सर चंद्रशेखर वेंकटरमन

  1. NCERT Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक: चन्द्रशेखर वेंकट रामन
  2. NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5
  3. देश की खबरें
  4. National Science Day: प्रकाश के रहस्य सुलझाने वाले महान वैज्ञानिक सी.वी. रमन
  5. 10 Line10 Lines on “C. V. Raman” (Indian physicist) “चंद्रशेखर वेंकटरमन” Complete Biography in Hindi, Essay for Kids and Students.
  6. सी वी रमन का जीवन परिचय (चंद्रशेखर वेंकटरमन) 1888
  7. Sir Chandrasekhar Venkataraman: Who has said why the color of the sky and ocean is 'blue' : Outlook Hindi


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NCERT Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक: चन्द्रशेखर वेंकट रामन

Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 वैज्ञानि चेतना के वाहक: चन्द्रशेखर वेंकट रामन NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक: चन्द्रशेखर वेंकट रामन, (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है । के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है । छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल । कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं । छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी । NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक: चन्द्रशेखर वेंकट रामन Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक: चन्द्रशेखर वेंकट रामन पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास मौखिक निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए- प्रश्न 1. रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे? उत्तर: रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा एक जिज्ञासु वैज्ञानिक भी थे, जिन्होंने साधनों की कमी वाली प्रयोगशाला में भी अपनी जिज्ञासा शांत करने का प्रयास किया। प्रश्न 2. समुद्र को देख...

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सर चंद्रशेखर वेंकटरमन - राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की प्रेरणा (Sir Chandrasekhar Venkataraman - Inspiration of National Science Day) Posted on February 28th, 2019 सन् 1921 की बात है। एक भारतीय वैज्ञानिक को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, इंग्लैंड से विश्वविद्यालयीन कांग्रेस में भाग लेने के लिए निमंत्रण प्राप्त हुआ। इसी सिलसिले में वह इंग्लैंड गया। जब वह वापस पानी के जहाज से भारत लौट रहा था, तब रास्ते-भर वह भूमध्यसागर के जल के रंग को ध्यानपूर्वक देखता रहा तथा सागर के नीलेपन को निहारता रहा। उसे सागर के नीले रंग के बारे में जानने की उत्सुकता हुई। उसके वैज्ञानिक मस्तिष्क में कई प्रश्न कोलाहल मचाने लगे। वह सोचने लगा- सागर का रंग नीला क्यों है? कोई और रंग क्यों नहीं? कहीं सागर आकाश के प्रतिबिंब के कारण तो नहीं नीला प्रतीत हो रहा है? समुद्री यात्रा के दौरान ही उसनें सोचा कि शायद सूर्य का प्रकाश जब जल में प्रवेश करता है तो वह नीला हो जाता है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक लार्ड रैले की मान्यता थी कि सूर्य की किरणें जब वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के अणुओं से टकराती है तो प्रकाश सभी दिशाओं में प्रसारित हो जाता है और आकाश का रंग नीला दिखाई देता है, इसे रैले के सम्मान में ‘रैले प्रकीर्णन’ के नाम से जाना जाता है। उस समय तक लार्ड रैले ने यह भी सिद्ध कर दिया था कि सागर का नीलापन आकाश के प्रतिबिंब के कारण है। उनके मतानुसार सागर का अपना कोई रंग नहीं होता। परंतु उस भारतीय वैज्ञानिक ने रैले की इस मान्यता को पूर्ण रूप से संतोषजनक नहीं माना। सागर के नीलेपन के वास्तविक कारण को जानने के लिए वह जहाज के डैक पर अपना उपकरण ‘स्पेक्ट्रोमीटर’ ले आया। और प्रयोगों में मग्न हो गया। वह अपने प्रयोगों से इस निष्कर्ष...

