त्रिपिटक क्या है

  1. त्रिपिटक क्या है?
  2. त्रिपिटक क्या है? त्रिपिटक के प्रकार और इसकी विशेषताएं
  3. [Solved] बौद्ध धर्म में 'त्रिपिटक' शब्द का अर्थ तीन ह
  4. जातक कथाएँ
  5. त्रिपिटक
  6. सुत्तपिटक
  7. Tripitak Kya Hain


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त्रिपिटक क्या है?

रॉबर्ट कैम्पिन। वेदी पेंटिंग-ट्रिप्टिच "सबसे पवित्र थियोटोकोस की घोषणा" ("मेरोड की वेदी"), लगभग 1427-1432। रूसी भाषा में शब्द प्राचीन ग्रीक भाषा से आया है। इसकी व्याख्या तीन तरफा, ट्रिपल, ट्रिपल-फोल्ड के रूप में की जाती है, जिसमें तीन भुजाएँ होती हैं, जिसमें तीन तख्त होते हैं, अर्थात। संख्या "तीन" बिना असफलता के प्रकट होती है, जो बताती है कि यह संख्या आकस्मिक नहीं है। संख्या "तीन" संख्या और, वास्तव में, त्रिएकता के अर्थ में त्रिगुण कई दार्शनिक शिक्षाओं और विश्वासों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आइए हम प्रेरितों पर पवित्र आत्मा के अवतरण के सम्मान में पवित्र त्रिमूर्ति के पर्व को याद करें, जिसने ईश्वर के त्रिगुणात्मक स्वरूप को प्रकट किया: ईश्वर पिता, ईश्वर पुत्र और ईश्वर पवित्र आत्मा। इसलिए, ईसाई धर्म में संख्या "तीन" का एक पवित्र अर्थ है: कलवारी पर तीन सूली पर चढ़ना, तीसरे दिन मसीह का पुनरुत्थान, तीन बुद्धिमान पुरुष बच्चे यीशु मसीह के जन्म की बधाई देने आए, तीन गुण - विश्वास, आशा, प्रेम, आदि। लोककथाओं, रोजमर्रा की जिंदगी, कहावतों, अंधविश्वासों और साहित्य में, संख्या "3" का उल्लेख अक्सर एक विशेष, कभी-कभी जादुई अर्थ में किया जाता है: बाएं कंधे पर तीन बार थूकना ताकि यह भ्रमित न हो, "भगवान ट्रिनिटी से प्यार करता है," खिड़की देर शाम घूमती थी,”आदि। विज्ञान में त्रिक के अर्थ के बारे में हम क्या कह सकते हैं: अंतरिक्ष की त्रि-आयामीता, पदार्थ की तीन अवस्थाएँ, चंद्रमा की तीन अवस्थाएँ और बहुत कुछ। त्रिपिटक क्या है, इसके विश्लेषण पर लौटते हुए, आइए कुछ क्षेत्रों के उदाहरण पर अधिक विस्तार से देखें जिसमें इस अवधारणा का उपयोग किया जाता है। वेदियों और तह चिह्नों के लिए त्रिपिटक मध्य युग...

