शिवा शिवा

  1. सौगंध (1991 फ़िल्म)
  2. शिव
  3. शिवा नमस्काराथा मंत्र
  4. शिवा
  5. जयंती मंगला काली मंत्र
  6. चण्डी चरित्र
  7. शिवा in English


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सौगंध (1991 फ़िल्म)

अनुक्रम • 1 संक्षेप • 2 मुख्य कलाकार • 3 संगीत • 4 बाहरी कड़ियाँ संक्षेप [ ] चौधरी सारंग ( वो अपने बेटे का नाम शिवा ( मुख्य कलाकार [ ] • • • शांतिप्रिया — चाँद • • • • आशालता — गंगा की माँ • • • • • संगीत [ ] सभी गीत क्र॰ शीर्षक गायक अवधि 1. "तेरी बाहों में जीना है" 7:43 2. "तुझको है सौगंध" (शिवम शिवम) अनुराधा पौडवाल 4:58 3. "मेरी नींद चुरा के ले गई" 6:30 4. "हार गया दिल फरियाद करके" प्रमिला गुप्ता, अनुराधा पौडवाल, 6:05 5. "लैला को भूल जाएंगे" मुहम्मद अज़ीज़, अनुराधा पौडवाल 6:24 6. "मेरा कहना मान सितमगर" अनुराधा पौडवाल 5:16 बाहरी कड़ियाँ [ ] • सौगंध

शिव

इस लेख में अतिरिक्त संदर्भ अथवा स्रोतों की आवश्यकता है। कृपया विश्वसनीय स्रोत जोड़कर (2017) स्रोत खोजें: · · · · शिव शांति, विनाश, समय, योग, ध्यान, नृत्य, प्रलय और वैराग्य के देवता, सृष्टि के संहारकर्ता और जगतपिता अन्य नाम नीलकंठ, महादेव, शंकर, पशुपतिनाथ, नटराज, संबंध निवासस्थान ॐ नमः शिवाय अस्त्र जीवनसाथी भाई-बहन संतान सवारी शंकर या महादेव आरण्य संस्कृति जो आगे चल कर सनातन शिव धर्म नाम से जाने जाते है में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। शंकर जी को भगवान शिव को रूद्र नाम से जाना जाता है रुद्र का अर्थ है रुत् दूर करने वाला अर्थात दुखों को हरने वाला अतः भगवान शिव का स्वरूप कल्याण कारक है। रुद्राष्टाध्यायी के पांचवे अध्याय में भगवान शिव के अनेक रूप वर्णित हैं रूद्र देवता को स्थावर जंगम सर्व पदार्थ रूप, सर्व जाति मनुष्य देव पशु वनस्पति रूप मानकर के सर्व अंतर्यामी भाव एवं सर्वोत्तम भाव सिद्ध किया गया है इस भाव का ज्ञाता होकर साधक अद्वैतनिष्ठ बनता है। संदर्भ रुद्राष्टाध्यायी पृष्ठ संख्या 10 अनुक्रम • 1 शिव स्वरूप • 1.1 शिव स्वरूप सूर्य • 1.1.1 शिव पुराण • 1.2 शिव स्वरूप शंकर जी • 1.3 शिवलिंग • 2 शिव के नंदी गण • 3 शिव की अष्टमूर्ति • 4 व्यक्तित्व • 5 पूजन • 6 अनेक नाम • 7 शिवरात्रि • 8 महाशिवरात्रि • 9 शिव महापुराण • 10 कैलाश मानसरोवर • 11 इन्हें भी देखें • 12 सन्दर्भ • 13 बाहरी कड़ियाँ शिव स्वरूप शिव स्वरूप सूर्य जिस प्रकार इस ब्रह्माण्ड का ना कोई अंत है, न कोई छोर और न ही कोई शूरुआत, उसी प्रकार शिव अनादि है सम्पूर्ण ब्रह्मांड शिव के अंदर समाया हुआ है जब कुछ नहीं था तब भी शिव थे जब कुछ न होगा तब भी शिव ही होंगे। शिव को महाकाल कहा जाता है, अर्थात समय। शिव अपने इस स्वरूप द्...