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5

प्रश्न 1. रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे? उत्तर: रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा एक जिज्ञासु वैज्ञानिक भी थे, जिन्होंने साधनों की कमी वाली प्रयोगशाला में भी अपनी जिज्ञासा शांत करने का प्रयास किया। प्रश्न 2. समुद्र को देखकर रामन् के मन में कौन-सी दो जिज्ञासाएँ उठीं? [CBSE 2012] उत्तर: समुद्र को देखकर रामन् के मन में निम्नलिखित दो जिज्ञासाएँ उठीं • समुद्र के जल का रंग नीला क्यों होता है? । • नीले रंग के अतिरिक्त अन्य कोई रंग क्यों नहीं होता? प्रश्न 3. रामन् के पिता ने उनमें किन विषयों की सशस्त नींव डाली। [CBSE 2012] उत्तर: रामनु के पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे। उन्होंने रामन् में इन्हीं दो विषयों की नींव डाली। प्रश्न 4. वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् क्या करना चाहते थे? [CBSE 2012] उत्तर: वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् यह बताना चाहते थे कि भारतीय वीणा, मृदंगम् आदि वाद्ययंत्र विदेशी पियानो आदि की तुलना में घटिया नहीं हैं। प्रश्न 5. सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् क्रीं क्या भावना थी? अथवा शम्न ने सरकारी नौकरी छोड़ने का फैसला क्यों लिया? उत्तर: सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे भावना यह थी कि वे अध्ययन के साथ-साथ शोध एवं प्रयोगों से अपनी जिज्ञासा शांत करने तथा विज्ञान के प्रचार-प्रसार की थी। प्रश्न 6. ‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरें ले रहा था? उत्तर: ‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे यह सवाल हिलोरें ले रहा था कि समुद्र का रंग नीला क्यों होता है? प्रश्न 7. प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया? [CBSE 2012] उत्तर: प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने बताया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र ...

देश की खबरें

देश की खबरें | विकल्प न होने पर ही स्वीकार करें सीईसी का पद , राजीव गांधी और वेंकटरमन ने टीएन शेषन को दी थी सलाह Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. जब चंद्रशेखर सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) पद के लिए टी एन शेषन के नाम का प्रस्ताव रखा तो वह दुविधा में थे। इसलिए, उन्होंने राजीव गांधी और तत्कालीन राष्ट्रपति वेंकटरमन से संपर्क किया तथा दोनों ने सलाह दी कि अगर कोई अन्य पद उपलब्ध न हो तो इसे स्वीकार कर लें। नयी दिल्ली, 11 जून जब चंद्रशेखर सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) पद के लिए टी एन शेषन के नाम का प्रस्ताव रखा तो वह दुविधा में थे। इसलिए, उन्होंने राजीव गांधी और तत्कालीन राष्ट्रपति वेंकटरमन से संपर्क किया तथा दोनों ने सलाह दी कि अगर कोई अन्य पद उपलब्ध न हो तो इसे स्वीकार कर लें। वह फिर भी उलझन में थे। इसके बाद उन्होंने एक आखिरी व्यक्ति- कांची के शंकराचार्य से परामर्श करने का फैसला किया। उन्होंने आगे बढ़ने की सलाह दी और कहा, "यह एक सम्मानजनक काम है।’’ अपना जवाब पाकर शेषन ने कानून मंत्री को फोन किया और कहा कि वह कार्यभार संभालने के लिए तैयार हैं। यह घटनाक्रम शेषन की आत्मकथा ‘थ्रू द ब्रोकन ग्लास’ में दर्ज है, जिसे उनके मरणोपरांत रूपा प्रकाशन ने प्रकाशित किया। शेषन का 2019 में निधन हो गया था। किताब में कहा गया है,"... तत्कालीन सीईसी, पेरी शास्त्री, का खराब स्वास्थ्य के कारण निधन हो गया। सरकार ने कुछ ऐसा किया जो बहुत ही नासमझी भरा था। यह रमा देवी, सचिव, कानून, को कार्यवाहक सीईसी के रूप में नियुक्ति की प्रक्रिया के लिए आगे बढ़ी। देवी के पदभार संभालने के चौथे दिन, मुझे कैबिनेट सचिव विनोद पांडे का फोन आया।" पांडे ने कहा कि सरकार योजना आयोग ...

