सल्तनत कालीन इतिहास के स्रोत

  1. The history: सल्तनत कालीन विभाग एवं उनके कार्य
  2. सल्तनत कालीन प्रशासन – Study Material
  3. सल्तनत काल के इतिहास को जानने के प्रमुख फारसी स्रोतों के बारे विस्तृत विवरण लिखें?
  4. प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत
  5. सल्तनत कालीन साहित्य (Sultanate period literature in Hindi) »


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The history: सल्तनत कालीन विभाग एवं उनके कार्य

विभाग बनानेवालासुल्तान दीवान-ए-मुस्तखराज(वित्त)अलाउद्दीनखिलजी दीवान-ए-कोही (कृषि)मुहम्मदबिनतुगलक दीवान-ए-अर्ज (सैन्य )बलवन दीवान-ए-बंदगानफिरोजशाह दीवान-ए-खैरातफिरोजशाह दीवान-ए-इस्तिहाकफिरोजशाह राजस्व (कर) व्यवस्था उश्र - मुसलमानोंसेलियाजानेवालाभूमिकर। खरात -गैरमुस्लिमोसेलियाजानेवालाभूमिकर। जकात- मुस्लमानोपरधार्मिककर (सम्पत्तिका 40वांभाग) जाजिया - गैरमुस्लिमोपरधार्मिककर। खम्स-लूटेहुएखजानेयागड़ेहुएखजानेपरकर। केंद्रीयप्रशासनकामुखिया- सुल्तान बलबनएवंअलाउद्दीनकेसमयअमीरप्रभावहीनहोगए। अमीरोंकामहत्वचरमोत्कर्षपरथा - लोदीवंशके शासनकाल में । सल्तनतकालमेंमंत्रिपरिषदको मजलिस- ए -खलवतकहाजाताथा। मजलिस-ए-खासमेंमजलिस-ए-खलवतकीबैठकहोतीथी। बार-ए-आजमइसमेंसुल्तानसभीदरबारियों, खानों, अमीरों, मालिकोंकोबुलाताथा। बार -ए -आजम -सुल्तानराजकीयकार्योंकाअधिकांशभागपूराकरताथा। वजीर - राजस्वविभागकाप्रमुखथा। मुशरिफ-ए-मुमालिक ( महालेखाकार) - प्रांतोंएवंअन्यविभागोंसेप्राप्तआयएवंव्ययकालेखाजोखारखताथा। मजमुआदर- उधारलिएगएधनकाहिसाबरखताथा। खजीन - कोषाध्यक्ष। आरिज-ए- मुमालिक -दीवानएअर्जअथवाअन्यसैन्यविभागकाप्रमुखअधिकारी। सद्र-उस- सुदूर - धर्मविभागएवंदानविभागकाप्रमुख। काजी-उल-कजात- सुल्तानकेबादन्यायकासर्वोच्चअधिकारी। बरीद-ए-मुमालिक -गुप्तचरविभागकाप्रमुखअधिकारी। वकील-ए-दर - सुल्तानकीव्यक्तिगतसेवाओंकादेखभालकरताथा। दीवान-ए-खैरात - दानविभाग। दीवान-ए-बंदगान- दासविभाग। दीवान- ए - इस्तिहाक - पेंशनविभाग। दिल्लीसल्तनतअनेकप्रांतोंमेंबटाहुआजिसे इक्ताया सूबाकहाजाताथा।यहांकाशासन नायबया अलीया मुक्तिद्वारासंचालितहोताथा। इक्ताओको शिको (जिलों) मेंविभाजितकियागयाथाजहांकाप्रमुखअधिकारीकी शिकदारहोताथाजोसैनिककाअधिकारीहोताथा। शिकोको परगनोंविभा...

