सावन की पूर्णिमा कब है

  1. Rajasthan Sawan 2023 Start Date Sawan Will Be Of 59 Days Devotee Able To Fast 8 Monday ANN
  2. Sawan Purnima 2023: सावन पूर्णिमा कब है? जानें शुभ मुहूर्त, व्रत पूजा विधि
  3. सावन की शिवरात्रि कब है 2023?
  4. Sawan Purnima 2021 जानिए कब है सावन पूर्णिमा और इस दिन किए जाने वाले धार्मिक कार्य
  5. Raksha Bandhan 2022: कोई कन्फ्यूजन नहीं


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Rajasthan Sawan 2023 Start Date Sawan Will Be Of 59 Days Devotee Able To Fast 8 Monday ANN

Sawan 2023: देवों के देव महादेव (Mahadev) को समर्पित सावन महीना (Sawan) इस बार 59 दिनों का होगा. इस पवित्र माह में व्रत रखने वाले शिवभक्तों को अपनी मनोकामना पाने के लिए कुल 8 सोमवार मिलेंगे. सावन महीने की शुरुआत आषाढ़ की पूर्णिमा तिथि के अगले दिन से शुरु होती है. हिन्दू धर्म में सावन के बड़ा महत्व माना जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार एक नहीं दो महीने सावन के होंगे. सावन माह की शुरुआत 4 जुलाई से होगी और 31 अगस्त तक सावन मास रहेगा. इस बार सावन मास में 4 की बजाय 8 सोमवार आयेंगे. श्रद्धालु जो भगवान शिव की अराधना में सावन माह के सोमवार के व्रत रखते, उन्हें 8 सोमवार व्रत रखने होंगे. सावन में भगवान शिव की उपासना से पूरी होती है मनोकामना जानकारी के अनुसार भगवन शिव को सावन का महीना बहुत ज्यादा प्रिय है. सावन मास के प्रत्येक सोमवार को भगवन शिव की आराधना करने से भगवन शिव प्रसन्न होते है और मनुष्य के जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती है. शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव और उनके परिवार की उपासना करने से सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. इस पवित्र महीने में पूजा- अर्चना करने से श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. 4 जुलाई से शुरू होगा सावन मास वर्ष 2023 में ज्योतिष पंचांग के अनुसार इस बार 4 जुलाई से सावन मास की शुरुआत होगी और सावन का महीना 31 अगस्त तक रहेगा. इस बार दो महीने सावन के माने जायेंगे. सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई का होगा. इस बार एक अधिक मास पड़ रहा है, अधिक मास को ही मलमास कहा जाता है. इसबार भगवन शिव की उपासना करने के लिए भक्तों को 59 दिन मिलेंगे. हिन्दू धर्म में मलमास में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं होते है. सावन महीने भरतपुर म...

Sawan Purnima 2023: सावन पूर्णिमा कब है? जानें शुभ मुहूर्त, व्रत पूजा विधि

प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा होती है। दरअसल चंद्रमा की कलाओं के उतरने चढ़ने से ही माह के दो पक्ष निर्धारित किये जाते हैं। अमावस्या को चंद्रमा घटते-घटते बिल्कुल समाप्त हो जाता है तो अमावस्या के पश्चात बढ़ते-बढ़ते पूर्णिमा के दिन वह एक दम गोल-गोल बड़ा दुधिया चांदनी वाला नज़र आता है। जिन दिनों में चंद्रमा का आकार घटता है वह कृष्ण पक्ष तो जिन दिनों में बढ़ता है वह शुक्ल पक्ष कहलाता है। पूर्णिमा को पूर्णिमा, पूर्णमासी, पूनम आदि कई नामों से जाना जाता है। धार्मिक रूप से भी यह तिथि बहुत ही सौभाग्यशाली मानी जाती है। इसलिये इसका महत्व भी बहुत अधिक माना जाता है। सावन मास की पूर्णिमा तो इस मायने में और भी खास हो जाती है। आइये जानते हैं सावन पूर्णिमा के महत्व व पूर्णिमा व्रत व पूजा विधि के बारे में। सावन पूर्णिमा कब है 2023 साल 2023 में श्रावणी पूर्णिमा व्रत 30 अगस्त को है। यह पूर्णिमा बहुत ही शुभ है।वहीं सावन पूर्णिमा का चांद 31 अगस्त को उदय होगा। पूर्णिमा तिथि आरंभ: दोपहर12:8बजे (30 अगस्त 2023) पूर्णिमा तिथि समाप्त: सुबह 08:35बजे (31 अगस्त 2023) सावन पूर्णिमा 2023: चंद्रोदय एवं चंद्रास्त का समय चंद्रोदय: 30 अगस्त को सायं 6.45 सावन पूर्णिमा का नामकरण हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्रवर्ष के प्रत्येक माह का नामकरण उस महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा की स्थिति के आधार पर हुआ है। ज्योतिषशास्त्र में 27 नक्षत्र माने जाते हैं। सभी नक्षत्र चंद्रमा की पत्नी माने जाते हैं। इन्हीं में एक है श्रवण। मान्यता है कि सावन पूर्णिमा को चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में गोचररत होता है। इसलिये पूर्णिमांत मास का नाम श्रावण रखा गया है और यह पूर्णिमा श्रावण पूर्णिमा कहलाती है। सावन पूर्णिमा व्रत व पूजा ...

