur

सारंगपुर भारत के गुजरात राज्य के बोटाद जिले का एक गाँव है। सारंगपुर गाँव में स्थित ऐतिहासिक श्री कस्तभंजन हनुमानजी मंदिर और BAPS स्वामीनारायण मंदिर के लिए पूरे भारत में जाना जाता है। हनुमान मंदिर, सारंगपुर एक हिंदू मंदिर (मंदिर) है जो गुजरात के सारंगपुर में स्थित है और स्वामीनारायण संप्रदाय की वडताल गढ़ी के अंतर्गत आता है। यह एकमात्र स्वामीनारायण मंदिर है जिसमें पूजा की प्राथमिक वस्तु के रूप में न तो स्वामीनारायण और न ही कृष्ण की मूर्तियां हैं। यह कष्टभंजन (दुखों को कुचलने वाले) के रूप में हनुमान को समर्पित है. सारंगपुर में स्थित धर्मशालाओ के नाम व् पते नीचे दिए गए है. श्री कष्टभंजन देव हनुमान जी मंदिर के प्रबंधन द्वारा प्रदान किया गया बहुत साफ और बजट के अनुकूल आवास। सुरक्षित जगह। आवास केवल वॉक इन बेसिस पर। हर मंजिल पर ठंडा पानी है। चेक इन प्रोसेस बहुत ही सरल और सुचारू है। साफ-सफाई और सुरक्षा उच्च स्तर की है। छोटे और बड़े परिवार के लिए एसी और गैर एसी कमरे उपलब्ध हैं। परिसर के पास पर्याप्त और व्यवस्थित कार पार्किंग। सभी कमरों में संलग्न बाथरूम, गर्म और ठंडे पानी की सुविधा है। पैसे का मूल्य या उससे अधिक, कोई कह सकता है कि यह गैर-लाभकारी सेवा प्रकार है। Address: near hanuman temple, Sarangpur, Gujarat 382450

कष्‍टभंजन हनुमान मंदिर सारंगपुर

Sarangpur Hanuman इस सारंगपुर धाम की विशेषता यही है कि यहां स्वामी नारायण भगवान् के महान संत ऐश्वर्य मूर्ति गुरुदेव गोपालन स्वामी ने यहां के लोगों के दुःख दूर करने के लिए, कष्टों को दूर करने के लिए, लोगों की व्याधि को दूर करने के लिए एक ऐसे देव को प्रस्थापित किया जिनका नाम कष्ट भंजन हनुमान (Sarangpur Hanuman) जी महाराज है। गुजरात का सारंगपुर महज तीन हजार की आबादी वाला एक छोटा सा गाँव है जो गुजरात के शहर भावनगर से 82 और अहमदाबाद से करीब 153 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां आने के लिए बस सेवा और प्राइवेट वीइकल आसानी से उपलब्ध रहते हैं। सारंगपुर के ज्यादातर लोग तकरीबन 170 साल पुराने इस Sarangpur Hanuman मन्दिर की विशेषता यह है कि इसकी स्थापना भगवान् श्री स्वामी नारायण के अनुयायी परम पूज्य श्री गोपालानन्द स्वामी जी के द्वारा हुई थी। सारंगपुर और श्री कष्ट भंजन देव का उल्लेख इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। कहा जाता है कि स्वयं भगवान् श्री स्वामी नारायण ने अपने जीवन का कुछ समय यहां बिताया था। आज भी उनकी स्मृतियां यहां के रोम रोम में अंकित हैं। मन्दिर के मुख्य प्रवेश द्वार के नजदीक आज भी मौजूद है गाँव के उस वक़्त के राजा श्री जीवा खाचर का दरबार जहां बैठकर स्वयं श्री स्वामी नारायण भगवान् ने अपने आशी वचन कहे थे। मंदिर के इतिहास में उल्लेख है कि नगरवासियों के दुःख दर्द और कष्टों के निवारण के लिए श्री जीवा खाचर के पुत्र श्री वाघा खाचर ने स्वामी श्री गोपालानन्द जी से अनुरोध किया। श्री वाघा खाचर का उनके प्रति भाव देखकर स्वामी जी ने सारंगपुर में भक्तों के कष्ट दूर कर सके वैसे देव की स्थापना करने का वचन दिया। सम्वत 1905 आश्विन वद पंचमी के दिन हनुमानजी महाराज की एक प्...

