सियाचिन का तापमान

  1. सियाचिन ग्लेशियर के नजदीक पांच पहाड़ों को मापेंगे भारतीय सेना के जवान, आज तक नहीं पहुंच सका कोई भी इंसान
  2. Army at Siachen: कैसी होती है मायनस 50 डिग्री में सियाचिन में तैनात भारतीय सेना के जवानों की जिंदगी
  3. VIDEO: सियाचिन के
  4. Siachen Over 11000 troops have made supreme sacrifice in last 39 years


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सियाचिन:

दुर्गम हालात और सीमित संसाधनों के बीच हमारे जवान पिछले तीस सालों से यहां लगातार सीमा की रखवाली में जुटे हैं। यहां जीवन किस कदर मुश्किल है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जवानों के अलावा यहां दूर दूर तक न पेड़ पौधे दिखते हैं और न कोई जानवर। इंसानी बस्ती की तो कल्पना करना ही मुश्किल है। दूर दूर तक केवल बर्फ ही दिखाई देती है।

सियाचिन ग्लेशियर के नजदीक पांच पहाड़ों को मापेंगे भारतीय सेना के जवान, आज तक नहीं पहुंच सका कोई भी इंसान

सियाचिन ग्लेशियर के नजदीक पांच पहाड़ों को मापेंगे भारतीय सेना के जवान, आज तक नहीं पहुंच सका कोई भी इंसान सियाचिन में तैनात सैनिकों को कई तरह के मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है. सियाचिन का तापमान आम दिनों में न्यूनतम से 45 डिग्री सेल्सिस से कम रहता है. इसके बावजूद भी भारतीय सेना के बहादुर जवान दुश्मनों पर पैनी नजर रखते हैं. भारतीय सेना के पर्वतारोहियों को एक नए अभियान में लगाया गया है, जो कीर्तिमान स्थापित करने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाने जा रहे हैं. दरअसल, भारतीय सेना ऐसी पांच चोटियों पर चढ़ाई करने जा रही है, जहां आजतक कोई इंसान नहीं पहुंचा है. 9 अगस्त यानि सोमवार को सियाचिन बेस कैंप से तेरम शेहर ग्लेशियर में स्थित पांच चोटियों को एक साथ मापने के लिए अभियान को हरी झंडी दिखाई गई. यह हरी झंडी मेजर जनरल आकाश कौशिक, चीफ ऑफ स्टाफ, फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की ओर से दिखाई गई. बताया गया है कि लद्दाख स्काउट्स रेजिमेंट के भारतीय सेना के पर्वतारोही अप्सरासस प्रथम, अप्सरासस द्वितीय, अप्सरासस तृतीय, PT-6940 और PT-7140 चोटियों को मापने का एक साथ प्रयास करेंगी. सियाचिन बेस कैंप में आयोजित हुए समारोह में कैंप में तैनात सैनिकों और स्थानीय भारतीय सेना के दिग्गजों ने भाग लिया. इस दौरान जवानों का हौसला बढ़ाया गया. सियाचीन में सर्दियों में माइनस 60 डिग्री से नीचे चला जाता है तापमान सियाचिन दुनिया का हाइएस्‍ट वॉर जोन है. ऐसे में यहां पर तैनात सैनिकों को कई तरह के मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है. सियाचिन का तापमान आम दिनों में न्यूनतम से 45 डिग्री सेल्सिस से कम रहता और सर्दियों में माइनस 60 डिग्री से भी नीचे चला जाता है. यहां पर तैनात जवानों को दुश्मन के साथ-साथ मौसम और ऑक्‍सीजन की कमी से ...

Army at Siachen: कैसी होती है मायनस 50 डिग्री में सियाचिन में तैनात भारतीय सेना के जवानों की जिंदगी

Army at Siachen: भारतीय सेना की महिला अधिकारी कैप्टन शिवा चौहान को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्रों में से एक सियाचिन में भारतीय सेना की 'फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स' में 'कुमार पोस्ट' पर तैनात किया गया है। कैप्टन शिवा पहली भारतीय महिला सैनिक हैं जिन्हें सियाचिन में समुद्री तल से लगभग 18,000 फीट से भी ज्यादा ऊंचाई पर पोस्ट किया गया है। सियाचिन ग्लेशियर हिमालय में पूर्वी काराकोरम रेंज में स्थित एक बड़ा ग्लेशियर है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमा पर फैला हुआ है। यह काराकोरम में सबसे लंबा ग्लेशियर है और दुनिया के नॉन-पोलर क्षेत्रों में दूसरा सबसे लंबा ग्लेशियर है। भारत के पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में स्थित सियाचिन ग्लेशियर लगभग 76 किलोमीटर (47 मील) लंबा है। यह समुद्र तल से लगभग 5,753 मीटर (18,875 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और अत्यधिक ठंडे मौसम के लिये जाना जाता है। सियाचिन में पारा मायनस 50 डिग्री तक भी पहुँच जाता है। सियाचिन की सामरिक भूमिका शक्सगाम घाटी, काराकोरम दर्रा और अक्साई चिन के मध्य में स्थित होने के कारण सियाचिन रणनीतिक रूप से भारत, पाकिस्तान और चीन तीनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान और चीन द्वारा की जाने वाली घुसपैठ को रोकने के लिये सियाचिन पर भारत का नियंत्रण बेहद जरूरी है। पाकिस्तान और भारत के बीच लाइन ऑफ कंट्रोल, पॉइंट NJ9842 सियाचिन ग्लेशियर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। सियाचिन उत्तरी भारत के लिये ताजे पानी का एक प्रमुख स्रोत भी है, और सियाचिन पर नियंत्रण भारत को ग्लेशियर से पानी को सही तरह से नियंत्रित करने की सहूलियत देता है। सियाचिन एक और महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दरअसल, इसके पूर्व में काराकोरम पर्वत श्रृंखला में स्थित है, जहां K2 सहित दुनिया ...

