स्वयं अब जागकर हमको

  1. तन्त्र है नूतन भले ही
  2. सब समाज में जाकर हमको संघ गीत
  3. 2018 ~ OmGyanVed
  4. 2018 ~ OmGyanVed
  5. तन्त्र है नूतन भले ही
  6. सब समाज में जाकर हमको संघ गीत


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तन्त्र है नूतन भले ही

स्वयं अब जागकर हमको,जगाना देश है अपना जगाना देश है अपना, जगाना देश है अपना॥ध्रु.॥ हमारे देश की मिट्टी हमें प्राणों से प्यारी है यहीं के अन्न जल वायु परम श्रद्धा हमारी है स्वभाषा है हमें प्यारी ओ प्यारा देश है अपना॥1॥ जगाना देश है अपना जगाना देश है अपना समय है अब नहीं कोई गहन निद्रा में सोने का समय है एक होने का न मतभेदों में खोने का बढ़े बल राष्ट्र का जिससे वो करना मेल है अपना॥2॥ जगाना देश है अपना जगाना देश है अपना जतन हो संगठित हिंदू सक्रिय भाव भरने का जगाने राष्ट्र की भक्ति उत्तम कार्य करने का समुन्नत राष्ट्र हो भारत यही उद्देश्य है अपना॥3॥ जगाना देश है अपना जगाना देश है अपना हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे संगठन का भाव भरते जा रहे॥ध्रु.॥ यह सनातन राष्ट्र मंदिर है यहां वेद की पावन ऋचाएं गूंजती प्रकृति का वरदान पाकर शक्तियां देव निर्मित इस धरा को पूजती हम स्वयं देवत्व गढ़ते जा रहे॥1॥ हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे राष्ट्र की जो चेतना सोई पड़ी हम उसे फिर से जगाने आ गए परम पौरुष की पताका हाथ ले क्रांति के नवगीत गाने आ गए विघ्न बाधा शैल चढ़ते जा रहे॥2॥ हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे हम करें युवाओं का आह्वान फिर शक्ति का नव ज्वार पैदा हो सके राष्ट्र रक्षा का महा अभियान ले संगठन भी तीव्रगामी हो सके लक्ष्य का संधान करते जा रहे॥3॥ हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे दिव्य ध्येय की ओर तपस्वी जीवन भर अविचल चलता है जीवन भर अविचल चलता है।।ध्रु.।। सज धज कर आए आकर्षण,पग पग पर झूमते प्रलोभन होकर सबसे विमुख बटोही,पथ पर सम्भल सम्भल बढ़ता है।।1।। अमरतत्व की अमिट साधना,प्राणों में उत्सर्ग कामना जीवन का शाश्वत व्रत लेकर,साधक हंस कण कण गलता है।।2।। पतझड़ के झंझावातों में, जग के घातों प्रतिघातों में सुरभि लुटाता सुमन ...

सब समाज में जाकर हमको संघ गीत

गीत / कविता अन्य भाषा आ गया आ गया Aa Gaya Aa Gaya आग बहुत-सी बाकी है Aag bahut hi baki hai आज बढ़े हम सीना ताने Aaj Bhadhe Ham Seena Tane आज हिमालय की चोटी से Aaj Himalay Ki Choti Se आज जीत की रात Aaj Jeet ki raat आज कैसी शुभ घड़ी है Aaj Kasi Shubh Ghadi Hai आज मनायें रक्षाबन्धन Aaj Manaye Rakshabandhan आज प्राण के दीप जलेंगे Aaj Pran Ke Dipa Jalenge आज पूजा की घड़ी है। Aaj Puja Ki Ghadi Hai आज श्रध्दा सुमन अर्पित Aaj Shraddha Suman Arpit आज तन मन और जीवन Aaj Tan Man Aur Jivan आज तिरंगा फहराता है अपनी पूरी शान से Aaj Tiranga Phaharaata Hai Apanee Pooree Shaan Se आज यही युग धर्म हमारा Aaj yahi Yugadharma Hamara आज एकदा पुन्हा Aaja Ekada Punha आक्रमकांशी झुंझत Aakramakamsi Jhumjhata आओ बच्चो तुम्हे दिखाये Aao Bachho Tumhe Dekhaye आओ हम सब मिलकर गाएं Aao ham Sab Mil Kar Gaye आओ मिलकर करें प्रतिज्ञा Aao Milakar Karen Pratigya आरंभ है प्रचंड बोले मस्तकों के झुण्ड Aarambh Hai Prachand Bole Mastako Ke Jhund आर्त भक्तिने स्मरता केशव Aart Bhaktine Smarata Keshav आरती: माँ सरस्वती वंदना Aarti Maa Saraswati Vandana आर्योंका केसरिया निशान Aaryon Ka Kesariya Nishan आसेतु हिमाचल राष्ट्र देव न Aasetu Himaachal Raashtra Dev No आसेतु हिमाचल सारा Aasetu Himaachal Saaraa ఆట కలసి ఆడుదాం పాట కలసి పాడుదాం Aata Kalasi Aadudam Pata Kalasi Paadudam अवघे गरजे पंढरपूर चालला नामाचा गजर Aavghe Garje Pandharpur Chalal Namacha Gajat आव्हान द्यावया आम्हा Aavhan Dyaya Amha आया समय जवान जागो भारत भूमि पुकारती Aaya Samay Jawano Jaago अब जाग उठो कमर कसो Ab Jaag Utho Kamar Kaso अब के बरस तुझे धरती की रानी AB ...