सल्तनत कालीन प्रशासन – Study Material

• सूफी एवं भक्ति आन्दोलन • सिन्ध में नव-सूफीवाद • नक्सबंदी सम्प्रदाय • कादिरी सिलसिला • सुहरावर्दी सिलसिला • चिश्ती सिलसिला • सल्तनत कालीन प्रशासन • खिलजी वंश (1290-1320 ई.) • खिलजी साम्राज्यवाद • तुगलक वंश (1320-1414 ई.) • खुरासान अभियान • राजधानी परिवर्तन (1326-27 ई.) • सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1330 ई.) • दो आब क्षेत्र में कर वृद्धि (1325ई.) • कराचिल अभियान (1337 ई.) • सैय्यद वंश (1414 - 1451 ई.) • खिज्र खां (1414 -1421 ई.) • मुबारक शाह (1421-1434 ई.) • मुहम्मद शाह (1434-1445 ई.) • अलाउद्दीन आलम शाह (1445–1451ई.) • प्रथम अफगान राज्य: लोदी वंश (1451-1521 ई.) • इब्राहिम लोदी (1517-1526 ई.) • बहलोल लोदी (1451-1489 ई.) • सिकन्दर लोदी (1489-1517 ई.) • मुगल साम्राज्य (1526 ई.-1857 ई.) • हुमायूँ (1530 –1556 ई.) • खानवा का युद्ध (17 मार्च 1527) • चंदेरी पर आक्रमण (29 जनवरी 1528 ई.) • घाघरा का युद्ध (06 मई, 1529 ई.) • शाहजहां (1628 ई. से 1658 ई.) • जहांगीर (सलीम) 1605 -1627 ई. • मेवाड़ का अभियान • कांगड़ा का अभियान • अहमदनगर (दक्कन) 1617 ई. • पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रैल,1526) • अकबर (1556-1605 ई.) • मालवा विजय अभियान (1560 ई.) • गोंडवाना का विजय अभियान • कश्मीर पर आक्रमण (1586 ई.) • पानीपत का दूसरा युद्ध (5 नवंबर, 1556) • बंगाल विजय (1574-75 ई.) • चित्‍तौड़ पर आक्रमण (1567 ई.) • मेवाड़ के लिए हल्दीघाटी का युद्ध (18 जून 1576) • गुजरात पर आक्रमण (1572 ई.) • सल्तनतकालीन स्थापत्य कला • कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद • क़ुतुब मीनार • अढ़ाई दिन का झोपड़ा • सुल्तानगढ़ी का मकबरा • तुग़लकाबाद किला • गयासुद्दीन तुगलक का मकबरा • अलाइ दरवाजा • आदिलाबाद का किला • मुगल शासन प्रणाली • पूर्व मध्यकाल में...

सल्तनत काल के इतिहास को जानने के प्रमुख फारसी स्रोतों के बारे विस्तृत विवरण लिखें?

अथवा दिल्ली सल्तनत कालीन ऐतिहासिक स्रोतों की विवेचना कीजिए? उत्तर- • दिल्ली सल्तनत काल के इतिहास को जानने के लिए तत्कालीन इतिहासकारों द्वारा लिखे गए फारसी ग्रंथों का काफी महत्व है। इन स्रोतों में समकालीन मुस्लिम इतिहासकारों के फारसी ग्रंथ एवं सुल्तानों द्वारा रचित आत्मकथाएं प्रमुख है। सल्तनतकालीन ऐतिहासिक ग्रंथों से राजनैतिक , सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक स्थिति के बारे में पर्याप्त जानकारी मिलती है। ये ग्रंथ अरबी तथा फारसी भाषा में लिखे गये थे। सल्तनतकालीन इतिहास को जानने के प्रमुख ऐतिहासिक ग्रन्थ निम्नलिखित हैं - चचनामा • यह मूल रूप से अरबी भाषा में लिखा गया है। इसमें मुहम्मद- बिन- कासिम से पहले तथा बाद के सिंध के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। इसमें अरबों की सिंध विजय के बार में जानकारी मिलती है। फारसी भाषा में इसका अनुवाद मुहम्मद अली कूफी द्वारा किया गया था। तारीख — उल— हिंद • इस ग्रंथ की रचना अलबरूनी ने फारसी भाषा में की थी। वह अरबी एवं फारसी भाषाओं का विद्वान था। वही भारत में महमूद गजनवी के समय आया था। वह चिकित्साशास्त्र , धर्म, दर्शन तथा गणित में रूचि रखता था। वह हिन्दू धर्म तथा दर्शन का अच्छा ज्ञाता था। • अलबरूनी ने अपने सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ ' तारीख- उल- हिन्द' में महमूद गजनवी के भारत आक्रमण तथा उनके प्रभावों का वर्णन किया है। इस ग्रंथ में महमूद के आक्रमणों तथा तत्कालीन सामाजिक स्थिति के बारे में जानकारी मिलती है। • सचाऊ ने इस ग्रंथ का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया। ताज — उल— मासिर • यह ग्रंथ हसन निजामी द्वारा लिखा गया। वह मुहम्मद गौरी के साथ भारत आया था। • इस ग्रंथ से 1191 ई. से 1218 ई. तक के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। इसमें विभिन्न् स्थानों मेलों...