VIDEO: सियाचिन के

हालांकि हड्डीयां गला देने वाली ठंड में सेना को काफी सावधानियां बरतनी पड़ती है। अपने पहले भी कई मौकों पर सियाचिन या वहां तैनात सेना के संघर्ष से जुड़ी चीजे पड़ी होंगी या देखी होंगी। लेकिन अब आपको सियाचिन का वीडियो दिखाते हैं यहां माइनस डिग्री 40 के तापमान में कैसे हमारे जवान देश की रक्षा कर रहे हैं। यहां ठंड इतनी है कि यहां अंडे और टमाटर पत्थर बन गए हैं। वीडियो में आर्मी के जवान को यहां की स्थिति कुछ अगर ही अंदाजा में बताते हुए सुना जा सकता है, वो कहते हैं कि... 'यह रियल जूस है। यहाँ आपको इसे पीने के लिए उबालना पड़ता है। यहां तक कि अगर आप एक हथौड़ा के साथ जूस पर मारते हैं, तो भी इसे तोड़ना असंभव है। अब, इस ग्लेशियर में आए इन अंडों को देखें, लेकिन इन अंडों पर कितना भी वार कर लो ये टूटने वाले नहीं हैं। आलू को भी सीधे काटना अंसभव है इसको काटने के लिए आपको इसको उबालना पड़ेगा। प्याज, अदरक आदि चीजों का हाल भी जुदा नहीं है। इसलिए सायाचिन में रहना आसान नहीं है क्योंकि यहां का तापमान -40 से लेकर -70 तक पहुंच जाता है।' सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र। यहां जवानों जिंदगी कितनी मुश्किल है कि इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं। यहां जवानों के लिए आया खाना.जूस अंडे और टमाटर पत्थर बन जाते। बता दें, हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पदभार संभालने के दो दिन बाद दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन का दौरा किया और 12,000 फुट की ऊंचाई पर विषम परिस्थितियों में सीमा की रक्षा कर रहे जवानों से बातचीत की थी। सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत और उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ रणबीर सिंह के साथ सियाचिन पहुंचे थे, सिंह ने जवानों की बहादुरी को सलाम किया था

Siachen Over 11000 troops have made supreme sacrifice in last 39 years

सियाचिन वॉरियर्स ने गुरुवार को अपना 39वां सियाचिन दिवस मनाया। सियाचिन विश्व का सबसे ऊंचाई पर स्थित और सबसे ठंडा रणक्षेत्र है। सियाचिन वॉरियर्स ने शुक्रवार को 39वें सियाचिन दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का भी आयोजन किया। इस दौरान सियाचिन ब्रिगेड के कमांडर ने फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के जीओसी की ओर से पुष्पांजलि अर्पित की। एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा, “सियाचिन ब्रिगेड के कमांडर ने GOC, फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की ओर से पुष्पांजलि अर्पित की और दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र को हासिल करने में उनके साहस और धैर्य को याद करने के लिए सियाचिन युद्ध स्मारक आधार शिविर में युद्ध नायकों को श्रद्धांजलि दी।" इस कार्यक्रम के बाद सियाचिन ग्लेशियर पर सर्वोच्च बलिदान देने वाले दिग्गजों, वीर नारियों और नागरिक सुरक्षा कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। खराब मौसम की स्थिति और इलाके के कारण सियाचिन ग्लेशियर को सबसे चुनौतीपूर्ण युद्धक्षेत्र माना जाता है। शून्य से नीचे तापमान और हिमस्खलन जोखिम ग्लेशियर पर जीवित रहने के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। 1984 में शुरू किए गए ऑपरेशन मेघदूत की शुरुआत के बाद से पिछले 39 वर्षों में, 11,000 से अधिक सैनिकों ने अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है। साल्टोरो रिज के साथ भारतीय सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए ऑपरेशन शुरू किया गया था। इसकी बदौलत भारत को रणनीतिक बढ़त मिली थी। अब भारतीय सेना ग्लेशियर के प्रमुख दर्रों और चोटियों की रखवाली कर रही है। सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय सेना के जवान उच्च स्तर की परिचालन तैयारियों के साथ तैनात हैं। ग्लेशियर पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा साझा करने वाली काराकोरम पर्वतमाला में लगभग 76 किलोमीटर तक फैला हुआ है। सिय...