त्रिपिटक क्या है? त्रिपिटक के प्रकार और इसकी विशेषताएं

आज हम लोग इस आर्टिकल में जानेंगे कि त्रिपिटक क्या है? (Tripitak Kya The) और त्रिपिटक के कितने प्रकार हैं? तथा इनकी विशेषता क्या है? त्रिपिटक का इस्तेमाल कहां होता है। बौद्ध धर्म में त्रिपिटक का महत्व उसी प्रकार है जिस प्रकार हमारे हिंदू धर्म में रामायण, गीता और महाभारत का है, इससे आप इसकी महत्वता का पता लगा सकते हैं। त्रिपिटक से जुड़े हुए कई सारे प्रश्न हमारे मन में आते हैं कि त्रिपिटक क्या है, त्रिपिटक कैसे बना और उसकी क्या विशेषताएं रहती है आइए इसे विस्तार से जाने। विषय सूची • • • • • • • • • त्रिपिटक क्या है? त्रिपिटक बौद्ध धर्म की शिक्षाओं का एक संग्रह है जो बौद्ध के दर्शन कराता है यह बौद्ध धर्म से जुड़ी हुई सबसे प्राचीन संग्रह है जिसमें कई सारे “सूतो और रचना” देखने को मिलती है। त्रिपिटक को अंग्रेजी में “पाली कैनन” भी कहते हैं इसके अलावा त्रिपिटक को टीपीटका के नाम से भी जाना जाता है। बौद्ध धर्म के सभी नियमों को इस में संग्रहित किया गया है जो बौद्ध धर्म के अनुशासन एवं विभिन्न प्रक्रिया को दर्शाता है। त्रिपिटक का मतलब क्या होता है? त्रिपिटक बौद्ध शिक्षाओं का एक संग्रह है जो थेरवाद बौद्ध दर्शन का आधार है और यह बौद्ध शिक्षाओं का सबसे पुराना संग्रह है। त्रिपिटक शब्द मैं “त्रि” जिसका अर्थ है “तीन” और “पिटक” जिसका अर्थ है “टोकरी” अर्थात तीन टोकरी, त्रिपिटक को टिपिटका के नाम से भी जाना जाता है। त्रिपिटक बुद्ध के शब्द के रूप में थेरवाद बौद्ध धर्म से जाना जाता है, क्योंकि यह शिक्षाओं और बुद्ध की प्रथाओं और उनके अनुयायियों में शामिल है। यह भी पढ़ें: यह सामग्री एकत्र और चौथी सदी ईसा पूर्व में सबसे पहले बौद्ध परिषद द्वारा आयोजित किया गया यह तीसरी शताब्दी ईसा पूर्वमें अंत में लिखे ज...

[Solved] बौद्ध धर्म में 'त्रिपिटक' शब्द का अर्थ तीन ह

सही उत्तर है - टोकरियाँ​. Key Points • त्रिपिटक एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है तीन टोकरी। • यह बौद्ध परंपराओं द्वारा उनके विभिन्न ग्रंथों का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पारंपरिक शब्द है। • अभिव्यक्ति तीन टोकरी मूल रूप से तीन ग्रहणों को संदर्भित करती है जिसमें नामावली होतीहैं, जिन पर बौद्ध धर्म ग्रंथों को मूल रूप से संरक्षित किया गया था। Additional Information बौद्ध धर्म में प्रयुक्त कुछ महत्वपूर्ण शब्द हैं : • बुद्ध- `बुद्ध` का अर्थ है 'एक प्रबुद्ध व्यक्ति। • धम्म- वास्तव में जीवन क्या है, इस बारे में सच्चाई। • संघ- बौद्धों का समुदाय। Delhi Police Constable Exam Date Out (2023 cycle)! The exam is scheduled to be conducted on the 14th, 16th, 20th, 21st, 22nd, 23rd, 28th, 29th, 30th November and 1st, 4th, and 5th December 2023. The candidates must note that the Delhi Police Constable Application Window will open on 1st September 2023 and it will remain open till 30th September2023. Candidates can alsorefer to the

