समाजशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषा pdf

  1. समाजशास्त्र क्या है? समाजशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषा 👥
  2. समाजशास्त्र का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं
  3. शिक्षा का समाजशास्त्र
  4. ba समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ
  5. ग्रामीण समाजशास्त्र का अर्थ, परिभाषा, प्रकृति
  6. समाजशास्त्र की प्रकृति (samajshastra ki prakriti)
  7. समाजशास्त्र क्या है? समाजशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषा 👥
  8. ba समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ
  9. शिक्षा का समाजशास्त्र
  10. समाजशास्त्र का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं


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समाजशास्त्र क्या है? समाजशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषा 👥

• • • • • • • • • • समाजशास्त्रकाअर्थ :- ‘समाजशास्त्र’शब्दअंग्रेजीभाषा‘SOCIOLOGY’काहिंदीसंस्करणहैजिसेदोभागों‘SOCIO’और‘LOGY’मेंविभाजितकियाजासकताहै।पहलाशब्दअर्थात‘SOCIO’लैटिनशब्द‘SOCIUS’सेलियागयाहैऔरदूसराशब्दयानी‘LOGY’ग्रीकशब्द‘LOGOS’सेलियागयाहैजिसकाअर्थहैक्रमशः‘समाज’औरविज्ञानयाअध्ययनहै। इसलिए, ‘समाजशास्त्र’काशाब्दिकअर्थहै‘समाजकाविज्ञान’या“समाजकाअध्ययन”समाजकाअर्थसामाजिकसंबंधोंकाताना-बानाहै, जबकिविज्ञानकिसीभीविषयकेव्यवस्थितऔरक्रमबद्धज्ञानकोसंदर्भितकरताहै।समाजशास्त्रसमाजकाएकक्रमबद्धअध्ययनहै। समाजशास्त्रकीपरिभाषा :- समाजशास्त्रकीएकसामान्यपरिभाषादेनाएककठिनकार्यहै।विभिन्नविद्वानोंनेविभिन्नदृष्टिकोणोंसेइसकीपरिभाषादीहै।समाजशास्त्रियोंद्वारादीगईपरिभाषाओंकोनिम्नलिखितपाँचप्रमुखश्रेणियोंमेंविभाजितकरसकतेहैं:- जिसबर्ट समाजकेअध्ययनकेरूपमेंदीगईसमाजशास्त्रकीउपरोक्तपरिभाषाओंसे, यहस्पष्टहोजाताहैकिकेवल“समाजशास्त्र”काशाब्दिकअर्थ‘समाजकाअध्ययन’है’यायह“समाजकाविज्ञान”नहींहै, लेकिनविद्वानोंनेइसकीपरिभाषादेतेहुएसमाजकोइसविषयकेअध्ययनकामुख्यबिंदुभीदियाहै। समाजकाअर्थहैसामाजिकसंबंधोंकीएकप्रणाली, एकजालयाताने-बानेकोसंदर्भितकरताहै, जोएक दूसरेशब्दोंमें, जबसामाजिकसम्बन्धोंकीव्यवस्थाफलती-फूलतीहै, तोहमउसेसमाजकहतेहैं।विज्ञानकिसीतथ्ययाघटनासेसंबंधितव्यवस्थितज्ञानयावस्तुनिष्ठजानकारीप्राप्तकरनेकाएकतरीकाहै।यह समाजशास्त्रसामाजिकसंबंधोंकाअध्ययनहै– “समाजशास्त्रमानवसंबंधोंकाविज्ञानहै।” रोज “समाजशास्त्रकोमानवसंबंधोंकेवैज्ञानिकज्ञानकेढांचेकेरूपमेंपरिभाषितकियाजासकताहै।“ क्यूबर “समाजशास्त्रमनुष्यकाउसकेसमस्तसामाजिकसंबंधोंकेरूपमें ग्रीन “समाजशास्त्रमानवीयअंम्तसंबंधोंकेस्वरूपोंकाविज्ञानहै।“ सिमेल सामाजिकसंबंधोंसेहमारातात्पर्यदोया...

