सेवासदन उपन्यास के लेखक हैं

  1. रंगभूमि (उपन्यास)
  2. [Solved] 'सेवासदन' उपन्यास हि
  3. [Solved] प्रसिद्ध उपन्यास 'गो�
  4. प्रेमचंद के पहले हिन्दी उपन्यास ‘ सेवासदन ’ पर अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी 16
  5. आलोक सेवा संस्थान : उपन्यास के तत्व
  6. प्रतिज्ञा के लेखक कौन हैं?
  7. सेवासदन के लेखक कौन हैं?
  8. हिन्दी उपन्यास का विकास 
  9. प्रेमचंद के पहले हिन्दी उपन्यास ‘ सेवासदन ’ पर अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी 16
  10. प्रतिज्ञा के लेखक कौन हैं?


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रंगभूमि (उपन्यास)

रंगभूमि उपन्यास - रंगभूमि लेखक-मुंशी प्रेमचंद पूँजीवाद के साथ जनसंघर्ष व बदलाव की महान गाथा है प्रेमचंद की ‘रंगभूमि’। उपन्यास - रंगभूमि लेखक-मुंशी प्रेमचंद पूँजीवाद के साथ जनसंघर्ष व बदलाव की महान गाथा है प्रेमचंद की ‘रंगभूमि’ उपन्यास सम्राट प्रेमचंद (1880-1936) का पूरा साहित्य, भारत के आम जनमानस की गाथा है. विषय, मानवीय भावना और समय के अनंत विस्तार तक जाती इनकी रचनाएँ इतिहास की सीमाओं को तोड़ती हैं, और कालजयी कृतियों में गिनी जाती हैं. रंगभूमि (1924-1925) उपन्यास ऐसी ही कृति है. नौकरशाही तथा पूँजीवाद के साथ जनसंघर्ष का ताण्डव; सत्य, निष्ठा और अहिंसा के प्रति आग्रह, ग्रामीण जीवन तथा स्त्री दुदर्शा का भयावह चित्र यहाँ अंकित है. परतंत्र भारत की सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक समस्याओं के बीच राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण यह उपन्यास लेखक के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को बहुत ऊँचा उठाता है. देश की नवीन आवश्यकताओं, आशाओं की पूर्ति के लिए संकीणर्ता और वासनाओं से ऊपर उठकर नि:स्वार्थ भाव से देश सेवा की आवश्यकता उन दिनों सिद्दत से महसूस की जा रही थी. रंगभूमि की पूरी कथा इन्हीं भावनाओं और विचारों में विचरती है. कथा का नायक सूरदास का पूरा जीवनक्रम, यहाँ तक कि उसकी मृत्यु भी राष्ट्रनायक की छवि लगती है. पूरी कथा गाँधी दर्शन, निष्काम कर्म और सत्य के अवलंबन को रेखांकित करती है. यह संग्रहणीय पुस्तक कई अर्थों में भारतीय साहित्य की धरोहर है. कहानी में सूरदास के अलावा सोफी, विनय, जॉन सेवक, प्रभु सेवक का किरदार भी अहम है. सोफी मिसेज जॉन सेवक, ताहिर अली, रानी, डाक्टर गांगुली, क्लार्क, राजा साहब, इंदु, ईश्वर सेवक, राजा महेंद्र कुमार सिंह, नायकरामघीसू, बजगंरी, जमुनी, जाह्नवी, ठाकुरदीन, भैरों जै...

