तुलसीदास का जीवन परिचय कक्षा 10 pdf

  1. तुलसीदास जी का जीवन परिचय
  2. तुलसीदास का जीवन परिचय/tulsidas ka jivan parichay
  3. Tulsidas Hindi
  4. PDF तुलसीदास का जीवन परिचय
  5. [PDF] तुलसीदास का जीवन परिचय
  6. तुलसीदास का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ
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तुलसीदास जी का जीवन परिचय

4. तुलसीदास जी की काव्यगत विशेषताएं – Tulsidas Ki Kavyagat Visheshtayen इस पोस्ट में हम तुलसीदास जी का पूरा तुलसीदास का जीवन परिचय ( Tulsidas ka jeewan parichay ), तुलसीदास का जन्म कब हुआ? ( Tulsidas ka janm kab hua ), तुलसीदास का जन्म कहाँ हुआ? ( Tulsidas ka janm kahan hua ), तुलसीदास का निधन कब हुआ? ( Tulsidas ka nidhan kab hua ) तुलसीदास की रचनाएं ( Tulsidas ki rachnayen ), तुलसीदास के पिता का नाम ( Tulsidas ke pita ka nam ), तुलसीदास की माता का नाम ( Tulsidas ki mata ka nam ), तुलसीदास की पत्नी का नाम ( Tulsidas ki patni ka nam ), तुलसीदास की काव्यगत विशेषताएं आदि सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी। उम्मीद है आपको हमारी ये पोस्ट काफी पसंद आएगी। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें तथा हमें कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। पोस्ट में किसी भी प्रकार की लेखन गलती हो सकती है। अगर आपको कोई गलती दिखाई दे तो कमेंट में जरूर बताएं। महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी की जीवनी – Tulsidas Ka Jivan Parichay हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म ( Tulsidas ka janm ) 1532 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित राजापुर गांव में हुआ था। इनके जन्म का जो विक्रम संवत है वह 1589 माना जाता है। इनके जन्म समय मे काफी मतभेद हैं कई जगह इनका जन्म समय विक्रम संवत 1554 भी लिखा गया है। गोस्वामी तुलसीदास भक्तिकाल के राममार्गी शाखा के प्रतिनिधि कवि रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास को हिंदी साहित्य में वह स्थान प्राप्त हुआ जो स्थान संस्कृत साहित्य में वाल्मीकि और वेदव्यास को हुआ। Tulsidas In Hindi तुलसीदास जी के पिता का नाम ( Tulsidas ke pita ka naam ) आत्माराम दुबे तथा माता क...

तुलसीदास का जीवन परिचय/tulsidas ka jivan parichay

By Jan 7, 2022 तुलसीदास का जीवन परिचय तुलसीदास का जीवन परिचय? Tulasidas का परिचय (म.प्र. बोर्ड भोपाल ) दो रचनाएँ- रामचरित मानस, गीतावली। भाषा- तुलसीदास संस्कृत भाषा के बड़े जानकर थे। उसके बाद भी उन्होंने लोगों की भाषा अवधी और ब्रज को अपनाया। इनकी भाषा में लोकोक्ति और मुहावरों का विशेष प्रयोग दिखाई देता है। भाषा की मधुरता ने काव्य में चार चाँद लगा दिए हैं। भाषा का प्रभाव इतना है कि आज भी लोगों के होठों से उनकी काव्य पंक्तियाँ सुनी जा सकती हैं। शैली- तुलसी की रचनाओं में किसी विशेष शैली का प्रयोग नहीं दिखाई देता है। उन्होंने सभी प्रमुख शैलियों का प्रयोग किया है। रामचरितमानस में प्रबंध और विनयपत्रिका में गेय शैली का प्रयोग किया है। कवितावली में कवित्त और वरबै रामायण में छप्पय शैली का प्रयोग दिखाई देता है। कुछ रचनाओं में वर्णनात्मक और उपदेशात्मक शैली प्रयोग मिलता है। साहित्य में स्थान- तुलसीदास भक्तिकाल के प्रमुख कवि हैं। उन्हें जन कवि माना जाता है। उनके हृदय में लोकमंगल की भावना थी। वे सभी के लिए सुख की कामना करते हैं। उनकी रचनाओं में मानव जीवन के सभी चरित्र मिलते हैं। वास्तव में तुलसीदास लोकनायक थे। ऐसे रचनाकार को समस्त जगत सदैव नमन करता रहेगा। tulsidas ka jivan parichay in hindi तुलसीदास का परिचय आचार्य- डॉ. अजीत भारती

