श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्

  1. Shri Ram Chandra Kripalu Bhaj Man
  2. श्रीराम स्तुति : श्री राम चंद्र कृपालु भजमन
  3. Shri Ramchandra Kripalu Bhajman Hindi Lyrics
  4. श्री राम चंद्र Shri Ram Chandra Kripalu Bhajman Lyrics
  5. श्री रामचंद्र कृपालु भजमन लिरिक्स


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Shri Ram Chandra Kripalu Bhaj Man

WhatsApp Telegram Facebook Twitter LinkedIn Shri Ram Stuti or Shri Ram Chandra Kripalu Bhaj Man is an aarti written by Sri Goswami Tulsidas. This is a prayer that glorifies Lord Rama. Get Shri Ram Chandra Kripalu Bhaj Man lyrics in Hindi here and chant with devotion to get the grace of Lord Shri Ram. Shri Ram Chandra Kripalu Bhaj Man lyrics in Hindi – श्री रामचंद्र कृपालु भजमन श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भवभय दारुणं । नव कञ्ज लोचन कञ्ज मुख कर कञ्ज पद कञ्जारुणं ॥ 1 ॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं । पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं ॥ 2 ॥ भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं । रघुनन्द आनन्द कन्द कोसल चंद्र दशरथ नन्दनं ॥ 3 ॥ सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणं । आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खरदूषणं ॥ 4 ॥ इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनं । मम हृदय कंज निवास कुरु कामादि खलदल गंजनं ॥ 5 ॥ मनु जाहि राचेयु मिलहि सो वरु सहज सुन्दर सांवरो । करुणा निधान सुजान शीलु स्नेह जानत रावरो ॥ 6 ॥ एहि भांति गौरी असीस सुन सिय सहित हिय हरषित अली। तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मन्दिर चली ॥ 7 ॥ ॥ सोरठा ॥ जानी गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि । मंजुल मंगल मूल वाम अङ्ग फरकन लगे || 8 || Shri Ram Chandra Kripalu Bhaj Man Meaning in Hindi हे मन! कृपालु श्रीरामचंद्रजी का भजन कर. वे संसार के जन्म-मरण रूप दारुण भय को दूर करने वाले है. उनके नेत्र नव-विकसित कमल के समान है. मुख-हाथ और चरण भी लालकमल के सदृश हैं ॥ 1 ॥ उनके सौंदर्य की छ्टा अगणित कामदेवो से बढ्कर है. उनके शरीर का नवीन नील-सजल मेघ के जैसा सुंदर वर्ण है. पीताम्बर मेघरूप शरीर मे मानो बिजली ...

श्रीराम स्तुति : श्री राम चंद्र कृपालु भजमन

श्री राम स्तुति : त्रेता युग में जन्में भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्री रामचंद्र जी ने अयोध्या में राजा दशरथ के यहां जन्म लिया। इनकी माता कौशल्या थी। इसीलिए इन्हें कौशल्यानंदन भी कहा जाता है। जो भी भक्त श्री राम जी की आराधना करते हैं उन्हें श्री राम के परम भक्त हनुमान जी का आशीर्वाद भी स्वत: प्राप्त हो जाता है। राम नाम का जाप इस कलियुग में भव सागर को पार करने वाला है। आइए भगवान विष्णु के अवतार श्री रामचंद्र जी की स्तुति का पाठ करते हैं। श्री रामचंद्र जी के परम भक्त हनुमान जी की आरती (Hanuman aarti) और हनुमान चालीसा (Hanuman chalisa) का पाठ भी अर्थ सहित पढ़ते है। अर्थ — जिनके मस्तक पर रत्नजडित मुकुट, कानो मे कुण्डल, भाल पर तिलक और प्रत्येक अंग मे सुंदर आभूषण सुशोभित हो रहे है. जिनकी भुजाए घुटनो तक लम्बी है. जो धनुष-बाण लिये हुए है. जिन्होने संग्राम मे खर-दूषण को जीत लिया है. इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्। मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