National Science Day: प्रकाश के रहस्य सुलझाने वाले महान वैज्ञानिक सी.वी. रमन

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10 Line10 Lines on “C. V. Raman” (Indian physicist) “चंद्रशेखर वेंकटरमन” Complete Biography in Hindi, Essay for Kids and Students.

चंद्रशेखर वेंकटरमन C.V. Raman जन्मः 7 नोव्हेंबर 1888 , तिरुचिरापल्ली मृत्यू: 21 नोव्हेंबर 1970 , बेंगळुरू • डॉ. चंद्रशेखर रमन के पिता चंद्रशेखर अय्यर की गणित और विज्ञान में विशेष रुचि थी। उनकी माँ पार्वती एक सभ्य स्त्री थीं। • केवल 12 वर्ष की आयु में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली। छोटे से इस बालक को बी.एस-सी. की कक्षा में देखकर अध्यापक महोदय भी एक बार को चकरा गए। • भौतिकशास्त्र में एम.एस-सी. करने के बाद रमन कलकत्ता में असिस्टेंट अकाउंटेंट जनरल के पद पर कार्य करने लगे। • शीघ्र ही वे ‘इण्डिन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ में डॉ. आशुतोष मुखर्जी के संपर्क में आए। उनकी प्रतिभा देखकर श्री मुखर्जी ने उन्हें मनचाही नौकरी दे दी। • कुछ समय बाद रमन को कलकत्ता के ही एक विज्ञान महाविद्यालय वा प्राचार्य बना दिया गया। • कलकता विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस’ की उपाधि दी और लंदन की रॉयत सोसायटी ने उन्हें अपना फैलो चुना। कलकत्ता में ही डॉ. रमन ने ‘रमन प्रभाव’ का प्रतिपादन किया था। • उन्होंने प्रकाश’ पर काम करके सिद्ध किया कि जब प्रकाश की एकरंगी किरण किसी पारदर्शी पदार्थ से गुजरती है, तो उस किरण का कुछ भाग अपने मार्ग में फैल जाता है। • इस फैले हुए प्रकाश की तरंग लम्बाई प्रारंभिक प्रकाश की तरंग लम्बाई से अधिक होती है। इसी प्रकार इसका रंग भी आरंभिक प्रकाश से भिन्न होता है। ‘रमन प्रभाव’ भौतिकी और रसायन विज्ञान के अध्ययन में बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ। • उनकी इस महत्त्वपूर्ण खोज के लिए बिटिश सरकार ने उन्हें ‘सर’ की उपाधि से सम्मानित किया । नोबेल पुरस्कार पाने वाले वे प्रथम एशियाई व्यक्ति थे। भारत सरकार ने उन्हें ‘भारत-रत्न’ की उपाधि से विभूषित किया। • बंगलौर में ‘रमन इन्स्टीट्यू...