जातक कथाएँ

जातक या जातक पालि या जातक कथाएं जातक जातक की कहानियों में से कुछ का नामकरण तो जातक में आई हुई गाथा के पहले शब्दों से हुआ है, यथा-अपष्णक जातक; किसी का प्रधान पात्र के अनुसार, यथा वण्णुपथ जातक; किसी का उन जन्मों के अनुसार जो बोधिसत्व ने ग्रहण किये यथा, निग्रेध मिग जातक, मच्छ जातक, आदि। नोट- मूलतः जातक कथाएँ बौद्ध कालीन भाषा (पाली भाषा) से अनुवादित है जिसके कुछ शब्द संस्कृत भाषा से मेल खाते है, अतः अनुवाद का अर्थ विभिन्न भी हो सकता है अनुक्रम • 1 जातकों की संख्या एवं रचनाकाल • 2 कुछ जातकों का संक्षिप्त परिचय • 3 कथावस्तु एवं शैली • 4 साहित्य और सभ्यता के इतिहास में जातक का स्थान • 5 बाहरी कड़ियाँ जातकों की संख्या एवं रचनाकाल [ ] सभी जातक कथाएं • 1. पच्चुपन्नवत्थु - बुद्ध की वर्तमान कथाओं का संग्रह है। • 2. अतीतवत्थु - इसमें अतीत की कथाँए संगृहीत है। • 3. गाथा • 4. वैय्याकरण - गाथाएँ व्याख्यायित की गई है। • 5. समोधन - इसमें अतीतवत्थु के पात्रों का बुद्ध के जीवनकाल के पात्रों से सम्बन्ध बताया गया है। जातक की कई कहानियाँ अल्प रूपान्तर के साथ दो जगह भी पाई जाती है या एक दूसरे में समाविष्ट भी कर दी गई हैं, और इसी प्रकार कई जातक कथाएँ सुत्त-पिटक, विनय-पिटक, तथा अन्य पालि ग्रन्थों में तो पाई जाती है, किन्तु जातक के वर्तमान रूप में संगृहीत नहीं है। अतः जातकों की संख्या में काफी कमी की भी और बृद्धि की भी सम्भावना है। उदाहरणतः मुनिक जातक(30) और सालूक जातक(286) की कथावस्तु एक ही सी है, किन्तु केवल भिन्न-भिन्न नामों से वह दो जगह आई है। इसके विपरीत ‘मुनिक जातक’ नाम के दो जातक होते हुए उनकी भी कथा भिन्न-भिन्न है। यही बात मच्छ जातक नाम से दो जातक की भी है। कही-कहीं दो स्वतन्त्र जातकों को मि...

त्रिपिटक

[ ] प्रकाशितकोशों से अर्थ [ ] शब्दसागर [ ] त्रिपिटक संज्ञा पुं॰ [सं॰] भगवान् बुद्ध के उपदेशों का बडा़ संग्रह जो उनकी मृत्यु के उपरांत उनके शिष्यों और अनुयायियों ने समय समय पर किया और जिसे बौद्ध लोग अपना प्रधान धर्मग्रंथ मानते हैं । विशेष—यह तीन भागों में, जिन्हें पिटक कहते हैं, विभक्त है । इनके नाम ये हैं—सूत्रपिटक, विनयपिटक, अभिधर्मपिटक । सूत्रपिटक में बुद्ध के साधारण छोटे और बडे़ ऐसे उपदेशों का संग्रह है जो उन्होंने भिन्न भिन्न घटनाओं और अवसरों पर किए थे । विनयपिटक में भिक्षुओं और श्रावकों आदि के आचार के संबंध की बातें हैं । अभिधर्मपिटक में चित्त, चैतिक धर्म और निर्वाण का वर्णन है । यही अभिधर्म बौद्ध दर्शन का मूल हो । यद्यपि बौद्ध धर्म के महायान, हीनयान और मध्यमयान नाम के तीन यानों का पता चलता है और इन्हीं के अनुसार त्रिपिटक के भी तीन संस्करण होने चाहिए, तथापि आजकल मध्ययमान का संस्करण नहीं मिलता । हीन- यान का त्रिपिटक पाली भाषा में है और बरमा, स्याम तथा लंका के बौद्धों का यह प्रधान और माननीय ग्रंथ है । इस यान के संबंध का अभिधर्म से पृथक् कोई दर्शन ग्रंथ नहीं है । महायान के त्रिपिटक का संस्करण संस्कृत में है और इसका प्रचार नेपाल, तिब्बत, भूटान, आसाम, चीन, जापान और साइबैरिया के बौद्धों में है । इस यान के संबंध के चार दार्शनिक संप्रदाय हैं जिन्हें सौत्रांतिक, माध्यमिक, योगाचार और वैभाषिक कहते हैं । इस यान के संबंध के मूल ग्रंथों के कुछ अंश नेपाल, चीन, तिब्बत और जापान में अबतक मिलते हैं । पहले पहल महात्मा बुद्द के निर्वाण के उपरांत उनके शिष्यों ने उनके उपदेशों का संगह राजगृह के समीप एक गुहा में किया था । फिर महाराज अशोक ने अपने समय में उसका दूसरा संस्करण बौद्धों के एक बडे़ स...