Tulsidas Hindi

Tulsidas – गोस्वामी तुलसीदास (हिंदी साहित्य के महान कवि और साहित्यकार) का जन्म 1511 ई० (सम्वत्- 1568 वि०) में राजापुर, कासगंज उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। (जन्म को लेकर एक राय नहीं है ) इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे था, माता का नाम हुसली था, पत्नी रत्नावली थी। यह एक अच्छे कवि और समाजसुधारक भी थे। इनके गुरु का नाम आचार्य रामानंद था। यह हिन्दू धर्म से तालुक रखते थे, गोस्वामी तुलसीदास भक्तिकाल के कवि कहें जाते है। तुलसीदास (Goswami Tulsidas) की प्रमुख रचनाएं– रामचरितमानस, दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा आदि Tulsidas Biography in Hindi – संछिप्त परिचय नाम– गोस्वामी तुलसीदास जन्म– सन 1532 or 1511 (संवत – 1589), राजापुर, उत्तर प्रदेश पिता का नाम– आत्माराम दुबे माता का नाम– हुलसी पत्नी का नाम– रत्नावली कार्यक्षेत्र– कवि, समाज सुधारक मृत्यु– सन 1623 (संवत- 1680), काशी कर्मभूमि– बनारस (वाराणसी) काल– भक्ति काल विधा– कविता, दोहा, चौपाई विषय– सगुण भक्ति भाषा का ज्ञान– संस्कृत, अवधी, हिंदी Tulsidas ka Jivan Parichay – तुलसीदास का बचपन – कहा जाता है की भगवान शिव की प्रेरणा से प्रभावित होकर रामशैल पर रहने वाले श्री अनन्तानन्द जी महाराज के प्रिय चेले श्रीनरहर्यानन्द जी (नरहरि बाबा) ने रामबोला नाम से चर्चित तुलसीदास को बचपन में खोज निकाला था। उसके बाद उन्हीं लोगों ने मिलकर रामबोला को तुलसीदास बना दिया यानि उनका नाम तुलसीदास रखा गया। उसके बाद उन गुरुओं ने तुलसीदास को अयोध्या ले गए जहां माघ शुक्ला पंचमी (शुक्रवार) को उसका यज्ञोपवीत-संस्कार सम्पन्न कराया। संस्कार के समय तुलसीजी ने बिना बताएं गायत्री मंत्र जप डाला था। जिसको देखकर वहां बैठे सभी लोग आश्चर्य में पड़ गए थ...

PDF तुलसीदास का जीवन परिचय

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • यदि आप इस लेख को पूरा पढ़ते है तो आपको tulsidas ji ka jivan parichay एक दम अच्छे से समझ में आने वाला है क्योंकि यह इतना बेहतरीन तरीके से समझाया गया है जिसे कोई भी बहुत ही आसानी से समझ सकता है. आप लोगो के बोर्ड एग्जाम में goswami tulsidas ka jivan parichay in Hindi जरुर पूछा जाता है इसलिए आप लोग इसे अच्छे से तैयार करके जरुर जाये. हम लोग कुछ बुलेट पॉइंट को जान लेते है पहले tab जाकर Tulsidas Ka Jivan Parichay को विस्तार से जानेंगे. तुलसीदास का जीवन परिचय कुछ पॉइंट के रूप में – • तुलसीदास का पूरा नाम गोस्वामी तुलसीदास है. • तुलसीदास के बचपन का नाम रामबोला है. • इनका जन्म 13 अगस्त सन् 1532 ई ० को हुयी थी. • तुलसीदास का जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर गाँव है. • इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी था. • ये रामभक्त कवि थे जिन्होंने श्रीरामचरितमानस महाकाव्य की रचना की थी. • तुलसीदास जी का पत्नी का नाम रत्नावली था. • तुलसीदास की मृत्यु 31 जुलाई सन् 1623 ई० में हो गयी थी. • इनकी मृत्यु स्थान काशी के अस्सी घाट है जो आज वाराणसी के नाम से जाना जाता है. हम लोग पहले तुलसीदास का जीवन परिचय इन हिंदी इन शार्ट में एक टेबल के माध्यम से पहले जानेंगे फिर उसी से एक पूरा तुलसीदास का जीवन परिचय लिखेंगे. चलिए पहले हम संक्षिप्त में Goswami Tulsidas Ka Jivan Parichay जानते है. पूरा नाम गोस्वामी तुलसीदास बचपन का नाम रामबोला जन्म सन् 13 अगस्त सन् 1532 ई ० जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर गाँव में पत्नी का नाम रत्नावनी माता का नाम हुलसी पिता का नाम आत्माराम दुबे शिक्षा सन्त बाबा नरहरिदास ने इनको भक्ति शिक्षा वेद ...