सारंगपुर

अनुक्रम • 1 आवागमन • 2 इतिहास • 3 पर्यटन स्थल • 4 इन्हें भी देखें • 5 सन्दर्भ आवागमन [ ] • सड़क - • रेल - इतिहास [ ] यह शहर किसी समय में माण्डु कि राजधानी हुआ करता था। यहाँ पर रानी रूपमती की कब्र भी है। यह माण्डु के शासक बाजबहादुर कि पत्नी थी। १४३७ में पर्यटन स्थल [ ] • प्राचीन श्रीराम मंदिर- सारंगपुर बहुत ही प्राचीन नगरी है. यहां पर बहुत सारे पुराने मंदिर भी है. जानकारी एवं विश्वास के अनुसार सबसे प्राचीन मंदिर राम मंदिर है. कपिलेश्वर महादेव मंदिर के सामने छोटा बजरंगबली का मंदिर है. वहीं से हम बांध की विपरीत दिशा में चलना प्रारंभ करेंगे. अभी वहां पर गौशाला बन गई है. नदी किनारे पगडंडी पर चलकर या बाइक से लगभग आधा किलोमीटर बाद घनी झाड़ियों में एक खंडहर दिखाई देता है . खंडहर के समीप जाने पर हमें वहां पर प्राचीन मंदिर के अवशेष मिलते हैं. इस मंदिर की जानकारी बहुत कम लोगों को है क्योंकि यहां पर मूर्ति भी नहीं है लेकिन मूर्ति स्थान है. मंदिर की छत भी क्षतिग्रस्त दिखाई देती थी. वह मंदिर किसने बनाया कब बनाया इसकी किसी को जानकारी नहीं है किंतु देखने पर वह 500 वर्ष से अधिक पुराना दिखाई देता है. यह ईट का बना हुआ है. देखने पर राजपूत शैली भी दिखाई देती है. मंदिर छोटा भी है. मंदिर का गर्भ ग्रह छोटा ही है. खंडहर के अंदर जाना बहुत रिस्की है. पुराने लोगों ने बताया कि यहां पर राम मंदिर था. देखने पर भी ऐसा प्रतीत होता है क्योंकि मूर्ति का सिंहासन मैं राम जानकी एवं लक्ष्मण की मूर्ति रखने का पर्याप्त स्थान है. • पुराना कालीसिंध नदी का पुल -सारंगपुर में कालीसिंध नदी पर पुराना पुल 1933 में बनकर तैयार हुआ. इसका निर्माण वर्ष भी लिखा हुआ है. इसके पूर्व वहां पर रपट हुआ करती थी जोकि पुराने बांध के पास ...

कष्टभंजन हनुमान मंदिर सारंगपुर (गुजरात) की विस्तार पूर्वक जानकारी (Kashtbhanjan Hanuman mandir sarangpur gujarat ki vistarapoorvak jankari in hindi)

जी हां दोस्तों अब तो आप समझ ही गए होंगे कि हम गुजरात में स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर कष्टभंजन हनुमान मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कष्टभंजन, जो भी भक्त इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शनों के लिए आता है उन्हें उनके सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। तो चलिए शुरू करते हैं हमारे आज के लेख कष्टभंजन हनुमान मंदिर के बारे में। कष्टभंजन हनुमान मंदिर कहां पर स्थित है :- Where is the Kashtbhanjan Hanuman temple located:- भारत के पश्चिम में स्थित गुजरात राज्य जहां पर भगवान शिव की नगरी सोमनाथ, भगवान श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका व माता काली का धाम पावागढ़ स्थित है, किंतु इन सबके अलावा गुजरात में स्थित सबसे अनोखा धाम सारंगपुर जिला जहां पर हमारे हनुमान जी कष्टभंजन हनुमान के नाम से विराजमान हैं। यहां पर हनुमान जी को महाराजाधिराज की संज्ञा दी गई है। कष्टभंजन हनुमान मंदिर का इतिहास (History of Kashtbhanjan Hanuman Temple) कष्टभंजन हनुमान मंदिर की स्थापना विक्रम संवत 1905 में हुई थी। इस मंदिर की नींव अश्विन कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रखी गई थी। इस मंदिर का निर्माण सद्गुरु गोपालानंद स्वामी ने करवाया था। ( और पढ़ें:- हनुमान चालीसा लिखने के पीछे का रहस्य) जानकारो के अनुसार करीब 200 वर्ष पहले भगवान स्वामीनारायण मंदिर के स्थान पर सत्संग कर रहे थे। भगवान स्वामीनारायण उस समय बजरंगबली की भक्ति में लीन थे। तभी हनुमान जी ने स्वामीनारायण को अपने उस दिव्य रूप के दर्शन दिए थे। जिसके बाद मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ कराया गया। कष्टभंजन हनुमान मंदिर के निर्माण का कार्य भगवान स्वामीनारायण के भक्त गोपालानंद स्वामी ने कराया था। उन्होंने यहां पर हनुमान जी के बलशाली स्वरूप की मूर्ति क...