शांत

  1. शांत रस
  2. मन को शांत कैसे रखे
  3. शांत रस की परिभाषा और 20+ शांत रस के उदाहरण
  4. शांत
  5. Shant Ras (शांत रस)


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शांत रस

Shant Ras – Shant Ras Ki Paribhasha शान्त रस – Shant Ras अर्थ–तत्त्व–ज्ञान की प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने पर शान्त रस की उत्पत्ति होती है। जहाँ न दुःख है, न सुख, न द्वेष है, न राग और न कोई इच्छा है, ऐसी मन:स्थिति में उत्पन्न रस को मुनियों ने ‘शान्त रस’ कहा है। शांत रस के अवयव (उपकरण ) • स्थायी भाव–निर्वेद। • आलम्बन विभाव–परमात्मा का चिन्तन एवं संसार की क्षणभंगुरता। • उद्दीपन विभाव–सत्संग, तीर्थस्थलों की यात्रा, शास्त्रों का अनुशीलन आदि। • अनुभाव–पूरे शरीर में रोमांच, पुलक, अश्रु आदि।। • संचारी भाव–धृति, हर्ष, स्मृति, मति, विबोध, निर्वेद आदि। शांत रस के उदाहरण – Shant Ras ka Udaharan (Example Of Shant Ras In Hindi) कबहुँक हौं यहि रहनि रहौंगो। श्री रघुनाथ–कृपालु–कृपा तें सन्त सुभाव गहौंगो।। जथालाभ सन्तोष सदा काहू सों कछु न चहौंगो। परहित–निरत–निरंतर मन क्रम बचन नेम निबहौंगो॥ – तुलसीदास स्पष्टीकरण–इस पद में तुलसीदास ने श्री रघुनाथ की कृपा से सन्त–स्वभाव ग्रहण करने की कामना की है। ‘संसार से पूर्ण विरक्ति और निर्वेद’ स्थायी भाव हैं। ‘राम की भक्ति’ आलम्बन है। साधु–सम्पर्क एवं श्री रघुनाथ की कृपा उद्दीपन है। ‘धैर्य, सन्तोष तथा अचिन्ता ‘अनुभाव’ हैं। ‘निर्वेद, हर्ष, स्मृति’ आदि’ संचारी भाव हैं। इस प्रकार यहाँ शान्त रस का पूर्ण परिपाक हुआ है।

मन को शांत कैसे रखे

क्या हम दिमाग को कंट्रोल कर सकते हैं? दोस्तो, दिमाग को कंट्रोल करने के ऊपर बहुत कुछ लिखा जा चुका है बहुत कुछ कहा जा चुका है. यह कोई बिजली का बल्ब नहीं है जिसका स्विच ऑन कर देंगे तो सोचना शुरू कर देगा और स्विच ऑफ कर देंगे तो सोचना बंद कर देगा. यह इस तरीके से काम नहीं करता है. जैसे कान का काम है सुनना, जीभ का काम है स्वाद लेना, ह्रदय का काम है धडकना और आँखों का काम है देखना, ठीक वैसे ही हमारे दिमाग का काम ही है सोचना. जिस प्रकार हम अपनी जीभ को स्वाद लेने से नहीं रोक सकते, जिस प्रकार हम अपने ह्रदय को धडकने से नहीं रोक सकते, वैसे ही हम अपने दिमाग को सोचने से नहीं रोक सकते. हमारा दिमाग उस बल्ब की तरह हमेशा जलता रहता है, जिस में कोई स्विच नहीं है जिससे आप इसे ऑन-ऑफ कर सकें. हम सभी जानते हैं कि मानव मस्तिषक कितना सक्षम और शक्तिशाली है. उदाहरण: दोस्तो, आपने कभी आम का बीज देखा है, अमरुद का बीज या किसी और पौधे का बीज देखा है? इतना छोटा सा बीज, नन्हा सा बीज एक दिन एक विशाल वृक्ष कैसे बन जाता है? कभी सोचा है आप ने? यह छोटे से, नन्हे से बीज विशाल वृक्ष तभी बन पाते हैं जब यह ज़मीन पर लगातार स्थिर रहते हैं. जो बीज हवाओं के साथ आज इधर कल उधर विचरण करते रहते हैं और कभी स्थिर नहीं होते वह कभी भी वृक्ष नहीं बन पाते. रिसर्च बताती है कि हमारे दिमाग में प्रतिएक दिन 40 से 50 हज़ार विचार आते हैं जिन में से 95% विचार repeated होते हैं. यह 95% विचार वैसे होते हैं जो हमें कल भी आये थे और उससे पहले भी आ चुके होते हैं. हर दिन जितने विचार आते हैं उन में से 80% सिर्नफ कारात्मक विचार ही होते हैं. यह हजारों विचार प्रतिएक दूसरे या तीसरे सेकंड बदलते रहते हैं. यह भी पढ़ें: यह विचार बिलकुल उस पौधे के बीज की तरह ...