Shri Ramchandra Kripalu Bhajman Hindi Lyrics

Shri Ramchandra Kripalu Bhajman Hindi Lyrics | श्री राम चंद्र कृपालु भज मन हिंदी में अर्थ सहित | श्री राम स्तुति | श्रीराम स्तुति : श्री राम चंद्र कृपालु भजमन | श्री रामचन्द्र कृपालु लिरिक्स Shri Ram Chandra Kripalu Bhajan | Shri Ramchandra Kripalu Bhajman Lyrics – श्री रामचंद्र कृपालु भजमन | Shri Ramchandra Kripalu Bhajman Follow on Pinterest: The Spiritual Talks “श्री रामचंद्र कृपालु” या “श्री राम स्तुति” गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित एक आरती है। यह सोलहवीं शताब्दी में संस्कृत और अवधी भाषाओं के मिश्रण में लिखा गया था। प्रार्थना श्री राम और उनकी विशेषताओं का गुणगान करती है। यह विनय पत्रिका में श्लोक संख्या 45 पर लिखा गया है। श्री राम चंद्र कृपालु भज मन, हरण भाव भय दारुणम्। हे मन, तू कृपालु भगवान श्रीरामचंद्रजी का भजन कर। वे भव अर्थात संसार के जन्म-मरण रुपी दुःख-दर्द , सभी प्रकार के भय और दारुण अर्थात दरिद्रता और कमी को दूर करने वाले है। नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कंजारुणम्।। उनके नेत्र नव-विकसित कमल के समान है। मुख कमल के समान हैं। हाथ कमल के समान हैं। चरण भी कमल के समान हैं। कंदर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरज सुन्दरम्। उनके सौंदर्य की छ्टा अनगिनत कामदेवो से बढ़कर है। उनका वर्ण नवीन नील कमल और सजल मेघ के समान सुंदर है। पट पीत मानहु तडित रूचि, शुचि नौमि जनक सुतावरम्।। पीताम्बर मेघरूप शरीर मानो बिजली के समान चमक रहा है। ऐसे पावनरूप जानकी पति श्री राम को मैं नमस्कार करता हूँ। भजु दीन बंधु दिनेश दानव, दैत्य वंश निकंदनम्। हे मन! दीनों के बंधु, सूर्य के समान तेजस्वी, दानव और दैत्यो के वंश का नाशकरने वाले, दशरथनंदन श्रीराम (रघुनन्द) का भजन कर। shri ram chandra kripalu bhajman ...

श्री राम चंद्र Shri Ram Chandra Kripalu Bhajman Lyrics

आ… श्री राम, श्री राम, प्रभु राम, श्री राम श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्। नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। (श्री राम, श्री राम, प्रभु राम, श्री राम आ आ आ…) कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्। पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।। (श्री राम, श्री राम, प्रभु राम, श्री राम आ आ आ…) भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्। रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।। (श्री राम, श्री राम, प्रभु राम, श्री राम आ आ आ…) सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं। आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।। (श्री राम, श्री राम, प्रभु राम, श्री राम आ आ आ…) इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्। मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।। (श्री राम, श्री राम, प्रभु राम, श्री राम आ आ आ…) श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्। नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। (श्री राम, श्री राम, प्रभु राम, श्री राम श्री राम, श्री राम, प्रभु राम, श्री राम श्री राम, श्री राम, प्रभु राम, श्री राम श्री राम, श्री राम, प्रभु राम, श्री राम) छंद : मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों। करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।। एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली। तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।। ।।सोरठा।। जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।। More Ram Bhajan • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Shri Ram Chandra Kripalu Bhajman Lyrics in English Aa… Shree Ram, Shree Ram, Prabhu Ram, Shree Ram Shree Ram Chandra Kripalu Bhajman Harana Bhavabhaya Daarunam Navakanj Loch...

श्री रामचंद्र कृपालु भजमन लिरिक्स

श्री रामचंद्र कृपालु भजमन लिरिक्सश्री राम श्री राम श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भवभय दारुणं नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं श्री राम, श्री राम कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं पटपीत मानहूँ तड़ित रूचि शुचि नोमि जनक सुतावरं श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भवभय दारुणं श्री राम, श्री राम भज दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं रघुनंद आनंद कंद कोशल चंद दशरथ नन्दनं श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भवभय दारुणं श्री राम, श्री राम शिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारु अङ्ग विभूषणं आजान भुज शर चाप धर संग्राम जीत खरदूषणं श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भवभय दारुणं श्री राम, श्री राम इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनं मम हृदय कंज निवास कुरु कामादि खलदल गंजनं श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भवभय दारुणं नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं श्री राम, श्री राम