समाजशास्त्र का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं

समाजशास्त्र दो शब्दों से मिल कर बना है जिनमें से पहला शब्द ‘सोशियस’ (Socius) लैटिन भाषा से और दूसरा शब्द ‘ लोगस‘ (Logas) ग्रीक भाषा: से लिया गया है। ‘सोशियस’ का अर्थ है— समाज और ‘लोगस’ का शास्त्र इस प्रकार ‘समाजशास्त्र’(Sociology) का शाब्दिक अर्थ समाज का शास्त्र या समाज का विज्ञान है। जॉन स्टुअर्ट मिल ने ‘Sociology के स्थान पर ‘इथोलॉजी’ (Ethology) शब्द को प्रयुक्त करने का सुझाव दिया और कहा कि ‘Sociology’ दो भिन्न भाषाओं की एक अवैध सन्तान है, लेकिन अधिकांश विद्वानों ने मिल के सुझाव को नहीं माना। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से हरबर्ट स्पेन्सर ( Herbert Spencer) ने समाज के क्रमबद्ध अध्ययन का प्रयत्न किया और अपनी पुस्तक का नाम ‘सोशियोलॉजी’रखा | सोशियोलॉजी (Sociology) शब्द की उपयुक्तता के सम्बन्ध में हर्बर्ट लिखा है कि प्रतीकों की सुविधा एवं सूचकता उनकी उत्पत्ति सम्बन्धी वैधता से अधिक महत्त्वपूर्ण है स्पष्ट है कि शाब्दिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ समाज (सामाजिक सम्बन्धों) का व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध ढंग से अध्ययन करने वाले विज्ञान से है| जब हम इस प्रश्न पर विचार करते हैं कि समाजशास्त्र क्या है तो विभिन्न समाजशास्त्रियों के दृष्टिकोणों में भिन्नता देखने को मिलती है, लेकिन इतना अवश्य है कि अधिकांश समाजशास्त्री समाजशास्त्र को समाज का विज्ञान’ मानते हैं। समाजशास्त्र का अर्थ स्पष्ट करने की दृष्टि से विभिन्न विद्वानों ने समय-समय पर विचार व्यक्त किये हैं। उनके द्वारा दी गयी समाजशास्त्र की परिभाषाओं को प्रमुखतः निम्नलिखित चार भागों में बांटा जा सकता है | (1) समाजशास्त्र समाज के अध्ययन के रूप में। (2) समाजशास्त्र सामाजिक सम्बन्धों के अध्ययन के रूप में। (3) समाजशास्त्र समूहों के अध...

शिक्षा का समाजशास्त्र

शिक्षा का समाजशास्त्र – IGNOU Notes • • ❤️ लेटेस्ट अपडेट के लिए हमारा Telegram Channel ज्वाइन करें - GK Online Test IGNOU Books UOU Books UPRTOU Books Important Notice हम लगातार इस वेबसाइट को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं | लेकिन मुझे लगता है यह अभी पूरी तरह परफेक्ट नहीं है | अगर आपको इस वेबसाइट में कुछ कमियां नजर आयीं हों या आपको इस वेबसाइट को यूज़ करने में किसी प्रकार की समस्या हुई हो तो कृपया कमेंट करके हमें बताएं | कमेंट आप किसी अन्य पेज पर कर सकते हैं क्योंकि इस पेज पर कमेंट करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है |

ba समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ

ba समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ – Books & Notes PDF Download फाइल डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें ba समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ – Books PDF Files ✔️ ba समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ - इस सेक्शन में सभी बुक्स और पीडीऍफ़ फाइल्स का डाउनलोड लिंक दिया गया है | यह बुक्स अलग-अलग यूनिवर्सिटीज, कॉलेज और वेबसाइट द्वारा पब्लिश की गयी हैं | आप इनमें से किसी भी फाइल को डाउनलोड कर सकते हैं | ✔️ ba समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ – IGNOU Notes ✔️ ba समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ - इस सेक्शन में इंदिरा गाँधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी द्वारा पब्लिश की गयी बुक्स और नोट्स का लिंक दिया गया है | आप इन बुक्स को फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं | ✔️ • • • • • • • • • • ba समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ – Google Books ✔️ ba समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ - इस सेक्शन में दी गयी बुक्स गूगल बुक्स से ली गयी हैं | यह बुक्स आमतौर पर फ्री में डाउनलोड करने के लिए अवेलेबल नहीं हैं | और इन्हें आप केवल ऑनलाइन पढ़ सकते हैं, डाउनलोड नहीं कर सकते हैं | ✔️ undefined समाजशास्त्र के सिद्धांत Samajshastra Ke Siddhant (Principles of Sociology) - SBPD Publications SBPD Publications ba समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ – Video Lectures ✔️ ba समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ - इस सेक्शन में विडियो लेक्चर का लिंक दिया गया है, यह विडियो अगल-अलग पब्लिशर्स द्वारा पब्लिश किये गये हैं, और इनका हमारी साईट से कोई सम्बन्ध नहीं हैं | आप टॉपिक को समझने के लिए इन videos को देख सकते हैं | ✔️ 📽 Plus One Public Exam | Plus One Humanities Sociology Chapter 1-Sociology and Society |Full mark 💯💯 ❌ ...

