स्कूल सरस्वती वंदना

  1. विद्यार्थियों ने की मां सरस्वती की वंदना
  2. Even today daughters are called someone else 39 s wealth
  3. सरस्वती वंदना – शब्दार्थ व भावार्थ
  4. Saraswati Puja Song and Vandana 2021: वसंत पंचमी पर मां सरस्‍वती की वंदना, गीत और आरती यहां पढ़ें
  5. सरस्वती वंदना गीत : हे शारदे माँ, हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी


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विद्यार्थियों ने की मां सरस्वती की वंदना

संवाद सहयोगी, बटाला : आरडी खोसला डीएवी माडल सीसे स्कूल में ऋतुराज वसंत के शुभ आगमन पर मां सरस्वती की वंदना की गई। इस दौरान वीर हकीकत राय के बलिदान को याद किया गया। विद्यालय प्रधानाचार्या डा. बिदू भल्ला ने विद्यार्थियों को बसंत पंचमी की शुभकामनाएं देते हुए बताया कि बसंत पंचमी से ऋतुराज बसंत का शुभारंभ होता है। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का उदय हुआ था। इसी दिन वीर हकीकत राय ने धर्म के लिए बलिदान दिया था। विद्यार्थियों ने नृत्य के द्वारा मां सरस्वती की वंदना की। मधुर गायन के माध्यम से वसंत ऋतु का स्वागत किया। नर्सरी कक्षा के विद्यार्थियों ने पीले वस्त्र धारण कर बसंत की शोभा को बढ़ाया। विद्यालय के चेयरमैन अरविद खासेला, प्रेजीडेंट अजय खोसला और प्रधानाचार्या डा. बिदू भल्ला ने सबको बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई दी।

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समर्थ काव्य समिति एवं बदायूं हिन्दी काव्य मंच के तत्वावधान में संस्कृति प्ले स्कूल में मासिक काव्य गोष्ठी की गयी। जिसमें कवियों ने रचनायें पेंश की। क्षेत्रीय मंत्री भाजपा रजनी मिश्रा ने कवियों को सम्मानित किया। काव्य गोष्ठी की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र के समक्ष रजनी मिश्रा ने दीप प्रज्ज्वलित कर करायी। कवियत्री दीप्ति सक्सेना ने सरस्वती वंदना पेश की। वरिष्ठ साहित्यकार कामेश पाठक ने पढ़ा जिनका कोई पार न था वो जनाधार से पार गए, एक टिकट के चक्कर में हम जीती बाजी हार गए। दहेमी से पधारे कवि सुनील शर्मा समर्थ ने सामाजिक चेतना पर पढ़ा कि हमने देखे हैं सभी रंग जमाने वाले...। उस्ताद शायर अहमद अमजदी ने पढ़ा बहादुर हूं बहादुर से ही लड़ना मेरी आदत है। अचिन मासूम ने पढ़ा कि जिंदगी यूं ही बसर कर रहा है आदमी। शैलेंद्र मिश्र देव ने बेटियों के सम्मान में पढ़ा कि आज भी पराया धन कहते हैं बेटियों को, बेटियां पराई कभी बन नहीं पाती हैं। बिल्सी से पधारे कवि ओजस्वी जौहरी ने पढ़ा कि आस्तान पर तेरी सर को झुकाने आए...। दीप्ति सक्सेना दीप ने पढ़ा उठो बेटियों छुपो न डर से हथियारों पर धार करो...। डॉ.अरविंद धवल ने पढ़ा गंगा नदी नहीं संस्कृति है भारत मां का प्राण है गंगा। संचालन कवि उज्ज्वल वशिष्ठ ने किया। कवि हरगोविंद पाठक, सुमित मिश्र ,शंभू मिश्र, हरदीप मिश्र, आदित्य मिश्र, सजल संखधार, रजत शंखधार, मुकेश शर्मा, शैलेंद्र मिश्र देव मौजूद थे।

सरस्वती वंदना – शब्दार्थ व भावार्थ

विद्यार्थियों को संस्कारक्षम शिक्षा प्रदान करने तथा उन्हे देश-समाज के प्रति संवेदनशील बनाने के विद्या भारती के लक्ष्य की पूर्ति में वंदना एक प्रमुख घटक है।“ वंदना पवित्रता और आध्यात्मिकता के वातावरण में विद्या की अधिष्ठात्री माँ सरस्वती , ओंकारस्वरूप परमात्मा तथा जीवन दायिनी-पालनकारिणी भारतमाता का चिंतन और श्रद्धा भाव का जागरण हमारे भैया-बहिनों के मन में एकाग्रता , आध्यात्मिकता , राष्ट्रभक्ति , ईश्वर निष्ठा तथा सामाजिक संवेदना और एकात्मता का भाव भरने में सफल हो ” यही वंदना का उद्देश्य है। इन श्रेष्ठ विचारों , सद्भावों , उत्तम गुणों को आत्मसात करके भैया -बहिन निश्चय ही श्रेष्ठ और जिम्मेदार नागरिक बनेंगे और राष्ट्र सेवा में प्रवृत्त होंगे ऐसा विश्वास है। कोई भी कथन तब तक प्रभावी एवँ हृदयग्राही नहीं होता जब तक कि शब्दों में छिपे अर्थ का बोध न हो। शब्द निर्जीव होते हैं , अर्थ ही उन्हे सजीव एवँ सार्थक करता है। वंदना का अर्थ यदि हृदयंगम होगा तभी शब्द भावानुगत होकर प्रभावी हो पायेंगे। सामान्य आचार्य वंदना के अर्थ से भली-भांति परिचित हो तभी वह भैया-बहिनों तक वास्तविक अर्थ संप्रेषित कर पायेगे। इसी उद्देश्य से वंदना की विस्तृत व्याख्या की गई है कि प्रत्येक शब्द का भाव भैया-बहिनों के हृदयगत हो तथा वे तल्लीनता से भावपूर्ण होकर वंदना को प्रभावी ढंग से कर सकें। शब्दार्थ : या– जो ; कुंद- एक प्रकार का श्वेत पुष्प जो शिशिर ऋतु में विकसित होता है ; इंदु- चद्रमा (विशेषतः बाल चंद्र जो निष्कलंक होता है जिसका शिव से सम्बंध है) ; तुषार- शीतकाल में वायु का कम तापमान में जमने पर जल बिंदुओं से युक्त होकर हिम के रूप में दिखने वाला तत्व ; धवला- श्वेत , पवित्र , अम्लान ; शुभ्र- श्वेत , सौम्य ; वस्त्रा...