सावन की शिवरात्रि कब है 2023?

सवाल: सावन की शिवरात्रि कब है 2023? सावन की शिवरात्रि एक ऐसा पर्व है जिसमें भगवान शिव की पूजा की जाती है। सावन की शिवरात्रि 2023 में 21 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन, भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र, फूल, चंदन, सिन्दूर, अक्षत, मोली, धूप-दीप, प्रसाद आदि का अभिषेक करते हैं। सावन की शिवरात्रि का महत्व है कि इस दिन पूजा करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है, संकटों से रक्षा होती है, सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, संतान की प्राप्ति होती है, स्वास्थ्य में सुधार होता है, मन में शांति होती है, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Sawan Purnima 2021 जानिए कब है सावन पूर्णिमा और इस दिन किए जाने वाले धार्मिक कार्य

Sawan Purnima 2021: जानिए, कब है सावन पूर्णिमा और इस दिन किए जाने वाले धार्मिक कार्य Sawan Purnima 2021 सावन पूर्णिमा को हिंदू धर्म में विशेष और पवित्र माना जाता है। पंचांग के अनुसार सावन की पूर्णिमा 22 अगस्त दिन रविवार को पड़ रही है। आइए जानते हैं सावन पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले महत्पूर्ण धार्मिक कार्य... Sawan Purnima 2021: सावन की पूर्णिमा को हिंदू धर्म में विशेष और पवित्र माना जाता है। सावन मास में पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त सावन पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जाता है। पंचांग के अनुसार सावन की पूर्णिमा 22 अगस्त, दिन रविवार को पड़ रही है। हालांकि की पूर्णिमा की तिथि 21 अगस्त को सांय 07:01 बजे से शुरू हो कर 22 अगस्त को 5:32 बजे तक रहेगी। उदया तिथि होने के कारण सावन पूर्णिमा 22 अगस्त को ही मनाई जाएगी। आइए जानते हैं सावन पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले महत्पूर्ण धार्मिक कार्य... 4- सावन पूर्णिमा के दिन व्रत रखा जाता है। इस दिन बच्चों की दीर्ध आयु के लिए कजरी पूनम का व्रत रखने का विधान है। 5- जो लोग इस दिन व्रत न रखें उन्हें भी सात्विक भोजन करना चाहिए। सावन पूर्णिमा के दिन मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। 6- सावन पूर्णिमा के दिन जीव-जंतुओं पर हिंसा नहीं करनी चाहिए। 7- सावन पूर्णिमा के दिन भगवान शिव के अतिरिक्त माता पार्वती, भगवान विष्णु, गणेश जी, हनुमान जी और चंद्रमा का पूजन किया जाता है। डिसक्लेमर 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान...

Raksha Bandhan 2022: कोई कन्फ्यूजन नहीं

Raksha Bandhan 2022 Correct date and time in India: रक्षाबंधन को लेकर इस बार अजीब कन्फ्यूजन है. 11 अगस्त यानी आज राखी बांधे या 12 अगस्त को राखी बांधनी चाहिए. ये सवाल कई दिनों से उलझन पैदा कर रहा है. दरअसल, सावन की पूर्णिमा तिथि को राखी बांधी जाती है. लेकिन इस दौरान भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस साल भद्रा काल को लेकर ही भ्रम की स्थिति बनी हुई है. पंडित और ज्योतिष के जानकारो का कहना है कि इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को मनाना शुभ रहेगा, तो वहीं कुछ का कहना है कि राखी 12 अगस्त को मनाना ठीक है. 11 अगस्त को पूरे दिन भद्रा रहेगी. शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार हमेशा भद्रा रहित समय में मनाया जाना चाहिए. शास्त्रों के मुताबिक, दिन का कुछ समय शुभ कार्यों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. इसमें भद्राकाल और राहुकाल प्रमुख होता है. इस बार 11 अगस्त को सावन पूर्णिमा तिथि के साथ पूरे दिन भद्राकाल रहेगा. 11 अगस्त को भद्रा का अशुभ समय रात 8 बजकर 53 मिनट पर खत्म होगा. 11 अगस्त को धरती पर नहीं रहेगी भद्रा अब समझते हैं भद्रा के अलग-अलग रूप के चलते राखी बांधना कब शुभ रहेगा. 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि के लगने के साथ ही भद्रा शुरू हो जाएगी, लेकिन भद्रा का वास पाताल लोक में रहेगा. पंडित शिरोमणि सचिन (Pandit Shiromani Sachin) के मुताबिक, जब भद्रा का वास पृथ्वीलोक पर होता है तो इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं होते. लेकिन, यही भद्रा जब पाताललोक में निवास करे तो इसका असर पृथ्वी वासियों के ऊपर नहीं होता है. भद्रा जिस लोक में निवास करती हैं उसका असर उसी लोक में रहता है. ऐसे में 11 अगस्त को भद्रा का निवास पृथ्वी पर नहीं है, इसलिए रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाया जा सकता है. 12 अगस...