श्री सूक्त के 16 मंत्र

  1. Sri Suktam Path  
  2. Benefits of Shree Sukta ॥ श्री सूक्त से लाभ
  3. Shri Suktam 16 Mantra Pdf / श्री सूक्तम 16 मंत्र पीडीएफ
  4. ॥ पुरुष सूक्त॥


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Sri Suktam Path  

• श्री सूक्त पढ़ने से क्या होता है? Sri Suktam benefits | श्री सूक्त के फायदे यह श्री सूक्त माता लक्ष्मी जी को बहुत पसंद है। जो रोज श्रीसूक्त का पाठ करता है माता लक्ष्मी उस पर सदैन खुश रहती है और उसकी दरिद्रता को दूर करके सम्पत्ति, धन, और वैभव प्रदान करती है। श्री सूक् त के 16 मंत्र मंगलकारी मंत्रोंका पाठ लक्ष्मी प्रप्ति के लिए अत्यन्त उत्तम माना जाता है। • श्री सूक्त मंत्र क्या है? ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।। तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम्। • श्री सूक्त में कितने मंत्र हैं?श्री सूक्त कितनी बार करना चाहिए? श्री सूक्त में में 16 श्लोक हैं। श्री सूक्त का सोलह पाठ नित्य प्रतिदिन करें या करवाएं। • श्री सूक्त पाठ कब करना चाहिए? श्रीसूक्त का पाठ रोजाना करना चाहिए, लेकिन अगर समय कम हो तो हर शुक्रवार को भी श्रीसूक्त का पाठ जरुरे करे। श्रीसूक्त में सोलह मंत्र हैं। • श्री लक्ष्मी सूक्त का पाठ कैसे करें? श्री सूक्त पाठ की विधि इसमें शुद्धता का बहुत जरुरी है. स्नान के बाद सफेद वस्त्र धारण कर घर में पूजास्थल या फिर लक्ष्मी जी के मंदिर में ये पाठ करने बढ़िया माना जाता है. देवी लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजन कर लक्ष्मी जी के सामने घी का दीपक लगाएं. फिर श्री सूक्त पाठ शुरु करें. Sri Suktam sanskrit Sri Suktam lyrics ।। अथ श्री-सूक्त मंत्र पाठ ।। 1- ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।। 2- तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम्।। 3- अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम्। श्रियं देवीम...

Benefits of Shree Sukta ॥ श्री सूक्त से लाभ

BenefitsofShreeSukta, श्री सूक्त का क्या लाभ है, श्री सूक्त कैसे जपे, ऋग्वेद में वर्णित श्री सूक्त माँ लक्ष्मी की अराधना के लिए सर्वश्रष्ठ मन गया है। इसका उल्लेख कई ग्रंथों में मिलता है। श्री सूक्त का क्या लाभ है, श्री सूक्त कैसे जपे, तथा इसकी पूजा कैसे की जाए व इसका अर्थ क्या है इस विषय में जानकारी दे रहे हैं। हिंदू धर्म में 3 देवियों का बड़ा महत्व है यही तीन देवियां त्रिशक्ति है जो पूरे संसार को ज्ञान धन तथा शक्ति प्रदान करती हैं। महालक्ष्मी जिस घर में विराजमान रहती है उस घर में दरिद्रता कभी नहीं आती। निर्धन लोग इस संसार में जीने के लिए धन की आवश्यकता सदैव पड़ती है। धन की अधिष्ठात्री देवी मां लक्ष्मी कही गई है जो सौभाग्य को पास लाती है और दुर्भाग्य को दूर करती है विभिन्न प्रकार से लोग उनकी उपासना करते हैं। यह श्री सूक्त माता लक्ष्मी जी को अतिप्रिय है। जो नियमित रूप से श्रीसूक्त का पाठ करता है माता लक्ष्मी उस पर सदैन प्रसन्न रहती है और गरीबी को दूर करके धन, सम्पत्ति और वैभव प्रदान करती है। ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह को धन संपदा तथा वैभव का ग्रह कहा गया है। यदि आपका शुक्र ग्रह उत्तम है तो आपको सभी तरह की भौतिक वस्तुएं प्राप्त हो सकती है और यदि शुक्र बहुत अच्छा है तो आपको आध्यात्मिक सुख भी प्रदान कराता है। रामकृष्ण परमहंस की कुंडली में शुक्र उच्च का था। जिससे उन्हें आध्यत्मिक सुख की प्राप्ति हुई। मां लक्ष्मी का शुक्र पर विशेष प्रभाव होता है मां लक्ष्मी की उपासना करने से स्वतः ही शुक्र ग्रह सुधर जाता है। यदि आपका शुक्र छठे, आठवें अथवा बारहवें भाव में है या फिर राहु केतु से पीड़ित है। किसी अन्य कारण से शुक्र का फल नहीं मिल रहा हो तो ऐसी स्थिति में आपको श्री सूक्त का पाठ प्र...

Shri Suktam 16 Mantra Pdf / श्री सूक्तम 16 मंत्र पीडीएफ

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॥ पुरुष सूक्त॥

|| पुरुष सूक्त || सूत्र संकेत- पुरुष सूक्त का प्रयोग विशेष पूजन के क्रम में किया जाता है। षोडशोपचार पूजन के एक- एक उपचार के साथ क्रमशः एक- एक मन्त्र बोला जाता है। जहाँ कहीं भी किसी देवशक्ति का पूजन विस्तार से करना हो, तो पुरुष सूक्त के मन्त्रों के साथ षोडशोपचार पूजन करा दिया जाता है। पंचोपचार पूजन में भी इस सूक्त से सम्बन्धित मन्त्रों का प्रयोग किया जा सकता है। यज्ञादि के विस्तृत देवपूजन में, पर्वों पर, पर्व से सम्बन्धित देव शक्ति के पूजन में बहुधा इसका प्रयोग किया जाता है। वातावरण में पवित्रता और श्रद्धा के संचार के लिए भी पुरुष सूक्त का पाठ सधे हुए कण्ठ वाले व्यक्ति सामूहिक रूप से करते हैं। शिक्षण एवं प्रेरणा- पुरुष सूक्त में परमात्मा की विराट् सत्ता का वर्णन किया गया है। उस महत् चेतना के विस्तार के सङ्कल्प से ही इस जड़- चेतन की सृष्टि हुई है। किसी भी प्रतीक देव विग्रह का पूजन करते यही चिन्तन उभरता रहता है कि हम उसी एक विराट्, सनातन, अविनाशी का पूजन कर रहे हैं। क्रिया और भावना- पुरुष सूक्त से पूजन प्रारम्भ करने के पूर्व उपस्थित श्रद्धालुओं को उक्त सिद्धान्त बतलाया जाना चाहिए, ताकि पूजन में उनका भी भाव- संयोग हो सके। यदि सम्भव हो, तो सभी के हाथ में अथवा पूजन वेदी के निकटवर्ती प्रतिनिधियों के हाथ में अक्षत, पुष्प दे देने चाहिए। उसे पूरे पूजन के साथ हाथ में रखें, भाव पूजन में सम्मिलित रहें और वे पुष्पाञ्जलि के साथ उन्हें अर्पित करें। भावना करें कि हमारे पास जो कुछ भी है, उसी का दिया हुआ है। उसके विराट् स्वरूप एवं उद्देश्यों को हम पहचानें और उनके निमित्त अपने साधनों को, क्षमताओं को अर्पित करते हुए उन्हें सार्थक करें, धन्य बनाएँ। उस सर्वव्यापी को, उसके आदर्शों को हर कदम पर, हर...