[Solved] 'सेवासदन' उपन्यास हि

'सेवासदन' उपन्यास हिंदी में पहली बार : 1918 • सेवासदन- 1918 ई. में प्रकाशित सेवासदन प्रेमचंद का हिन्दी में प्रकाशित होने वाला पहला उपन्यास था। • यह मूल रूप से उन्‍होंने 'बाजारे-हुस्‍न' नाम से पहले उर्दू में लिखा गया लेकिन इसका हिन्दी रूप 'सेवासदन' पहले प्रकाशित हुआ। Key Points • “सेवासदन” में प्रेमचन्द दिखाता है कि हमारी सामाजिक कुरीतियाँ स्त्रियों के जीवन को विवश करती है। • इसकी मुख्य समस्या मध्य वर्गीय लोगों की आडंबर प्रियता से संबंधित है। • प्रेमचन्द यह बताना चाहता है कि मनुष्य को जीने के लिए धन द्वारा प्राप्त सुख के समान मन द्वारा प्राप्त सुख भी चाहिए। Additional Information • प्रेमचंद धनपत राय श्रीवास्तव नाम से जाने जाते हैं • वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। • उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास • तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं।

[Solved] प्रसिद्ध उपन्यास 'गो�

प्रसिद्ध उपन्यास ' गोदान' के लेखक प्रेमचंद जी है। Key Points • प्रेमचंद जी का जन्म 1880 में उत्तर प्रदेश के वनारस जिले के लमही नामक गाँव में हुआ था। • इनका वास्तविक नाम धनपत राय था। • अन्य रचनायें- सेवासदन (1918), प्रेमाश्रम (1922), रंगभूमि (1925), निर्मला(1925), कायाकल्प(1926), गबन(1928), कर्मभूमि(1932), गोदान(1936), मंगलसूत्र। • सेवासदन प्रेमचंद का हिंदी में प्रकाशित होने वाला पहला उपन्यास है। मंगलसूत्र को प्रेमचंद का अधूरा उपन्यास माना जाता है जिसे बाद में उनके पुत्र अमृतराय ने पूरा किया। इसका प्रकाशन( 1948) में हुआ। Additional Information शरदचंद्र चट्टोपाध्याय की कृतियाँ देवदास(उपन्यास), चरित्रहीन(उपन्यास), श्रीकांत(उपन्यास), अनुराधा(गल्प), सती(गल्प), अभिनन्दन(निबंध) आदि। अमृता प्रीतम की कृतियाँ पांच बरस लम्बी सड़क(उपन्यास), अदालत(उपन्यास), कोरे कागज(उपन्यास), कहानियाँ जो कहानियां नही है(कहानी संग्रह), कच्चा आगन(संस्मरण),आदि।

प्रेमचंद के पहले हिन्दी उपन्यास ‘ सेवासदन ’ पर अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी 16

आयोजकों ने बताया कि संगोष्ठी में उदघाटन सत्र के अलावा तीन सत्र- ‘ सौ साल बाद सेवासदन : स्त्री मुक्ति का भारतीय पाठ ‘ , ‘ हिन्दी उपन्यास परंपरा में सेवासदन की उत्तरजीविता ‘ और ‘ सेवासदन और भारतीय स्त्री का कल , आज और कल ’’ होगा. संगोष्ठी में उद्घाटन वक्तव्य सुपरिचित आलोचक प्रो रोहिणी अग्रवाल (रोहतक) का होगा तथा अध्यक्षता गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विजय कृष्ण सिंह करेंगे। संगोष्ठी में अतिथि वक्ता के रूप में प्रो शशि मुदिराज (हैदराबाद) , प्रो सुधा सिंह (नई दिल्ली) , प्रो संतोष भदौरिया, डा सूर्यनारायण, प्रो योगेन्द्र सिंह, डा आशुतोष पार्थेश्वर , विवेक निराला , प्रो अली अहमद फातमी, (इलाहाबाद), प्रो अवधेश प्रधान, डा समीर पाठक , डा ज्योति सिंह (वाराणसी), डा प्रीति चौधरी (लखनऊ ), रघुवंश मणि, डॉ अनिल कुमार सिंह, डॉ विशाल श्रीवास्तव (फैजाबाद) , बृजराज कुमार सिंह (आगरा) सुशील सुमन (बंगाल) एवं डा अनूप श्री विजयिनी (भागलपुर), अदनान कफील दरवेश (नयी दिल्ली) सहित अनेक युवा लेखक लेखिकाओं की सहभागिता होगी। संगोष्ठी में डा ज़्बीग्नेव इग्येल्स्की (पोलैंड) ,संध्या सिंह (सिंगापुर), शिरीन प्रसाद (फिजी) एवं रसांगी नायक्कार (श्री लंका) जैसे अनेक विदेशी विद्वान/शोधार्थी शिरकत कर रहे हैं । दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष प्रो रामदेव शुक्ल( अध्यक्ष ,प्रेमचंद साहित्य संस्थान), वरिष्ठ कथाकार मदन मोहन, हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार राय, ,प्रो कमलेश गुप्त, प्रो दीपक प्रकाश त्यागी, प्रो विमलेश मिश्र, प्रो राजेश मल्ल, प्रो प्रत्यूष दुबे, प्रो अरविंद त्रिपाठी, डॉ दमयंती तिवारी, डॉ प्रेमव्रत तिवारी भी संगोष्ठी में सम्मिलित होंगे । प्रेमचंद ‘ सेवासदन ‘ ...

