तू नहीं कोई और सही

  1. Aaj ka sher
  2. तौर सही तू नहीं और सही
  3. Hindi Poetry – Nandkishore Devdas


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Aaj ka sher

These fruits remove dirt of body : शरीर में जमी गंदगी यदि बाहर निकल जाती है तो व्यक्ति हर तरह से निरोगी हो जाता है। इससे आयु भी बढ़ती है। योग और आयुर्वेद में शरीर में जमा गंदगी को बाहर निकालने के कई तरीके बताए गए हैं, लेकिन इसके लिए आपको पहले चाय, कॉफी, दूध, कोल्ड्रिंक, मैदा, बेसन, बैंगन, समोसे, कचोरी, पोहे, पिज्जा, बर्गर आदि का त्याग करना पड़ता है। पुरषों में डायबिटीज, हार्ट अटैक और ब्लड प्रेशर का खतरा ज्यादा रहता है। अगर आपने अभी तक फादर्स डे का गिफ्ट नहीं खरीदा है तो आप फिटनेस गैजेट गिफ्ट कर सकते हैं। इन गैजेट की मदद से आप अपने पिता के स्वास्थ को मॉनिटर कर सकते हैं। ये गैजेट आपके पिता के स्वास्थ को बेहतर रखने में मदद भी करेंगे। चलिए जानते हैं इन गैजेट के बारे में..

तौर सही तू नहीं और सही

नई दिल्ली। तो पिछली बातचीत में हमने बात की थी अपनी कुछ फिल्मों यानी 'चिराग कहां रोशनी कहां' और 'जवानी की हवा' के गीत-संगीत के बारे में साथ ही लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी के बीच रॉयल्टी को लेकर मतभेद थे। उसी समय रफी को बहुत से गीतों में जिस गायिका का साथ मिला वे थीं सुमन कल्याणपुर। अब बात आगे की, तो पिछली बार हमने दो फिल्मों की बात की थी। अब बात करता हूं सन 1959 में ही आई फिल्म प्यारेलाल संतोषी निर्देशित फिल्म 'पहली रात' की। तो इस फिल्म में कुल दस गीत थे। संतोषी जी से जब मेरी बात इस फिल्म के संगीत को लेकर हुई, तो उन्होंने साफ-साफ बताया कि इस फिल्म के गीत-संगीत कमाल के होने ही चाहिए। उन्हें इस काम के लिए मुझ पर भरोसा था और खुद संतोषी जी गीतकार भी थे, तो वे इस बात को अच्छी तरह समझते थे कि गीत-संगीत सुरीला है या नहीं। कुल मिलाकर वे संगीत के जानकार थे और संगीत को अच्छी तरह समझते भी थे। उनकी इस फिल्म यानी 'पहली रात' में कुल दस गीत थे और इन गीतों को लिखा था मजरूह सुल्तानपुरी ने। अभिनय करने वाले लोग थे निम्मी, सोहराब मोदी, नंदा, ललिता पवार, सुदेश कुमार, रहमान, जीवन, मनोरमा, जॉनी वाकर आदि। इस फिल्म में रफी की आवाज वाले गीत थे 'दिलवर पे न हो काबू..' और 'रुक रुक चमके..'। रफी के साथ आशा भोसले की आवाज वाले गीत थे 'जमाना प्यार का..' और 'ये पाउडर ये सुर्खियां..'। इनसे अलग इन दोनों की आवाज के साथ सुधा मल्होत्रा की आवाज थी गीत 'हमको दुआएं दो तुम्हें कातिल बना दिया..' में। इस फिल्म में आशा के गाये गीत अधिक थे। उनके गाए सोलो गीत थे 'आज चुपके से हो गई..', 'बता ऐ आसमां..' और 'सो मेरी रानी..'। एक गीत 'क्यों दिल हमको दे डाला..' में उनके साथ आवाज थी मन्ना डे की और गीत 'औरत को बिठाए दिल में..' में ...

Hindi Poetry – Nandkishore Devdas

ना पूछ तू तफसील तू दर्दाआँ दी दुःखी नगरी दा सुल्तान आँ मैं ना खोल तू कबरां दिल दियां इंज समझ कब्रिस्तान आँ मैं ते जेड़ा उजड़ के फेर नहीं बस सका ओह बाद क़िस्मत इंसान आँ मैं विचों गल्दा गल्दा गल गया वा बस नाम दा चौधरी इंसान आं मैं ***** मंच मेरी मजबूरी है शौक मेरा शमशीर ***** सब मांगे पूरी हो जाएंगी तो तमन्ना किसकी करोगे अधूरी ख़्वाहिशें ही जीने का मज़ा देती है🌹 ***** ख़त के छोटे से तराशे में नहीं आएँगे ग़म ज़ियादा हैं लिफ़ाफ़े में नहीं आएँगे हम न मजनूँ हैं न फ़रहाद के कुछ लगते हैं हम किसी दश्त तमाशे में नहीं आएँगे मुख़्तसर वक़्त में ये बात नहीं हो सकती दर्द इतने हैं ख़ुलासे में नहीं आएँगे उस की कुछ ख़ैर-ख़बर हो तो बताओ यारो हम किसी और दिलासे में नहीं आएँगे जिस तरह आप ने बीमार से रुख़्सत ली है साफ़ लगता है जनाज़े में नहीं आएँगे ***** ख़्वाहिशें कुछ यूँ भी अधूरी रही पहले उम्र नहीं थी अब उम्र नहीं रही ***** तेरी फितरत थी सब से दिल लगाना हम ख़ामख़ा ख़ुद को खुशनसीब समझ बैठे ***** नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बत अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ करें हम सुना दें इस्मत-ए-मरियम का क़िस्सा पर अब इस बाब को वा क्यों करें हम ज़ुलेख़ा-ए-अज़ीज़ाँ बात ये है भला घाटे का सौदा क्यों करें हम हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम तुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम किया था अहद जब लम्हों में हम ने तो सारी उम्र ईफ़ा क्यूँ करें हम उठा कर क्यों न फेंकें सारी चीज़ें फ़क़त कमरों में टहला क्यों करें हम जो इक नस्ल फ़रोमाया को पहुँचे वो सर...