ग्रामीण समाजशास्त्र का अर्थ, परिभाषा, प्रकृति

ग्रामीण समाजशास्त्र का अर्थ (gramin samajshastra kya hai) gramin samajshastra arth paribhasha prakriti;ग्रामीण समाजशास्त्र ग्रामीण वातावरण मे सामाजिक जीवन का अध्ययन है जिसमें यथाक्रमानुसार ग्रामीणों की दशाओं की खोज के लिए, उनकी धारणाओं और उन्नति के आदर्शों के निर्माण के लिए ग्रामीण समूहों का अध्ययन किया जाता है। ग्रामीण समाजशास्त्र दो शब्दों के मेल से बना है-- ग्रामीण+समाजशास्त्र। अतः ग्रामीण समाजशास्त्र मे ग्रामीण समाज का अध्ययन किया किया जाता है। इसका कार्य आवश्यक तथ्यों तथा आधारभूत आदर्शों का संकलन करना है जो ग्रामीण सामाजिक संबंधों के अध्ययन मे वैज्ञानिक विधियों द्वारा ज्ञात किए जाते है। ग्रामीण समाजशास्त्र की परिभाषा (gramin samajshastra ki paribhasha) ग्रामीण समाजशास्त्र, समाजशास्त्र की एक शाखा के रूप मे विकसित हुई है जिसको अनेक विद्वानों ने परिभाषित करने का प्रयास किया है। डेविड सैण्डरसन के अनुसार," ग्रामीण समाजशास्त्र ग्रामीण वातावरण मे पाए जाने वाले जीवन का समाजशास्त्र है। बिना इसकी उत्पत्ति एवं विकास के समझे हुए, अधिकांशतः इस विषय पर ग्रामीण जीवन का विवरण प्रायः सामान्य रूप से दे दिया जाता है। टी. लिन. स्मिथ के अनुसार," ग्रामीण सामाजिक संबंधों की व्यवस्थित जानकारी को ग्रामीण जीवन का समाजशास्त्र कहना ही अधिक उचित होगा।" स्टुअर्ट चैपिन के अनुसार," ग्रामीण जीवन का समाजशास्त्र किसी ग्रामीण समाज की जनसंख्या, सामाजिक संगठन, और वहाँ कार्य करने वाली सामाजिक प्रक्रियाओं का अध्ययन है।" भारत के प्रमुख समाजशास्त्रियों में डाॅ. ए. आर. देसाई की परिभाषा ग्रामीण समाजशास्त्र के व्यापक उद्देश्य की ओर संकेत करते है। उन्हीं के शब्दों मे," ग्रामीण समाजशास्त्र का मूल उद्देश्य ग्रामीण ...

समाजशास्त्र की प्रकृति (samajshastra ki prakriti)

samajshastra ki prakriti;ऑगस्त काॅम्टे को समाजशास्त्र शब्द का जन्मदाता कहा जाता हैं। ऑगस्त का विचार था कि जिस प्रकार भौतिकी वस्तुओं का अध्ययन करने के लिए भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र, जीवशास्त्र आदि विज्ञान हैं, ठीक उसी प्रकार सामाजिक जीवन का अध्ययन करने के लिए सामाजिक विज्ञान की आवश्यकता हैं। ऑगस्त कॉम्टे से इसे 'सामाजिक भौतिकशास्त्र का नाम दिया। इसके बाद सन् 1838 मे काॅम्टे ने ही इसे समाजशास्त्र के नाम दिया था। आज हम समाजशास्त्र की प्रकृति पर चर्चा करेंगे। समाजशास्त्र तुलनात्मक रूप से एक विज्ञान है। नया विज्ञान होने के कारण समाजशास्त्र की प्रकृति के बारे मे विवाद का होना नितान्त ही स्वाभाविक हैं। समाजशास्त्रीय अध्ययन की प्रकृति वैज्ञानिक है, यह लम्बे समय तक विवाद का विषय रहा समाजशास्त्रीय अध्ययन के वैज्ञानिक नही हो पाने के पीछे तर्क यह दिया जाता रहा है कि सामाजिक घटनाओं की प्रकृति वैज्ञानिक अध्ययन के अनुकूल नही है। समाजशास्त्रीय साहित्य मे भी काफी लम्बे अर्से तक यह बात जोर देकर प्रतिपादित की जाती रही है कि समाजशास्त्र विज्ञान कि अपेक्षा दर्शन के अधिक निकट हैं, लेकिन आज शायद ही कोई इस बात पर संदेह करता है कि समाजशास्त्र विज्ञान नही हैं। विज्ञान व्यवस्थित या क्रमबद्ध ज्ञान को कहते है। समाजशास्त्र और जीवशास्त्र को इसलिए विज्ञान कहा जाता है, क्योंकि इसके सम्बन्ध मे प्राप्त व्यवस्थित है। यहि बात अन्य विषयों के बारे मे भी लागू होती है। समाजशास्त्र समाज का विज्ञान हैं, समाजिक सम्बन्धों का अध्ययन करता है। समाजशास्त्र समाज का अध्ययन व्यवस्थित ढंग से करता है, इसलिए यह एक विज्ञान हैं। समाजशास्त्र आर्दश विज्ञान नही है, जहाँ क्या होना चाहिए का वर्णन किया जाता है। समाजशास्त्र तो वास्तवि...