आलोक सेवा संस्थान : उपन्यास के तत्व

संपूर्ण उपन्यास की कहानी जिन उपकरणों से मिलकर बनती है वे कथावस्तु कहलाते हैं। यह उपन्यास की आधारभूत सामग्री है जो लेखक अपनी आवश्यकतानुसार विस्तृत जीवन क्षेत्र से चुनता है। इसके चुनाव में लेखक के लिए पहली आवश्यकता यही होती है कि वे जीवन के ऐसे मार्मिक एवं रोचक प्रसंगों, घटनाओं और परिस्थितियों का चयन करे जो रुचिकर और प्रेरणाप्रद हो। यथार्थ जीवन से कथावस्तु को चुने जाने के कारण उपन्यासकार को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह कपोलकल्पित न लगे तथा उसमें विश्वसनीयता एवं प्रामाणिकता की पुष्टि हो। कथानक ही उपन्यास की वह पूरी प्रक्रिया है जिस पर उपन्यास की विशेषता निर्भर करती है। कथानक चाहे जहाँ से भी ग्रहण किया जा सकता है– इतिहास, पुराण, जीवनी, अनुश्रुति, विज्ञान, राजनीति इत्यादि। लेकिन उपन्यासकार का प्रथम कर्त्तव्य यह है कि वह अपनी कथावस्तु का निरुपण करते समय जीवन के प्रति सच्चा और ईमानदार हो अर्थात उसकी कृति में मानव-जीवन और मानव स्वभाव का सच्चा चित्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए। सार्वभौमता उसका अनिवार्य गुण है। जब तक वह मानव-जीवन के संघर्षों, उसकी कामनाओं और आकांक्षाओं, उसके राग-द्वेषों, अभावों आदि का चित्रण नहीं करेगा, तब तक उसकी कृति का महत्व नहीं होगा। आभिजात्य कुलों और संपन्न परिवारों का जीवन ही सघन, घटना-संकुल, संघर्षशील और नैतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं होता, गरीब, साधारण व्यक्तियों के जीवन में भी ये सब बातें पायी जाती हैं, अतः उपन्यास का विषय साधारण व्यक्ति और उनका जीवन भी हो सकता है; उपन्यासकार के लिए कथावस्तु चुनने की एकमात्र कसौटी यह है कि वह जीवन को समग्र और स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत करे। कथा-प्रसंग चयन के बाद लेखक को चाहिए कि वह अपनी कथा-सामग्री को क्रमबद्ध, सुसंबद्ध रूप में...

प्रतिज्ञा के लेखक कौन हैं?