[PDF] तुलसीदास का जीवन परिचय

जन्म-वर्णन लोक में प्रसिद्ध है कि गोसाईजी के पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा | माता का नाम श्रीमती हुलसी देवी था । गोसाईजी ने अपने किसी भी ग्रन्थ में अपने माता-पिता के नाम नहीं दिये हैं । कुछ एक स्थलों पर ‘हुलसी’ शब्द आया है जिससे अनुमान किया जाता है कि उनकी माता का नाम ‘हुलसी’ ही है । अक बर बादशाह के प्रसिद्ध वजीर नवाब खानखाना रहीम के साथ गोसाईजी का बड़ा ही स्नेह था । खानखाना भी हिन्दी-भाषा के अच्छे कवि थे । एक दिन तुलसीदास जी के पास एक दीन ब्राहाण आया और अपनी कन्या के विवाहार्थ उसने कुछ धन की याञ्चा की । गोस्वामीजी ने एक पुर्ने पर अधोलिखित दोहार्द्ध लिख कर उस ब्राह्मण को देकर कहा कि तुम इसे ले जाकर खानखाना के हाथ में दो: सुर तिय नर तिय नाग तिय, अस चाहत सब कोय । ब्राह्मण ने वैसा ही किया। इस पर खानखाना ने उस ब्राहाण को बहुत कुछ धन देकर बिदा किया और कहा कि इस कागज को तुम पुनः गोसाईंजी के हाथ में जाकर दे दो । खानखाना ने उसी पद के नीचे यह लिख दिया: गोद लिये हुलसी फिरै, तुलसी से सुत होय ॥ इसी ‘हुलसी’ से लोगों की यह धारणा है कि खानखाना ने इस शब्द को श्लेषार्थ में प्रयुक्त किया है । हुलसी का अर्थ ‘प्रसन्न होकर’ और ‘तुलसीदास की माता’ का भी वाचक है। गोसाईजी स्वयं हुलसी शब्द को प्रसन्नता वा प्रकाश अर्थ में प्रयुक्त करते हैं, जैसा निम्न पदों से प्रकट है : वंश-वर्णन इसमें तो कोई सन्देह ही नहीं कि तुलसीदास जी ब्राह्मण के बालक थे । “दियो सुकुल जन्म शरीर सुन्दर हेतु जो फल चारि को” और “जायो कुन मंगन इत्यादि पद्यों से गोस्वामी जी ने स्वयं अपने ब्राह्मणवंशज होने की सूचना दी है । इस विषय में किसी भी प्रत्थकार के बीच मत द्वैत नहीं देखते। हाँ. कोई इन्हें कान्यकुब्ज और कोई सरयूपारीण बतलाते हैं। प...