समाजशास्त्र क्या है? समाजशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषा 👥

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ba समाजशास्त्र की बुनियादी अवधारणाएँ

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शिक्षा का समाजशास्त्र

शिक्षा का समाजशास्त्र – IGNOU Notes • • ❤️ लेटेस्ट अपडेट के लिए हमारा Telegram Channel ज्वाइन करें - GK Online Test IGNOU Books UOU Books UPRTOU Books Important Notice हम लगातार इस वेबसाइट को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं | लेकिन मुझे लगता है यह अभी पूरी तरह परफेक्ट नहीं है | अगर आपको इस वेबसाइट में कुछ कमियां नजर आयीं हों या आपको इस वेबसाइट को यूज़ करने में किसी प्रकार की समस्या हुई हो तो कृपया कमेंट करके हमें बताएं | कमेंट आप किसी अन्य पेज पर कर सकते हैं क्योंकि इस पेज पर कमेंट करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है |

समाजशास्त्र का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं

समाजशास्त्र दो शब्दों से मिल कर बना है जिनमें से पहला शब्द ‘सोशियस’ (Socius) लैटिन भाषा से और दूसरा शब्द ‘ लोगस‘ (Logas) ग्रीक भाषा: से लिया गया है। ‘सोशियस’ का अर्थ है— समाज और ‘लोगस’ का शास्त्र इस प्रकार ‘समाजशास्त्र’(Sociology) का शाब्दिक अर्थ समाज का शास्त्र या समाज का विज्ञान है। जॉन स्टुअर्ट मिल ने ‘Sociology के स्थान पर ‘इथोलॉजी’ (Ethology) शब्द को प्रयुक्त करने का सुझाव दिया और कहा कि ‘Sociology’ दो भिन्न भाषाओं की एक अवैध सन्तान है, लेकिन अधिकांश विद्वानों ने मिल के सुझाव को नहीं माना। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से हरबर्ट स्पेन्सर ( Herbert Spencer) ने समाज के क्रमबद्ध अध्ययन का प्रयत्न किया और अपनी पुस्तक का नाम ‘सोशियोलॉजी’रखा | सोशियोलॉजी (Sociology) शब्द की उपयुक्तता के सम्बन्ध में हर्बर्ट लिखा है कि प्रतीकों की सुविधा एवं सूचकता उनकी उत्पत्ति सम्बन्धी वैधता से अधिक महत्त्वपूर्ण है स्पष्ट है कि शाब्दिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ समाज (सामाजिक सम्बन्धों) का व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध ढंग से अध्ययन करने वाले विज्ञान से है| जब हम इस प्रश्न पर विचार करते हैं कि समाजशास्त्र क्या है तो विभिन्न समाजशास्त्रियों के दृष्टिकोणों में भिन्नता देखने को मिलती है, लेकिन इतना अवश्य है कि अधिकांश समाजशास्त्री समाजशास्त्र को समाज का विज्ञान’ मानते हैं। समाजशास्त्र का अर्थ स्पष्ट करने की दृष्टि से विभिन्न विद्वानों ने समय-समय पर विचार व्यक्त किये हैं। उनके द्वारा दी गयी समाजशास्त्र की परिभाषाओं को प्रमुखतः निम्नलिखित चार भागों में बांटा जा सकता है | (1) समाजशास्त्र समाज के अध्ययन के रूप में। (2) समाजशास्त्र सामाजिक सम्बन्धों के अध्ययन के रूप में। (3) समाजशास्त्र समूहों के अध...