प्रतिज्ञा के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता प्रतिज्ञा (Pratigya) के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha) " मुंशी प्रेमचंद" ( Munshi Premchand) हैं। Pratigya (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha) नीचे दी गई तालिका में प्रतिज्ञा के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता को लेखक/उपन्यासकार तथा उपन्यास के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। प्रतिज्ञा के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता की सूची निम्न है:- रचना/उपन्यास लेखक/उपन्यासकार/रचयिता प्रतिज्ञा मुंशी प्रेमचंद Pratigya Munshi Premchand प्रतिज्ञा किस विधा की रचना है? प्रतिज्ञा (Pratigya) की विधा का प्रकार " उपन्यास" ( Upanyas) है। आशा है कि आप " प्रतिज्ञा नामक उपन्यास के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको प्रतिज्ञा के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो त उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।

सेवासदन के लेखक कौन हैं?

सेवासदन के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता सेवासदन (Sevaasadan) के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha) " मुंशी प्रेमचंद" ( Munshi Premchand) हैं। Sevaasadan (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha) नीचे दी गई तालिका में सेवासदन के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता को लेखक/उपन्यासकार तथा उपन्यास के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। सेवासदन के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता की सूची निम्न है:- रचना/उपन्यास लेखक/उपन्यासकार/रचयिता सेवासदन मुंशी प्रेमचंद Sevaasadan Munshi Premchand सेवासदन किस विधा की रचना है? सेवासदन (Sevaasadan) की विधा का प्रकार " उपन्यास" ( Upanyas) है। आशा है कि आप " सेवासदन नामक उपन्यास के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको सेवासदन के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो त उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।

हिन्दी उपन्यास का विकास 

40 Shares आज की पोस्ट में हम हिंदी साहित्य के इतिहास में हिन्दी उपन्यास का विकास(Hindi Upanyas) को विस्तार से पढेंगे ,आप इस टॉपिक को अच्छे से तैयार करें हिन्दी उपन्यास का विकास(Hindi Upanyas) ’उपन्यास’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- हिन्दी उपन्यास का आधुनिक स्वरूप यूरोपीय साहित्य से पूर्णतः प्रभावित है, जिसका सूत्रपात आधुनिक युग में हुआ। हिन्दी का प्रारंभिक उपन्यास साहित्य अंग्रेजी तथा बांग्ला से प्रभावित था। हिन्दी का प्रथम उपन्यास Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • विद्वान उपन्यासकार उपन्यास प्रकाशन वर्ष डाॅ. गोपाल राय पं. गौरीदत्त देवरानी जेठानी की कहानी 1870 ई. डाॅ. विजयशंकर मल्ल श्रद्धाराम फिल्लौरी भाग्यवती 1877 ई. आचार्य रामचंद्र शुक्ल श्री निवासदास परीक्षा गुरु 1882 ई. मुंशी प्रेमचंद को यदि हिंदी उपन्यास का केन्द्र बिन्दु माना जाए तो हिंदी उपन्यास को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है:- (1) प्रेमचंद पूर्व हिंदी उपन्यास (2) प्रेमचंद युगीन हिंदी उपन्यास (3) प्रेमचंदोत्तर हिन्दी उपन्यास प्रेमचंद पूर्व उपन्यास सामाजिक उपन्यास उपन्यासकार उपन्यास गौरीदत्त (1) देवरानी जेठानी की कहानी (1870 ई.) श्रद्धाराम फिल्लौरी (1) भाग्यवती (1877 ई.) लाला श्री निवासदास (1) परीक्षा गुरु (1882 ई.) बाल कृष्ण भट्ट (1) रहस्य कथा (1879) (2) नूतन ब्रह्मचारी (1886) (3) सौ अजान एक सुजान (1892) राधाकृष्ण दास (1) निस्सहाय हिन्दू (1890) ठाकुर जगमोहन सिंह (1) श्यामा स्वप्न (1888) लज्जाराम मेहता (1) धूर्त रसिक लाल (1899) (2) स्वतंत्र रमा और परतंत्र लक्ष्मी (1899) (3) आदर्श दम्पत्ति (1904) (4) बिगङे का सुधार (1907) (5) आदर्श हिंदु (1914) किशोरी लाल गोस्वामी (1) लंवगलता या आदर्शबाला (1890...