सी वी रमन का जीवन परिचय (चंद्रशेखर वेंकटरमन) 1888

डॉ सी.वी. रमन भारत के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक थे , जिन्हें प्रकाश के प्रकीर्णन जिसका नाम उनके नाम पर रखा गया है और ‘ रमन इफेक्ट ’की खोज के लिए उनके काम के लिए भौतिकी में 1930 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिसका नाम उनके नाम पर रखा गया है। चंद्रशेखर वेंकट रमन, जिन्हें आमतौर पर सी.वी. रमन भी कहा जाता है ,उनका जन्म 7 नवंबर, 1888 को तमिलाडुं के तिरुचिरापल्ली में हुआ था। उनकी मातृभाषा तमिल थी। वह चंद्रशेखर अय्यर और प्रावथी अम्मल के दूसरे बच्चे थे। उनके पिता गणित और भौतिकी के व्याख्याता थे। रमन बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली छात्र थे। उन्होंने विशाखापत्तनम और मद्रास (चेन्नई) में अपनी शिक्षा पूरी की। वित्तीय सिविल सेवा प्रतियोगी परीक्षा में शीर्ष रैंकिंग प्राप्त करने के बाद, उन्हें कलकत्ता में उप महालेखाकार के रूप में नियुक्त किया गया था। उनके स्नातक होने के समय, भारत में वैज्ञानिकों के लिए कुछ ही अवसर थे। इसने उन्हें कलकत्ता में एक सहायक महालेखाकार के रूप में भारतीय सिविल सेवा के साथ काम स्वीकार करने के लिए मजबूर किया। वहां रहते हुए, वह अपने शेष समय में, विज्ञान के लिए भारतीय संघ की प्रयोगशालाओं में विज्ञान के क्षेत्र में काम करके, विज्ञान में अपनी रुचि बनाए रखने में सक्षम थे। उन्होंने उपकरणों( stringed instruments) और भारतीय ड्रम (Indian drums.) के भौतिकी का अध्ययन किया। 1917 में, उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर की पेशकश की गई, और उन्होंने इस अवसर को स्वीकार करने का फैसला किया। कलकत्ता विश्वविद्यालय में 15 साल की सेवा के बाद, उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी और बैंगलोर चले गए और भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशक बन गए, जहां दो साल बाद वे भौतिकी के ...

Sir Chandrasekhar Venkataraman: Who has said why the color of the sky and ocean is 'blue' : Outlook Hindi

सन 1921 की बात है। एक भारतीय वैज्ञानिक को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, इंग्लैंड से विश्वविद्यालयीन कांग्रेस में भाग लेने के लिए निमंत्रण प्राप्त हुआ। इसी सिलसिले में वह इंग्लैंड गया। जब वह वापस पानी के जहाज से भारत लौट रहा था, तब रास्ते-भर वह भूमध्यसागर के जल के रंग को ध्यानपूर्वक देखता रहा तथा सागर के नीलेपन को निहारता रहा। उसके वैज्ञानिक मन में कई प्रश्न कोलाहल मचाने लगे। वह सोचने लगा- सागर का रंग नीला क्यों है? कोई और रंग क्यों नहीं? कहीं सागर आकाश के प्रतिबिंब के कारण तो नहीं नीला प्रतीत हो रहा है? समुद्री यात्रा के दौरान ही उसने सोचा कि शायद सूर्य का प्रकाश जब जल में प्रवेश करता है तो वह नीला हो जाता है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक लार्ड रैले की मान्यता थी कि सूर्य की किरणें जब वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के अणुओं से टकराती है तो प्रकाश सभी दिशाओं में प्रसारित हो जाता है और आकाश का रंग नीला दिखाई देता है, इसे रैले के सम्मान में ‘रैले प्रकीर्णन’ के नाम से जाना जाता है। उस समय तक लार्ड रैले ने यह भी सिद्ध कर दिया था कि सागर का नीलापन आकाश के प्रतिबिंब के कारण है। परंतु उस भारतीय वैज्ञानिक ने रैले की इस मान्यता को पूर्ण रूप से संतोषजनक नहीं माना। सागर के नीलेपन के वास्तविक कारण को जानने के लिए वह जहाज के डैक पर अपना उपकरण ‘स्पेक्ट्रोमीटर’ ले आया। और प्रयोगों में मग्न हो गया। अंत में वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि सागर का नीलापन उसके भीतर ही है, मतलब यह नीलापन आकाश के प्रतिबिंब के कारण नहीं, बल्कि जल के रंग के कारण है! इसका अभिप्राय यह था कि स्वयं सागर का रंग नीला है एवं यह नीलापन पानी के अंदर से ही उत्पन्न होता है। वह विलक्षण भारतीय वैज्ञानिक थे – सर चंद्रशेखर वेंकटरमन। वे...