तुलसीदास का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ

इस आर्टिकल में हम तुलसीदास जी के जीवन परिचय को एकदम विस्तार से देखेंगे। यह जीवनी कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिये बेहद ही महत्वपूर्ण है, क्योकी तुलसीदास का जीवन परिचय कक्षा 10, 11 और 12 के हिन्दी के परीक्षा में लिखने को जरुर आता है। इसलिए यदि आप कक्षा 9 से 12 तक के किसी भी क्लास के छात्र है। तो इस तुलसीदास की जीवनी को आप पूरे ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़े, ताकी अगर आपके हिन्दी के परीक्षा में तुलसीदास का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ लिखने का प्रश्न आये, तो आप उस प्रश्न को असानी से कर सके। तुलसीदास का जीवन परिचय बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिये और भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण है, क्योकी बोर्ड की परीक्षा में " तुलसीदास का साहित्यिक जीवन परिचय एवं इनकी रचनाएँ लिखें" ऐसे प्रश्न के आने की काफी ज्यादा संभावना होती है। इसलिए यदि आप बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहे है, तो इस जीवनी को आप जरुर याद करे, क्योकी इससे आपको परीक्षा में काफी मदद मिल सकती है। आपको बता दे को, यह जीवनी न केवल बोर्ड के परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये ही उपयोगी है, बल्की जो छात्र प्रतियोगीता परीक्षा की तैयारी कर रहे है उनके लिये भी यह जीवनी समान रूप से उपयोगी है। क्योकी बहुत से प्रतियोगी परीक्षाओं में तुलसीदास जी के जीवन से सम्बंधित काफी सारे प्रश्न पुछे जाते है, ऐसे में यदि आप उन छात्रों में से है जो इस समय किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है, तो आप भी इस तुलसीदास की जीवन को अच्छे से जरुर पढ़े। यहा इस लेख में हम तुलसीदास जी के जीवन से जुड़े उन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को समझेंगे जो, आपके बोर्ड की परीक्षा एवं प्रतियोगी परीक्षा में पुछे जा सकते हैं जैसे की- तुलसीदास का जन्म कब और ...

Tulsidas Hindi

Tulsidas – गोस्वामी तुलसीदास (हिंदी साहित्य के महान कवि और साहित्यकार) का जन्म 1511 ई० (सम्वत्- 1568 वि०) में राजापुर, कासगंज उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। (जन्म को लेकर एक राय नहीं है ) इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे था, माता का नाम हुसली था, पत्नी रत्नावली थी। यह एक अच्छे कवि और समाजसुधारक भी थे। इनके गुरु का नाम आचार्य रामानंद था। यह हिन्दू धर्म से तालुक रखते थे, गोस्वामी तुलसीदास भक्तिकाल के कवि कहें जाते है। तुलसीदास (Goswami Tulsidas) की प्रमुख रचनाएं– रामचरितमानस, दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा आदि Tulsidas Biography in Hindi – संछिप्त परिचय नाम– गोस्वामी तुलसीदास जन्म– सन 1532 or 1511 (संवत – 1589), राजापुर, उत्तर प्रदेश पिता का नाम– आत्माराम दुबे माता का नाम– हुलसी पत्नी का नाम– रत्नावली कार्यक्षेत्र– कवि, समाज सुधारक मृत्यु– सन 1623 (संवत- 1680), काशी कर्मभूमि– बनारस (वाराणसी) काल– भक्ति काल विधा– कविता, दोहा, चौपाई विषय– सगुण भक्ति भाषा का ज्ञान– संस्कृत, अवधी, हिंदी Tulsidas ka Jivan Parichay – तुलसीदास का बचपन – कहा जाता है की भगवान शिव की प्रेरणा से प्रभावित होकर रामशैल पर रहने वाले श्री अनन्तानन्द जी महाराज के प्रिय चेले श्रीनरहर्यानन्द जी (नरहरि बाबा) ने रामबोला नाम से चर्चित तुलसीदास को बचपन में खोज निकाला था। उसके बाद उन्हीं लोगों ने मिलकर रामबोला को तुलसीदास बना दिया यानि उनका नाम तुलसीदास रखा गया। उसके बाद उन गुरुओं ने तुलसीदास को अयोध्या ले गए जहां माघ शुक्ला पंचमी (शुक्रवार) को उसका यज्ञोपवीत-संस्कार सम्पन्न कराया। संस्कार के समय तुलसीजी ने बिना बताएं गायत्री मंत्र जप डाला था। जिसको देखकर वहां बैठे सभी लोग आश्चर्य में पड़ गए थ...