शिवा नमस्काराथा मंत्र

Namaskaratha Mantra Meaning in Hindi मैं दिव्य सार, शाश्वत प्रकृति में भरोसा करता हूं, मैं अमर, शाश्वत भगवान, ज्ञान के भगवान, सभी के भगवान, ब्राह्मण के भगवान, सर्वोच्च ज्ञान के भगवान, सार्वभौमिक आत्मा, मैं शिव हूं, मैं शाश्वत शिव हूं। हम परम बुद्धि को जानते हैं, हम शुद्ध ज्ञान का ध्यान करते हैं, शिव को प्रबुद्ध कर सकते हैं, हम महान देवता को जानते हैं, रुद्र के रूप का ध्यान करते हैं, शिव हमें प्रबुद्ध कर सकते हैं, मैं सभी के दिव्य भगवान, तीसरे नेत्र से, तीनों लोकों के महान देवताओं को नमन करता हूं। , तीनों यह भी जरूर पढ़िए : • • • • • • शिवा नमस्काराथा मंत्र के लाभ • शिवा नमस्काराथा मंत्र बहुत लाभकारी मंत्र है • शिवा नमस्काराथा मंत्र बहुत • यह मंत्र का जाप करने से नकरात्मकता ख़तम होती है • इस मंत्र का जाप करने से मन में कोई भी बुरे विचार नहीं आते • शिवा नमस्काराथा मंत्र का जाप करने से हर तरह की बीमारी से निजात मिलता है • इस मंत्र का जाप करने से बहुत शांति मिलती है FAQ

शिवा

Definitions and Meaning of शिवा in Hindi शिवा NOUN • हलदी । • पीत वर्णा का एक भेद । एक प्रकार का पीला रंग । • सौभाग्यवती स्त्री । भाग्यशालिनी स्त्री । • अनंत- मूल । • धौ । धव । • एक बुद्धशक्ति का नाम । • श्यामा नाम की लता । • गोरोचन । • दूब । • दुर्गा । • आँवला । • शमी । सफेद कीकर । • सोआ नामक साग । • हड़ । हर्रे । हरीतकी । • श्रृगाली । सियारिन । • मुक्ति । मोक्ष । • पार्वती । गिरिजा । Synonyms of शिवा • More matches for शिवा noun What is शिवा meaning in English? The word or phrase शिवा refers to . See Tags for the entry "शिवा" What is शिवा meaning in English, शिवा translation in English, शिवा definition, pronunciations and examples of शिवा in English. शिवा का हिन्दी मीनिंग, शिवा का हिन्दी अर्थ, शिवा का हिन्दी अनुवाद, shivaa का हिन्दी मीनिंग, shivaa का हिन्दी अर्थ.

जयंती मंगला काली मंत्र

जयंती मंगला काली मंत्र Click to image & download गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्रीदुर्गासप्तशती में अर्गलास्तोत्र का उल्लेख है। मार्कण्डेय ऋषि द्वारा अर्गलास्तोत्र बोला गया है। ❑➧ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।। यह अर्गलास्तोत्र का पहला श्लोक है। ॐ का सम्पुट लगाकर भी इस श्लोक का पाठ किया जाता है; जैसे ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।। चूँकि यह अनुष्टुप् छन्द पर आधारित है और अनुष्टुप् छन्द में ३२ वर्ण होते हैं, अतः बिना ॐ के यह श्लोक पूर्ण है। इस मन्त्र के बारे कहा गया है, महामारी से निदान पाने के लिये में इसका जप अतिप्रभावशाली है। इसे सुनकर बड़ी सरलता से बोला जा सकता है। जो बोल न सकें, उन्हें श्रवण अवश्य करना चाहिये। इसका सामान्य अर्थ है ❑अर्थ➠ जयन्ती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधा ─ इन नामों से प्रसिद्ध जगदम्बिके। तुम्हें मेरा नमस्कार है। इसमें आद्यशक्ति के ११ नामों का उल्लेख है, जिनका अपने आपमें सम्पूर्ण अर्थ है। जो देवी भक्त हैं, वे जानते ही होंगे कि इन नामों से क्यों आद्यशक्ति को पुकारा जाता है? शास्त्रों विलग-विलग कथाएँ हैं। आइये, १) जयन्ती ─ जयति सर्वोत्कर्षेण वर्तते इति ‘जयन्ती’ ─ सबसे उत्कृष्ट एवं विजयशालिनी है। २) मंगला ─ मङ्गं जननमरणादिरूपं सर्पणं भक्तानां लाति गृह्णाति नाशयति या सा मङ्गला मोक्षप्रदा ─ जो अपने भक्तों के जन्म-मरण आदि संसार-बन्धन को दूर करती हैं, उन मोक्षदायिनी मंगलमयी देवी का नाम ‘मंगला’ है । ३) काली ─ कलयति भक्षयति प्रलयकाले सर्वम् इति काली ─ जो प्रलयकाल में सम्पूर्ण सृष्टि को अपना ग्रास...