2018 ~ OmGyanVed

... New Gallery 2018/10/24 विजयादशमी कार्यक्रम झबरेडा नगर originaldate 1/1/0001 6:00:00 AM width 1440 height 810 Vijyadashmi Nagar Jhabrera originaldate 1/1/0001 6:00:00 AM width 1440 height 810 विजयादशमी कार्यक्रम Nagar Jhabrera originaldate 1/1/0001 6:00:00 AM width 1440 height 810 विजयादशमी कार्यक्रम झबरेडा नगर originaldate 1/1/0001 6:00:00 AM width 1440 height 810 विजयादशमी कार्यक्रम झबरेडा नगर originaldate 1/1/0001 6:00:00 AM width 1440 height 810 अर्थ : “ आपको अपने निर्धारित कर्तव्य का पालन करने का अधिकार है , लेकिन आप कभी कर्म फल की इच्छा से कर्म मत करो . ( कर्म फल देने का अधिकार सिर्फ ईश्वर को है ). क र्म फल की अपेक्षा से आप कभी कर्म न करें , न ही आपकी कभी कर्म न करने की प्रवृति हो . ( आपकी हमेशा कर्म करने में प्रवृति हो ).”– श्री कृष्ण भगवान ( अर्जुन से कहा )

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तन्त्र है नूतन भले ही

स्वयं अब जागकर हमको,जगाना देश है अपना जगाना देश है अपना, जगाना देश है अपना॥ध्रु.॥ हमारे देश की मिट्टी हमें प्राणों से प्यारी है यहीं के अन्न जल वायु परम श्रद्धा हमारी है स्वभाषा है हमें प्यारी ओ प्यारा देश है अपना॥1॥ जगाना देश है अपना जगाना देश है अपना समय है अब नहीं कोई गहन निद्रा में सोने का समय है एक होने का न मतभेदों में खोने का बढ़े बल राष्ट्र का जिससे वो करना मेल है अपना॥2॥ जगाना देश है अपना जगाना देश है अपना जतन हो संगठित हिंदू सक्रिय भाव भरने का जगाने राष्ट्र की भक्ति उत्तम कार्य करने का समुन्नत राष्ट्र हो भारत यही उद्देश्य है अपना॥3॥ जगाना देश है अपना जगाना देश है अपना हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे संगठन का भाव भरते जा रहे॥ध्रु.॥ यह सनातन राष्ट्र मंदिर है यहां वेद की पावन ऋचाएं गूंजती प्रकृति का वरदान पाकर शक्तियां देव निर्मित इस धरा को पूजती हम स्वयं देवत्व गढ़ते जा रहे॥1॥ हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे राष्ट्र की जो चेतना सोई पड़ी हम उसे फिर से जगाने आ गए परम पौरुष की पताका हाथ ले क्रांति के नवगीत गाने आ गए विघ्न बाधा शैल चढ़ते जा रहे॥2॥ हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे हम करें युवाओं का आह्वान फिर शक्ति का नव ज्वार पैदा हो सके राष्ट्र रक्षा का महा अभियान ले संगठन भी तीव्रगामी हो सके लक्ष्य का संधान करते जा रहे॥3॥ हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे दिव्य ध्येय की ओर तपस्वी जीवन भर अविचल चलता है जीवन भर अविचल चलता है।।ध्रु.।। सज धज कर आए आकर्षण,पग पग पर झूमते प्रलोभन होकर सबसे विमुख बटोही,पथ पर सम्भल सम्भल बढ़ता है।।1।। अमरतत्व की अमिट साधना,प्राणों में उत्सर्ग कामना जीवन का शाश्वत व्रत लेकर,साधक हंस कण कण गलता है।।2।। पतझड़ के झंझावातों में, जग के घातों प्रतिघातों में सुरभि लुटाता सुमन ...

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