प्रेमचंद के पहले हिन्दी उपन्यास ‘ सेवासदन ’ पर अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी 16

आयोजकों ने बताया कि संगोष्ठी में उदघाटन सत्र के अलावा तीन सत्र- ‘ सौ साल बाद सेवासदन : स्त्री मुक्ति का भारतीय पाठ ‘ , ‘ हिन्दी उपन्यास परंपरा में सेवासदन की उत्तरजीविता ‘ और ‘ सेवासदन और भारतीय स्त्री का कल , आज और कल ’’ होगा. संगोष्ठी में उद्घाटन वक्तव्य सुपरिचित आलोचक प्रो रोहिणी अग्रवाल (रोहतक) का होगा तथा अध्यक्षता गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विजय कृष्ण सिंह करेंगे। संगोष्ठी में अतिथि वक्ता के रूप में प्रो शशि मुदिराज (हैदराबाद) , प्रो सुधा सिंह (नई दिल्ली) , प्रो संतोष भदौरिया, डा सूर्यनारायण, प्रो योगेन्द्र सिंह, डा आशुतोष पार्थेश्वर , विवेक निराला , प्रो अली अहमद फातमी, (इलाहाबाद), प्रो अवधेश प्रधान, डा समीर पाठक , डा ज्योति सिंह (वाराणसी), डा प्रीति चौधरी (लखनऊ ), रघुवंश मणि, डॉ अनिल कुमार सिंह, डॉ विशाल श्रीवास्तव (फैजाबाद) , बृजराज कुमार सिंह (आगरा) सुशील सुमन (बंगाल) एवं डा अनूप श्री विजयिनी (भागलपुर), अदनान कफील दरवेश (नयी दिल्ली) सहित अनेक युवा लेखक लेखिकाओं की सहभागिता होगी। संगोष्ठी में डा ज़्बीग्नेव इग्येल्स्की (पोलैंड) ,संध्या सिंह (सिंगापुर), शिरीन प्रसाद (फिजी) एवं रसांगी नायक्कार (श्री लंका) जैसे अनेक विदेशी विद्वान/शोधार्थी शिरकत कर रहे हैं । दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष प्रो रामदेव शुक्ल( अध्यक्ष ,प्रेमचंद साहित्य संस्थान), वरिष्ठ कथाकार मदन मोहन, हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार राय, ,प्रो कमलेश गुप्त, प्रो दीपक प्रकाश त्यागी, प्रो विमलेश मिश्र, प्रो राजेश मल्ल, प्रो प्रत्यूष दुबे, प्रो अरविंद त्रिपाठी, डॉ दमयंती तिवारी, डॉ प्रेमव्रत तिवारी भी संगोष्ठी में सम्मिलित होंगे । प्रेमचंद ‘ सेवासदन ‘ ...

प्रतिज्ञा के लेखक कौन हैं?

प्रतिज्ञा के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता प्रतिज्ञा (Pratigya) के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha) " मुंशी प्रेमचंद" ( Munshi Premchand) हैं। Pratigya (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha) नीचे दी गई तालिका में प्रतिज्ञा के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता को लेखक/उपन्यासकार तथा उपन्यास के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। प्रतिज्ञा के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता की सूची निम्न है:- रचना/उपन्यास लेखक/उपन्यासकार/रचयिता प्रतिज्ञा मुंशी प्रेमचंद Pratigya Munshi Premchand प्रतिज्ञा किस विधा की रचना है? प्रतिज्ञा (Pratigya) की विधा का प्रकार " उपन्यास" ( Upanyas) है। आशा है कि आप " प्रतिज्ञा नामक उपन्यास के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको प्रतिज्ञा के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो त उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।