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत

Advertisement भारतवर्ष का प्राचीन इतिहास अत्यन्त गौरवपूर्ण रहा है दुर्भाग्यवश हम प्राचीन इतिहास को सामग्री के अभाव में पूर्णत: पुनर्निर्मित करने में असमर्थ हैं | इसके अतिरिक्त प्राचीन भारत में यूनान, रोम आदि देशों की भांति इतिहास लेखकों का सदा अभाव रहा है | विदेशियों ने यहाँ तक आरोप लगाया है कि प्राचीन भारतीयों में इतिहास-बुद्धि का सर्वथा अभाव रहा है | यह बात भले ही सही न हो लेकिन इतना सही है कि प्राचीन समय में भारत वासियों का इतिहास लेखन के प्रति कोई झुकाव नहीं था | इतना होते हुए भी प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत बहुतायत में हैं | Advertisement प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत मुख्य रूप से तीन भागों में वर्गीकृत किए जा सकते हैं — (1) पुरातात्विक स्रोत (2) साहित्यिक स्रोत (3) विदेशियों के वृत्तांत (1) पुरातात्विक स्रोत भारत में पुरातात्विक सामग्री का भण्डार प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है | अनेक स्थानों पर किया गया उत्खनन कार्य करने से प्राचीन इतिहास के अनेक छुपे पहले सामने आये हैं | प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के लिए पुरातात्विक सामग्री का अत्यधिक महत्व है | अनेक प्राचीन भारतीय ग्रन्थों का रचना काल ठीक से ज्ञात नहीं है | अतः इन ग्रन्थों से किसी काल विशेष की सामाजिक और आर्थिक स्थति का ठीक-ठीक पता नहीं चलता है कभी-कभी साहित्यक साधनों में लेखक का दृष्टि कोण भी बाधा उत्पन्न करता है | अतः ऐसी स्थिति में प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के लिए पुरातात्विक सामग्री अपेक्षाकृत अधिक विश्वसनीय एवं प्रामाणिक बन जाती है | इसके काल निर्धारण में हेर-फेर की सम्भावना कम होती है | पुरातात्विक सामग्री के अन्तर्गत अभिलेख, मुद्राएं, भवन, मूर्तियाँ, चित्रकला तथा अन्य अवशेषों को रखा जाताहै | (क ) अभिल...

सल्तनत कालीन साहित्य (Sultanate period literature in Hindi) »

Contents • 1 सल्तनत कालीन साहित्य • 1.1 चचनाना • 1.2 किताब-उल-यामिनी • 1.3 जैन-उल-अखबार • 1.4 तारीखे मासूमी या तारीख-ए-सिंध • 1.5 तारीख-ए-मसूदी • 1.6 तारीख-उल-हिन्द (किताबुल हिन्द) • 1.7 तबकाते नासिरी • 1.8 ताजुल मआसिर • 1.9 तारीख-ए-फिरोजशाही • 1.10 फतवा-ए-जहाँदारी • 1.11 कमीत-उल-तवारीख • 1.12 फुतूह-उस-सलातीन • 1.13 तारीख-ए-फिरोजशाही (सल्तनत कालीन साहित्य) • 1.14 फतुहाते फिरोजशाही • 1.15 सीराते फिरोजशाही • 2 अमीर खुसरो की महत्वपूर्ण कृतियाँ (सल्तनत कालीन साहित्य) • 2.1 खजाइन-उल-फुतूह • 2.2 किरान-उस-सादैन • 2.3 मिफता-उल-फतह • 2.4 नूहसिपेहर • 2.5 आशिका-उल-अनवर • 2.6 तुगलकनामा (सल्तनत कालीन साहित्य) • 3 Related Links सल्तनत कालीन साहित्य (Sultanate period literature in Hindi)– सल्तनत कालीन साहित्य चचनाना • इस ग्रंथ में • इसके लेखक अली अहमद थे, जिन्होंने अरबी में लिखा था. • नासिरुद्दीन कुबाचा के समय इसका फारसी अनुवाद अली बिन बफ कूफी ने किया था. किताब-उल-यामिनी • अबू नस्र बिन मुहम्मद अल जबरूल उतवी ने इसे लिखा . • इसमें सुबुक्तगीन से जैन-उल-अखबार • अबू सईद द्वारा रचित इस ग्रंथ में तारीखे मासूमी या तारीख-ए-सिंध • मीर मुहम्मद मासूम द्वारा लिखित इस ग्रंथ में अरबों की विजय से लेकर अकबर के शासनकाल तक का इतिहास है. तारीख-ए-मसूदी • अबुल फजल मुहम्मद बिन हुसैन अल बहरी ने इस ग्रंथ की रचना की थी. • इसमें तारीख-उल-हिन्द (किताबुल हिन्द) • • अरबी भाषा में लिखी इस किताब में 11वीं शती के भारत की राजनीतिक एवं सामाजिक दशा का वर्णनहै. तबकाते नासिरी • मिनहास-उस-सिराज द्वारा लिखित इस किताब में मुहम्मद के भारत विजय तथा तुर्की सल्तनत का 1260 ई. तक के इतिहास की जानकारी मिलती है. • नासिरुद्दीन के मुख्य ...