Saraswati Puja Song and Vandana 2021: वसंत पंचमी पर मां सरस्‍वती की वंदना, गीत और आरती यहां पढ़ें

नई दिल्ली: Saraswati Puja Song and Vandana 2021: आज देशभर में वसंत पंचमी यानी सरस्‍वती पूजा का त्‍योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज के दिन विद्या की देवी मां सरस्‍वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. आज 27वें नक्षत्र रेवती के अंतर्गत पूरे दिन शुभ योग भी रहेगा. इसमें पूजा-पाठ के पूर्ण शुभ फल की प्राप्ति होगी. वसंत पंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग और शुभ मुहूर्त होने के कारण सभी कार्यों में सफलता प्राप्त हो सकती है. मां सरस्वती की पूजा की बात हो और उनकी वंदना गीत न हों, ऐसा हो नहीं सकता. प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में मां सरस्वती की वंदना का बहुत महत्व रहा है. आज देशभर के सरस्वती मंदिरों और पूजा स्थलों पर मां सरस्वती की पूजा का आयोजन किया गया है. विधिवत पूजा के दौरान मां सरस्वती वंदना, श्लोक और आरती गाए जा रहे हैं. जिन लोगों को मां सरस्वती की कोई भी वंदना या गाना याद नहीं है, उनके लिए यहां लोकप्रिय सरस्वती वंदना गीत और वंदना श्लोक प्रस्‍तुत किया जा रहा है, जिन्‍हें पूजा के दौरान आप पढ़ सकते हैं. सरस्वती वंदना गीत वर दे, वीणावादिनि वर दे ! प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव भारत में भर दे ! काट अंध-उर के बंधन-स्तर बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर; कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर जगमग जग कर दे ! नव गति, नव लय, ताल-छंद नव नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव; नव नभ के नव विहग-वृंद को नव पर, नव स्वर दे ! वर दे, वीणावादिनि वर दे। सरस्वती वंदना या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥ मां सरस्वती की आरती ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता। सद्‍गुण वैभव शालिनी,...

सरस्वती वंदना गीत : हे शारदे माँ, हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी

माँ सरस्वती की पूजा के लिए सरस्वती वंदना गीत का विशेस महत्व है| माँ सरस्वती ज्ञान की देवी और भगवान ब्रह्मा की मानसपुत्री हैं| ज्ञानदायिनी माँ सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और उनके हाथों में सदैव वीणा शोभायमान रहती है| समस्त छात्रों और ज्ञानार्जन के इच्छुक व्यक्तियों को माँ सरस्वती की वंदना करनी चाहिए, क्यूंकि माँ ज्ञान का दात्री हैं उन्हीं की कृपा से हमारी बुद्धि और मन कार्य करते हैं| हम यहाँ सरस्वती वंदना गीत शेयर कर रहे हैं| विद्यालयों में पढने वाले छात्र व छात्रा इनको अपने पाठ्यक्रम में भी शामिल कर सकते हैं – माँ सरस्वती वंदना संस्कृत में साहस शील ह्रदय में भर दे, जीवन त्याग तपोमय कर दे, संयम सत्य स्नेह का वर दे, स्वाभिमान भर दे… हे हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी, अम्ब विमल मति दे, अम्ब विमल मति दे … लव-कुश, ध्रुव प्रहलाद बने, हम मानवता का त्राश हरे हम, सीता सावित्री दुर्गा माँ फिर घर-घर भर दे… हे हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी, अम्ब विमल मति दे, अम्ब विमल मति दे… सरस्वती वंदना : वर दे वीणा वादिनी हे शारदे माँ , हे शारदे माँ , अज्ञानता से हमें तार दे माँ , तू स्वर की देवी , ये संगीत तुझसे , हर शब्द तेरा , है हर गीत तुझसे , हम हैं अकेले , हम हैं अधूरे , तेरी शरण में , हमें प्यार दे माँ हे शारदे माँ , हे शारदे माँ , अज्ञानता से हमें तार दे माँ….. तू श्वेत वर्णी कमल पर विराजे , हाथों में वीणा मुकुट सर पे साजे , मन से हमारे मिटा दो अँधेरे , हमको उजालों का संसार दो माँ , हे शारदे माँ , हे शारदे माँ , अज्ञानता से हमें तार दे माँ….. ऋषियों ने समझी , है मुनियों ने जानी , वेदों की भाषा ,पुराणों की वाणी , हम भी तो समझे , हम भी तो जाने , विद्या का हमको भी अधिकार दे माँ , हे शारदे माँ , हे ...