सुत्तपिटक

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 विभाजन • 3 टीका • 4 बाहरी कड़ियाँ परिचय [ ] इस पिटक के पाँच भाग हैं जो निकाय कहलाते हैं। निकाय का अर्थ है समूह। इन पाँच भागों में छोटे बड़े सुत्त संगृहीत हैं। इसीलिए वे निकाय कहलाते हैं। निकाय के लिए "संगीति" शब्द का भी प्रयोग हुआ है। आरम्भ में, जब कि त्रिपिटक लिपिबद्ध नहीं था, भिक्षु एक साथ सुत्तों का पारायण करते थे। तदनुसार उनके पाँच संग्रह संगीति कहलाने लगे। बाद में निकाय शब्द का अधिक प्रचलन हुआ और संगीति शब्द का बहुत कम। कई सुत्तों का एक बग्ग (वर्ग) होता है। एक ही सुत्त के कई भाण भी होते हैं। 8000 अक्षरों का भाणवार होता है। तदनुसार एक-एक निकाय की अक्षर संख्या का भी निर्धारण हो सकता है। उदाहरण के लिए दीर्घनिकाय के 34 सुत्त हैं और भाणवार 64। इस प्रकार सारे दीर्घनिकाय में 512000 अक्षर हैं। सुत्तों में भगवान तथा सारिपुत्र मौद्गल्यायन, आनंद जैसे उसे कतिपय शिष्यों के उपदेश संगृहीत हैं। शिष्यों के उपदेश भी भगवान द्वारा अनुमोदित हैं। प्रत्येक सुत्त की एक भूमिका है, जिसका बड़ा ऐतिहासिक मत है। उसमें इन मतों का उल्लेख है कि कब, किस स्थान पर, किस व्यक्ति या किन व्यक्तियों को वह उपदेश दिया गया था और श्रोताओं पर उसका क्या प्रभाव पड़ा। अधिकतर सुत्त गद्य में हैं, कुछ पद्य में और कुछ गद्य-पद्य दोनों में। एक ही उपदेश कई सुत्तों में आया है- कहीं संक्षेप में और कहीं विस्तार में। उनमें पुनरुक्तियों की बहुलता है। उनके संक्षिप्तीकरण के लिए "पय्याल" का प्रयोग किया गया है। कुछ परिप्रश्नात्मक है। उनमें कहीं-कहीं आख्यानों और ऐतिहासिक घटनाओं का भी प्रयोग किया गया है। सुत्तपिटक उपमाओं का भी बहुत बड़ा भंडार है। कभी-कभी भगवान उपमाओं के सहारे भी उपदेश देते थे। श्रोताओं में राजा ...

Tripitak Kya Hain

Tripitak kya hain - त्रिपिटक क्या है त्रिपिटक से जुड़ी हर वह जानकारी हम जिस पोस्ट पर आपके साथ साझा करने वाले हैं जो प्रतियोगी परीक्षाओं में आपको देखने को मिलता है इस पूरे पोस्ट को जरूर देखें और त्रिपिटक से संबंधित सारे महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखें। सबसे पहले बात करते है कि त्रिपिटक क्या है, हम आपको बता दें कि त्रिपिटक का संबंध "बौद्ध धर्म" से है। त्रिपिटक के मुख्यतः तीन भाग हैं। 1. विनय पिटक 2. सुत पिटक और 3. अभिधम पिटक विनय पिटक :- विनय पिटक की रचना उपाधि ने की थी जिसमें बौद्ध संघ के नियम के बारे में बात कही गई है.. सुत पिटक :- सतबीर की रचना आनंद की है, इसमें बुद्ध के उपदेशों एवं संवादों का संग्रह है अभिधम पिटक:- इसमें बुद्ध के आध्यात्मिक एवं दार्शनिक विचारों का संग्रह किया गया है, अभिधम पिटक की रचना तिस्य ने कि है।