तुलसीदास जी का जीवन परिचय

4. तुलसीदास जी की काव्यगत विशेषताएं – Tulsidas Ki Kavyagat Visheshtayen इस पोस्ट में हम तुलसीदास जी का पूरा तुलसीदास का जीवन परिचय ( Tulsidas ka jeewan parichay ), तुलसीदास का जन्म कब हुआ? ( Tulsidas ka janm kab hua ), तुलसीदास का जन्म कहाँ हुआ? ( Tulsidas ka janm kahan hua ), तुलसीदास का निधन कब हुआ? ( Tulsidas ka nidhan kab hua ) तुलसीदास की रचनाएं ( Tulsidas ki rachnayen ), तुलसीदास के पिता का नाम ( Tulsidas ke pita ka nam ), तुलसीदास की माता का नाम ( Tulsidas ki mata ka nam ), तुलसीदास की पत्नी का नाम ( Tulsidas ki patni ka nam ), तुलसीदास की काव्यगत विशेषताएं आदि सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी। उम्मीद है आपको हमारी ये पोस्ट काफी पसंद आएगी। अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें तथा हमें कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। पोस्ट में किसी भी प्रकार की लेखन गलती हो सकती है। अगर आपको कोई गलती दिखाई दे तो कमेंट में जरूर बताएं। महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी की जीवनी – Tulsidas Ka Jivan Parichay हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म ( Tulsidas ka janm ) 1532 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित राजापुर गांव में हुआ था। इनके जन्म का जो विक्रम संवत है वह 1589 माना जाता है। इनके जन्म समय मे काफी मतभेद हैं कई जगह इनका जन्म समय विक्रम संवत 1554 भी लिखा गया है। गोस्वामी तुलसीदास भक्तिकाल के राममार्गी शाखा के प्रतिनिधि कवि रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास को हिंदी साहित्य में वह स्थान प्राप्त हुआ जो स्थान संस्कृत साहित्य में वाल्मीकि और वेदव्यास को हुआ। Tulsidas In Hindi तुलसीदास जी के पिता का नाम ( Tulsidas ke pita ka naam ) आत्माराम दुबे तथा माता क...

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जन्म-वर्णन लोक में प्रसिद्ध है कि गोसाईजी के पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा | माता का नाम श्रीमती हुलसी देवी था । गोसाईजी ने अपने किसी भी ग्रन्थ में अपने माता-पिता के नाम नहीं दिये हैं । कुछ एक स्थलों पर ‘हुलसी’ शब्द आया है जिससे अनुमान किया जाता है कि उनकी माता का नाम ‘हुलसी’ ही है । अक बर बादशाह के प्रसिद्ध वजीर नवाब खानखाना रहीम के साथ गोसाईजी का बड़ा ही स्नेह था । खानखाना भी हिन्दी-भाषा के अच्छे कवि थे । एक दिन तुलसीदास जी के पास एक दीन ब्राहाण आया और अपनी कन्या के विवाहार्थ उसने कुछ धन की याञ्चा की । गोस्वामीजी ने एक पुर्ने पर अधोलिखित दोहार्द्ध लिख कर उस ब्राह्मण को देकर कहा कि तुम इसे ले जाकर खानखाना के हाथ में दो: सुर तिय नर तिय नाग तिय, अस चाहत सब कोय । ब्राह्मण ने वैसा ही किया। इस पर खानखाना ने उस ब्राहाण को बहुत कुछ धन देकर बिदा किया और कहा कि इस कागज को तुम पुनः गोसाईंजी के हाथ में जाकर दे दो । खानखाना ने उसी पद के नीचे यह लिख दिया: गोद लिये हुलसी फिरै, तुलसी से सुत होय ॥ इसी ‘हुलसी’ से लोगों की यह धारणा है कि खानखाना ने इस शब्द को श्लेषार्थ में प्रयुक्त किया है । हुलसी का अर्थ ‘प्रसन्न होकर’ और ‘तुलसीदास की माता’ का भी वाचक है। गोसाईजी स्वयं हुलसी शब्द को प्रसन्नता वा प्रकाश अर्थ में प्रयुक्त करते हैं, जैसा निम्न पदों से प्रकट है : वंश-वर्णन इसमें तो कोई सन्देह ही नहीं कि तुलसीदास जी ब्राह्मण के बालक थे । “दियो सुकुल जन्म शरीर सुन्दर हेतु जो फल चारि को” और “जायो कुन मंगन इत्यादि पद्यों से गोस्वामी जी ने स्वयं अपने ब्राह्मणवंशज होने की सूचना दी है । इस विषय में किसी भी प्रत्थकार के बीच मत द्वैत नहीं देखते। हाँ. कोई इन्हें कान्यकुब्ज और कोई सरयूपारीण बतलाते हैं। प...