शांत रस की परिभाषा और 20+ शांत रस के उदाहरण

Shant Ras in Hindi: हिंदी व्याकरण जिसमें बहुत सारी इकाइयां पढ़ने को मिलती है। विद्यार्थी शुरू से हिंदी ग्रामर की पढ़ाई शुरू करता है, जो आगे तक निरंतर चलती रहती है। हिंदी ग्रामर में बहुत सारी इकाइयां है, जिसमें रस इकाई भी महत्वपूर्ण है। यह इकाई कक्षा 11वीं के विद्यार्थियों से शुरू होती है, जो उच्च शिक्षा के सभी विद्यार्थियों के लिए मुख्य अतिथि के रुप में मानी जाती है। आज के इस लेख में शांत रस की परिभाषा उदाहरण सहित (Shant Ras Ki Paribhasha Udaharan Sahit) समझने वाले है और शांत रस के छोटे उदाहरण सहित शांत रस की पूरी जानकारी जानेंगे। विषय सूची • • • • • • • • • • • • • शांत रस की परिभाषा (Shant Ras Ki Paribhasha) अन्य सभी रसों की अनुपस्थिती ही शांत रस है। शांत रस एक ऐसा रस है, जिसमें किसी भी रस का अनुभव ना हो। अथवा एक ऐसी स्थिती या मनोभाव जिसमें राग, द्वेष, क्रोध, प्रेम, घृणा, हास्य, मोह किसी भी तरह का भाव उत्पन्न ना होकर एक ऐसा भाव हो, जिसमें इन सभी भावों की अनुपस्थिती का भाव या अनुभूति हो वही शांत रस है। शांत रस परिचय शांत रस का काव्य के सभी नौ रसों में एक बहुत ही मत्वपूर्ण स्थान है। वीर रस, वीभत्स रस, श्रृंगार रस तथा रौद्र रस ही प्रमुख रस हैं तथा शांत रस, भयानक, वात्सल्य, करुण, भक्ति, हास्य रसों की उत्पत्ति इन्हीं प्रमुख चार रसों से हुई है। शांत रस की उपस्थिती ऐसे काव्य में होती है, जिस काव्य में काव्य की विषय वस्तु में चाहे किसी भी प्रकार के उद्दीपन व अलाम्बनों का का समावेश हो परन्तु लक्षित व्यक्ति या चरित्र की उदासीन होती है। शांत रस चरित्र की उस मनःस्थिती को बताता है जब उसमें आलंबन के प्रति या विरुद्ध कोई आसक्ति या विरक्ति किसी भी तरह का भाव नहीं होता। किसी परस्थिती में...