चण्डी चरित्र

चण्डी चरित्र यह स्तुति 'चण्डी' के अतिरिक्त 'शिवा' शब्द की व्याख्या ईश्वर के रूप में भी की जाती है। "महाकोश" नामक किताब में ‘शिवा’ की व्याख्या ‘ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ’ (परब्रह्म की शक्ति) के रूप में की गई है देवी के रूप का व्याख्यान गुरु गोबिंद सिंह जी यूं करते हैं: पवित्री पुनीता पुराणी परेयं ॥ प्रभी पूरणी पारब्रहमी अजेयं ॥॥ अरूपं अनूपं अनामं अठामं ॥॥ अभीतं अजीतं महां धरम धामं ॥३२॥२५१॥ गीत [ ] ਦੇਹ ਸਿਵਾ ਬਰੁ ਮੋਹਿ ਇਹੈ ਸੁਭ ਕਰਮਨ ਤੇ ਕਬਹੂੰ ਨ ਟਰੋਂ ॥ ਨ ਡਰੋਂ ਅਰਿ ਸੋ ਜਬ ਜਾਇ ਲਰੋਂ ਨਿਸਚੈ ਕਰਿ ਅਪੁਨੀ ਜੀਤ ਕਰੋਂ ॥ ਅਰੁ ਸਿਖ ਹੋਂ ਆਪਨੇ ਹੀ ਮਨ ਕੌ ਇਹ ਲਾਲਚ ਹਉ ਗੁਨ ਤਉ ਉਚਰੋਂ ॥ ਜਬ ਆਵ ਕੀ ਅਉਧ ਨਿਦਾਨ ਬਨੈ ਅਤਿ ਹੀ ਰਨ ਮੈ ਤਬ ਜੂਝ ਮਰੋਂ ॥੨੩੧॥ देह शिवा बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कभुं न टरूं न डरौं अरि सौं जब जाय लड़ौं, निश्चय कर अपनी जीत करौं, अरु सिख हों आपने ही मन कौ इह लालच हउ गुन तउ उचरों, जब आव की अउध निदान बनै अति ही रन मै तब जूझ मरों ॥२३१॥ भाल निपट विशाल शशिमृग मीन खंजन लोचनी, भाल बदन विशाल कोमल सकल विध्न विमोचनी। सिंह वाहिनी धनुष धारिणी कनक सेवत सोहिनी, रूण्ड माल अरोल राजत् मुनिन के मन मोहिनी। एक रूप अनेक तेरो मैया गुणन की गिनती नहीं, कछु ज्ञान अतः ही सुजान भक्तन भाव से विनती करी। वर वेष अनूड़ा खड़ग खप्पर अभय अंकुश धारिणी, कर काज लाज जहाज जननी जनन के हित कारिणी। मंद हास प्रकाश चहूं दिस विंध्य वासिनी गाईये, क्रोध तज अभिमान परिहर दुष्ट बुद्धि नसाईये। उठत बैठत चलत सोवत बार बार मनाईये, चण्ड मुण्ड विनाशिनी जी के चरण हित चित्त लाईये। चंद्र फल और वृंद होते अधिक आनंद रूप हैं, सर्व सुख दाता विधाता दर्श पर्श अनूप हैं। तू योग भोग विलासिनी शिव पार्श्व हिम गिरी नंदिनी, दुरत तुरत निवारिणी जग तारिणी अद्य खंजिनी। आदि माया ललित काया ...

शिवा in English

The rock - cut cave - temple at Pillaiyarpatti ( Ramanathapuram district ) with an inscription in an archaic script would also be one of the early Pandya cave - temples , as also Siva Cave - temple III at Kunnakkudi in the same district , which has another short inscription in the same script calling it Masilisvaram . Such icons found for example on the rear wall of the shrine in the cave - temples of Piranmalai and Tirumalai ( Ramanathapuram district ) , and on the north wall of the rock - cut front mandapa of the Kunnandarkoil ( Pudukkbttai district ) cave - temple are reminiscent of the Siva - Parvati wedlock , or vaivahika form of Minakshi - Sundaresvara , prevalent in that region .