शांत

Definitions and Meaning of शांत in Hindi शांत ADJ • जिसमें वेग, क्षोभ या क्रिया न हो । ठहरा हुआ । रुका हुआ । बंद । जैसे,—अंधड़ शांत होना, उपद्रव शांत होना, झगड़ा शांत होना । • (अस्त्र, श्स्त्र, आदि) जिसका प्रभाव नष्ट कर दिया गया हो । प्रभावविहीन किया हुआ । • शुभ । • पूत । पावत्रोकृत । • निःशब्द । सुनसान । जसे, शांत तपोवन । • जिसपर असर न पड़ा हो । अप्रभावित । • जिसकी घबराहट दूर हो गई हो । जिसका जो ठिकाने हो गया हो । स्वस्यचित्त । • विघ्न-बाधा-रहित । स्थिर । • जो दहकता न हो । बुझा हुआ । जैसे,—अग्नि शांत होना । • हारा हुआ । थका हुआ । श्रांत । • उत्साह या तत्परतारहित । जिसमें कुछ करने की उमंग न रह गई हो । शिथिल । ढाला । • जिसने मन और इंद्रियों के वेग को रोका हो । मनोविकारों से रहित । रागादिशून्य । जितेंद्रिय । • मौन । चुप । खामोश । • जो चंचल न हो । धीर । उग्रता या चंचलता से रहिस । सौम्य । गंभीर । जैस,—शांत प्रकृति, शांत आदमी । • जिसमें जीवन को चेष्टा न रह गई हो । मृत । मरा हुआ । • जिसमें क्रोध आदि का वेग न रह गया हो । जिसमें जोश न रह गया हो । स्थिर । जैसे,—जब हमने समझाया, तब वे शांत हुए । • (कोई पीड़ा, रोग, मानसिक वेग आदि) जो जारी न हो । बंद । मिटा हुआ । जैसे,—क्रोध शांत होना, पीड़ा शांत होना, ताप शांत होना । शांत INDECL • बस बस । ऐसा नहीं । छिः छिः । अधिक नहीं आदि अर्थों का सूचक अव्यय । शांत NOUN • काव्य के नौ रसों मे से एक रस जिसका स्थायी भाव 'निर्वेद' (काम, क्रोधादि वेगों का शमन) है । विशेष—इस रस में संसार की आनत्यता, दुःखपूर्णता, असारता आदि का ज्ञान अथवा परमात्मा का स्वरूप आलंबन होता है; तपोवन, ऋषि, आश्रम, रमणीय तीर्थादि, साधुओं का सत्सग आदि उद्दीपन, रोमांच आदि अनुभाव तथा ...

Shant Ras (शांत रस)

इसका स्थायी भाव निर्वेद (उदासीनता) होता है इस रस में तत्व ज्ञान कि प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने पर, परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान होने पर मन को जो शान्ति मिलती है वहाँ शान्त रस कि उत्पत्ति होती है जहाँ न दुःख होता है, न द्वेष होता है मन सांसारिक कार्यों से मुक्त हो जाता है मनुष्य वैराग्य प्राप्त कर लेता है शान्त रस कहा जाता है। Shant Ras ke Udaharan 1. जब मै था तब हरि नाहिं अब हरि है मै नाहिं सब अँधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिं 2. देखी मैंने आज जरा हो जावेगी क्या ऐसी मेरी ही यशोधरा हाय! मिलेगा मिट्टी में वह वर्ण सुवर्ण खरा सुख जावेगा मेरा उपवन जो है आज हरा। 3. लम्बा मारग दूरि घर विकट पंथ बहुमार, कहौ संतो क्युँ पाइए दुर्लभ हरि दीदार। 4. मन रे तन कागद का पुतला लागै बूँद विनसि जाय छिन में गरब करै क्यों इतना। 5. ‘तपस्वी! क्यों इतने हो क्लांत, वेदना का यह कैसा वेग ? आह! तुम कितने अधिक हताश बताओ यह कैसा उद्वेग ? 6. भरा था मन में नव उत्साह सीख लूँ ललित कला का ज्ञान इधर रह गंधर्वों के देश, पिता की हूँ प्यारी संतान। रस के प्रकार/भेद क्रम रस का प्रकार स्थायी भाव 1 रति 2 हास 3 शोक 4 क्रोध 5 उत्साह 6 भय 7 जुगुप्सा 8 विस्मय 9 निर्वेद 10 वत्सलता 11 अनुराग